नीतीश का बडा एलान- बीजेपी सन्न & प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों को फूल भेंट किए

High Light# Himalayauk Bureau # प्रदर्शनकारियों ने जामा मसजिद के बाहर पुलिस अधिकारियों को फूल भेंट किए # इस क़ानून को लेकर एनडीए में ही विरोध  # असम गण परिषद का कहना है कि इस क़ानून के कारण बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत की नागरिकता मिलने से असम बर्बाद हो जाएगा # बीजेपी के एक अन्य सहयोगी दल इंडीजीनस पीपल फ़्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) ने भी क़ानून के विरोध में आवाज़ बुलंद # ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन, स्थानीय कलाकार, लेखक, बुद्धिजीवी वर्ग और विपक्षी दलों के लोग भी इस क़ानून को लेकर अपना विरोध # असम –सत्ताधारी दल बीजेपी के विधायकों को लोगों को जवाब देना मुश्किल #www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Print Media) Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030##

Anti-CAA protest #

Anti-CAA protest In wake of violent protests against CAA and NRC in parts of Gujarat, the state government on Friday authorised additional DGP (Intelligence) to suspend mobile based internet services in case of any exigency from December 20 to 22.#

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार प्रदर्शनों की गवाह रही दिल्ली में शुक्रवार को भी जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। जामा मसजिद के बाहर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया। आज़ाद को दिल्ली पुलिस ने जामा मसजिद से जंतर-मंतर तक मार्च निकालने की अनुमति देने से मना कर दिया था। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने चंद्रशेखर को हिरासत में लेने की कोशिश की लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें वहां से बाहर निकाल दिया। जामा मसजिद के बाहर जुटे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे जंतर-मंतर तक जाना चाहते हैं लेकिन पुलिस ने उन्हें दिल्ली गेट पर रोक दिया है। पुलिस पूरी तरह अलर्ट है और ड्रोन की सहायता से चप्पे-चप्पे पर नज़र रख रही है। 

Anti-CAA protesters resorted to arson near Old Delhi as a car was set on fire. Security personnel were pelted with stones near Delhi Gate even as police used water cannons to disperse the swelling crowd

कर्नाटक मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका इस संबंध में दायर की गईं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कहा, ‘क्या आप सभी विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाएंगे. आप नियमों को पालन करते हुए पूर्व में दी गई अनुमति को कैसे रद्द कर सकते हैं.’ जस्टिस ओका ने आगे कहा, ‘क्या राज्य इस धारणा के आधार पर निर्णय ले सकता है कि हर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाएगा? क्या कोई लेखक या कलाकार शांतिपूर्ण विरोध नहीं कर सकता है, यदि वह सरकार के किसी निर्णय से असहमत है.

अंग्रेजी अख़बार ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के मुताबिक़, इन विधायकों का नेतृत्व करने वाले पदम हज़ारिका ने कहा, ‘हमने मुख्यमंत्री से अपील की है कि असम के लोगों की सुरक्षा के लिए उनके पास क्या योजना है, वह इसे लेकर स्पष्टता के साथ आगे आएँ।’  हज़ारिका ने आगे कहा, ‘बीजेपी और इसके कार्यकर्ताओं में अविश्वास का माहौल है और कुछ मंत्रियों के द्वारा दिये गये बयानों के कारण बीजेपी के विधायकों के ख़िलाफ़ लोगों का ग़ुस्सा बढ़ गया है। हालाँकि उन्होंने इन मंत्रियों के नाम लेने से मना कर दिया।’

बीजेपी के एक और विधायक जिनका नाम प्रसांता फुकन है, उन्होंने कहा, ‘असम के लोग डरे हुए हैं और इसलिए बीजेपी विधायक भी डरे हुए हैं। पिछले 8 दिनों से जब से प्रदर्शन शुरू हुए हैं, हम अपने घर से बाहर नहीं निकल सके हैं।’ प्रसांता के घर पर भी हमला हो चुका है।  

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरर्पोरेशन ने कहा है कि 9 मेट्रो स्टेशनों – चावड़ी बाज़ार, लाल क़िला और जामा मसजिद को एहतियातन बंद कर दिया गया है। इसके अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जाफ़राबाद और मौजपुर-बाबरपुर स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया है। जौहरी एन्क्लेव, शिव विहार, दिलशाद गार्डन, मंडी हाउस, जनपथ, राजीव चौक, प्रगति मैदान और ख़ान मार्केट मेट्रो स्टेशन को भी बंद कर दिया गया है। 

नागरिकता क़ानून को लेकर चल रहे तनाव के बीच एक बेहद ख़ूबसूरत तसवीर सामने आई है। तसवीर में दिख रहा है कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने जामा मसजिद के बाहर पुलिस अधिकारियों को फूल भेंट किए हैं। 

बिहार में नहीं लागू होगा एनआरसी: नीतीश कुमार 

 ‘Bilkul laagu nahin hoga’: CM Nitish Kumar on NRC in Bihar ; In a terse reply to queries from journalists who had sought his response on the proposed country-wide implementation of NRC, Kumar said, “Kaahe ka NRC? Bilkul laagu nahin hoga,” (NRC, what for? Will not at all be implemented).

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर तमाम मुश्किलों का सामना कर रही मोदी सरकार को एक और झटका एनडीए के सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) जेडीयू से लगा है। जेडीयू के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) को लागू नहीं किया जाएगा। नीतीश के इस एलान के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि मोदी सरकार देश भर में एनआरसी को लागू करेगी। नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर बीते कुछ दिनों से जेडी (यू) के अंदर खलबली है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के हालिया बयानों से नीतीश कुमार ख़ासे बेचैन हैं। प्रशांत किशोर ने कुछ दिन पहले नीतीश कुमार से मुलाक़ात की थी और ख़बरों के मुताबिक़ उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा देने की पेशकश की थी लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें इस्तीफ़ा देने से मना किया था।

दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने कहा है कि लोग पुलिस का सहयोग कर रहे हैं और शांति चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस भी इसी दिशा में काम कर रही है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस सीलमपुर इलाक़े में फ़्लैग मार्च कर रही है। एडिशनल डीसीपी नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली आरपी मीणा और अन्य पुलिस अधिकारी भी उनके साथ हैं। गुरुवार को लाल क़िले के आस-पास धारा 144 लागू होने के बाद भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे थे और उन्होंने क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव को और अन्य कई लोगों को हिरासत में ले लिया। इसके अलावा मंडी हाउस पर भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे थे।

गृह मंत्री अमित शाह के घर के पास विरोध प्रदर्शन कर रहीं दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। 

गुरुवार को इस क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन के चलते 18 मेट्रो स्टेशनों को कई घंटों के लिए बंद करना पड़ा था। शाम को 5 बजे इन स्टेशनों को खोला गया था। इसके अलावा सरकार के आदेश पर दिल्ली के कई इलाक़ों में कुछ देर के लिए इंटरनेट को भी बैन करना पड़ा था और कॉलिंग और मैसेज करने की सेवा को भी बंद किया गया था। इस कारण उपभोक्ताओं को परेशानी से जूझना पड़ा। थोड़ी देर बाद इन सेवाओं को बहाल कर दिया गया था। 

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर गुरुवार को उत्तर प्रदेश में हुए जोरदार प्रदर्शनों के बाद शुक्रवार को एक बार फिर कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। बुलंदशहर में हुए हिंसक प्रदर्शन में उपद्रवियों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी है। उपद्रवियों ने पुलिस की एक जीप में भी आग लगा दी है। इसके अलावा फिरोजाबाद में पथराव हुआ है। 

 मुर्शिदाबाद पुलिस ने बताया कि राधामाधबतला गांव के कुछ लोगों ने सियालदाह-लालगोला लाइन पर जा रहे एक रेल इंजन पर लुंगी-टोपी पहने कुछ लड़कों को पत्थर फेंकते देखा और पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. इनमें एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता भी शामिल है.

गोरखपुर में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया है। इसके अलावा बहराइच में भी प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके हैं। फिरोज़ाबाद, हापुड़, एटा, कानपुर में भी पत्थरबाज़ी होने की ख़बर है। मेरठ, ग़ाज़ियाबाद, वाराणसी, मुज़फ्फरनगर, बिजनौर, जौनपुर में इस क़ानून के ख़िलाफ़ लोगों ने प्रदर्शन किया है। 

गुरुवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों को लेकर पुलिस ने सख़्त कार्रवाई की है। संभल में हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने सपा के सांसद शफीक़ुर रहमान बर्क़ और फिरोज़ ख़ान सहित 17 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है। संभल में उपद्रवियों ने रोडवेज की एक बस को फूंक दिया था और जमकर हंगामा किया था। इसके अलावा 250 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ भी मुक़दमा दर्ज किया गया है।

लखनऊ में भी इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान उपद्रवियों ने ख़ासा हंगामा किया था। लखनऊ में पुलिस ने 150 लोगों को गिरफ़्तार किया है और 19 एफ़आईआर दर्ज की हैं। उपद्रवियों ने 20 मोटरसाइकिलों, 10 कारों, 3 बसों को आग के हवाले कर दिया था। इसके अलावा 4 मीडिया ओबी वैन में भी आग लगा दी थी। लखनऊ के डालीगंज इलाक़े में लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किया था। उपद्रवियों ने ठाकुरगंज में पथराव किया था और सतखंडा पुलिस चौकी में जमकर बवाल काटा था। 

गुरुवार को हालात बिगड़ने के बाद उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। इनमें ग़ाज़ियाबाद, लखनऊ, संभल, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, बरेली, आगरा, पीलीभीत, प्रयागराज, मऊ, आजमगढ़, फ़िरोज़ाबाद, हमीरपुर और अन्य जिले शामिल हैं। 

उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद सख़्त रुख अपनाया था। गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की बैठक बुलाई थी।बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदर्शन के नाम पर कोई भी हिंसा में शामिल नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करेगी और जो भी लोग दोषी पाये जाएँगे, उनकी प्रॉपर्टी को जब्त कर इससे हिंसा में हुई क्षति की भरपाई की जाएगी।

लखनऊ के हज़रतगंज में भी प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया था और पुलिस को उन्हें हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा था। इसके अलावा प्रदर्शनकार‍ियों ने हसनगंज पुल‍िस चौकी में तोड़फोड़ की थी और वहां खड़ी कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था। 

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते गुरुवार को गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया. (फोटो: एपी/पीटीआई)

इससे पहले मऊ और आज़मगढ़ में भी इस क़ानून का जोरदार विरोध हुआ था। आजमगढ़ में कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सरकार इस क़ानून के विरोध में अराजक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों पर पूरी नज़र रखे हुए है। 

सरकार कह चुकी है कि पूरे देश भर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी को लागू किया जाएगा। असम में इसे लागू किया जा चुका है। असम में ख़ुद को नागरिक साबित करने में लोगों को काफ़ी दिक्कतें सामने आईं और क़रीब 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हो गए हैं। ऐसे में एनआरसी को पूरे देश में लागू किए जाने से लोगों में कई आशंकाएँ और सवाल भी हैं। क्या दस्तावेज़ देने होंगे? क्या जो प्रक्रिया असम में अपनाई गई वही पूरे देश में लागू होगी? फ़िलहाल सरकार ने औपचारिक तौर पर तो दस्तावेज़ों की सूची नहीं जारी की, लेकिन एक सफ़ाई ज़रूर जारी की है। लेकिन पहले पढ़िए, असम में क्या प्रक्रिया अपनाई गई।  असम में नागरिकता रजिस्टर में नाम दर्ज कराने के लिए सिर्फ़ एक ही डॉक्यूमेंट की ज़रूरत बताई गई थी। लेकिन इसके लिए दो सूची बनाई गई थी। सूची ‘अ’ और सूची ‘ब’। सूची ‘अ’ में 14 दस्तावेज़ों के नाम थे जिसमें से किसी एक दस्तावेज़ ख़ुद के नाम से होना चाहिए। यदि इसमें ख़ुद के नाम से कोई दस्तावेज़ नहीं होकर और माता, पिता, दादा, दादी जैसे अपने पूर्वजों के नाम से दस्तावेज़ था तो सूची ‘ब’ में ज़िक्र किए गए 8 में से कोई एक दस्तावेज़ भी ख़ुद के नाम से होना ज़रूरी था। बता दें कि असम में नागरिकता सिद्ध करने के लिए असम समझौता के अनुसार, 24 मार्च 1971 (आधी रात) की कट ऑफ़ डेट तय की गई थी। सरकार ने देश भर में एनआरसी लागू करने के बारे में सफ़ाई जारी की है। हालाँकि यह सफ़ाई भी सूत्रों के हवाले से ही आई है। इसमें सरकार का दावा है कि जन्म की तारीफ़ और जन्मस्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज़ जमा कर नागरिकता साबित की जा सकती है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अभी तक ऐसे स्वीकार्य दस्तावेज़ों को लेकर निर्णय होना बाक़ी है। इसमें कहा गया है कि वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार, लाइसेंस, बीमा के पेपर, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, ज़मीन या घर के कागजात या फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी इसी प्रकार के अन्य दस्तावेज़ों के शामिल किए जाने की संभावना है। इसमें दावा किया गया है कि असम की तरह कट ऑफ़ डेट 24 मार्च 1971 नहीं होगी। हालाँकि ये भी जानकारियाँ सूत्रों के हवाले से ही आई हैं और औपचारिक तौर पर नहीं। अभी काफ़ी कुछ तय किया जाना बाक़ी है। 

सूची ‘अ’ ; 1951 एनआरसी  24 मार्च 1971 (आधी रात) तक निर्वाचन सूची में नाम ज़मीन और काश्तकारी रिकॉर्ड्स  नागरिकता प्रमाण पत्र  स्थायी निवास प्रमाण पत्र  शरणार्थी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र पासपोर्ट  एलआईसी  कोई सरकारी लाइसेंस/प्रमाण पत्र  सरकारी सेवा/नौकरी का प्रमाण पत्र बैंक/पोस्ट ऑफ़िस खाता  जन्म प्रमाण पत्र  बोर्ड/विश्वविद्यालय शैक्षणिक प्रमाण पत्र अदालती रिकॉर्ड/प्रक्रियाँ  ये दस्तावेज़ ख़ुद के नाम से न होकर यदि पूर्वजों के नाम से थे तो सूची ‘ब’ का कोई एक दस्तावेज़ भी ख़ुद के नाम से होना ज़रूरी था।

सूची ‘ब’ ; जन्म प्रमाण पत्र  ज़मीन के काग़जात  बोर्ड/विश्वविद्यालय प्रमाण पत्र  बैंक/एलआईसी/पोस्ट ऑफ़िस रिकॉर्ड्स  सर्कल ऑफ़िसर/जीपी सचिव प्रमाण पत्र (शादीशुदा महिला के लिए)  निर्वाचन सूची में नाम राशन कार्ड  दूसरे कोई भी क़ानूनी तौर पर मान्य दस्तावेज़

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