हरियाणा में बीजेपी को काफी सियासी नुक़सान & केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी & Top News 30 Dec 20

30 DEC. 20 : Top News: # बीजेपी को काफी सियासी नुक़सान # हरियाणा में बीजेपी को स्थानीय निकाय के चुनावों में करारा झटका #शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने वाले कपिल गुर्जर को बीजेपी ने बुधवार को जैसे ही पार्टी में शामिल किया बीजेपी की इतनी जबरदस्त किरकिरी हुई कि उसे तुरंत कपिल गुर्जर को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। # किसानों का यह आंदोलन अब जन आंदोलन बन गया -किसानो की चेतावनी # किसानों और सरकार के बीच 7वें दौर की बैठक खत्म मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों और सरकार के बीच 7वें दौर की बैठक खत्म हो चुकी है। ये बैठक भी बेनतीजा रही है। # बिहार की सियासत में आ गया भूचाल #Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

किसानों की तरफ से किए जा रहे प्रदर्शन के बीच सत्ताधारी बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को पड़ोसी हरियाणा के नगर निगम चुनावों में झटका लगा है. सत्ताधारी गठबंधन को सोनीपत और अंबाला में मेयर पद से हाथ धोना पड़ा है. राज्य चुनावों के साल भर बाद इस चुनाव को प्रतिष्ठा की लड़ाई मानी जा रही थी. Execlusive Report:

उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी हिसार के उकालना और रेवारी के धरुहेरा में अपने घर के मैदान में चुनाव हार गई है.  यह बड़ा झटका गठबंधन को राज्य के चुनावों के अगले साल ही सहना पड़ रहा है.

किसान आंदोलन की तपिश से जूझ रहे हरियाणा में बीजेपी को स्थानीय निकाय के चुनावों में करारा झटका लगा है। कई नगर निगमों में पार्टी के उम्मीदवारों को हार मिली है। बीजेपी के साथ सरकार में शामिल जेजेपी को भी अपने ही गढ़ में हार का सामना करना पड़ा है। पिछले महीने बरोदा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। 

किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही हरियाणा में बीजेपी की मुसीबतें बढ़ गई थीं। पार्टी के कई सांसदों ने कहा था कि किसानों के इस मसले का हल निकाला जाना चाहिए। साथ ही जेजेपी के अंदर भी किसानों के समर्थन में नहीं आने के कारण उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से नाराज़ होने की ख़बरें हैं।  दिल्ली और हरियाणा की सीमाएं कई बॉर्डर्स पर आपस में मिलती हैं। पंजाब से शुरू हुए किसानों के आंदोलन में हरियाणा के किसानों की भी खासी भागीदारी है। 

बीजेपी-जेजेपी के गठबंधन को सोनीपत और अंबाला नगर निगम में हार मिली है। दुष्यंत चौटाला के इलाक़े हिसार जिले के उकलाना में जेजेपी को हार मिली है। जेजेपी को रेवाड़ी की धारूहेड़ा सीट पर भी हार मिली है। रेवाड़ी नगर निगम में जीत हासिल करने में बीजेपी सफल रही है। 

कांग्रेस को सोनीपत नगर निगम में 14 हज़ार वोटों के अंतर से जीत मिली है। पार्टी के उम्मीदवार निखिल मदान सोनीपत के पहले मेयर होंगे। सोनीपत जिला सिंघु बॉर्डर से लगता हुआ है। सिंघु बॉर्डर पर ही किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा है। अंबाला सीट पर हरियाणा जनचेतना पार्टी की उम्मीदवार शक्ति रानी शर्मा को जीत मिली है। 

कृषि क़ानूनों के कारण बीजेपी को पहले ही काफी सियासी नुक़सान हो चुका है। शिरोमणि अकाली दल के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने भी एनडीए से अपनी राहें अलग कर ली हैं। अब दुष्यंत चौटाला पर जबरदस्त दबाव बना हुआ है। किसानों की सभाओं में दुष्यंत पर बीजेपी के साथ सरकार में बने रहने के कारण लगातार हमले किए जा रहे हैं। 

एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार के मंत्री, बीजेपी के तमाम आला नेता कृषि क़ानूनों के समर्थन में कूदे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के समर्थन में धरने पर बैठकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। 

किसान आंदोलन ने पंजाब की ही तरह हरियाणा की सियासत को भी तगड़े ढंग से प्रभावित किया है। पूरी खट्टर सरकार डरी हुई है कि न जाने कब सरकार गिए जाए। सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान अलग हो चुके हैं और सहयोगी जेजेपी के अंदर भी इस मामले में जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है। 

जब स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए प्रचार शुरू हुआ था तो बीजेपी और जेजेपी को अहसास हो गया था कि उनके लिए राह आसान नहीं है और अब चुनाव नतीजों से यह साबित हो गया है कि किसान आंदोलन ने उनके सियासी गठबंधन और सरकार का भविष्य कठिन कर दिया है। 

शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने वाले कपिल गुर्जर को बीजेपी ने बुधवार को जैसे ही पार्टी में शामिल किया बीजेपी की इतनी जबरदस्त किरकिरी हुई कि उसे तुरंत कपिल गुर्जर को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।

शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने वाले कपिल गुर्जर को बीजेपी ने बुधवार को जैसे ही पार्टी में शामिल किया, सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। बीजेपी की इतनी जबरदस्त किरकिरी हुई कि उसे तुरंत कपिल गुर्जर को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। कपिल गुर्जर का बीजेपी नेताओं ने माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर पार्टी में स्वागत किया था। इसका वीडियो कुछ ही मिनटों में रफ़्तार पकड़ गया था। कपिल गुर्जर दिल्ली-नोएडा की सीमा पर स्थित गांव दल्लूपुरा का रहने वाला है। 

गोली चलाने के बाद आम आदमी पार्टी और बीजेपी में इस बात को लेकर जंग हुई थी कि कपिल गुर्जर किसकी पार्टी से जुड़ा है। कपिल की आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ तसवीरें सामने आई थीं। तब आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा था कि इस तरह की फ़ोटो का कोई मतलब नहीं है और यह बीजेपी की गंदी राजनीति है। 

विवाद बढ़ने पर कपिल गुर्जर के पिता ने कहा था कि उनका बेटा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का सेवक है। तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कपिल के पिता के इस वीडियो को रीट्वीट करते हुए कहा था कि बीजेपी दिल्ली की क़ानून व्यवस्था और देश की सुरक्षा के साथ गंदी राजनीति और खिलवाड़ कर रही है। 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग़ एक बड़ा मुद्दा बना था। बीजेपी ने अपना पूरा चुनाव शाहीन बाग़ के इर्द-गिर्द लड़ा था। लेकिन उसे बुरी तरह हार मिली थी। 

शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे धरने में पहुंचे कपिल ने जब हवाई फ़ायर कियेथे तो इससे दिल्ली का राजनीतिक तापमान और बढ़ गया था। कपिल ने फ़ायर करने के बाद कहा था कि यहां सिर्फ़ हिंदुओं की चलेगी। तब इस मामले को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की क़ानून व्यवस्था से जोड़ा था। घटना के बाद हमलावर के हथियार को जब्त कर लिया गया था। महिलाओं ने मानव श्रृंखला बनाकर इसका विरोध किया था। 

किसानों के साथ केंद्र सरकार बुधवार को छठे दौर की वार्ता

किसानों और सरकार के बीच 7वें दौर की बैठक खत्म मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों और सरकार के बीच 7वें दौर की बैठक खत्म हो चुकी है। ये बैठक भी बेनतीजा रही है। केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी। साथ ही बिजली बिल का मसौदा वापस लेने के लिए तैयार, सरकार ने समिति बनाने की बात भी स्वीकार कर ली है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा पारित 3 कृष‍ि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग लेकर पिछले 35 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों के साथ केंद्र सरकार बुधवार को छठे दौर की वार्ता कर रही है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार ने किसानों के साथ बैठक में कहा कि तीन कृषि कानूनों से जुड़ी मांगों और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है. सरकार ने बैठक में कानूनों से जुड़ी जानकारी विस्तार से दी और कहा कि कानून बनाने और वापस लेने की एक लंबी प्रक्रिया है.

किसानों ने एक द‍िन पहले ही यह स्पष्ट कर द‍िया था कि वह कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर ही सरकार से वार्ता करेंगे. अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार ने किसानों के साथ बैठक में कहा कि तीन कृषि कानूनों से जुड़ी मांगों और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है. सरकार ने बैठक में कानूनों से जुड़ी जानकारी विस्तार से दी और कहा कि कानून बनाने और वापस लेने की एक लंबी प्रक्रिया है.

NEW DELHI , 30 DEC. किसान संगठनों और सरकार के बीच बैठक खत्म हो गई है. ये बैठक करीब पांच घंटे तक चली. ये सातवें दौर की बैठक थी. अगली बैठक 4 जनवरी को होगी. किसान नेता के मुताबिक सरकार ने पराली अध्यादेश और बिजली बिल वापस लेने का भरोसा दिया है.

बैठक के दौरान टी ब्रेक भी हुआ. इस दौरान किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से दी गई चाय पी. वहीं मंत्रियों ने किसानों की चाय पी. ब्रेक के बाद बैठक फिर शुरू हो गई. संभवत: अब और ब्रेक नहीं होगा. बता दें कि इससे पहले लंच में किसान नेताओं ने बाहर से खाना मंगवाया था.

किसान संगठनों और भारत सरकार के बीच बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में होने वाली बातचीत से ठीक पहले किसान नेताओं ने कृषि सचिव को चिट्ठी लिख कर साफ़ कर दिया था कि उनके लिए बैठक का मुख्य एजेंडा 3 नए कृषि सुधार कानूनों (Farm Laws) को निरस्त करना और MSP पर खरीद की क़ानूनी गारंटी की मांग होगी.

किसानों ने बुधवार को हरियाणा में जींद के खटकड़ गांव के निकट राजमार्ग पर धरना दिया और इन कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग की. किसानों ने धरनास्थल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह की फोटो को उल्टा लटकाकर अपना विरोध दर्ज कराया. किसान नेता सतबीर बरसोला ने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन को शुरू से हल्के में ले रही है. उन्होंने कहा कि किसानों का यह आंदोलन अब जन आंदोलन बन गया है.

सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने आज फिर किसानों की मांग पर चर्चा के लिए एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया. ये प्रस्ताव 1 दिसम्बर को हुई बैठक में भी दिया गया था जिसे किसानों ने नामंज़ूर कर दिया था.

उधर सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि तीनों नए कानून वापस नहीं होंगे और MSP पर सरकार सिर्फ लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है.

इससे पहले कृषि कानूनों पर एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार दोपहर शुरू हुई.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश यहां विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर रहे हैं. कुछ दिनों के अंतराल के बाद दोनों पक्षों के बीच छठे दौर की वार्ता आरंभ हुई है. पिछली बैठक पांच दिसंबर को हुई थी.

तीन कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने के लिए किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल सिंघु बॉर्डर से रवाना हुआ। केंद्र सरकार आज प्रदर्शनकारी किसानों के साथ छठे दौर की वार्ता करेगी। आज दो बजे बैठक होगी। बुराड़ी बॉर्डर से फरीदकोट (पंजाब)के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने कहा कि इस बैठक से हमें तो ज़्यादा उम्मीद नहीं है लेकिन इस साल इस कानून पर फैसला हो जाए तो ये हमारे और सरकार के लिए अच्छा होगा। जब कानून रद्द होगा हम तभी यहां से जाएंगे वरना नए साल पर भी यही रहेंगे। वहीं भाजपा नेता शाहनवाज़ हुसैन ने बताया कि आज सरकार के साथ किसान वार्ता पर बैठने वाले हैं। पूरी उम्मीद है कि आज कोई न कोई हल निकलेगा क्योंकि सरकार किसानों के लिए अपने दिल में बहुत बड़ी जगह रखती है।

बिहार की सियासत में आ गया भूचाल


अरुणाचल प्रदेश में भाजपा द्वारा जदयू के सात विधायकों में छह को तोड़कर अपनी पार्टी में मिला लिया गया है। इस मामले का असर उसी समय से बिहार की सियासत पर जमकर देखने को मिल रहा है। अरुणाचल प्रदेश की इस सियासी घटना को लेकर बिहार पूर्व सीएम एवं ‘हम’ अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी बुधवार को ट्वीट कर गहरी नाराजगी जाहिर की है।

बिहार पूर्व सीएम एवं हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ‘हम’ अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो हुआ वह एक स्वच्छ राजनीति का तकाजा नहीं है। साथ ही उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व से अनुरोध किया है कि ऐसी गलती दोबारा ना होने पाए और इसका ख्याल रखें। वहीं जीतनराम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार को कमजोर समझने वालों को शायद नहीं पता है कि हम भी मजबूती से उनके साथ खड़े हैं। याद रहे, बिहार की एनडीए सरकार में जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ भी शामिल है। हाल के विधानसभा चुनावों में उनके चार प्रत्याशी जीतने में कामयाब हुये हैं।

बीते दिनों में भाजपा द्वारा अरुणाचल प्रदेश में जदयू के के 7 में से 6 एमएलए को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया गया था। इस घटनाक्रम से पहले अरुणाचल प्रदेश में जदयू राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। बिहार में भाजपा के इस सियासी दांव को नीतीश कुमार व उनकी पार्टी के लिए संदेश के तौर पर देखा गया। इस घटना के बाद पटना प्रदेश कार्यालय में हुई जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुख रहा। इस बैठक में इस मामले के खिलाफ जदयू द्वारा निंदा प्रस्ताव भी पारित किया।

अरुणाचल प्रदेश मामले के बाद से ही बिहार में राजनीतिक हलचल तेज है। मामले के बाद राजद नेता श्याम रजक ने कहा कि मौजूदा एनडीए में सभी घुटन महसूस कर रहे हैं व नीतीश कुमार भी बेबस ही दिखाई दे रहे हैं। साथ ही श्याम रजक ने दावा किया कि जदयू के 17 विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में हैं वे वो कभी भी राजद में शामिल हो सकते हैं। रजक के इस दावे आज स्वयं सीएम नीतीश कुमार द्वारा खारिज कर दिया व कहा गया कि यह मामला निराधार है।

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