उत्तराखण्डःभगत द की जरूरत है ; RSS और बीजेपी की टॉप लीडर शिप जानती है कि मुरझाये चेहरो मे खुशी की लहर है

फोकस: #दून पहुंचने पर भगत सिंह कोश्यारी का भव्य स्वागत # शुक्रवार शाम एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग से बाहर आते ही भाजपा कार्यकर्त्ताओं ने पुष्पवर्षा से भगत सिंह कोश्यारी का स्वागत # डोईवाला चौक पर भी भाजपा कार्यकर्त्ताओं ने उनका स्वागत किया। # अब वे उत्तराखंड में रहकर शिक्षा, उद्यान, कृषि आदि के विकास में सक्रिय सहयोग करेंगे#  कई दिग्गज नेताओं ने अभी उनसे दूरी बना रखी है, लेकिन उनके समर्थक उन्हें सक्रिय राजनीति में देखना चाहते हैं। #देहरादून पहुंचने के अगले ही दिन कोश्यारी टपकेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। # 1958 में भी तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने अध्ययन और भ्रमण के नाम पर तत्कालीन राष्ट्रपति को भेज दिया था इस्तीफा, इसी तरह महाराष्ट के राज्यपाल ने कोश्यारी जी ने अध्ययन के नाम पर त्याग पत्र देकर उतराखंड मे डेरा जमाया है, इससे कोश्यारी प्रकरण से पं. जवाहर लाल नेहरू का प्रकरण याद आ जाता है।

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साल 1958 मे नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को एक पत्र भेज कर इत्तला किया कि वह प्रधानमंत्री बने रहने में रूचिकर नहीं हैं, वह घूमना चाहते हैं, वह पढ़ना चाहते हैं इसलिए उनकी इच्छा है कि प्रधानमंत्री पद पर किसी और की तैनाती हो। नेहरू रिटायरमेंट का पूरा विचार बना चुके थे। इतिहासकार रामचंद्र गुहा भी बताते हैं कि नेहरू 1958 में पूरी तरह से राजनीति से अलविदा कहने का विचार बनाकर अपने बाकी बचे जीवन की योजना बना चुके हैं। इंडिया आफ्टर गांधी में भी इस बात की तस्दीक होती है कि नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को पत्र भेजकर इस फैसले से अवगत कराया लेकिन राजेंद्र प्रसाद इस फैसले पर उखड़ गये। राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू से आग्रह किया कि देश को उनकी जरूरत है और उन्हें बना रहना चाहिए।

वही दूसरी और उत्तराखंड में भगत के पधारते ही मुरझाये चेहरो मे खुशी की लहर फैल गई । हाल मे लाठी डंडे खाये बेरोजगार युवक भी आशांवित हो उठे, जबकि भगत द ने साफ कहाँ कि वह र अध्ययन करना चाहते हैं लेकिन सक्रिय राजनीति मे आने के सवाल को वह टाल गए,, इससे पूरा प्रदेश आशांवित हो उठा कि उनका जन नायक उनके साथ है, वैसे भी शक्ति के पुंज कोश्यारी जी हमेशा हर पल सक्रिय रहे, कभी कभी शांत नहीं बैठे। आज उन्ही के कारण बीजेपी वट वृक्ष बन चुकी है, करीब दो दशक से कोश्यारी जी आज भी राज्य की राजनीति में सबसे प्रासंगिक और लोकप्रिय राजनेता है। ऐसे में उनकी अध्ययन के लिए छुट्टी लेने की बात किसी के गले नहीं उतर रही। ऐसे में उनकी रिटायरमेंट की बात नेहरू के रिटायरमेंट की बात के समान मानी जाने लगी है, उन को समूचा उतराखंड समूचा युवा वर्ग, किसान, महिला शक्ति सक्रिय राजनीति मे देखना चाहते है,, बीजेपी की टॉप लीडर शिप भी यह समझ रही है,

वही दूसरी और अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार 17 फरवरी 2023 शुक्रवार को कोश्यारी देहरादून एयरपोर्ट पर पहुंचे थे, लेकिन उनके स्वागत में सरकार के मंत्री व वरिष्ठ नेता नहीं दिखाई दिए।

चंद्रशेखर जोशी संपादक Himalayauk News की एक्सएक्लुसिव रिपोर्ट Mob 9412932030

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