सत्‍ता के गलियारो से- देहरादून- मुख्‍य समाचार 29 नव0 2017

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नई दिल्ली/देहरादून 29 नवम्बर, 2017(सू.ब्यूरो)

बुधवार को 03-सन मार्टिन मार्ग, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विवेकानन्द इण्टरनेश्नल फाउण्डेशन द्वारा रिवरबेसिन मैनेजमेंट विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि रिवर बेसिन मैनेजमेंट का उत्तराखण्ड के लिये विशेष महत्व है। उत्तराखण्ड से निकलने वाली गंगा देश का सबसे बडा रिवर बेसिन है। गंगोत्री से गंगा सागर तक 05 राज्यों से होते हुए यह करीब 2525 कि.मी. की यात्रा तय करती है, यही नही देश की सिंचित भूमि का 40 प्रतिशत तथा देश की बडी आबादी को खाद्य सुरक्षा इसी बेसिन से मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती है। बावजूद इसके जल संचय के लिय जो अभियान चलाया जाना चाहिए वह दिखाई नही देता। आज हमारी कई नदियां विलुप्त हो चुकी है। देश में जो बडे 22 रिवर बेसिन है, अब उनमें पानी की कमी आयी है। यदि इस दिशा में कदम नही उठाये गये तो हमारी बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण उद्योग और कृषि के क्षेत्र इससे सीधे प्रभावित होंगे। बढी आबादी के चलते प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता में आ रही कमी भी चिंता का विषय है। वर्ष 1991 में जहां जल की उपलब्धता 2209 क्यूसेक मीटर थी, वह घटकर 2011 में 1545 क्यूसेक मीटर हो गयी है। इसी प्रकार भारत में प्रति व्यक्ति पानी स्टोरेज 209 क्यूसेक मीटर है, जबकि रूस में यह 6103 व चीन में 1111 क्यूसेक मीटर है। इसका मतलब साफ है कि भारत एक साल भी सूखे का सामाना नही कर सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण कृषि सिंचाई योजना के जरिये हर खेत को पानी देने का लक्ष्य रखा है। जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। इससे हर खेत को पानी देने में हम जरूर कामयाब होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिदिन 38 हजार 3 सौ 54 मिलियन लीटर sewage generate होता हैं। मगर जो हमारी (Treatment capacity) या शोधन क्षमता है वह केवल 11 हजार 7 सौ 86 मिलियन लीटर per day है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमारे विशेषज्ञों को इस विषय पर भी चिंतन करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारा भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है। हमने बिना सोचे समझे भूूजल का दोहन किया है। जबकि recharge के बारे में जितना काम होना चाहिए उतना हुआ नहीं। इसी इस तरह arsenic contamination के चलते 12 राज्यों के 96 जिलों की हालत चिंताजनक बताई गई है। इससे लोगों और जानवरों के स्वास्थ में विपरित असर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इजरायल की जल संरक्षण की तकनीक आज प्रसिद्व है खासकर उन्होंने खारे पानी को पीने के लायक बनाया per drop more crop का जो मंत्र हमारे प्रधानमंत्री ने खेती के लिए दिया है इजरायल ने इसके सहारे अपनी खेती में जबदस्त तरक्की की हैं कुछ और देश भी इस ओर काम कर रहे हैं दुनिया मंे जल संरक्षण और शोधन के लिये जो अच्छे काम हो रहे हैं उससे हमें सीख लेकर यहां लागू करना चाहिए। उत्तराखण्ड में राज्य सरकार द्वारा ’’जल संचय जीवन संचय’’ की शुरूआत की गई है। इसके तहत टाॅयलेट के सिस्टर्न में एक लीटर पानी की बोतल में रेत या मिट्टी रखकर सालाना करीब 14 हजार 748 लाख लीटर पानी बचा पायेंगे। यह कार्यक्रम जीरो बजट का है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले में जन जागरूकता अभियान चलाकर 3837 चालखाल, जलकुण्ड, फार्म पौण्ड का निर्माण, 84000 कन्टूर टेंªच का निर्माण, 2186 चैक डैम का निर्माण तथा 381 रेनवाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण करके 34631.99 लाख ली0 जल संचय क्षमता में वृद्वि का लक्ष्य रखा है और हम इस लक्ष्य को पूरा करेंगे। हमनें इसी माह दो नदियों रिस्पना और कोसी नदी को पुनर्जीवीकरण करने का बीड़ उठाया है एक प्रदेश की राजधानी देहरादून की लाइफलाइन है तो कोसी नदी कुमांऊ की लाइफ लाइन है। धीरे धीरे बाकि नदियों के संवर्धन के लिए भी कार्योजना तैयार की जा रही है। इस काम में सरकार विशेषज्ञ, धार्मिक गुरू और स्थानीय जनता सबको शामिल किया गया है। आगामी समय में जल स्त्रोतों के संरक्षण-संवद्वर्धन तथा जलस्त्रोत मैंपिग करने पर काम किया जा रहा है। जल संरक्षण संवद्वर्धन के अन्र्तगत सिंचाई विभाग 09 जनपदों में 21 जलाशय और 02 बैराज बना रहा है। इसमें लगभग 20.675 लाख क्यूबिक मीटर सतही एवं वर्षा जल का भण्डारण किया जा सकेगा। हमने 2022 तक 5000 प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित/संबर्द्धन करने का लक्ष्य रखा है और ये हमारे लिये ’आर्टिकल आॅफ फेथ’ कर मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजनओं की अपार संभावना है हमारी जलविद्युत क्षमता 25 हजार मेगावाट है मगर हम केवल 4000 मेगावाट का ही दोहन कर पा रहे है। कुछ पर्यायवरण से जुडे पहलु हैं जिनपर काम किया जा रहा है। उन्होंनेे विश्वास व्यक्त किया कि इस क्षमता का दोहन राज्य के विकास के लिए आने वाले दिनों में कर पायेंगें।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का उत्तराखण्ड से विशेष लगाव रहा है, वे 04 बार उत्तराखण्ड आये। इस प्रकार उत्तराखण्ड का स्वामी विवेकानंद एवं गंगा से गहरा नाता रहा है, जो हमारे लिये आस्था और आजीविका से जुडा विषय है।
इस अवसर पर सचिव, ऊर्जा श्रीमती राधिका झा उपस्थित थी।

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विकास व पर्यावरण में संतुलन आवश्यकः राज्यपाल डाॅ.के.के.पाल

पर्यावरण, जैव विविधता का संरक्षण व स्थानीय लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, दोनों जरूरी।
हिमालय, समृद्ध भारतीय सभ्यता व संस्कृति की आत्मा।
राज्यपाल ने दून विश्वविद्यालय में ‘‘हिमालयी क्षेत्रों में सस्टेनेबल डेवलपमेंट की चुनौतियां’’ विषय पर आयोजित सेमीनार का उद्घाटन किया।

राजभवन देहरादून 29 नवम्बर, 2017

राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि विकास और पर्यावरण मे ंसंतुलन स्थापित करना होगा। सस्टेनेबल डेवलपमेंट की अवधारणा को अपनाना होगा। ऐसी नीति अपनानी होगी जिससे हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आधारभूत आवश्यकताएं भी पूरी हों और पर्यावरण व जैव विविधता का संरक्षण भी सुनिश्चित हो। राज्यपाल, दून विश्वविद्यालय में ‘‘हिमालयी क्षेत्रों में सस्टेनेबल डेवलपमेंट की चुनौतियां’’ विषय पर आयोजित परिचर्चा को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि हिमालय केवल एक भू-स्थलाकृति ही नहीं है बल्कि यह मानव सभ्यता का महत्वपूर्ण केंद्र भी है। यहां हमारी सनातन धर्म व संस्कृति की धारा सदियों से प्रवाहित होती रही है। हिमालय का अध्ययन केवल एक भौगोलिक इकाई के वैज्ञानिक विश्लेषण तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता है। हिमालय वस्तुतः समृद्ध भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
राज्यपाल ने कहा कि उŸाराखण्ड एक प्रमुख हिमालयी राज्य है। ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव उत्तराखण्ड में भी देखने को मिल रहा है। हर साल बादल फटने, भूस्खलन जैसी दैवीय आपदाएं की घटनाएं हो रही हैं। अगर हमें हिमालय, यहां के वनों, नदियों, जीव जंतुओं, जैव विविधता की रक्षा करनी है तो स्थानीय लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पलायन बड़ी समस्या है। राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण पहल करते हुए पौड़ी में पलायन आयोग स्थापित किया है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने पर विशेष ध्यान देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में ज्ञान का सृजन होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तीन दिवसीय सेमीनार में वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के गम्भीर मंथन से कुछ ठोस निष्कर्ष अवश्य निकलेंगे जो कि नीति निर्धारण में सहायक होंगे।
केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा ने कहा कि ऐसी तकनीक के विकास पर ध्यान देना चाहिए जिससे दैवीय आपदाओं का कुछ समय पहले पूर्वानुमान लगाया जा सके। विकास व पर्यावरण एक दूसरे के पूरक हैं। केंद्र सरकार हिमालयी पारिस्थितिकी के संरक्षण व स्थानीय लोगों की विकास की आवश्यकता को पूरा करने के लिए गम्भीर है। केंद्र सरकार ने उच्च हिमालयी अध्ययन केंद्र खोलने की आवश्यकता महसूस करते हुए जी.बी.पंत हिमालयी पर्यावरण व विकास संस्थान को जी.बी.पंत हिमालयी पर्यावरण व स्थायी विकास के राष्ट्रीय संस्थान के रूप में अपग्रेड किया है।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमीनार, 29 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक चलेगा जिसमें वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों द्वारा व्यापक विचार विमर्श किया जाएगा। सेमीनार के उद्घाटन के अवसर पर विधायक श्री दिलीप सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव डाॅ. रणवीर सिंह, सचिव रविनाथ रमन, विज्ञान व तकनीक विभाग, भारत सरकार से आए वैज्ञानिक डाॅ. अखिलेश गुप्ता, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. यू.एस.रावत, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0कुसुम अरूणाचलम सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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:: नई दिल्ली/देहरादून 29 नवम्बर, 2017(सू.ब्यूरो)

केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने उत्तराखण्ड में विद्युत उपयोग एवं आपूर्ति के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों को सराहा।
नई दिल्ली में बुधवार को केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के.सिंह के साथ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड की ऊर्जा परियोजनाओं की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा की गई पहलों में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता बढाने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों के प्रदर्शन की, उनकी चरित्र पंजिका में प्रविष्टि की जा रही है। एल.ई.डी. बल्बों का सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में उपयोग किया जा रहा है, जबकि एलईडी बल्बों का वितरण स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है।
विद्युत आपूर्ति, उपयोग एवं गुणवत्ता बढाने आदि के संबंध में की गई इन तीन पहलों को केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के.सिंह ने सराहा है, तथा इसे बेस्ट प्रेक्टिसेज के रूप में माना। उन्होंने राज्य के इन प्रयासों को अन्य राज्यों को भी अपनाने को कहा। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में सभी राज्यों को पत्र लिखा जायेगा।
इस अवसर पर सचिव, ऊर्जा श्रीमती राधिका झा उपस्थित थी।

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नई दिल्ली/देहरादून 29 नवम्बर, 2017(सू.ब्यूरो)

बुधवार को 03-सन मार्टिन मार्ग, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विवेकानन्द इण्टरनेश्नल फाउण्डेशन द्वारा रिवरबेसिन मैनेजमेंट विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि रिवर बेसिन मैनेजमेंट का उत्तराखण्ड के लिये विशेष महत्व है। उत्तराखण्ड से निकलने वाली गंगा देश का सबसे बडा रिवर बेसिन है। गंगोत्री से गंगा सागर तक 05 राज्यों से होते हुए यह करीब 2525 कि.मी. की यात्रा तय करती है, यही नही देश की सिंचित भूमि का 40 प्रतिशत तथा देश की बडी आबादी को खाद्य सुरक्षा इसी बेसिन से मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती है। बावजूद इसके जल संचय के लिय जो अभियान चलाया जाना चाहिए वह दिखाई नही देता। आज हमारी कई नदियां विलुप्त हो चुकी है। देश में जो बडे 22 रिवर बेसिन है, अब उनमें पानी की कमी आयी है। यदि इस दिशा में कदम नही उठाये गये तो हमारी बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण उद्योग और कृषि के क्षेत्र इससे सीधे प्रभावित होंगे। बढी आबादी के चलते प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता में आ रही कमी भी चिंता का विषय है। वर्ष 1991 में जहां जल की उपलब्धता 2209 क्यूसेक मीटर थी, वह घटकर 2011 में 1545 क्यूसेक मीटर हो गयी है। इसी प्रकार भारत में प्रति व्यक्ति पानी स्टोरेज 209 क्यूसेक मीटर है, जबकि रूस में यह 6103 व चीन में 1111 क्यूसेक मीटर है। इसका मतलब साफ है कि भारत एक साल भी सूखे का सामाना नही कर सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण कृषि सिंचाई योजना के जरिये हर खेत को पानी देने का लक्ष्य रखा है। जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। इससे हर खेत को पानी देने में हम जरूर कामयाब होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिदिन 38 हजार 3 सौ 54 मिलियन लीटर sewage generate होता हैं। मगर जो हमारी (Treatment capacity) या शोधन क्षमता है वह केवल 11 हजार 7 सौ 86 मिलियन लीटर per day है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमारे विशेषज्ञों को इस विषय पर भी चिंतन करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारा भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है। हमने बिना सोचे समझे भूूजल का दोहन किया है। जबकि recharge के बारे में जितना काम होना चाहिए उतना हुआ नहीं। इसी इस तरह arsenic contamination के चलते 12 राज्यों के 96 जिलों की हालत चिंताजनक बताई गई है। इससे लोगों और जानवरों के स्वास्थ में विपरित असर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इजरायल की जल संरक्षण की तकनीक आज प्रसिद्व है खासकर उन्होंने खारे पानी को पीने के लायक बनाया per drop more crop का जो मंत्र हमारे प्रधानमंत्री ने खेती के लिए दिया है इजरायल ने इसके सहारे अपनी खेती में जबदस्त तरक्की की हैं कुछ और देश भी इस ओर काम कर रहे हैं दुनिया मंे जल संरक्षण और शोधन के लिये जो अच्छे काम हो रहे हैं उससे हमें सीख लेकर यहां लागू करना चाहिए। उत्तराखण्ड में राज्य सरकार द्वारा ’’जल संचय जीवन संचय’’ की शुरूआत की गई है। इसके तहत टाॅयलेट के सिस्टर्न में एक लीटर पानी की बोतल में रेत या मिट्टी रखकर सालाना करीब 14 हजार 748 लाख लीटर पानी बचा पायेंगे। यह कार्यक्रम जीरो बजट का है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले में जन जागरूकता अभियान चलाकर 3837 चालखाल, जलकुण्ड, फार्म पौण्ड का निर्माण, 84000 कन्टूर टेंªच का निर्माण, 2186 चैक डैम का निर्माण तथा 381 रेनवाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण करके 34631.99 लाख ली0 जल संचय क्षमता में वृद्वि का लक्ष्य रखा है और हम इस लक्ष्य को पूरा करेंगे। हमनें इसी माह दो नदियों रिस्पना और कोसी नदी को पुनर्जीवीकरण करने का बीड़ उठाया है एक प्रदेश की राजधानी देहरादून की लाइफलाइन है तो कोसी नदी कुमांऊ की लाइफ लाइन है। धीरे धीरे बाकि नदियों के संवर्धन के लिए भी कार्योजना तैयार की जा रही है। इस काम में सरकार विशेषज्ञ, धार्मिक गुरू और स्थानीय जनता सबको शामिल किया गया है। आगामी समय में जल स्त्रोतों के संरक्षण-संवद्वर्धन तथा जलस्त्रोत मैंपिग करने पर काम किया जा रहा है। जल संरक्षण संवद्वर्धन के अन्र्तगत सिंचाई विभाग 09 जनपदों में 21 जलाशय और 02 बैराज बना रहा है। इसमें लगभग 20.675 लाख क्यूबिक मीटर सतही एवं वर्षा जल का भण्डारण किया जा सकेगा। हमने 2022 तक 5000 प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित/संबर्द्धन करने का लक्ष्य रखा है और ये हमारे लिये ’आर्टिकल आॅफ फेथ’ कर मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजनओं की अपार संभावना है हमारी जलविद्युत क्षमता 25 हजार मेगावाट है मगर हम केवल 4000 मेगावाट का ही दोहन कर पा रहे है। कुछ पर्यायवरण से जुडे पहलु हैं जिनपर काम किया जा रहा है। उन्होंनेे विश्वास व्यक्त किया कि इस क्षमता का दोहन राज्य के विकास के लिए आने वाले दिनों में कर पायेंगें।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का उत्तराखण्ड से विशेष लगाव रहा है, वे 04 बार उत्तराखण्ड आये। इस प्रकार उत्तराखण्ड का स्वामी विवेकानंद एवं गंगा से गहरा नाता रहा है, जो हमारे लिये आस्था और आजीविका से जुडा विषय है।
इस अवसर पर सचिव, ऊर्जा श्रीमती राधिका झा उपस्थित थी।

:: नई दिल्ली/देहरादून 29 नवम्बर, 2017(सू.ब्यूरो)
 
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने उत्तराखण्ड में विद्युत उपयोग एवं आपूर्ति के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों को सराहा।
नई दिल्ली में बुधवार को केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के.सिंह के साथ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड की ऊर्जा परियोजनाओं की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा की गई पहलों में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता बढाने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों के प्रदर्शन की, उनकी चरित्र पंजिका में प्रविष्टि की जा रही है। एल.ई.डी. बल्बों का सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में उपयोग किया जा रहा है, जबकि एलईडी बल्बों का वितरण स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है।
विद्युत आपूर्ति, उपयोग एवं गुणवत्ता बढाने आदि के संबंध में की गई इन तीन पहलों को केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के.सिंह ने सराहा है, तथा इसे बेस्ट प्रेक्टिसेज के रूप में माना। उन्होंने राज्य के इन प्रयासों को अन्य राज्यों को भी अपनाने को कहा। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में सभी राज्यों को पत्र लिखा जायेगा।
इस अवसर पर सचिव, ऊर्जा श्रीमती राधिका झा उपस्थित थी।

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मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द सिंह रावत ने बुधवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के.सिंह से भेंट की। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री से वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड की 33 जल विद्युत परियोजनाओं पर व्यापक चर्चा की गई इस सम्बंध में ऊर्जा जल संसाधन, एवं वन मंत्रालय तीनों विभागों द्वारा मिलकर राज्य हित में सकारात्मक परिणाम देने का केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री द्वारा आश्वासन दिया। देहरादून एवं हरिद्वार में अंडर ग्राउण्ड केबल के लिए सी.एस.आर. में फंडिंग देने के लिए सहमति बनी। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि लखवाड़-ब्यासी परियोजना, किसाऊ बांध परियोजना, टिहरी हाइड्रो पाॅवर काॅर्पोरेशन (टी.एच.डी.सी) के लिए भी केन्द्र सरकार का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है। वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड में हाॅस्पिटैलिटी यूनिवर्सिटी के लिए भी सहमति बनी तथा इसके लिए उन्होंने हर संभव सहयोग का भी आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री को अवगत कराया कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जनपद उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के 100 किमी0 विस्तारित क्षेत्र गोमुख से उत्तरकाशी तक 4179.59 वर्ग किमी0 को ईको सेंसेटिव जोन के अन्तर्गत अधिसूचित किया गया है। मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इस क्षेत्र में कुल 82.5 मेगावाट की पूर्व में आवटिंत 25 मेगावाट क्षमता तक की 10 लघु विद्युत परियोजनाओं कार्य शुरू किये जाने की अनुमति प्रदान की जाय जैसा कि पश्चिमी घाट महाराष्ट्र व हिमाचल प्रदेश को दी गई है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने लखवाड़ बहुउदेश्यीय तथा किशाऊ बहुउदेशीय परियोजनाओं पर भी शीघ्र सहमति प्रदान किये जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों पर 70 में से 33 जल विद्युत परियोजनाएं जिनकी कुल क्षमता 4060 मेगावाट तथा लागत 41,000 करोड़ रूपये है, एनजीआरबीए, ईको संसेटिव जोन तथा मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्देशो क्रम में बन्द पड़ी है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने अनुरोध किया कि यदि एक संयुक्त शपथ पत्र ऊर्जा मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय तथा पर्यावरण व जल मंत्रालय द्वारा मा.उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाय तो उक्त परियोजनाओं हेतु शीघ््रा अनुमोदन मिल सकता है।
इसी प्रकार चमोली की 300 मेगावाट की बावला नन्दप्रयाग जल विद्युत परियोजना के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को बताया कि इस परियोजना से सम्बन्धित डीपीआर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के समक्ष अनुमोदन हेतु लम्बित है क्योंकि जल संसाधन मंत्रालय द्वारा इन्वार्यमेन्टल फ्लों का अभी अध्ययन नही किया गया है। साथ ही बावला नन्द प्रयाग जल विद्युत परियोजना जबकि तथा नन्द प्रयाग लंगासू विद्युत परियोजना हेतु पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरणीय अध्ययन हेतु टर्मस आॅफ रेफरेन्स का अनुमोदन किया जाना बाकी है।
मुख्यमंत्री ने टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में उत्तराखण्ड के 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रकरण को आपसी सहमति से सुलझाने का सुझाव भी केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को दिया। जिस पर उन्होंने सहमति व्यक्त की है।
मुख्यमंत्री ने यह भी अनुरोध किया कि देहरादून, हरिद्वार तथा नैनीताल अंडरग्राउन्ड केबलिंग हेतु 1883.16 करोड़ रूपये का वितीय प्रस्ताव ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष रखा गया है। इसमें हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र हेतु अन्डरग्राउण्ड केबलिंग का कार्य भी सम्मिलित है। एकीकृत ऊर्जा विकास योजना (आईपीडीएस) के अन्तर्गत 190.68 करोड़ रूपये की डीपीआर भी देहरादून तथा हरिद्वार के सरकारी कार्यालयों में सोलर रूफ टाॅप सिस्टम लगाने हेतु ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष रखी गई है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र तथा केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री के मध्य लघु जलविद्युत, ट्रांसमिशन तथा डिस्ट्रीब्यूसन हेतु ईएपी तथा केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की काॅरपोरेट सोशल रिसपोंसिबिलीटी के अन्र्तगत राज्य में प्रस्तावित हाॅस्पिीटीलिटी यूनीवर्सीटी हेतु फंडिंग के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। जिसके लिए उन्होंने सहयोग का आश्वासन दिया है।

हरिद्वार समाचार
हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जनपद हरिद्वार के विभिन्न विकास खण्डों के अन्तर्गत रिक्त पडे़ ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों के पदो ंपर उप निर्वाचन हेतु अधिसूचना जारी कर दी गयी है। जिलाधिकारी ने बताया कि जारी अधिसूचना के अनुसार रिक्त पड़े ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों के पदों पर उप निर्वाचन हेतु 04 दिसम्बर से 05 दिसम्बर तक पूर्वाह्न 10 बजे से सांय 05 बजे तक नाम निर्देशन पत्रों को जमा, 06 दिसम्बर को पूर्वाह्न 10 बजे से कार्य की समप्ति तक नाम निर्देशन पत्रों की जांच, 07 दिसम्बर को पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न 01 बजे तक नाम वापसी, 08 दिसम्बर को पूर्वाह्न 10 बजे से कार्य की समाप्ति तक निर्वाचन प्रतीक का आवंटन, 16 दिसम्बर को प्रातः 08 बजे से सांय 05 बजे तक मतदान एवं 18 दिसम्बर को प्रातः 08 बजे से कार्य की समाप्ति तक मतगणना का कार्य किया जायेगा।
जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद के विभिन्न विकास खण्डों में कुल 22 रिक्त पदों पर उप निर्वाचन होगा जिनमें से 01 ग्राम प्रधान, 01 क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं 20 ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों पर उप निर्वाचन होगा।
जिलाधिकारी द्वारा इस उप निर्वाचन को दृष्टिगत रखते हुए सम्बन्धित प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना की समाप्ति यानि 18 दिसम्बर तक आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गयी है।
हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत ने रोशनाबाद स्थित कलेक्ट्रेट कार्यालय में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने कृषि विभाग एवं बीमा कंपनी के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जनपद के किसान गेहूं की फसल का बीमा करवायें, इस हेतु किसानों को गेहूं की फसल हेतु बीमा योजना के लाभों से अवगत कराया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि पीएमएफबीवाई का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय। प्रचार-प्रसार हेतु ब्लाॅक स्तर पर किसान गोष्ठियों का आयोजन किया जाए जिसमें बैंकर्स को भी बुलाया जाय।
बता दें कि गत वर्ष जनपद के लगभग 16 हजार किसानों द्वारा पीएमएफबीवाइ के तहत गेंहू की फसल का बीमा करवाय गया था। जिनमें से लगभग 7500 किसानों ने सहकारिता विभाग के माध्यम से फसल बीमा योजना का फायदा लिया। इन किसानों को बीमा कंपनी द्वारा 2 करोड़ 84 लाख रूपये का क्लेम दिया गया।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि गेहूं की फसल का एक हेक्टेयर में रूपये 72600 का बीमा करवाने पर किसान को रूपये 1089 का प्रीमियम देना होगा।
उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत आधार पर गेहूं की फसल हेतु एक बीघा का रूपये 80 प्रीमियम में रूपये 5000 का बीमा करवाया जा सकता है। यह लाभ औलावृष्टि, अतिवृष्टि एवं भू-स्खलन होने से फसल की क्षति पर प्राप्त होगा।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष 31 दिसम्बर 2017 तक 25 हजार किसानों का फसल बीमा करवाने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी स्वाती भदौरिया, जिला विकास अधिकारी पुष्पेन्द्र चैहान, एआर काॅपरेटिव मनोज कुमार पुनेठा, मुख्य कृषि अधिकारी डाॅ0 वी.के. सिंह यादव, मुख्य उद्यान अधिकारी इन्द्रपाल सिंह कुशवाह सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे।

हरिद्वार समाचार
हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जनपद हरिद्वार के विभिन्न विकास खण्डों के अन्तर्गत रिक्त पडे़ ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों के पदो ंपर उप निर्वाचन हेतु अधिसूचना जारी कर दी गयी है। जिलाधिकारी ने बताया कि जारी अधिसूचना के अनुसार रिक्त पड़े ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों के पदों पर उप निर्वाचन हेतु 04 दिसम्बर से 05 दिसम्बर तक पूर्वाह्न 10 बजे से सांय 05 बजे तक नाम निर्देशन पत्रों को जमा, 06 दिसम्बर को पूर्वाह्न 10 बजे से कार्य की समप्ति तक नाम निर्देशन पत्रों की जांच, 07 दिसम्बर को पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न 01 बजे तक नाम वापसी, 08 दिसम्बर को पूर्वाह्न 10 बजे से कार्य की समाप्ति तक निर्वाचन प्रतीक का आवंटन, 16 दिसम्बर को प्रातः 08 बजे से सांय 05 बजे तक मतदान एवं 18 दिसम्बर को प्रातः 08 बजे से कार्य की समाप्ति तक मतगणना का कार्य किया जायेगा।
जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद के विभिन्न विकास खण्डों में कुल 22 रिक्त पदों पर उप निर्वाचन होगा जिनमें से 01 ग्राम प्रधान, 01 क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं 20 ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों पर उप निर्वाचन होगा।
जिलाधिकारी द्वारा इस उप निर्वाचन को दृष्टिगत रखते हुए सम्बन्धित प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना की समाप्ति यानि 18 दिसम्बर तक आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गयी है।
हरिद्वार। जिलाधिकारी दीपक रावत ने रोशनाबाद स्थित कलेक्ट्रेट कार्यालय में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने कृषि विभाग एवं बीमा कंपनी के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जनपद के किसान गेहूं की फसल का बीमा करवायें, इस हेतु किसानों को गेहूं की फसल हेतु बीमा योजना के लाभों से अवगत कराया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि पीएमएफबीवाई का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय। प्रचार-प्रसार हेतु ब्लाॅक स्तर पर किसान गोष्ठियों का आयोजन किया जाए जिसमें बैंकर्स को भी बुलाया जाय।
बता दें कि गत वर्ष जनपद के लगभग 16 हजार किसानों द्वारा पीएमएफबीवाइ के तहत गेंहू की फसल का बीमा करवाय गया था। जिनमें से लगभग 7500 किसानों ने सहकारिता विभाग के माध्यम से फसल बीमा योजना का फायदा लिया। इन किसानों को बीमा कंपनी द्वारा 2 करोड़ 84 लाख रूपये का क्लेम दिया गया।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि गेहूं की फसल का एक हेक्टेयर में रूपये 72600 का बीमा करवाने पर किसान को रूपये 1089 का प्रीमियम देना होगा।
उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत आधार पर गेहूं की फसल हेतु एक बीघा का रूपये 80 प्रीमियम में रूपये 5000 का बीमा करवाया जा सकता है। यह लाभ औलावृष्टि, अतिवृष्टि एवं भू-स्खलन होने से फसल की क्षति पर प्राप्त होगा।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष 31 दिसम्बर 2017 तक 25 हजार किसानों का फसल बीमा करवाने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी स्वाती भदौरिया, जिला विकास अधिकारी पुष्पेन्द्र चैहान, एआर काॅपरेटिव मनोज कुमार पुनेठा, मुख्य कृषि अधिकारी डाॅ0 वी.के. सिंह यादव, मुख्य उद्यान अधिकारी इन्द्रपाल सिंह कुशवाह सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे।

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हरिद्वार। गंगा नदी को निर्मल एवं स्वच्छ रखने के लिए नमामि गंगे योजना में किन-किन कार्यों को शामिल किया जाए, यह जानने के मकसद से जिलाधिकारी दीपक रावत ने हरिद्वार में गंगा नदी पर स्थित सर्वानन्द घाट, खड़खड़ी श्माशान घाट, भीमगोडा कुण्ड, कांगड़ा घाट, हरकी पैड़ी, ग्रीन विष्ट पार्क, अलकनन्दा घाट तक पैदल भ्रमण कर निरीक्षण किया।
मंगलवार दिनांक 28 नवम्बर को कलेक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में हुई नमामि गंगे की बैठक में यह मुद्दा उठा था कि लोकनाथ घाट नाला व भीमगोडा नाले का गन्दा पानी गंगा नदी में ओवर फ्लो होकर बहता रहता है, जबकि ये नाले टेपड हैं। जिलाधिकारी के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि लोकनाथ घाट नाले में हाथीपांव स्रोत भूपतवाला से स्वच्छ जल पाईप लाईन के टूटे होने के कारण जल लोकनाथ घाट नाले में आता है। जिससे लोकनाथ घाट नाले में टेपड स्थल से पानी ओवर फ्लो होकर गंगा नदी में प्रवाहित होता है।
जिलाधिकारी ने ईई जलसंस्थान अजय कुमार को निर्देशित किया कि हाथीपांव स्रोत भूपतावाला पाईप लाईन की मरम्मत कर स्वच्छ पानी गंगा नदी में प्रवाहित होने दिया जाए, इससे टेपड लोकनाथ नाले का गंदा पानी ओवर फ्लो नहीं होगा।
भीमगोडा नाले के निरीक्षण में जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि भीमगोडा नाले में जाली लगा दी जाए ताकि नाले का कूडा-कचरा गंगा नदी में बहकर न जाने पाये। जिलाधिकारी ने हरकी पैड़ी पर स्थित नाई सोता नाला के समीप स्थित ऐसे घरों और दुकानों के चालान काटे जिन्होंने अपने घरों और दुकानों के सीवर को सीवरेज पाईप लाईन से नहीं जोड़ा था, उनके घरों का सीवर बहकर सीधे नाले में बह रहा था।
जिलाधिकारी ने पाॅलीथीन का प्रयोग करने वाले तथा सड़क पर अतिक्रमण करने वाले ठेले और दुकानों के भी चालान काटे। उन्होंने कांगड़ा घाट मालवीय दीप पर अवैध दुकानों के चालान काटने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिये तथा दुकानदारों को तत्काल ही अवैध दुकानें हटाने की चेतावनी दी। इन घाटों पर अवैध दुकानें स्थापित न हो इस मकसद हेतु जिलाधिकारी ने नगर निगम के अधिकारियों को एक कर्मचारी की तैनाती करने के निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने गंगा घाट के पुरोहितों को आवंटित स्थान से अधिक अतिक्रमित स्थान पर से उनका सामान तुरन्त हटाने की चेतावनी दी। जिलाधिकारी ने ग्रीन विष्ट पार्क व अलकनन्दा घाट के निरीक्षण के दौरान अलकनन्दा घाट पर लोगों को कपड़े धोते, जुआ खेलते, तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते व बेचते हुए पकड़ा तथा पुलिस व सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को इन लोगों के चालान काटने के साथ ही एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये।
डीएम ने कहा कि अलकनन्दा घाट पर किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्य न हो इस हेतु होमगार्ड फोर्स की तैनाती की जाएगी। साथ ही घाटों पर पुलिस गस्त भी बढ़ाई जाएगी। इस दौरान जिलाधिकारी ने स्वयं सेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों को निर्देश दिये कि गंगा नदी घाटों पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाए, जिसमें सांस्कृतिक दलों, विद्यार्थियों आदि के माध्यम से सांस्कृतिक व गंगा संरक्षण एवं स्वच्छता सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए ताकि लोगों के मन में गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो सके।
इस अवसर पर ईई जलसंस्थान अजय कुमार, वन विभाग से एसडीओ एन.वी. शर्मा, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 प्रवीन कुमार, महामंत्री गंगासभा रामकुमार मिश्रा व आशुतोष शर्मा, शांतिकुंज से हरिमोहन गुप्ता आदि उपस्थित थे।

CHAMOLI NEWS
चमोली 29 नवबंर,2017 (सू0वि0)
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में 17 दिसंबर को पूर्वान्ह 10ः00 बजे से राजकीय इण्टर काॅलेज कुलसारी, तहसील थराली में बहुउद्देशीय विधिक साक्षरता, जागरूकता, चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जायेगा। सिविल जज (सी0डि0)/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रवि प्रकाश ने बताया कि शिविर में आम जन मानस को उनके विधिक अधिकारों, कत्तव्र्यो के बारे में जागरूक कर विभिन्न सरकारी जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जायेगी। इसके अलावा दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के साथ ही लोगों का सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जायेगा। शिविर में सभी सरकारी विभागों के स्टाॅल लगाये जायेंगे। जिनके माध्यम से आम लोगों की समस्याओं का मौके पर ही निस्तारण किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बहुउद्देशीय विधिक साक्षरता शिविर में माननीय मुख्य न्यायमूर्ति/मुख्य सरंक्षक व माननीय कार्यालय अध्यक्ष महोदय की उपस्थिति भी पूर्ण सम्भावी है।

चमोली 29 नवबंर,2017 (सू0वि0)
राज्य निर्वाचन आयुक्त उत्तराखण्ड, देहरादून से जारी अधिसूचना के क्रम में प्रभारी जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत) ईला गिरी ने विकासखण्ड पोखरी के ग्राम पंचायत वल्ली की निर्वाचन नामावली के संक्षिप्त पुनरीक्षण हेतु समय सारणी जारी की है। कार्यक्रम के अनुसार 04 से 08 दिसंबर तक नगर पंचायत से पृथक किये गये राजस्व ग्राम वल्ली के मतदाताओं के नाम वार्डवार व्यवस्थित करते हुए क्रम संख्या, शीर्षक में समुचित परिवर्तन कर मतदाता सूची को व्यवस्थित किया जायेगा। 11 से 12 दिसंबर तक व्यवस्थित मतदाता सूची का मुद्रण एवं 13 दिसंबर को मतदाता सूची के आलेख्य का प्रकाशन किया जायेगा। 14 से 20 दिसंबर तक मतदाता सूची का निरीक्षण एवं दावें/आपत्तियां प्राप्त की जायेंगी। 21 से 29 दिसंबर के बीच प्राप्त सभी दावों व आपत्तियों पर सुनवाई कर उनका निस्तारण किया जायेगा। 31 दिसंबर से 03 जनवरी तक निर्वाचक नामावलियों की पूरक सूचियों का मुद्रण एवं 04 जनवरी 2018 को निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन किया जायेगा।

प्रभारी जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत) ने बताया कि पुनरीक्षण हेतु निर्वाचकों की संदर्भ तिथि 01 जनवरी 2018 के आधार पर ग्राम पचंायत की निर्वाचन नामावली का संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जायेगा। कार्यक्रम के दौरान निर्वाचन नामावलियों की प्रविष्टियों को संशोधित, विलापित एवं परिवद्र्वित किया जायेगा तथा प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र में 01 जनवरी 2018 को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले सभी व्यक्तियों का नाम नामावली में सम्मलित किया जायेगा। प्रभारी जिला निर्वाचन अधिकारी ने सर्वसाधारण की जानकारी के लिए ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, तहसील व जिला कार्यालय के सूचना पटों पर संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम चस्पा करने के साथ ही स्थानीय स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा है।
DEHRADUN NEWS;

देहरादून, 29 नवम्बर 2017, जिलाधिकारी/अध्यक्ष जनपदीय शाखा भारतीय रेड क्रास सोसाईटी, एस.ए मुरूगेशन की अध्यक्षता में विला ग्राउण्ड लखौण्ड निकट राजीव गांधी खेल मैदान सहस्त्रधारा रोड स्थित रेड क्रास सोसाईटी कार्यालय में बैठक आयोजित की गई।
बैठक में जिलाधिकारी ने सम्बन्धित अधिकारियों को किये जाने वाले कार्यों/कार्यक्रमों तथा आय-व्यय के समस्त विवरण में पारदर्शिता अपनाते हुए कार्य करने और लोगों के हितों की पूर्ति के कार्यों को अपने ऐजेण्डे में सम्मिलित करने के निर्देश दिये। उन्होने समय-2 पर स्कूलों कालेजों तथा सार्वजनिक स्थलों पर विभिन्न बिमारियों की रोकथाम, साफ-सफाई, स्वच्छता, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने जैसे जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने तथा लोगों को फस्र्ट मेडिकल रैस्पोन्डर/वाॅलन्टियर्स का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिये। उन्होने जनपद स्तर पर होने वाले आपदा प्रबन्धन के माॅकड्रिल में रेडक्रास सोसाईटी के सदस्यों के प्रतिभाग करने तथा सक्रिय रहने वाले वालिन्टियर्स/फस्र्ट एड मेडिकल रेस्पोन्डर्स का मोबाईल नम्बर सहित विवरण देने के निर्देश दिये। उन्होने जनऔषधि केन्द्रों पर पर्याप्त औषधि तथा स्टाॅफ रखने के भी निर्देश दिये। रेडक्रास सोसाईटी द्वारा जिलाधिकारी से कालसी, चकराता, सहिया, त्यूनी, विकासनगर आदि स्थानों पर जन औषधि केन्द्र खोलने हेतु स्वास्थ्य विभाग तथा अन्य आवश्यक माध्यम से वित्तीय आपूर्ति सहित अन्य परिचालन सहायता प्राप्त करने का आग्रह किया, जिस पर जिलाधिकारी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। जिलाधिकारी ने कहा कि सेन्ट्रल स्कूल में रेडक्रास की भी सदस्यता हेतु प्रयास करने क स्वास्थ्य विभाग को रेडक्रास सोसाईटी को सभी आवश्यक सहयोग देने के निर्देश दिये।
इस अवसर पर चेयरमैन रणजीत सिंह वर्मा, वाईस चैयरमैन देवप्रकाश, सचिव रेडक्रास डाॅ0 एम.एस अंसारी, मोहन एस खत्री, सहित सवस्थ्य विभाग व रेडक्रास सोसाईटी के सदस्य उपस्थित थे।

www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND)

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