प्रधानमंत्री द्वारा नए टैक्स सिस्टम का आगाज़ ;3 सौगात & Top News 13 August 20

13 August 20# Himalayauk Newsportal Bureau : पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उस वक्त हड़कंप मच गया जब 28 चिकित्सा अधिकारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया. इ # देश के टैक्स सिस्टम में अब काफी बदलाव – मोदी # मोदी सरकार की नीतियों की प्रखर आलोचक कमला हैरिस डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से उप-राष्ट्रपति पद उम्मीदवार# राजस्‍थान- लॉज बचाने की कोशिश में बीजेपी # महंत नृत्य गोपालदास की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती

पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उस वक्त हड़कंप मच गया जब 28 चिकित्सा अधिकारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया. इन सभी अधिकारियों ने आला अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है.

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 28 चि‍कि‍त्‍सा अधि‍कारि‍यों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वी बी सिंह को सामूहिक रूप से इस्तीफा सौंप दिया है. चिकित्सा अधिकारियों का आरोप है कि उप जिलाधिकारी उन पर दबाव बनाते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं.

इस्तीफा देने वाले चिकित्सा अधिकारियों ने अपने त्यागपत्र में लिखा है, ‘सहायक नोडल अधिकारी सह उप जिलाधिकारी ने नौ अगस्त को प्रभारी चिकित्साधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए कोविड-19 के दौरान किये गए कार्यों को अपर्याप्त बताया है. इस नोटिस से सभी प्रभारियों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है और लक्ष्य पूरा न होने पर आपराधिक कृत्य करार देने और और मुकदमा दायर करने की धमकी दी जा रही है.’

त्यागपत्र में इन चिकित्सा अधिकारियों ने कहा है, ‘‘इतने मानसिक दबाव में वे सब प्रभारी का कार्य करने में असमर्थ हैं.’’इन अधिकारियों ने त्यागपत्र में अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) की मौत के लि‍ये भी प्रशासन को जि‍म्‍मेदार ठहराया है. उनका आरोप है, ‘‘प्रशासन की ओर से एसीएमओ डॉ जंग बहादुर को बर्खास्‍त करने की धमकी दी गयी थी. इसी के सदमे से शायद उनकी मौत हुई है.’’ चि‍कि‍त्‍साधि‍कारि‍यों ने यह सवाल उठाया है कि इस मौत की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा.

दूसरी ओर सीएमओ वी बी सिंह का कहना है कि मेडिकल अधिकारियों ने इस्तीफा दिया है लेकिन उन्हें समझा बुझा दिया गया है और सभी लोग अपने काम पर लौट गए हैं. उन्होंनें कहा कि सभी लोग शाम की रिपोर्ट भी भेज रहे हैं.

इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने इस प्रकरण को लेकर राज्य सरकार पर हमला करते हुए ट्वीट किया है कि समुचित सुविधाओं के अभाव में जान जोखिम में डालकर कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगे डॉक्‍टरों पर सरकारी दबाव और धमकी से स्थिति बिगड़ रही है. वाराणसी में 28 स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र प्रभारियों का सामूहिक इस्‍तीफा इसी का नतीजा है. उन्‍होंने सरकार से मांग की कि बिना भेदभाव के और सुविधा देकर उनसे सेवा लें तो बेहतर होगा.

देश के टैक्स सिस्टम में अब काफी बदलाव – मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए टैक्स सिस्टम का आगाज़ कर दिया है। उनका कहना है कि यह नए भारत के शासन के मॉडल का प्रयोग है। इसकी दो ख़ास बातें हैं, ट्रांसपैरेंसी यानी पारदर्शिता और ऑनर यानी सम्मान।  

ईमानदार टैक्सपेयर्स को प्रोत्साहन और कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक नए खास प्लेटफॉर्म की शुरुआत की. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के दौर से शुरू देश के टैक्स सिस्टम में अब काफी बदलाव किए गए हैं.

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये प्लेटफॉर्म 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की शुरुआत है, जिसमें फेसलेस असेसमेंट-अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म हैं. बता दें कि इस नए टैक्स प्लेटफॉर्म के तहत करदाता को फेसलेस असेसमेंट, टैक्स पेयर्स चार्टर, फेसलेस अपील की सुविधा मिलेगी. साथ ही अब टैक्स देने में आसानी होगी, तकनीक की सहायता से लोगों पर भरोसा जताया जाएगा.

पारदर्शिता की भी खास चीज़ है ‘फ़ेसलेस टैक्स सिस्टम’। यानी अब आपको अपने इनकम टैक्स अफ़सर की शक्ल नहीं देखनी पड़ेगी। ज़ाहिर है कि उसका डर भी गायब हो जाएगा और टैक्स के बोझ से बचने के लिए घूस देने की ज़रूरत और रिवायत भी ख़त्म हो जाएगी। जब आपको पता ही नहीं कि आपका टैक्स अफ़सर कौन है तो आप किससे डरेंगे और किसे खुश करेंगे।

यही हाल अफ़सर का भी है। उसे सिर्फ यही दिखेगा कि पार्टी का एकाउंट कैसा है और हिसाब सही बैठता है या नहीं। ऐसे में यदि कोई भ्रष्ट अफ़सर पैसे ऐंठना चाहे तो भी ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि उसे पता ही नहीं कि यह करदाता कौन है। 

प्रधानमंत्री ने बताया कि 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्स होते थे और उनकी स्क्रूटनी होती थी आज उससे काफी कम है, क्योंकि हमने टैक्सपेयर्स पर भरोसा किया है. अब ईमानदार का सम्मान होगा, एक ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाता है. पीएम ने कहा कि आज से शुरू हो रही नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्ननेंस को आगे बढ़ाती हैं. पीएम ने कहा कि इससे सरकार का दखल कम होगा.

पीएम ने कहा कि पॉलिसी स्पष्ट होना, ईमानदारी पर भरोसा, सरकारी सिस्टम में टेक्नोलॉजी का प्रयोग, सरकारी मशीनरी का सही उपयोग करना और सम्मान करना. पहले रिफॉर्म की बातें होती थीं, कुछ फैसले मजबूरी-दबाव में लिए जाते थे जिससे परिणाम नहीं मिलता था.

पीएम ने कहा कि देश के साथ छल करने वाले कुछ लोगों की पहचान के लिए बहुत लोगों को परेशानी से गुजरना पड़ा. छल करने वाले कुछ लोगों की वजह से करोड़ों ईमानदार टैक्सपेयर्स को भी परेशान होना पड़ता था. ऐसे में साठगांठ की व्यवस्था बन गई. इसी चक्कर के कारण ब्लैक-व्हाइट का उद्योग बढ़ा.

उन्होंने कहा कि पहले 10 लाख का मामला भी अदालत में चला जाता था, लेकिन अब हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में जाने वाले मामले की सीमा क्रमश: 1-2 करोड़ की गई है. अब फोकस अदालत से बाहर ही मामलों को सुलझाने पर है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले अपने शहर का अधिकारी है मामला देखता था, लेकिन अब टेक्नोलॉजी की वजह से देश के किसी भी हिस्से का अधिकारी केस की जांच कर सकता है. अगर मुंबई में कोई केस सामने आता है, तो उसकी जांच का मामला मुंबई को छोड़कर किसी भी शहर की टीम के पास जा सकता है. उस आदेश का रिव्यू किसी दूसरे शहर की टीम करेगी, टीम में कौन होगा इसका नतीजा भी कंप्यूटर से किया जाएगा.

‘टैक्सपेयर्स चार्टर’ भी जारी किया गया है, जिसमें करदाताओं के अधिकार औऱ कर्तव्य साफ़- साफ़ लिखे हुए हैं। चार्टर बनाकर नियम साफ़ करने का कारण प्रधानमंत्री ने यह बताया कि नीति स्पष्ट होती है तो ‘ग्रे एरिया’ यानी भ्रम की गुंजाइश ख़त्म हो जाती है और फिर बात अफ़सरों के मूड या उनके दिमाग के भरोसे नहीं रह जाती। यानी यह इस बात का इंतजाम है कि आम आदमी को टैक्स अफसरों के हाथों बेवजह परेशान न होना पड़े।चार्टर बहुत लंबा- चौड़ा नहीं है। उसमें कुछ बुनियादी बातें साफ़ की गई हैं, जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है। कोई भी टैक्स भरनेवाला अपने अधिकारों की माँग कर सकता है। साथ ही यह भी बताया गया है कि किन स्थितियों में आपके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो सकती है। दूसरी तरफ ईमानदार करदाताओं के सम्मान का ज़िक्र भी हुआ है। यह किसी कंपनी की मार्केटिंग स्कीम जैसी योजना दिखती है, जिसमें ज्यादा टैक्स देनेवालों को लुभाने के लिए उन्हें कुछ तोहफे दिए जाएंगे। मगर सवाल यह है कि जिसकी कमाई जितनी होगी वह उसी हिसाब से तो टैक्स भरेगा। प्रधानमंत्री ने यह अपील भी की कि जो लोग सक्षम होते हुए भी टैक्स नहीं भर रहे हैं, उन्हें अपनी आत्मा में झांकना चाहिए और टैक्स भरने के लिए आगे आना चाहिए। कितने लोग आगे आते हैं, यह तो भविष्य में ही दिखेगा। और जो नहीं आते हैं उनके साथ क्या होगा, यह भी दिखेगा। लेकिन जो लोग उम्मीद कर रहे थे कि कोरोना काल में सरकार मध्यवर्ग के लिए किसी राहत का एलान करेगी, फ़िलहाल वे हाथ मल रहे हैं।   

पीएम मोदी ने टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए तीन बड़े सुधार या कहें तीन सौगात टैक्सपेयर्स को दिए हैं. इनमें फेसलेस , फेसलेस अपील और चार्टर शामिल हैं.

1. टैक्सपेयर्स चार्टर

अगर आसान भाषा में समझें तो ये चार्टर एक तरह का लिस्ट होगा, जिसमें टैक्सपेयर्स के अधिकार और कर्तव्य के अलावा टैक्स अधिकारियों के लिए भी कुछ निर्देश होंगे. इसके जरिए करदाताओं और इनकम टैक्स विभाग के बीच विश्वास बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. इस चार्टर में टैक्सपेयर्स की परेशानी कम करने और इनकम टैक्स अफसरों की जवाबदेही तय करने की व्यवस्था होगी. इस समय दुनिया के सिर्फ तीन देशों- अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में ही यह लागू है.

2. फेसलेस अपील

फेसलेस अपील की सुविधा इस साल 25 सितंबर को दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर शुरू होगी. इस सुविधा के द्वारा भी भ्रष्टाचार और मनमानी को रोकने की कोशिश की जाएगी. इसके तहत टैक्सपेयर्स की अगर कोई शिकायत है तो उसे इसके लिए रैंडम तरीके से चुने गए अफसर के पास अपील का अधिकार होगा. यह अफसर कौन है, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं होगी. आयकर दाता को इसके लिए किसी भी दफ्तर के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी.

3. फेसलेस असेसमेंट

इसके पहले स्क्रूटनी वाले मामलों में असेसमेंट प्रक्रिया के दौरान करदाता को कई बार टैक्स अधिकारियों का चक्कर लगाना पड़ता था. यह एक तरह से भ्रष्टाचार की वजह बनता था और खासकर ज्यादा रकम वाले मामलों में ऐसे आरोप लगते थे. लेन-देन के जरिए मामले निपटाने की कोशिश हो सकती थी. लेकिन फेसलेस असेसमेंट यह रास्ता बंद हो जाएगा.

फेसलेस असेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक मोड में होता है. इनमें टैक्सपेयर किसी टैक्स अधिकारी के आमने-सामने होने की या किसी इनकम टैक्स ऑफिस जाने की जरूरत नहीं होती.

मोदी सरकार की नीतियों की प्रखर आलोचक कमला हैरिस डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से उप-राष्ट्रपति पद उम्मीदवार ;; कमला हैरिस, भारत के लिये शुभ समाचार नहीं !

अमेरिका की राजनीति में शीर्ष पद पर पहुंचने में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को लंबा वक्त लग जाता है लेकिन कमला हैरिस ने बेहद कम समय में इतिहास रच दिया है. डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से भारतीय मूल की कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. वह पहली अश्वेत महिला होने के साथ-साथ भारतीय मूल की भी पहली महिला हैं जो इस बड़े मुकाम तक पहुंची हैं. उम्मीदवारी के ऐलान के बाद कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन के साथ एक रैली को भी संबोधित किया.

मोदी सरकार और इसकी वजह उनकी नीतियों से डेमोक्रेट्स नीतियों का टकराव है।  कश्मीर पर रुख सिर्फ कमला हैरिस का ही नहीं है, राष्ट्रपति के डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन का भी यही रुख है। 

भारतवंशी होने के नाते भारतीयों को कमला हैरिस से काफी उम्मीदें हैं. लोगों को ये भी उम्मीद है कि अगर कमला हैरिस अमेरिका की उप-राष्ट्रपति बनती हैं तो भारत-अमेरिका के संबंध और मजबूत होंगे. हालांकि, एक बात ये देखनी होगी कि कश्मीर और नागरिकता कानून जैसे मुद्दों पर वह क्या रुख अपनाती हैं. कमला हैरिस कानून-व्यवस्था और मानवाधिकारों को लेकर अपने सख्त रुख को लेकर जानी जाती हैं. कश्मीर में अनुच्छेद-370 के मुद्दे पर और मानवाधिकार को लेकर भी वह मोदी सरकार की आलोचना करती रही हैं.

कमला हैरिस ने अपनी इस उपलब्धि पर कहा कि वह जो बाइडन की तरफ से नामांकित किए जाने को लेकर सम्मानित महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा, “जो बाइडन अमेरिकी लोगों को एकता के सूत्र में बांध सकते हैं क्योंकि उन्होंने जिंदगी भर हमारे लिए लड़ाई लड़ी है. राष्ट्रपति बनने पर वह अमेरिका को हमारे आदर्शों के अनुरूप चलाएंगे.”

कमला हैरिस इतनी उदारवादी हैं कि उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर समाजवादी खेमे का प्रतिनिधि माना जाता है। उनके नाम का एलान होते ही रिपब्लिकन पार्टी की नेता लिज़ चेनी ने ट्वीट कर लोगों को चेतावनी दी यदि कमला उप राष्ट्रपति बन गईं तो जो बाइडन को वामपंथी खेमे में घसीट ले जाएंगी और उनके प्रशासन का स्वरूप वामपंथी हो जाएगा। 

कश्मीर में लॉकडाउन और उसके ज़रिए लोगों के मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक अधिकारों का जिस तरह हनन हुआ, कमला हैरिस ने उसका तीखा विरोध किया था। उस समय उनके नाम की घोषणा नहीं हुई थी, वह अटॉर्नी जनरल भी नहीं थीं, पर वह सीनेटर थीं जो आज भी हैं। 

भारतीय मूल की कमला देवी हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनते ही भारत में खुशी की लहर दौड़ गई। पर उनके बारे में थोड़ी सी पड़ताल करने से यह बात साफ़ हो जाती है कि वे मौजूदा भारत सरकार यानी नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की प्रखर आलोचक रही हैं।

उस दौरान कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कमला हैरिस ने एक तरह से भारत सरकार को चेतावनी दे दी,हम कह सकते हैं, धमकी दे डाली। उन्होंने कहा, हम कश्मीरियों को यह याद दिला दें कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर लगातार नज़र रखे हुए हैं। यदि ज़रूरत हुई तो हम हस्तक्षेप कर सकते हैं।’

कमला हैरिस की उम्मीदवारी से भारतीयों में खुशी की लहर है क्योंकि उनकी जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं. कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन चेन्नै में पैदा हुई थीं और 19 साल की उम्र में बर्कले यूनिवर्सिटी में शोध करने के लिए अमेरिका चली गई थीं. श्यामला गोपालन ने अर्थशास्त्र के छात्र डॉनल हैरिस से 1963 में शादी की. दोनों की मुलाकात नागरिक अधिकारों को लेकर एक प्रदर्शन के दौरान हुई थी. हालांकि, 1970 में दोनों का तलाक हो गया. गोपालन ने अपनी दोनों बेटियों को भारतीय और अफ्रीकी विरासत पर गर्व करना सिखाया.

कमला हैरिस की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद उनकी बहन माया हैरिस ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें कमला ने अपनी मां को प्रेरणास्रोत बताया है. कमला हैरिस वीडियो में कहती हैं, “मेरी मां एक आत्मविश्वास से भरपूर महिला थीं. वो सांवली थीं और उनका लहजा भारी था. कई बार लोग इसी वजह से उन्हें गंभीरता से नहीं लेते थे और उनकी इंटेलिजेंस को लेकर गलत धारणा बना लेते थे. लेकिन मेरी मां ने हर बार लोगों को गलत साबित किया. मेरी मां की जो शख्सियत थी और सपने देखने और पूरा करने का उनका जो यकीन था, उसकी वजह से ही मैं आज यहां पर हूं.”

कमला हैरिस ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में भी अपनी भारतीय विरासत पर बातचीत की थी. कमला ने कहा था, “मेरी मां को अपनी भारतीय पहचान को लेकर बहुत गर्व था और उन्होंने हमें भी यही सिखाया. हम अक्सर भारत जाया करते थे. मां के अलावा, मेरे दादा पी. वी. गोपालन का भी मेरी जिंदगी पर बहुत प्रभाव रहा है. मेरे दादा भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक थे. जब मैं मद्रास में अपने दादा के साथ मॉर्निंग वॉक के लिए जाया करती थी तो वह अपने दोस्तों के साथ राजनीति, भ्रष्टाचार और न्याय को लेकर चर्चा किया करते थे. मेरे व्यक्तित्व में इस पृष्ठभूमि का गहरा असर है.”

राजस्‍थान- लॉज बचाने की कोशिश में बीजेपी

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार में लंबे समय से चल रहे सियासी संकट का पटाक्षेप हो गया है, लेकिन शीर्ष स्तर पर कड़वाहट दिख रही है. बागी तेवर दिखाने वाले सचिन पायलट के साथ मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हम इन 19 विधायकों के बिना भी बहुमत साबित कर देते. विवाद के बाद दोनों नेताओं की आज मुलाकात हुई.

गहलोत सरकार को गिराने की कोशिशों में राजस्थान बीजेपी को अपनी ही दिग्गज नेता वसुंधरा राजे का साथ नहीं मिल सका था। यह बात पार्टी हाई कमान तक पहुंची थी और इसके बाद वसुंधरा राजे दिल्ली भी गई थीं।

बीजेपी यह संदेश कतई नहीं देना चाहती कि राजस्थान के सियासी रण में उसे मुंह की खानी पड़ी है। रेगिस्तानों के राज्य राजस्थान में अपनी सरकार बनाने की उसकी सियासी ख़्वाहिश उस वक़्त अधूरी रह गई थी, जब कांग्रेस के बाग़ी नेता सचिन पायलट अपने समर्थकों के साथ वापस पार्टी में लौट आए थे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच नाराजगी खत्म हो गई. कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए सचिन पायलट सीएम गहलोत के आवास पर पहुंचे. पार्टी में वापसी के बाद ये पहली बार सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की मुलाकात है. दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया. सचिन पायलट, अशोक गहलोत के बगल में बैठे. दोनों नेता अपने चेहरे पर मास्क लगाए दिखे.

यपुर के होटल से एक बस में सवार होकर विधायक मुख्यमंत्री के आवास पहुंचे. कल से राजस्थान में विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है. तस्वीर में कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल भी दिख रहे हैं. विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के सीनियर प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन भी शामिल हुए. गहलोत और पायलट ने विक्ट्री साइन दिखाया.

कल से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है. बीजेपी ने पहले ही एलान कर दिया है कि वह अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी. गुरुवार को हुई विधायक दल की बैठक में बीजेपी ने ये फैसला किया. बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस के पास संख्या नहीं है.

महंत नृत्य गोपालदास की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती

मथुरा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है. नृत्य गोपाल दास कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. गुरुवार सुबह गोपालदास की तबीयत अचानक खराब हो गई थी. वो मथुरा में जन्माष्टमी कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. लिहाजा, बेहतर इलाज के लिए उन्हें जल्द ही मेदांता में भर्ती कराया गया.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, ”श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट के अध्यक्ष पूज्य महंत श्री नृत्य गोपाल दास जी महाराज के कोरोना संक्रमित होने की सूचना प्राप्त हुई. उन्हें त्वरित चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मेदांता अस्पताल के डॉ. नरेश त्रेहन से वार्ता की है. प्रभु श्री राम से उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रार्थना है.”

सूत्रों के मुताबिक, महंत उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है. फिलहाल उन्हें ऑक्सीजन लगा दिया गया है. डॉक्टरों की टीम लगातार उनके स्वास्थ्य पर नजर रख रही है.

महंत नृत्य गोपाल दास राम जन्मभूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर थे. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष भी हैं. जन्माष्टमी के मौके पर वो बुधवार रात कार्यक्रम में शामिल हुए थे. गोपाल दास हर साल इस समारोह में शामिल होते हैं. इस बार वह बाल गोपाल के अभिषेक के लिए अयोध्या से पवित्र सरयू जल भी लाए थे. हंत नृत्यगोपाल दास मथुरा के बरसाना इलाके के करहैला गांव के निवासी हैं. राम जन्मभूमि मंदिर के लिए चली लड़ाई में महंत नृत्य गोपाल दास चर्चित चेहरा रहे हैं. अयोध्या के सबसे बड़े मंदिर मणिराम दास की छावनी के पीठाधीश्वर के रूप में उनकी ख्याति रही है. साल 1993 में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया था. नृत्य गोपाल दास इस ट्रस्ट के भी प्रमुख रहे थे.

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