उत्तराखण्ड में सोशल मीडिया 2 बडे नेताओ के पदो की बलि ले गया; सोशल मीडिया बेहद ताक़तवर और सशक्त माध्यम;बडे अखबारो ,चैनलो को भी सोशल मीडिया का सहारा

उत्तराखण्ड में सोशल मीडिया 2 बडे नेताओ के पदो की बलि ले गया# सोशल मीडिया की खबरो ने फसा दिया, न घर के रहे न घाट के, सरकार और बीजेपी से बर्खास्त हो गए # किशोर उपाध्याय भी सोशल मीडिया की खबरो से पैदल हो गये, पार्टी से बाहर होने तक के आसार बन गये # फस गए बर्खास्त मंत्री हरक सिंह रॉवत- जबकि बीजेपी छोड़ने का कोई इरादा नही था, अमित शाह से मिलने गए थे — हिमालयायूके न्यूस्पोर्टल : बकौल हरक सिंह रॉवत सोशल मीडिया के गलत समाचार के आधार पर बीजेपी ने मेरे बारे में ऐसा फैसला ले लिया; उसी तरह किशोर उपाध्याय जब बीजेपी नेता के घर से सांय को मुलाकात करके निकले तो सोशल मीडिया में समाचार वायरल हो गया कि किशोर उपाध्याय बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, जिससे कांग्रेस आलाकमान ने उनकी समस्त पदो से छुटटी कर दी

–ChaandraShekhar Joshi Group Editor; उत्तराखण्ड के प्रथम न्यूज पोर्टल – हिमालयायूके – 2005 से निरंतर – एवं समाचार प्रेषण, बल्क ब्राडकास्ट हेतु एकमात्र लाइसेंस प्राप्त ; Licence by TRAI – अधिक़त एवं विश्वसनीय खबरो, आलेखो के लिए हिमालयायूके न्यूजपोर्टल एवं FB Page; Himalaya Gaurav Uttrakhand — सोशल मीडिया में दमदार उपस्थिति- Mob. 9412932030

सोशल मीडिया नेताओं के लिए आम जनता और कार्यकर्ताओं तक अपनी बात पहुंचाने का बेहद ताक़तवर माध्यम बन चुका है। उसी तरह आम आदमी के लिए अपनी बात सरकार या लोगों तक पहुंचाने में भी इसका अहम रोल है। इसकी अहमियत को देखते हुए ही सरकार और राजनीतिक दल सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी मौजूदगी को बढ़ा रहे हैं; चन्द्रशेखर जोशी मुख्य सम्पादक हिमालयायूके न्यूजपोर्टल एवं दैनिक समाचार पत्र- हरिद्वार एवं देहरादून से प्रकाशित

बकौल हरक सिंह रॉवत- मुझे खुद नही मालूम हैं, कल मुझे प्रहलाद जोशी का फोन आया कि दिल्ली आ जाओ, हम दिल्ली में चाय पी रहे थे, सोशल मीडिया में समाचार चल रहा था कि हरक सिंह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, तो हम हसी मजाक कर रहे थे कि क्या फर्जी समाचार चल रहा है, अचानक समाचार आया कि हमे निकाल दिया, मैं खुद हतप्रभ रह गया कि ऐसे कैसे हो गया, सोशल मीडिया के गलत समाचार के आधार पर बीजेपी ने मेरे बारे में ऐसा फैसला ले लिया;

उसी तरह किशोर उपाध्याय जब बीजेपी नेता के घर से सांय को मुलाकात करके निकले तो सोशल मीडिया में समाचार वायरल हो गया कि किशोर उपाध्याय बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, जिससे कांग्रेस आलाकमान ने उनकी समस्त पदो से छुटटी कर दी- कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया। पार्टी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की ओर से इस संबंध में उन्हें पत्र जारी किया गया । कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यमंत्री रहे किशोर उपाध्याय पर आरोप लगाया गया कि वह लगातार दी जा रही चेतावनी के बाद भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है। 

इसके बाद  कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने शीर्ष नेताओं को अपनी सफाई दी

इसके बाद  कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने शीर्ष नेताओं को अपनी सफाई दी है।किशोर ने मार्मिक अंदाज में कांग्रेस के साथ अपने 44 साल के रिश्तों का उल्लेख किया है। साथ ही कहा कि भाजपा व अन्य दलों के नेताओं के साथ के उनकी मुलाकात केवल वनाधिकार आंदोलन के तहत एक राय बनाने तक ही सीमित थी। वो कांग्रेस के समर्पित सिपाही हैं और आगे भी रहेंगे। हाईकमान के साथ साथ किशोर ने सीनियर ऑर्ब्जवर मोहन प्रकाश को भी अपने मन की बात लिखकर भेजी है। मोहन  प्रकाश ने इसकी पुष्टि की। वहीं किशोर ने कहा कि भाजपा नेताओं ने उन्हें वनाधिकार आंदोलन पर चर्चा के लिए बुलाया था।  मैं शुरू से सभी दलों से इस मुद्दे पर मिलता रहा हूं। अब सवाल तो प्रह्लाद जोशी से पूछा जाना चाहिए कि क्या किशोर उपाध्याय ने उनसे टिकट मांगा था? 

सोशल मीडिया ;; नकली समाचार, फर्जी वीडियो अन्य ट्रोलों के साथ आज यह जानना मुश्किल हो गया है कि किस पर, कितना तथा कहाँ तक भरोसा करना चाहिए।

सोशल मीडिया यानि इंटरनेट के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक रूप से अपने विचारों, भावनाओं और जीवन के हिस्सों को दूसरों के साथ साझा करने की अनुमति देने वाला एक सामूहिक मंच है। लेकिन पिछले कुछ दिनों की घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि यह सामूहिक मंच अब बेहद खतरनाक और अमानवीय बनता जा रहा है। नकली समाचार, फर्जी वीडियो अन्य ट्रोलों के साथ आज यह जानना मुश्किल हो गया है कि किस पर, कितना तथा कहाँ तक भरोसा करना चाहिए।

भारत की सवा अरब जनसंख्या में लगभग 70 करोड़ लोगों के पास फ़ोन हैं. इनमें से 25 करोड़ लोगों की जेब में स्मार्टफ़ोन हैं. 15.5 करोड़ लोग हर महीने फ़ेसबुक आते हैं और 16 करोड़ लोग हर महीने व्हाट्सऐप पर रहते हैं. इन आंकड़ों को देखें तो ये समझना मुश्किल नहीं कि राजनातिक पार्टियां ऑनलाइन कैंपेन या कहें सोशल मीडिया के इस्तेमाल को तवज्जो क्यों दे रहीं हैं. कभी-कभी किसी बड़े मुद्दे को छोटा बनाने के लिए भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है. कभी-कभी तो मीडिया में लग रहे आरोपों के उत्तर भी ट्रोलिंग के ज़रिए दिए जाते हैं.

राजनेता भी अफ़वाहों के प्रचार में सोशल मीडिया की भूमिका से इनकार नहीं करते. हालांकि वो मानते हैं कि ये अपने आप में दोधारी तलवार है.

वही उत्तराखण्ड में घटी हालिया घटना-

उत्तराखंड सरकार के शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रॉवत को सोशल मीडिया की खबरो ने फसा दिया, न घर के रहे न घाट के, सरकार और बीजेपी से बर्खास्त हो गए, और कांग्रेस में शामिल होने के लिये मिमियाना पड़ रहा है, जिसकी छोटी सी नाराजगी पर मुख्यमंत्री औऱ संगठन मिमियाने लगता था, आज वह शक्तिशाली इंसान मिमिया रहा है,

हरीश रावत ने कहा है कि हरक सिंह रावत लोकतंत्र के हत्यारे हैं। जो एक चलती हुई सरकार को गिरा कर 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे। आज जब भाजपा में उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स नहीं चल रही है तो वह कांग्रेस में आना चाहते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के भाजपा से 6 साल के लिए बर्खास्त होने के बाद देहरादून से लेकर दिल्ली तक यही चर्चा है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। लेकिन हरक सिंह रावत की कांग्रेस में शामिल होने की राह इतनी आसान नजर नहीं आती।वही सूत्र बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीधे तौर पर कांग्रेस आलाकमान को कह दिया है कि हरक सिंह रावत को पार्टी में शामिल कराना कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ना जैसा होगा।

हरीश रावत ने कहा है कि हरक सिंह रावत लोकतंत्र के हत्यारे हैं। जो एक चलती हुई सरकार को गिरा कर 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे। आज जब भाजपा में उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स नहीं चल रही है तो वह कांग्रेस में आना चाहते हैं। हरीश रावत ने सीधे शब्दों में कांग्रेस आलाकमान से कहा है कि अगर हरक सिंह रावत को कांग्रेस में लिया जाता है तो पार्टी को इसका प्रदेश और देश के कई राज्यों में नुकसान होगा। ऐसे में हरीश रावत के नाराज रहने के चलते हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री इतनी आसान नहीं है।

वही अपने को समय के जाल में फंसा हुआ हरक देख रहे है, तभी रोते रोते कह रहे है

*मैं अमित साहब से मिलना चाहता था, वह कह रहे थे कि दो टिकट मांग रहे हैं पहले क्या इस तरह से टिकट नहीं दिए गए हैं, पार्टी ने अपनी गलती छुपाने के लिए यह सब किया”

दरअसल, सितारों का जाल उसी समय बुन गया जब 16 जनवरी 22 को हरक सिंह नई देल्ही की ओर चले तो उत्तराखंड में यह हवा फैल गई कि हरक सिंह कांग्रेस में शामिल होने जा रहे है, जबकि हरक बीजेपी के राष्ट्रीय नेता अमित शाह से मिलकर अपना पक्ष रखना चाहते थे, बस यही चूक हो गई, आनन फानन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी उत्तराखंड संगठन सक्रिय हुआ और सीएम धामी ने रावत को पार्टी से निष्कासित किए जाने की सिफारिश रात को 10,30 बजे राज्यपाल को भेज दी , और उसी समय राज्यपाल ने आदेश जारी कर दिया, और बीजेपी संगठन ने भी तुरन्त कार्यवाही कर 6 साल के लिये पार्टी से निकाल दिया,

जब हरक सिंह को यह पता चला, तब तक सारी कार्यवाही पूर्ण हो चुकी थी और सोशल मीडिया में वायरल हो चुकी थी, इस तरह फंस गए हरक सिंह समय के जाल में

सोशल मीडिया में लगातार ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित हो रही थी जिससे हरक सिंह को नुकसान हो सकता था, परन्तु हरक सिंह ने सोशल मीडिया की रिपोर्टो को गंभीरता से नही लिया- सोशल मीडिया में लगातार प्रकाशित पोर्टो के अनुसार बीजेपी से 3 टिकट का प्रेशर बना रहे थे मंत्री हरक, पार्टी ने निकाला: पिछले कुछ हफ्तों से लगातार दे रहे थे इस्तीफे की धमकी

हरक सिंह रावत लगातार बीजेपी को ब्लैकमेल करते हुए पार्टी को दबाव में लेकर अपनी मांगे मनवाते रहे हैं. इस बार पार्टी उनके आगे नहीं झुकी और कार्रवाई कर बाहर का रास्ता दिखा दिया. बीजेपी ने अपने मंत्री हरक सिंह रावत पर बड़ी कार्रवाई की है. उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया है. दरअसल हरक सिंह रावत पार्टी पर तीन टिकट देने का दबाव बना रहे थे.

वह पार्टी से खुद के अतिरिक्त अपनी पुत्रवधू और अपनी एक समर्थक को टिकट देने की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी हरक सिंह रावत के आगे नहीं झुकी और उलटा उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर पार्टी से भी छह साल के लिए निलंबित कर दिया है.हरक सिंह रावत लगातार बीजेपी को ब्लैकमेल कर रहे थे इससे पहले भी वह पार्टी को दबाव में लेकर अपनी मांगे मनवाते रहे हैं. इस बार पार्टी उनके आगे नहीं झुकी और कारवाई कर बाहर का रास्ता दिखा दिया, इससे पहले भी दिसंबर महीने में हरक सिंह रावत कैबिनेट से उठकर कर चले गए थे और इस्तीफ़े की धमकी दी थी.

तब राज्य सरकार ने उनकी मांग मानते हुए कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज को मंज़ूरी दे दी थी लेकिन इस बार हरक सिंह रावत की मांग और ज़्यादा बढ़ गयी वे विधानसभा चुनावों में खुद के सहित कुल तीन टिकट मांग रहे थे. लेकिन पार्टी ने मांगे मानने की बजाय उन्हें पहले मंत्रीमंडल से बर्खास्त किया और फिर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छः साल के लिए निलंबित कर दिया.

हरक सिंह रावत सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, हरक सिंह रावत पांच साल पहले कांग्रेस से बाग़ी होकर बीजेपी में आए थे, वैसे हरक सिंह रावत का राजनीतिक दल बदलने का इतिहास काफ़ी पुराना है.

गौरतलब है कि हरक सिंह रावत ने मंत्री पद से या बीजेपी से इस्तीफ़ा नहीं दिया था केवल नाराज़गी जाहिर की थी, और वह कैबिनेट की बैठक से स्वास्थ्य मंत्री से अपनी विधानसभा कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बहस के बाद कैबिनेट की बैठक बीच में ही छोड़ कर चले गए थे.

राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ से बातचीत कर मसले को हल करने के आश्वासन के बाद मुख्यमंत्री और प्रदेश नेतृत्व से बातचीत कर हरक सिंह रावत को मना लिया गया था. दरअसल केंद्र सरकार की योजना है कि हर ज़िले में एक मेडिकल कॉलेज खोला जाए.

इस योजना के तहत त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय हरक सिंह को आश्वासन दिया गया था कि उनकी विधानसभा में एक मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा. लेकिन पहले दिक़्क़त ये आ रही थी कि एक ज़िले में एक ही मेडिकल कॉलेज खोला जा सकता है और पौढी ज़िले में एक मेडिकल कॉलेज पहले से था ऐसे में कोटद्वार में दूसरा मेडिकल कॉलेज खोलने पर राज्य सरकार को दिक़्क़त होती.

चंद्रशेखर जोशी की रिपोर्ट ;”हिमालयायूके न्यूस्पोर्टलLogon www.himalayauk.org (Leading Newsportal) Mob 9412932030

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