हर खनन प्रेमी राजनीतिज्ञ का इतिहास सीने में लिये -आहत हो उत्तराखण्ड को अलविदा कहेगे यह टाप आई0ए0एस0

त्रिवेंद्र रावत के करीबी का तमगा लगा, अब आहत होकर छोडेगे उत्तराखण्ड , अनेक राज्यो से औफर, राज्य गठन के बाद से सचिवालय में प्रमुख अधिकारी रहे, के पास है हर खनन प्रेमी राजनीतिज्ञ का इतिहास : हाई कमान की कृपा मिल गई तो — अल्लाह जाने क्या होगा आगे,,, ओ, मौला जाने,, क्या होगा आगे,, आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश पिछले 20 सालों में उत्तराखंड ब्यूरोक्रेट्स की अमूमन सारी बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. नौकरशाही में सबसे बड़ी जिम्मेदारी माने जाने वाली मुख्य सचिव की जिम्मेदारी भी ओम प्रकाश ने बखूबी निभाई थी, लेकिन प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाक्रम घटी कि ओम प्रकाश के करियर के अंतिम समय में सत्ता की उनसे बेरुखी हो गई. धामी ने सबसे पहले मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटा दिया. By Bureau Himalayauk Leading Newsportal Mob.9412932030

Execlusive Article  , सन सनी खेज स्टोरी,,

आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को 30 जुलाई साल 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया था.

ओमप्रकाशसाल 2002 में उत्तराखंड कैडर मिलने के बाद आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश देहरादून के डीएम बनाए गए. वर्ष 2003 में उन्हें मेला अधिकारी अर्ध कुंभ बनाया गया. इसके बाद ओमप्रकाश को सचिवालय में अलग-अलग विभागों में सचिव पद मिलते हुए प्रमोशन होते रहे

त्रिवेंद्र सिंह रावत के बदलते ही ओम प्रकाश के बदलने की कवायद भी तेज हो गई थी, लेकिन तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें नहीं हटाया था.

वरिष्ठ आईएएस ओम प्रकाश का मूल रूप से बिहार के बांका जिले के बौंसी के रहने वाले हैं. साल 1987 में सिविल सर्विसेस में बतौर आईएएस अधिकारी उनका सलेक्शन हुआ था. साल 2020 में ओम प्रकाश को उत्पल कुमार सिंह के स्थान पर उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया. उस समय ओम प्रकाश तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अपर मुख्य सचिव भी थे. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे तब भी वह उनके साथ पांच साल कृषि सचिव रहे थे. मुख्यमंत्री के निकट होने का फायदा उन्हें मिला. इसके अलावा ओमप्रकाश को प्रदेश में वरिष्ठता के क्रम का भी फायदा मिला, जिसके कारण वो इस रेस में पहले ही आगे चल रहे थे.

जन्म14 मई 1962 को पटना में जन्मे ओम प्रकाश के पिता बिहार इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में इंजीनियर थे. इस दौरान उनके लगातार ट्रांसफर होते रहते थे, जिसके कारण ओमप्रकाश ने अपनी पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई तकरीबन 7 अलग-अलग स्कूलों से हासिल की. पटना से मैट्रिक पास करने के बाद ओम प्रकाश ने साइंस कॉलेज पटना से बीएससी फिजिक्स ऑनर्स किया. जिसके बाद एमएससी थियोरेटिकल फिजिक्स के लिए वह दिल्ली विश्वविद्यालय आ गए, इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने एमफिल की पढ़ाई भी थियोरेटिकल फिजिक्स से पूरी की

एमफिल के दौरान ओम प्रकाश को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी सीएसआईआर में फेलोशिप भी प्राप्त हुई. इसके बाद वर्ष 1983 में ओमप्रकाश का सलेक्शन जियो फिजिसिस्ट ओएनजीसी देहरादून में हुआ. मगर उन्होंने यहां ज्वाइन नहीं किया. इसके बाद 1985 में ओमप्रकाश का सलेक्शन सिविल सर्विसेस में बतौर आईपीएस हुआ, लेकिन ओमप्रकाश ने ये भी ठुकरा दिया. इसके बाद फिर उन्होंने इनकम टैक्स विभाग ज्वाइन किया. दिल्ली में ओमप्रकाश तकरीबन 3 महीने असिस्टेंट कमिश्नर इनकम टैक्स रहे.

कई नौकरियां करने के बाद भी ओमप्रकाश का सपना सिविल सर्विस में बतौर आईएएस काम करना था. आखिरकार साल 1987 में सिविल सर्विसेस में बतौर आईएएस अधिकारी उनका सलेक्शन हो गया. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला.

यूपी कैडर में ओमप्रकाश सबसे पहले जौनपुर में प्रोबेशन पर रहे. फिर खुर्जा के एसडीएम और फतेहपुर के सीडीओ रहे. इसके बाद मऊ, गाजीपुर, बांदा, हाथरस में भी तैनात रहे.

ओमप्रकाशसाल 2002 में उत्तराखंड कैडर मिलने के बाद आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश देहरादून के डीएम बनाए गए. वर्ष 2003 में उन्हें मेला अधिकारी अर्ध कुंभ बनाया गया. इसके बाद ओमप्रकाश को सचिवालय में अलग-अलग विभागों में सचिव पद मिलते हुए प्रमोशन होते रहे.

जैसे ही तीरथ सिंह रावत की कुर्सी गई और पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने, सबसे पहले ओम प्रकाश की मुख्य सचिव पद से विदाई हो गई. ओम प्रकाश की जगह एनएचआई के निदेशक सुखबीर सिंह संधू को उत्तराखंड को मुख्य सचिव बनाया गया है.

सियासी गलियारों में एक और किस्सा बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. बताया जा रहा है कि करीब एक सप्ताह पहले जब खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री नहीं थे, तब वह कुछ कार्यों से को लेकर मिलने आए थे, तो मुख्य सचिव से उनकी कुछ अनबन हो गई थी. बाद पुष्कर सिंह धामी गुस्से में मुख्य सचिव कार्यालय से चले गए थे. समय का पहिया ऐसा धूमा कि एक सप्ताह बाद ही पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये.

मुख्य सचिव रहने के साथ ही ओम प्रकाश उत्तराखंड के सियासी गलियारों में हमेशा केंद्र बिंदु में रहे थे. राज्य गठन से पहले से लेकर राज्य गठन के बाद के 20 सालों तक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश का करियर सत्ता की चकाचौंध से भरा रहा, लेकिन करियर के आखिरी में ओम प्रकाश से सत्ता की कुछ इस तरह बेरुखी हुई की, उन्हें मुख्य सचिव पद से हटाकर राजस्व परिषद में चीफ कमिश्नर बना दिया गया.

उत्तराखंड के मुख्य सचिव से लेकर अहम पदों पर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश रिटायर हो गए. ओम प्रकाश कभी सत्ता के बेहद करीबी माने जाते थे. त्रिवेंद्र सिंह रावत की नजदीकियों की वजह से उन्हें मुख्य सचिव का पद मिला था, लेकिन वक्त का पहिया घूमते ही मानों सत्ता की उनसे बेरुखी हो गई. आज उन्हें बड़ी ही सादगी से विदाई दी गई. जिसकी शायद उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. प्रदेश के इतने बड़े नौकरशाह ओम प्रकाश के रिटायरमेंट की ना तो कोई फोटो आई और ना उनके विदाई को लेकर कोई संजीदा नजर आया.

2017 में भाजपा सत्ता में आई. भाजपा ने 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. ओम प्रकाश त्रिवेंद्र सिंह रावत के बेहद करीबी माने जाते थे. हालांकि, वह उस वक्त अपर मुख्य सचिव थे, लेकिन ओम प्रकाश का डंका शासन में इतना बोलता था कि उन्हें बेहद मजबूत नौकरशाह माना जाता था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाया, अचानक बदले सियासी घटना क्रम में त्रिवेंद्र रावत को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. और ओम प्रकाश को रूखसत कर दिया गया

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से कुछ महीने पहले पुष्कर सिंह धामी को बनाया मुख्यमंत्री गया. जिसके बाद धामी ने सबसे पहले मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटा दिया. वहीं ओम प्रकाश को राजस्व परिषद का अध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा उन्हें स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था. 

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