धर्मगुरु बाबा बालदास की प्रतिज्ञा- छत्‍तीसगढ में इस बार …. & Top National News 8 Nov. 18

HIGH LIGHTS 8 Nov. 18# दिल्ली में पटाखों पर सख्ती बेअसर  #उज्जैन के बीजेपी सांसद ने देर रात तक फोड़े पटाखे, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया हास्यास्पद  #नोटबंदी के दो साल #नाम बदलने की राजनीति # यूपी: एटा में करंट लगने से गौशाला में हुई 10 गायों की मौत#  छत्तीसगढ़ में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता तक पहुंचाने वाले धर्मगुरु बाबा बालदास खुद कांग्रेस के दरबार में चले आएं #छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान होगा। राज्य में 18 विधानसभा सीटों के लिए पहले चरण का मतदान 12 नवंबर को होगा # हिमालयायूके-   Digital Newsportal 

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नई दिल्ली: दिल्ली में पटाखों पर सख्ती बेअसर दिखी. दीवाली के मौके पर दिल्लीवासियों ने खूब पटाखे फोड़े. जिसकी वजह से प्रदूषण और अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. सुबह से ही धुंध की चादर (स्मॉग) बिछी है. लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन हो रही है. स्मॉग की वजह से विजिबिलिटी बेहद कम है. मॉर्निंग वॉक करने के लिए भी बहुत कम लोग बाहर निकले हैं.

दिल्ली में खतरनाक स्तर पर प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों पटाखा छोड़ने के लिए समय सीमा निर्धारित किये थे. इसके बावजूद दिल्लीवासियों ने खूब पटाखे छोड़े. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा छोड़ने के लिये रात आठ से 10 बजे की समय-सीमा तय की थी. शीर्ष अदालत ने सिर्फ ‘हरित पटाखों’ के निर्माण और बिक्री की अनुमति दी थी. हरित पटाखों से कम प्रकाश और ध्वनि निकलती है और इसमें कम हानिकारक रसायन होते हैं.

प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बीच राष्ट्रीय राजधानी में ट्रकों के प्रवेश पर आठ नवंबर से लेकर 10 नवंबर तक प्रतिबंध लगा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट से अधिकार प्राप्त पर्यावरण प्रदूषण (नियंत्रण एवं रोकथाम) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने प्रतिबंध का फैसला किया है. आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करने वाले ट्रक को इस प्रतिबंध से छूट दिया गया है. इस संबंध में ईपीसीए ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के मुख्य सचिवों को दिशानिर्देश जारी किए हैं.

दिल्ली के लोधी रोड पर लगे एयर पॉल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशन पर आज सुबह पीएम-2.5 और पीएम-10 का स्तर 500- 500 माइक्रो क्यूबिक था. यह बेहद खतरनाक स्थिति है. बता दें कि पीएम 2.5 बारिक कण होते हैं, पीएम 2.5 बढ़ने से ही धुंध बढ़ती है. दिल्ली में कई जगह रात के तीन बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 999 के आखिरी स्तर पर पहुंच गया था. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि भारत में प्रदूषण का स्तर मापने वाले मीटर 999 के बाद काम नहीं करते.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार शाम सात बजे एक्यूआई 281 था. रात आठ बजे यह बढ़कर 291 और रात नौ बजे यह 294 हो गया. आनंद विहार, आईटीओ और जहांगीरपुरी समेत कई इलाकों में प्रदूषण का बेहद उच्च स्तर दर्ज किया गया. मयूर विहार एक्सटेंशन, लाजपत नगर, लुटियंस दिल्ली, आईपी एक्सटेंशन, द्वारका, नोएडा सेक्टर 78 समेत अन्य स्थानों से कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किये जाने की सूचना मिली.

न्यायालय ने पुलिस से इस बात को सुनिश्चित करने को कहा था कि प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री नहीं हो और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में संबंधित थाना के एसएचओ को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा और यह अदालत की अवमानना होगी.

समय-सीमा का छिटपुट उल्लंघन किये जाने की बात स्वीकार करते हुए दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने देर रात कहा, ‘‘हम हालात की निगरानी कर रहे हैं.’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘उल्लंघन के छिटपुट मामले हुए हैं. कुछ इलाकों में लोग रात आठ से 10 बजे की समय-सीमा के बाद भी पटाखे फोड़ते नजर आए. उल्लंघन के ऐसे मामलों की ठीक-ठीक संख्या का पता लगाया जाना बाकी है. हालांकि, हम उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे.’’ कोलकाता  शहर में काली पूजा के दौरान प्रदूषण का स्तर चार गुना ज्यादा दर्ज किया गया. वहीं मुंबई में भी लोगों ने खूब पटाखे छोड़े. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोर्ट के आदेश के खिलाफ पटाखे चला रहे 7 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

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नई दिल्ली: नोटबंदी के दो साल पूरे हो चुके हैं. जहां सत्तापक्ष इसके फायदे गिना रहा है तो वहीं पूरा विपक्ष इसे पूरी तरह विफल और एक आपदा बता रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी के घाव वक्त के साथ गहरे दिख रहे हैं. उन्होंने कहा, ”बिना सोचे समझे नरेंद्र मोदी की सरकार ने नोटबंदी का जो फैसला लिया था आज उसकी दूसरी वर्षगांठ है. भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के साथ की गई इस तबाही का असर अब सभी के सामने स्पष्ट है.”
कांग्रेस नेता ने कहा, ”नोटबंदी से भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में जो माहौल पैदा किया उसे हर कोई महसूस कर रहा है. नोटबंदी से हर कोई चाहे वो किसी उम्र, धर्म या पेशे का हो सभी प्रभावित हुए. ”
सिंह ने एक बयान में कहा कि मोदी सरकार को अब ऐसा कोई आर्थिक कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे अर्थव्यवस्था के संदर्भ में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से हर व्यक्ति प्रभावित हुआ.देश के मझोले और छोटे कारोबार अब भी नोटबंदी की मार से उबर नहीं पाए हैं.
कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि अब जब लगभग सभी पुराने नोट रिजर्व बैंक के पास जमा हो गए हैं, तो आवश्यक है कि मोदी इस “स्व-निर्मित आपदा” के लिए देशवासियों से माफी मांगें. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत, उन दिनों चल रहे 500 रुपये और एक हजार रुपये के नोट चलन से बाहर हो गए थे.
कांग्रेस ने शुक्रवार को नोटबंदी की दूसरी सालगिरह पर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला किया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली में आरबीआई के बाहर प्रदर्शन कर सकते हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर पिछले दिनों कहा था दो साल पहले प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी और इसे लागू करने के तीन कारण गिनाए थे. पहला इससे काला धन पर रोक लगेगी, दूसरा नकली मुद्रा पर रोक लगेगी और तीसरा आंतकवाद के वित्त पोषण पर रोक लगेगी, लेकिन इसमें से एक भी उद्देश्य पूरा नहीं हुआ.
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धर्मगुरु बाबा बालदास की प्रतिज्ञा- इस बार कांग्रेस ;

सतनामी धर्मगुरु बालदास का 54 सीटों पर असर

छत्तीसगढ़ में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता तक पहुंचाने वाले धर्मगुरु बाबा बालदास खुद कांग्रेस के दरबार में चले आएं;  राजनैतिक गलियारों में बाबा बालदास को कांग्रेस का ट्रम्प कार्ड माना जा रहा है. उन समीकरणों का आंकलन किया जा रहा है, जहां अब बीजेपी को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा. बाबा के कांग्रेस का दामन थामने के बाद बीजेपी भले ही जो भी दावा करे, लेकिन उसके तमाम उम्मीदवार पशोपेश में हैं. 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता तक पहुंचाने वाले सतनामी समाज के धर्मगुरु बाबा बालदास  बाबा जी खुद कांग्रेस के दरबार में चले आएं हैं.  छत्तीसगढ़ में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता तक पहुंचाने वाले सतनामी समाज के धर्मगुरु बाबा बालदास अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. खास बात यह है कि ये दोनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ चुनावी प्रचार पर निकलेंगे.

9 नवंबर को राहुल गांधी दो दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ आ रहे हैं. वे पहले दौर की 18 विधानसभा सीटों में से लगभग एक दर्जन सीटों पर पार्टी का प्रचार करेंगे और चुनावी सभाएं करेंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष के इस दौरे में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसी सीट शामिल हैं, जहां सतनामी समुदाय का बड़ा वोट बैंक किसी भी राजनैतिक दल के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने चौथी बार बीजेपी के सत्ता में काबिज होने के दावे को नेस्तनाबूत करने के लिए इस तुरुप के पत्ते के तौर पर इस्तेमाल करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.  

कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में बाबा बालदास और बाबा खुशवंत सहाय का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया . इसके साथ ही पार्टी ने दोनों को उन इलाको में चुनावी प्रचार की कमान सौंपी है, जहां अनुसूचित जाती वर्ग का सतनामी समुदाय का बड़ा वर्ग रहता है.

बाबा बालदास और बाबा खुशवंत सहाय के साथ राहुल गांधी उन इलाकों में वोटरों का हृदय परिवर्तन करने की कोश‍िश करेंगे, जहां बीजेपी को अच्छे खासे वोट मिलने के आसार थे. 

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में यही बाबा बालदास थे, जिन्होंने सतनाम सेना का गठन कर बीजेपी को सत्ता तक पहुंचा दिया था. वहीं पहली बार चुनाव में कूदी सतनाम सेना ने कांग्रेस के वोट बैंक को बुरी तरह से काटा था.   इस सतनाम सेना ने चुनाव के पहले कांग्रेस के ऐसे समीकरण बिगाड़े कि लगभग दर्जन भर सीटों पर वो पिछड़ गई. नतीजतन कांग्रेस पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. 

वक्त का पासा फिर पलटा और अब बाबा बालदास ने फिर बिना शर्त के कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. सतनामी समाज अनुसूचित जाति वर्ग का एक बड़ा समुदाय है. राज्य में आदिवासियों के बाद इस वर्ग के सर्वाधिक वोटर होने से तमाम राजनीतिक दलों के समीकरण इस समुदाय पर निर्भर रहते हैं. 54 विधानसभा सीटों पर सतनामी समाज के वर्चस्व के चलते नए समीकरण बनने के आसार हैं. तीन महीना पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बाबा बालदास से मुलाकात की थी. इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि बाबा बालदास की कृपा बीजेपी पर इस बार भी बरसेगी. मगर ऐसा नहीं हुआ. बाबा बालदास ने अचानक कांग्रेस मुख्यालय का रुख कर लिया. यहां उन्हें हाथों हाथ लिया गया. पार्टी प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, चरणदास महंत, मोतीलाल वोरा, टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल जैसे नेताओं ने बाबा बालदास की आगवानी की.

इस बार बाबा जी खुद कांग्रेस के दरबार में चले आएं हैं. इससे बीजेपी के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. हालांकि, पार्टी का दावा है कि इस बार बाबा बालदास का वो रंग नहीं है, जैसा पिछली बार उन्होंने जमाया था. लिहाजा उनके कांग्रेस में जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. 

धर्मगुरु बाबा बालदास ने कहा, लंबे समय से देख रहे हैं कि कांग्रेस बड़े अच्छे ढंग से पार्टी और सरकार चलती रही है. जब बीजेपी की सरकार सत्ता में आई तो लगा कि सतनामी समाज के विकास के लिए काम किए जाएंगे लेकिन उसने हमारे समाज से भेदभाव किया औऱ अब जातिवाद कर रही है. आज भी हमारे समाज के लोंगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.

उधर बाबा बालदास ने सतनामी समुदाय को कांग्रेस में शामिल होने पर अपने अनुयाइयों को सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी का सपोर्ट इसलिए किया था कि सतनामी समुदाय की सामाजिक और आर्थिक उन्नति होगी, लेकिन बीजेपी उनकी नजरों में खरी नहीं उतरी.

बाबा बालदास की सतनाम सेना आज भी उनके साथ है. हालांकि, इस बार चुनाव लड़ने के बजाए सतनाम सेना के जवान घर-घर जाकर कांग्रेस का प्रचार करने में जुटे हुए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में सतनाम सेना ने 21 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे. सभी उम्मीदवारों ने औसतन 6 से 10 हजार वोट हासिल किए थे. इससे कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान हुआ और पार्टी के दर्जन भर से ज्यादा उम्मीदवार अपनी सीट गंवा बैठे थे. 

छत्तीसगढ़ में कुल 1 करोड़ 85 लाख 59 हजार मतदाताओं में से 24 लाख 12 हजार से अधिक मतदाता अनुसूचित जाती के हैं. राज्य में इस वर्ग के लिए 10 विधानसभा सीट आरक्षित हैं.वहीं कभी कांग्रेस की इस समुदाय ने अच्छी-खासी पैठ थी, लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सेंधमारी कर इस समुदाय का बड़ा वोट बैंक हथिया लिया था.

इस बार भी इस समुदाय को साधने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों ने बाबा बालदास के धाम गिरोधपुरी में मत्था टेका था, लेकिन इस बार बाबा का आशीर्वाद ही नहीं, बल्कि वे खुद ही कांग्रेस के खेमे में चले आए.

################नाम बदलने की राजनीति#########################
नई दिल्ली/अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद का नाम अब बदलने जा रहा है. सूबे के सीएम विजय रुपाणी ने साबरमती के तट पर बसे इस शहर का नाम कर्णावती करने का एलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अहमदाबाद के नाम बदले को लेकर बीते काफी दिनों से सोच विचार किया जा रहा था.
अहदमबाद का नाम बदले पर रुपानी ने आज कहा, “कानूनी सलाह-मशविरा और दूसरे तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद पुख्ता कदम उठाया जाएगा. आने वाले दिनों में हम इसपर विचार करेंगे. उनका कहना था कि परिवर्तन का नाम प्रगति है.”
इससे पहले सूबे के डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने भी अहमदाबाद का नाम कर्णावती रखने की बात को लेकर बयान दिया था. उनका कहना था कि लोगों के जरिए पहले भी अहमदाबाद का नाम कर्णावती रखने की इच्छा जताइ गई है, भले ही अभी नाम बदला नहीं है लेकिन लोगों के मन में कर्णावती नाम ही बसा हुआ है. योग्य समय पर योग्य निर्णय पर विचार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसे लेकर अहमदाबाद महानगरपालिका में 1990 में पहली बार प्रस्ताव पास किया था. अहमदाबाद के मेयर बीजल पटेल का भी कहना है कि राज्य सरकार ओर केन्द्र सरकार के मार्गदर्शन में साल 2019 से पहले-पहले कर्णावती नाम रखता जा सकता है.
60 लाख से ज्यादा आबादी वाला ये शहर भारत में एक महत्वपूर्ण आर्थिक और औद्योगिक केंद्र के तौर पर शुमार किया जाता है. कपास के उत्पादन में इस शहर का दूसरा स्थान है. बुनाई के लिए ये शहर काफी मशहूर है. देशभर में इस शहर की पहचान व्यापार और वाणिज्य केन्द्र के तौर पर है.
अहमदाबाद का नाम इस शहर के शासक सुल्तान अहमद शाह के नाम पर रखा गया. सुल्तान अहमद ने ही इस शहर की स्थापना 1411 में की थी. माना जाता है कि प्राचीन हिन्दू शहर असावल के निकट अहमदाबाद की स्थापना की थी.
नाम बदलने की राजनीति
उत्तर प्रदेश में अभी हाल के दिनों में तीन बड़े नाम बदले गए हैं. मुगल सराय स्टेशन का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया तो इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखा गया. एक दिल पहले ही सीएम योगी आदित्याथ ने फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर दिया है. इस तरह अब महाराष्ट्र के शहर उस्मानाबाद और औरंगाबाद के नाम बदलने की भी मांग की जा रही है.

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