यूपी की हवा गुजरात तक जायेगी ?

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 16 में 14 नगर निगम में जीत दर्ज की है. लोकसभा चुनाव के समय से बीजेपी ने लगातार राज्यों पर जो पकड़ बनाई, वह अब और मजबूत दिख रही है. यूपी में जीत का गुजरात कनेक्शन अमेठी और गौरीगंज यानी राहुल गांधी के गढ़ में कांग्रेस की हार से जुड़ गया है. बीजेपी पूछ रही है कि जब राहुल अमेठी नहीं जीत पाए तो गुजरात जीतने का सपना भी कैसे देख सकते हैं? उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. बीजेपी को प्रचंड जीत हासिल हुई है. अब 16 में से 14 मेयर बीजेपी के होंगे जबकि 2 मेयर बीएसपी के होंगे. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. मेरठ और अलीगढ़ में बसपा जीती है जबकि अन्य सभी पर बीजेपी को जीत मिली है. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. यहां तक कि जिस वार्ड में केशव का घर पड़ता है वहां भी बीजेपी की हार हुई है.  बीजेपी को भी सीएम योगी के वार्ड में हार का सामना करना पड़ा है. वार्ड नं 68 पुराना गोरखपुर में निर्दलीय प्रत्याशी नादिरा खातून ने बीजेपी प्रत्याशी माया त्रिपाठी को हरा दिया है.

 

हार्दिक की रैली के पहले मेरे मन में भी यह सवाल बार-बार आ रहा था कि हार्दिक की सीडी के सामने आने के बाद आखिरकार साख पर कितना असर पड़ा है ? एक और बात दिमाग में आ रही थी कि हार्दिक ने अबतक आरक्षण को लेकर आंदोलन चलाया था तबतक तो पटेल समाज के युवा उनके साथ थे, लेकिन, कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद क्या बदलाव आएगा ? राजकोट की रैली में पहुंचे युवाओं से बातचीत के दौरान लगा की हार्दिक को लेकर सामने आई विवादास्पद सीडी का असर उनकी लोकप्रियता को लेकर नहीं दिख रहा है.  हार्दिक की रैलियों में अभी भी वैसी ही भीड़ जुट रही है जैसे सीडी कांड के पहले थी.हालाकि इस भीड़ को कांग्रेस को वोट करने वाले तराजू पर तौल कर देखना जल्दबाजी होगी.  पटेल समुदाय के कई लोग  के मन में भी कांग्रेस के साथ जाने पर आरक्षण की गुंजाइश नहीं दिख रही, लेकिन, आंदोलन के दौरान पड़ी मार का असर उन्हें हार्दिक के साथ जाने पर मजबूर कर रहा है. मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के घर में ही उन्हें घेरने के लिए हार्दिक पटेल ने राजकोट में बड़ी रैली की है.  हार्दिक पटेल की रैली में जिस अंदाज में भीड़ जमा हो रही है. उस भीड़ ने बीजेपी को परेशान कर दिया है. हार्दिक पटेल के कहने से रैली में आने वाले युवा कांग्रेस को वोट करें या न करें लेकिन, रैली के दौरान उनकी मौजूदगी ने बीजेपी को परेशान कर दिया है.

यूपी की बड़ी जीत ने गुजरात विजय के लिए बीजेपी नेताओं को नए जोश से भर दिया है. कांग्रेस का तो मेयर चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया है. राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी की गौरीगंज नगरपालिका में भी कांग्रेस हार गई है. जीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है, ‘जो लोग गुजरात चुनाव के लिए बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे, निकाय चुनाव में उनका खाता भी नहीं खुल पाया.’ योगी ने आगे कहा,‘ ऐसे लोगों का अमेठी लगभग सूपड़ा ही साफ हो गया है. जनता ने इन लोगों को सबक सिखा दिया है.’ स्मति ईरानी ने कहा, ”राहुल गांधी अपने क्षेत्र में ना तो विधानसभा के चुनाव जीत पा रहे हैं और ना ही नगर निकाय के. इससे गुजरात और देश की जनता को स्पष्ट संकेत जाता है कि वो अपने क्षेत्र के लोगों द्वारा ही स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं. अमेठी इसलिए विशेष है क्यों कि ये पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस के साथ रहा है. लेकिन सिर्फ अमेठी ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है.” यूपी के 16 बड़े शहरों में से 14 के मेयर ऑफिस पर भगवा झंडा लहरा रहा है. बीजेपी ने लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, गोरखपुर, वाराणसी, मथुरा, अयोध्या, सहारनपुर, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, बरेली, सहारनपुर, झांसी और आगरा जीत लिया है. जबकि अलीगढ़ और मेरठ में मेयर की कुर्सी बीएसपी के खाते में गई है.

 

 उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. यहां तक कि जिस वार्ड में केशव का घर पड़ता है वहां भी बीजेपी की हार हुई है.  बीजेपी को भी सीएम योगी के वार्ड में हार का सामना करना पड़ा है. वार्ड नं 68 पुराना गोरखपुर में निर्दलीय प्रत्याशी नादिरा खातून ने बीजेपी प्रत्याशी माया त्रिपाठी को हरा दिया है.

 

यूपी की हवा गुजरात तक जाने की इसलिए भी संभावना लग रही है क्योंकि जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद ये पहला बड़ा चुनाव है. यूपी के जिन शहरों में बीजेपी जीती है- वो ही यूपी में कारोबार और उद्योग धंधों के लिहाज से गिने-चुने शहर हैं, यानी अगर यूपी का कारोबारी जीएसटी के खिलाफ नहीं है तो कारोबारी राज्य गुजरात में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल सकता है.

यूपी के बड़े शहरों में बीजेपी की जीत का गुजरात कनेक्शन इसलिए भी जुड़ रहा है क्योंकि यूपी के नतीजे शहरी इलाकों के हैं और गुजरात की आबादी में बड़ी तादाद शहरी इलाके की है. गुजरात में 42.58 फीसद आबादी शहरी इलाकों में रहती है जबकि 58.42 फीसद आबादी ग्रामीण इलाकों में. यूपी के निकाय चुनावों में कांग्रेस कहीं भी जीत के आसपास दिखाई नहीं पड़ी. वहीं कांग्रेस जो गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने का दम भर रही है. अब कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि गुजरात के चुनाव में यूपी के निकाय चुनाव नतीजों का कोई असर नहीं पड़ेगा.

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