खाद्यान्न में ८१ करोड रू० का चूना ; जनसंघर्ष मोर्चा
उत्तराखण्ड में खाद्यान्न में ८१ करोड रू० का चूना ;; जनसंघर्ष मोर्चा #माफिया ५,४५,७७६ कु० खाद्यान्न डकारने में सफल हो गये #भाजपा अपने कार्यकाल के साढे पाँच लाख कुन्तल खाद्यान्न घोटाले की भी कराये जाँच #सरकार ने माफियाओं को खुली छूट दी.#.आपूर्ति विभाग को ३५ किग्रा प्रति राषन कार्ड के हिसाब से १,९३,४५६.६२० टन खाद्यान्न का वितरण करना था, जिसके विपरीत आपूर्ति विभाग ने २,४८,०३४.२७४ टन खाद्यान्न का वितरण कर दिया, लेकिन प्रष्न यह है कि आखिर ५४,५७७.६०० मी०टन खाद्यान्न कहाँ चला गया…….. जनसंघर्ष मोर्चा # Top News; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
देहरादून- जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि गरीबों को सस्ता राशन मुहैया कराने के लए पूर्ववर्ती कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने ऐडी चोटी का जोर लगाया जिससे कि गरीबों को दो वक्त की रोटी आसानी से मिल सके, लेकिन सरकार के भ्रश्ट एवं निकम्मे अधिकारियों की वजह से उत्तराखण्ड् प्रदेश में लगभग ३ लाख ७ हजार बी०पी०एल० कार्डधारक को मिलने वाली खाद्यान्न की मात्रा के अलावा, (अतिरिक्त/तदर्थ Additional Allotment) आबंटन गरीबों में बंटने के बजाए खाद्यान्न माफियाओं के पास पहचा गया। आश्चर्यकी बात यह है कि माह फरवरी २०११ से जुलाई २०१२ तक इन १८ महीनों में भी आपूर्ति विभाग कुंभकर्णी नींद में सोये रहे तथा माफिया ५,४५,७७६ कु० खाद्यान्न डकारने में सफल हो गये। अधिकारियों को इस अतिरिक्त खाद्यान्न के कोटे के गेह/चावल को आबंटित /वितरण करते समय समाचार पत्रों, हस्ताक्षर एवं फ्लेक्स के माध्यम से जानकारी दी जानी चाहिए थी, सभी बी०पी०एल० परिवारों को अतिरिक्त खाद्यान्न का वितरण किया जाना है तथा सभी बी०पी०एल० परिवार अपना अतिरिक्त खाद्यान्न ले लें, लेकिन सरकार ने ऐसा न करके माफियाओं को खुली छूट दे दी, जिसका नतीजा ये हुआ कि लाखों कु० खाद्यान्न गरीबों में बंटने के बजाए माफियाओं के पास चला गया तथा इस पूरे प्रकरण/खेल में सरकार को लगभग ८१ करोड रू० का चूना माफियाओं ने लगा दिया। इन १८ महीनों में जहाँ आपूर्ति विभाग को ३५ किग्रा प्रति राषन कार्ड के हिसाब से १,९३,४५६.६२० टन खाद्यान्न का वितरण करना था, जिसके विपरीत आपूर्ति विभाग ने २,४८,०३४.२७४ टन खाद्यान्न का वितरण कर दिया, लेकिन प्रष्न यह है कि आखिर ५४,५७७.६०० मी०टन खाद्यान्न कहाँ चला गया, जबकि बी०पी०एल० परिवारों को प्रत्येक माह ३५ किग्रा ही खाद्यान्न मिला। ०४ महीनों कांग्रेस मुखिया बहुगुणा सरकार ने भी ऑंखों पर पट्टी बाँध रखी है।
हालांकि जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष यह बताने से कतराते रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीष रावत सरकार ने क्यां आंखो पर पटटी खोल कर रखीः
आश्चर्यकी बात यह है कि माह फरवरी २०११ से जुलाई २०१२ तक इन १८ महीनों में भी आपूर्ति विभाग कुंभकर्णी नींद में सोये रहे तथा माफिया ५,४५,७७६ कु० खाद्यान्न डकारने में सफल हो गये। अधिकारियों को इस अतिरिक्त खाद्यान्न के कोटे के गेह/चावल को आबंटित /वितरण करते समय समाचार पत्रों, हस्ताक्षर एवं फ्लेक्स के माध्यम से जानकारी दी जानी चाहिए थी, सभी बी०पी०एल० परिवारों को अतिरिक्त खाद्यान्न का वितरण किया जाना है तथा सभी बी०पी०एल० परिवार अपना अतिरिक्त खाद्यान्न ले लें, लेकिन सरकार ने ऐसा न करके माफियाओं को खुली छूट दे दी, जिसका नतीजा ये हुआ कि लाखों कु० खाद्यान्न गरीबों में बंटने के बजाए माफियाओं के पास चला गया तथा इस पूरे प्रकरण/खेल में सरकार को लगभग ८१ करोड रू० का चूना माफियाओं ने लगा दिया। इन १८ महीनों में जहाँ आपूर्ति विभाग को ३५ किग्रा प्रति राषन कार्ड के हिसाब से १,९३,४५६.६२० टन खाद्यान्न का वितरण करना था, जिसके विपरीत आपूर्ति विभाग ने २,४८,०३४.२७४ टन खाद्यान्न का वितरण कर दिया, लेकिन प्रष्न यह है कि आखिर ५४,५७७.६०० मी०टन खाद्यान्न कहाँ चला गया, जबकि बी०पी०एल० परिवारों को प्रत्येक माह ३५ किग्रा ही खाद्यान्न मिला। ०४ महीनों कांग्रेस मुखिया बहुगुणा सरकार ने भी ऑंखों पर पट्टी बाँध रखी है।
नेगी ने कहा कि खाद्यान्न घोटाले में जनपद अल्मोडा पहले स्थान पर है जिसमें ६९,५१९ कु० खाद्यान्न का घोटाला हुआ तथा दूसरे स्थान पर उद्यमसिंहनगर जिसमें ५८,९५० कु०, जनपद देहरादून में ५६,६०८ कु०, टिहरी ४५,३२० कु० पिथौरागढ ४४,९२७ कु०, नैनीताल ४४,४०६ कु०, पौडी गढवाल ४३,३३५ कु०, चमोली ३९,५९६ कु०, चम्पावत ३६,६४१ कु०, उत्तरकाषी ३२,३५६ कु०, हरिद्वार २६,२३१ कु०, बागेष्वर २५,९७३ कु० तथा जनपद रूद्रप्रयाग में २१,९४५ कु० खाद्यान्न का घोटाला कर तेरहवें स्थान पर रहा।
इस पूरे खेल में ७६,४०,८७,१५६.०० रू० का खाद्यान्न, (बाजारू-बी०पी०एल० कोटे का भाव घटा कर आया अन्तर मूल्य) ९८,२३,९२७ रू० लाभाषं, १,०३,१५,५५०.०० रू० का भाडा एवं लगभग २,७२,८८,८२५.०० रू० के खाली बोरे के रूप में खप गये।
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