उत्‍तराखण्‍ड के पर्वतीय क्षेत्र; सड़क की हालत में सुधार के लिए कोई पहल नहीं

24 JULY 20# Himalayauk Bureau

पिथौरागढ़. पिथौरागढ़ (Pithoragarh) के धारचूला (Dharchula) में भारत-चीन सीमा (India-China Border) के आखिरी गांव तिदांग को जोड़ने वाली तवाघाट-सोबला सड़क की हालत खराब हो गई है. ऐसे में यहां आवाजाही बाधित है. धारचूला एसडीएम एके शुक्ला ने बताया कि स्थानीय लोगों का कहना है कि पिथौरागढ़ के धारचूला में भारत-चीन सीमा के आखिरी गांव तिदांग को जोड़ने वाली तवाघाट-सोबला सड़क की हालत खराब हो गई है.

एसडीएम ने कहा कि हमने बीआरओ के अधिकारियों के साथ सड़क को लेकर चर्चा की थी. उन्होंने कहा कि बीआरओ (Border Road Organisation) के अधिकारियों ने हमें सूचित किया है कि उन्हें तवाघाट-सोबला सड़क के लिए कोई बजट नहीं मिला है और वे वर्तमान में तवाघाट से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

वहीं पिथौड़ागढ़ में रविवार की रात बादल फटने की वजह से तांगा गांव में आई तबाही के बाद रेसक्यू ऑपरेशन आज तीसरे दिन भी जारी है. एसडीआरएफ़ एसडीआरएफ,एनडीआरएफ, आईटीबीपी और पुलिस की टीमें सर्च ऑपरेशन में जुटी हैं. अब तक 5 शवों को बरामद कर लिया गया है. 6 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है. रविवार रात तांगा में बादल फटा था जिसके बाद 11 लोग भारी मलबे में दफ़न हो गए थे.

पिथौरागढ़ डीडीहाट   तहसील मुख्यालय को जोड़ने वाली डीडीहाट- भनड़ा सड़क लंबे समय से खस्ताहाल है। मलबे और गड्ढों से पटी सड़क पर लोगों को आवागमन में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार मांग करने के बाद भी सड़क की हालत में सुधार के लिए कोई पहल नहीं होने से खिन्न क्षेत्रवासियों ने आंदोलन की चेतावनी दे दी है।

दस किमी. लंबे इस मोटर मार्ग की हालत लंबे समय से दयनीय बनी हुई है। सड़क कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त पड़ी है। गड्ढे और मलबे के चलते चालक खासे परेशान हैं। चालक कई बार हादसे की आशंका जता चुके हैं। स्थानीय लोगों ने इस समस्या को कई बार पीएमजीएसवाई के अधिकारियों के समक्ष रखा जा चुका है, लेकिन विभाग उदासीन बना हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता हरीश कन्याल ने कहा है कि क्षेत्रवासियों के लिए यह सड़क बेहद महत्वपूर्ण है। बावजूद इसके विभाग सुधार के लिए पहल नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि शीघ्र सड़क सुधारीकरण की पहल नहीं होती है तो क्षेत्र के लोग पीएमजीएसवाई के खिलाफ आंदोलन को बाध्य होंगे।

वही दूसरी ओर बागेश्वर कपकोट समेत जिले भर में जमकर बारिश हुई ऐसे में जगह-जगह भूस्खलन तेज हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाली सात सड़कें बंद होने से पांच हजार की आबादी प्रभावित है।

भूस्खलन से विजयपुर-खंतोली, थुनाई-मिहिनिया मोटर मार्ग बंद हैं। इसके अलावा धमरघर-माजखेत, तोली मोटर, बदियाकोट, बघर, चेटाबगड़, बागेश्वर-तिलस्यारी मोटर मार्ग भी आवागमन के लिए बंद हो गया है। सभी सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ती हैं। वहीं, बारिश के कारण बिजली और पानी का संकट भी पैदा होने लगा है। नदियों में सिल्ट आने से पेयजल योजनाएं प्रभावित हो गईं हैं। इससे नलों में गंदे पानी की सप्लाई हो रही है।

बागेश्वर जनपद के कौसानी-गरुड़ मोटर मार्ग की बदहाली पर व्यापार मंडल में आक्रोश है। सड़क पर गड्ढों से आएदिन हादसे हो रहे हैं। मंगलवार को व्यापारियों ने इस संबंध में डीएम को ज्ञापन सौंपा। सड़क की जल्द की मरम्मत न हो ने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

एक साल से कौसानी-गरुड़-बागेश्वर मोटर मार्ग जर्जर हालत पर है। कई स्थानों पर गड्ढे बने हुए हैं। बारिश में जलभराव से वाहनों का निकलना मुश्किल हो रहा है। कलमठ और पैराफिटों की हालत बेहद खराब हो गई है।

बागेश्वर-जौलकांडे मोटर मार्ग जर्जर हालत में पहुंच गया है। अनगिनत गड्ढों से वाहन दुर्घटना का भय बना हुआ है। क्षेत्र के लोग जान हथेली में रखकर यात्रा करने को मजबूर हो गए हैं। उन्होंने पानी की निकासी और गड्ढों को भरने की मांग तेज कर दी है। ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

जिला मुख्यालय से करीब आठ किमी दूर जौलकांडे है। जबकि 12 किमी लेटी के अलावा यह सड़क 15 किमी शीशाखानी गांव को जोड़ती है। मार्ग में लंबे समय से डामरीकरण नहीं हो सका है। पैराफिटों का नामोनिशन नहीं है। नालियों का निर्माण नहीं होने से बारिश का पानी सड़कों पर बहता है। सड़क की दुर्दशा पर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। सड़क से करीब पांच हजार जनता वर्तमान मे प्रभावित हो रही है। जौलकांडे के सरंपच नरेश उप्रेती ने कहा कि कई बार सड़क को लेकर जिलाधिकारी से शिकायत कर दी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। सड़क में हर रोज दुपहिया वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं। बारिश के कारण सड़क जगह-जगह जानलेवा बन गई है। शीशाखानी के पूर्व प्रधान हरीश मनराल ने कहा कि गांवों की अनदेखी की जा रही है। लेटी से आगे सड़क ने नाले का रूप ले लिया है। जिससे वाहन दुर्घटना का भय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द सड़क को दुरुस्त नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। इधर, लोनिवि के ईई केके तिलाड़ा ने कहा कि बारिश के कारण सड़कों को भारी क्षति हो रही है। क्षति का आंगणन बनाया जा रहा है, जल्द सड़कों की मरम्मत की जाएगी।

वही दूसरी ओर जीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 531 में कोटद्वार से दुगड्डा के बीच डेंजर जोन की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। पूर्व में दुगड्डा के अंतर्गत ऐता बैंड से दुगड्डा बाजार के मध्य करीब एक किमी का सफर काफी सुरक्षित माना जाता था, लेकिन मंगलवार को हुई मूसलाधार बारिश से चूना धारा के समीप राजमार्ग का आधा हिस्सा खोह नदी की भेंट चढ़ गया। साथ ही इस राजमार्ग पर सफर और अधिक खतरनाक हो गया है। 

कोटद्वार क्षेत्र में मंगलवार को करीब तीन घंटे की मूसलाधार बारिश ने राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति बदहाल कर दी। यूं तो राजमार्ग पहले ही बदहाल स्थिति में था, लेकिन इस तीन घंटे की बारिश ने जिस तरह राजमार्ग विभाग की ओर से गड्ढों में डाली गई मिट्टी को धो डाला, उसके बाद एक बार फिर राजमार्ग के गड्ढे लोगों की कमर तोड़ने लगे हैं। यूं भी कोटद्वार से दुगड्डा के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर की बात करें, तो दुगड्डा से ऐता बैंड के मध्य ही राजमार्ग पर सफर सुरक्षित था, लेकिन अब वह भी असुरक्षित हो गया है। 

इतना ही नहीं, आमसौड़ से करीब तीन किमी पहले सड़क का पुश्ता उफनती खोह नदी की भेंट चढ़ गया है, जिस कारण यहां भी आवागमन को खतरा पैदा हो गया है। कहना गलत न होगा कि पंद्रह किमी के इस सफर में पंद्रह से अधिक डेंजर जोन हो गए हैं। नतीजा, राजमार्ग पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। मामूली बारिश में गिर रहे बोल्डर कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर जहां पुश्ते दरक रहे हैं, वहीं हल्की बारिश में पहाड़ी से पत्थर सड़क पर गिर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का अंदेशा बना हुआ है। हैरानी की बात तो यह है कि महकमे की ओर से पूरे सफर के दौरान बोल्डर गिरने से संबंधित चेतावनी बोर्ड कहीं नहीं लगाए गए हैं। 

राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग, धुमाकोट खंड संदेश अवर अभियंता अरविंद जोशी ने बताया कि चूना धारा के समीप टूटी सड़क पर पुश्ता निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है। आमसौड़ से करीब तीन किमी पहले सड़क के क्षतिग्रस्त हिस्से में भी जल्द ही पुश्ता निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा। 

चमोली जनपद ;; कर्णप्रयाग के विकासखंड कर्णप्रयाग के अंर्तगत हिलेरी पार्क नंदप्रयाग के शीर्ष पर तेफना धनकुंड के ग्रामीण इन दिनों कर्णप्रयाग-बदरीनाथ राजमार्ग पर ऑलवेदर कटिंग कार्य के चलते परेशानियों से जूझ रहे हैं। उधर पिंडर नही का जलस्तर बढ़ने से निमार्णाधीन सेतु का काम रोक दिया है।

ग्रामीण रघुनाथ सिंह ने बताया कि हाईवे कटिंग के चलते गांव जाने वाला एक किमी पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से पैदल आवाजाही खतरे से खाली नही है वहीं भूस्खलन के चलते हाईटेंशन लाइन भी खतरे में आ गई है जबकि बीते तीन दिन से गांव के लोग अंधेरे में रहने को विवश हैं। इस संबंध में सड़क चौड़ीकरण कार्य कर रहे एनएच अधिकारियों को पैदल मार्ग के टूट जाने से आ रही परेशानी बाबत बताया जा चुका है,लेकिन अब भूधसाव के चलते बिजली के पोल धंसने लगे हैं,जिससे तीन दिनों से बिजली सप्लाई बंद है। ग्राम पंचायत तेफना धनकुंड गांव ग्राम प्रधान दीपक कंडेरी, अनिल, दिनेश भूपेन्द्र, रघुनाथ सिंह ने कहा गत दिनों इस समस्या को लेकर जिलाधिकारी चमोली स्वाति एस भदौरिया को भी बताया। डीएम ने पैदल मार्ग मरम्मत के आदेश एनएच अधिकारियों को दिए हैं।

गोपेश्वर (चमोली) में पहाड़ के दूरस्थ में गांवों में स्वास्थ्य सुविधा का क्या है, इसकी बानगी मंगलवार को सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक स्थित ह्यूंणा गांव में देखने को मिली। गांव में 55-वर्षीय अषाढ़ी देवी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। ऐसे में ग्रामीणों को उन्हें डंडी (पालकी) पर लादकर चार किमी दूर रोड हेड तक लाना पड़ा। तब जाकर वाहन से अस्पताल पहुंचाया जा सका। ह्यूंणा पहुंचने के लिए बदरीनाथ हाइवे पर पीपलकोटी के निकट पाखी से चार किमी की चढ़ाई पैदल नापनी पड़ती है। ग्रामीण लंबे अर्से से गांव को सड़क से जोडऩे की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल ले जाना स्वयं में बहुत बड़ी चुनौती है।

मंगलवार को यही आषाढ़ी देवी के साथ हुआ। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें रोड हेड पाखी तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को डंडी का सहारा लेना पड़ा। यहां से उन्हें वाहन में पीपलकोटी स्थित स्वामी विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय लाया गया। 

ह्यूणा निवासी राकेश सिंह भंडारी ने बताया कि बरसात के दिनों में बीमार को डंडी पर लाने के कई खतरे हैं। उस पर अगर समय से बीमार को अस्पताल नहीं पहुंचाया गया तो उसकी जान पर भी बन सकती है। लेकिन, ग्रामीणों की इस पीड़ा को समझने के लिए कोई तैयार नहीं है। बताया कि तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर आषाढ़ी देवी को पीपलकोटी से हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है।

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