TamilNadu Election: पार्टी और मतदाताओं के बीच शशिकला की पकड़
एआईएडीएमके को इस बार चुनौती घर से ही मिलने वाली है क्योंकि जयललिता की क़रीबी रहीं शशिकला ने एलान कर दिया है कि वे चुनावी तैयारियों के लिए लोगों के बीच में जाएंगी। ईपीएस और उप मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम इस बात को जानते हैं कि एआईएडीएमके के भीतर और राज्य के मतदाताओं के बीच भी शशिकला की पकड़ है। अगर बीजेेपी का साथ मिल गया तो शशिकला और बीजेेपी सरकार बना सकते हैं & शशिकला ने कहा है कि एआईएडीएमके और उनके भतीजे दिनाकरन की पार्टी अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम (एएमएमके) को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए। himalayauk.org (Newsportal) Presents : by Chandra shekhar Joshi Editor
चुनाव आयोग ने तमिलनाडु के साथ ही पांच राज्यों में चुनाव की तारीख़ों का एलान कर दिया है। तमिलनाडु में 6 अप्रैल को एक ही चरण में वोटिंग होगी और बाक़ी राज्यों के साथ ही 2 मई को चुनाव नतीजे आएंगे। तमिलनाडु में इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों से पूरी तरह अलग है। वह इसलिए क्योंकि राज्य की या दक्षिण की राजनीति के दो बड़े दिग्गज इस बार चुनाव में नहीं हैं। अगर बीजेेपी का साथ् मिल गयातो शशिकला और बीजेेपी सरकार बना सकते हैं
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तमिलनाडु में एक और राजनीति दल वजूद में आ गया है। टीटीवी दिनाकरण ने गुरुवार को यहां अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम (एएमएमके) नाम से नई पार्टी का एलान किया। हालांकि, दिनाकरण ने कहा है कि वे एआईएडीएमके चुनाव चिह्न दो पत्ती को हासिल करने की कोशिश करेंगे। तब तक कुकर उनका चुनाव चिह्न होगा। पार्टी के झंडे पर जयललिता का कैरीकेचर है। बता दें कि दिनाकरण आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरु की परप्पना जेल में बंद शशिकला के भतीजे हैं।
बात हो रही है पूर्व मुख्यमंत्रियों जयललिता और करूणानिधि की। दोनों ही नेताओं का देहांत हो चुका है और इनकी जगह इस बार क्रमश: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानिस्वामी (ईपीएस) और स्टालिन आमने-सामने हैं। ईपीएस ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (एआईएडीएमके) तो स्टालिन द्रमुक की चुनावी कमान संभाल रहे हैं।
तमिलनाडु में टक्कर एआईएडीएमके और डीएमके के बीच ही रही है और इस बार भी इनके बीच ही होनी है। एआईएडीएमके के साथ बीजेपी और पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) है तो डीएमके के साथ कांग्रेस, एमडीएमके, वीसीके और कुछ अन्य दल हैं लेकिन मुख्य चेहरा ईपीएस और स्टालिन का ही है। तमिलनाडु में विधानसभा की 234 सीटें हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के दिसंबर 2016 में निधन के बाद एआईएडीएमके दो फाड़ हो गई। फिलहाल मुख्यमंत्री ई. पलानीसामी (ईपीएस) और उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) के हाथों पार्टी की बागडोर है। ओपीएस पार्टी के संयोजक और ईपीएस पार्टी के सहसंयोजक हैं।
एआईएडीएमके को इस बार चुनौती घर से ही मिलने वाली है क्योंकि जयललिता की क़रीबी रहीं शशिकला ने एलान कर दिया है कि वे चुनावी तैयारियों के लिए जल्द ही लोगों के बीच में जाएंगी।
शशिकला ने कहा है कि एआईएडीएमके और उनके भतीजे दिनाकरन की पार्टी अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम (एएमएमके) को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन एआईएडीएमके इसके लिए तैयार नहीं है। शशिकला के जेल से बाहर आने पर उनके स्वागत में पहुंचने वाले सात कार्यकर्ताओं को एआईएडीएमके ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
ईपीएस और उप मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम इस बात को जानते हैं कि एआईएडीएमके के भीतर और राज्य के मतदाताओं के बीच भी शशिकला की पकड़ है। इस बात की पूरी संभावना है कि ऐसे नेता जिन्हें एआईएडीएमके से टिकट न मिले, वे शशिकला के भतीजे दिनाकरन की पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं और इससे एआईएडीएमके को राजनीतिक नुक़सान होगा। एआईएडीएमके के कमजोर होने का सीधा फ़ायदा डीएमके को होगा और ऐसे में एआईएडीएमके के लिए सत्ता में वापसी कर पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
शशिकला के कारण अगर एआईएडीएमके को इस चुनाव में हार मिलती है तो पार्टी के लिए आगे की राह बहुत मुश्किल हो जाएगी क्योंकि उसके पास जयललिता जैसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है। एआईएडीएमके ने चुनाव में डीएमके की पूर्ववर्ती सरकार के माफिया राज, 2 जी घोटाला और वंशवाद को मुद्दा बनाया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की 39 में से 38 सीटों पर डीएमके और उसकी सहयोगी पार्टियों ने जीत दर्ज की थी। इस बड़ी जीत के बाद से ही डीएमके प्रमुख स्टालिन ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं और वह लगातार ईपीएस सरकार को घेरते रहे। स्टालिन ने चुनाव में एआईएडीएमके सरकार के भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया है। स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन भी चुनाव में खासे सक्रिय हैं।
2016 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके और डीएमके के बीच कड़ी टक्कर रही थी। तब एआईएडीएमके को 135 और डीएमके को 88 सीटें मिली थीं। लेकिन तब जयललिता और करूणानिधि जीवित थे, इस बार इन दिग्गजों के बिना हो रहे पहले विधानसभा चुनाव में राज्य के मतदाता किसे वोट देते हैं, ये देखना दिलचस्प रहेगा।
दिनाकरण ने कहा कि अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम का लक्ष्य ही लोकतांत्रिक तरीके से अन्नाद्रमुक को प्राप्त करना था और ‘तियाग तलाइवी चिन्नामा’ (बलिदानी नेता, छोटी अम्मा) पार्टी को वापस पाने का कानूनी प्रयास जारी रखेंगी.
दिनाकरण ने हाल ही में आरके नगर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। इससे उनकी राजनीतिक जमीन मजबूत हुई। जयललिता के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि दिनाकरण गुट को अलग नाम और चुनाव चिह्न कुकर दिया जाए। – इसके बाद एआईएडीएमके ने कहा था कि पार्टी से मिलता-जुलता कोई भी नाम दिया जाता है तो वह इसके खिलाफ कोर्ट में जाएगी।
शशिकला जब अस्पताल से निकलीं थी, तो उनके समर्थकों की भीड़ ने उनका स्वागत किया से तमिलनाडु के राजनीतिक संकेत मिलने शुरू हो गये थे,. इलाके में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 300 से अधिक पुलिकर्मी तैनात किए गए. शशिकला की रिहाई ऐसे समय में हुई है, जब तमिलनाडु में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव हैं.
हालांकि तमिलनाडु में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कर दिया था कि उनकी पार्टी का राज्य की सत्ताधारी एआईएडीएमके के साथ विधानसभा चुनाव में गठबंधन जारी रहेगा. नड्डा के इस ऐलान के बाद तमिलनाडु में दोनों दलों के गठबंधन को लेकर लग रहीं अटकलों पर विराम लग गया था.
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