उत्तराखण्ड के कर्णधारो को नीति आयोग का सुझाव- हिमाचल प्रदेश के एकाकी क्षेत्रों से पलायन नही; विस्तृत अध्ययन करने का सुझाव
देहरादून 19 दिसम्बर, 2019(सू.ब्यूरो/ Himalayauk Bureau) # नीति आयोग के सदस्य मा0 सदस्य द्वारा हिमाचल प्रदेश के जिन एकाकी क्षेत्रों से पलायन नही हुआ है इसका विस्तृत अध्ययन करने का सुझाव दिया ताकि वहां के अनुभवों का समावेश उत्तराखण्ड में पलायन रोकने की भावी रणनीति में किया जा सके
गुरूवार को सचिवालय स्थित वीर चंद सिंह गढ़वाली सभागार में नीति आयोग के सदस्य श्री रमेश चंद तथा कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल की उपस्थिति में प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की समस्या पर चिन्तन विषयक बैठक सम्पन्न हुई।
सदस्य नीति आयोग श्री रमेश चंद द्वारा उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से पलायन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए विशेषकर अभाव के कारण हो रहे पलायन को रोकने के लिए कारगर रणनीति बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सीमान्त क्षेत्र में जनसंख्या निर्वात ( Demographic vacuum) नहीं होना चाहिये क्योंकि ये आबाद गांव सच्चे ‘‘सीमा प्रहरी’’ का कार्य करते हैं। राज्य में कृषि के प्रति घटते रूझान पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने सुझाव दिया गया कि ‘‘लैण्ड लीजिंग’’ कानून में परिवर्तन करके कान्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना होगा ताकि परती जमीन का उपयोग हो सके। पर्वतीय क्षेत्रों में सेटेलाइट सिटीज को विकसित करने का सुझाव भी दिया गया। उन्होंने समान परिस्थिति के पड़ोसी हिमाचल राज्य की रणनीति का भी अनुभव शामिल करने का अधिकारियों को सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन होना चिन्ता का विषय है। पलायन से गांव में रह रहे अन्य लोगों में भी असुरक्षा का वातावरण होता है जिससे गांव के अस्तित्व को भी खतरा हो जाता है।
कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विकास के साथ साथ पलायन सभी राज्यों में हुआ है, परन्तु उत्तराखण्ड सीमान्त क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण यहां गांव खाली होना चिन्ता की बात है। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की 90 प्रतिशत कृषि वर्षा पर निर्भर है तथा भौगोलिक परिस्थिति के कारण यहां विभिन्न योजनाओं में संचालित अवस्थापना निर्माण कार्यों में लागत अधिक आती है। उन्होंने कहा कि पलायन यहां की गंभीर समस्या है, इसीलिए भारत सरकार से हिमालयी राज्यों हेतु पृथक नीति बनाने का आग्रह किया गया तथा आपदा के मानकों को भौगोलिक स्थिति के अनुरूप सुसंगत करने का अनुरोध किया गया।
बैठक के प्रारम्भ में प्रभारी मुख्य सचिव/अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य का लगभग 70 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र है तथा कृषि जोत छोटी एवं वर्षा पर आधारित है, तथा मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा कृषि भूमि की उत्पादकता कम है। उन्होंने सदस्य नीति आयोग का ध्यान आकृष्ट करते हुए गांव के आस-पास छोटे कस्बों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली धनराशि यहां के भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप कम है। उन्होंने गांववासी के कस्बों की ओर रूझान देखते हुए वहां पर्यटन, लघु उद्योगों तथा स्थानीय उत्पादों के व्यवसाय को प्रोत्साहित करने हेतु अधिक से अधिक सहायता की अपेक्षा की, तथा स्थानीय उत्पादों को मूल्यवर्धित रूप देने हेतु तकनीकि एवं ब्रांडिंग के सहयोग हेतु केन्द्रीय सहायता बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों में वैलनेस सेन्टर स्थापना की भी योजना है। उन्होंने वन औषधि पौध विकास एवं वैलनेस सेन्टर स्थापना गतिविधियों को प्रोत्साहन देने हेतु केन्द्र से सहयोग का अनुरोध किया। अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश ने राज्य की स्थिति का चित्रण करते हुए अवगत कराया कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के समेकन से ही पलायन की समस्या का निराकरण किया जा सकता है।
बैठक में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष श्री एस.एस.नेगी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन की प्रकृति, परिमाण तथा अन्य पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये। सचिव, नियोजन श्री अमित नेगी द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए राज्य के महत्वपूर्ण आकड़े प्रस्तुत किये गये। अपर मुख्य सचिव द्वारा संक्षेप में राज्य की स्थिति का चित्रण करते हुए अवगत कराया कि सभी कार्यक्रमों/क्रियाकलापों के समेकन से ही पलायन की समस्या का सम्यक् निराकरण हो सकेगा।
सचिव, कृषि, पशुपालन, डेयरी एवं शिक्षा श्री आर.मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव, शहरी विकास श्री शैलेश बगोली, प्रभारी सचिव, कौशल विकास श्री रणजीत सिन्हा, सचिव पेयजल श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिव, सिंचाई श्री भूपेन्द्र कौर औलख, प्रभारी सचिव, स्वास्थ श्री पंकज पाण्डेय, प्रमुख वन संरक्षक श्री जयराज, निदेशक, उद्योग श्री सुधीर नौटियाल द्वारा पलायन को रोकने के लिये अपने विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों तथा भावी रणनीतियों आदि विषयों पर विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया गया तथा नीति आयोग से यथासम्भव सहयोग का अनुरोध किया गया ताकि प्रदेश में संचालित योजनाओं के माध्यम से पलायन रोकने के लिये कार्यक्रम संचालित किये जा सकें।
विभागवार/सेक्टरवार विस्तृत विचार-विमर्श के उपरान्त मा0 सदस्य, नीति आयोग द्वारा
स्पष्ट किया गया कि जिन सेक्टरों में राज्य सरकार के पास कार्य पूर्ण करने हेतु
क्षमता नही है और केन्द्र सरकार से सहयोग (hand holding) अपेक्षित है, वहाँ नॉलेज हब के तौर पर केन्द्र सरकार
समुचित सहयोग उपलब्ध करा सकती है। पलायन जैसी विकट समस्या का निराकरण छुट-पुट रूप
में नही अपितु एक वृहद योजना बनाकर किया जाना समीचीन होगा।
अन्त में मा0
सदस्य द्वारा हिमाचल
प्रदेश के जिन एकाकी क्षेत्रों से पलायन नही हुआ है इसका विस्तृत अध्ययन करने का
सुझाव दिया ताकि वहां के अनुभवों का समावेश उत्तराखण्ड में पलायन रोकने की भावी
रणनीति में किया जा सके। राज्य के विभिन्न विभागों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण
बिन्दुओं को संकलित करके नीति आयोग को उपलब्ध कराने की अपेक्षा अपर मुख्य सचिव
महोदय से की गयी ताकि उन पर नीति आयोग द्वारा कार्यवाही की जा सके।
बैठक में नीति आयोग
के सलाहकार श्री जितेन्द्र कुमार तथा संयुक्त सलाहकार श्री मानस चौधरी ने भी
प्रतिभाग किया। बैठक का संचालन अपर सचिव ग्राम्य विकास श्री योगेन्द्र यादव द्वारा
किया गया।