2 सितंबर देशव्यापी हड़ताल; देश की 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियन
देश की 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों से जुड़े मजदूर शुक्रवार को एकदिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल पर जाने वाले हैं। सरकार की भरपूर कोशिशों के बावजूद ट्रेड यूनियनों ने 2 सितंबर को हड़ताल करने का जो फैसला लिया था वो वापस नहीं लिया. लिहाजा कल ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल से बैंकिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और टेलीकॉंम जैसी जरूरी सेवाएं पर असर देखा जा सकता है. आल इंडिया ट्रेड यूनियंस कांग्रेस और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस जैसे संगठनों ने हड़ताल नहीं करने की सरकार की ओर से मंगलवार की अपील को ठुकरा दिया था. इन संगठनों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में नाकाम रही है. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने अपनी मांगों पर सरकार के रवैये तथा श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलावों के विरोध में हड़ताल बुलाई है.
मजदूर उनकी मांगों के प्रति सरकार की ‘उदासीनता’ और श्रम कानूनों में प्रभावी ‘मजदूर-विरोधी’ बदलावों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। इस विरोध में 18 करोड़ मजदूरों के हिस्सा लेने की आशंका है। यह हड़ताल पिछले साल हुई हड़ताल से बड़ी और नुकसान देने वाली साबित हो सकती है क्योंकि पिछले साल 14 करोड़ मजदूर हड़ताल पर गए थे। ट्रेड यूनियनें सभी मजदूरों के लिए कानूनी न्यूनतम मजदूरी को 18,000 रुपए से कम न रखने की मांग कर रही हैं। ‘सी’ कैटेगरी में आने वाले मजदूर के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए, ‘बी’ कैटेगरी के लिए 22,230 रुपए तथा ‘सी’ कैटेगरी के मजदूरों के लिए 26,560 रुपए तय करने की मांग हो रही है। सरकार ने घोषणा की है कि केन्द्र की परिधि में आने वाले मजदूरों के लिए सी, बी व ए कैटेगरी के लिए न्यूनतम वेतन क्रमश: 9,100 रुपए, 11,362 रुपए और 13,598 रुपए होगा। इसके अलावा, ट्रेड यूनियंस की मांग है कि परमानेंट और कॉन्ट्रैक्ट, दोनों तरह के मजदूरों के लिए एक समान न्यूनतम मजदूरी तय की जाए। वे इसके लिए न्यूनतम मजदूरी एक्ट, 1948 में बदलाव की मांग करने की मांग भी उठा रही हैं।
संगठनों को बीमा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश के नियमों को आसान करने को लेकर आपत्ति है. घाटे में चल रहे पीएसयू को बंद करने की योजना का भी श्रमिक संगठन विरोध कर रहे हैं. ट्रेड यूनियनें सरकारी पेंशन फंड और स्टॉक मार्केट में अधिक पैसा लगाने के सरकार के दिशानिर्देशों का भी विरोध कर रही हैं. हालांकि बीजेपी के वैचारिक संगठन, आरएसएस से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ इस हड़ताल में शामिल नहीं हो रहा है. दरअसल ट्रेड यूनियनें पिछले साल सितंबर से सरकार पर अपनी 12 सूत्रीय मांगों को माने जाने का दबाव बना रही हैं. इनमें न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 18,000 रुपये किए जाने की मांग भी शामिल है.
यूनियनों का दावा है कि इस साल की हड़ताल अधिक व्यापक होगी क्योंकि हड़ताल में शामिल कर्मचारियों की संख्या 18 करोड़ पर पहुंच जाएगी. पिछले साल हड़ताल में 14 करोड़ श्रमिक शामिल हुए थे. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने उनकी 12 सूत्रीय मांगों पर सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है. उनकी प्रमुख मांगों में न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपये करने, महंगाई पर काबू पाना तथा 3,000 रुपये की निश्चित न्यूनतम मासिक पेंशन की मांग शामिल हैं.
ट्रेड यूनियन संयोजन समिति (टीयूसीसी) के महासचिव एस पी तिवारी ने कहा, ‘‘इस बार हड़ताल ज्य़ादा बड़ी होगी. औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के करीब 18 करोड़ श्रमिक सरकार के उदासीन रवैये के विरोध में कल सड़कों पर उतरेंगे.’’ उन्होंने कहा कि हड़ताल से बंदरगाह और नागर विमानन सहित आवश्यक सेवाएं मसलन परिवहन, दूरसंचार और बैंकिंग बुरी तरह प्रभावित होंगे. अस्पतालों और बिजली संयंत्रों के कर्मचारी भी हड़ताल पर जाएंगे, लेकिन इससे वहां सामान्य कामकाज प्रभावित नहीं होगा.
बैंक, सरकारी ऑफिस और फैक्टरियां बंद रहेंगी. कुछ राज्यों में स्थानीय संगठनों ने भी हड़ताल में भागीदारी का फैसला किया है. इसके कारण सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है. सरकार की ओर से संचालित कोल इंडिया लिमिटेड के कर्मचारी भी शुक्रवार की हड़ताल में शामिल होंगे.
वहीं केंद्रीय श्रमिक संगठनों की कल प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल से पहले केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने श्रमिकों के समक्ष दिक्कतों के लिए पूर्व की यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया कि मौजूदा सरकार ने जितना किया है उतना तो बीते 45 साल में भी नहीं किया गया था.
उन्होंने कहा,‘ 2004 से 2014 तक वे (यूपीए सरकार) इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले पाए. लेकिन मौजूदा एनडीए सरकार ने बीते 2 साल में अनेक मजदूर के हितों के फैसले किए हैं. बीते 2 साल में ही जितने फैसले किए गए उतने तो बीते 45 साल में भी नहीं हुए. दत्तात्रेय ने यहां कहा, ‘हम कामकाजी हालात, स्वास्थ्य, वेतन, रोजगार सुरक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों में सुधार पर ध्यान दे रहे हैं और सरकार सकारात्मक रख में है और श्रमिक संगठनों से किसी तरह का टकराव नहीं चाहती. हम सहयोग व समर्थन चाहते हैं.’ दत्तात्रेय ने कहा,‘ हमारी ट्रेड यूनियनों से चर्चा हुई है. हम सदभावनापूर्ण कामकाजी माहौल चाहते हैं और अब हड़ताल जारी रखने या नहीं रखने का फैसला तो उनकी बुद्धिमता पर निर्भर करता है.’ उन्होंने कहा कि सरकार कृषि श्रमिकों के लिए भी न्यूनतम मजदूरी की घोषणा करेगी.
दत्तात्रेय ने आगे कहा,‘ हमने गैर कृषि मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी को 246 रुपये से बढाकर 350 रुपये किया है. इस वेतन में 2005 से बढोतरी नहीं की गई थी. हम कृषि मजदूरों के लिए भी इसी रूपरेखा पर काम कर रहे हैं. हम उनकी मजदूरी में भी शीघ्र ही बदलाव करेंगे.’ मंत्री ने आरोप लगाया कि विभाग की समीक्षा के बाद यह पाया गया कि एक ‘भ्रामक अभियान’ चलाया जा रहा है.
केन्द्र सरकार के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद, न्यूनतम मजदूरी में किया गया बदलाव केन्द्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होगा। यह आदेश उन्हीं रोजगारों पर लागू होगा, जिनके बारे में न्यूनमत मजदूरी एक्ट, 1948 में प्रावधान किए गए हैं। वर्तमान में केन्द्र सरकार के अंतर्गत आने वाले राेजगारों में कृषि, पत्थरों की खदानें, निर्माण, गैर-कोयला खदान, लोडिंग एवं अनलोडिंग आदि शामिल हैं। राज्य सरकारों के रोजगारों की संख्या 1679 है। ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से आम जनजीवन पर भारी असर पड़ने की आशंका है।
ये सेवाएं बंद रहेंगी:
1. बैंक, सरकारी कार्यालय और फैक्ट्रियां बंद रहेंगे।
2. कोल इंडिया, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, एचएएल और भेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम हड़ताल में शामिल होंगे।
3. बिजली, यातायात, खदान, रक्षा, टेलीकॉन और बीमा जैसे क्षेत्रों की सेवाएं प्रभावित होंगी।
4. सार्वजनिक यातायात सेवाओं पर भी असर पड़ेगा क्योंकि दिल्ली, हैदराबाद और बेंगुलुरु की कई ऑटो रिक्श यूनियनों ने शुक्रवार को सड़कों से दूर रहने का फैसला किया है।