विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी- हिन्दी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा– शोध रिपोर्ट 2023 का खुलासा-अमेरिकी संस्था रैंकिंग एथ्नोलोग

वैश्विक हिन्दी शोध संस्थान देहरादून ने विश्व हिन्दी दिवस 2023 हेतु अपनी शोध रिपोर्ट का 19 वाँ संस्करण – शोध रिपोर्ट 2023 पर जानकारी देते हुए बताया कि अब हिन्दी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है । “हिन्दी, विश्व की सबसे बड़ी भाषा – तथ्य एवं आंकड़े – शोध रिपोर्ट 2023” शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल, महानिदेशक , वैश्विक हिन्दी शोध संस्थान, देहरादून ने बताया कि विश्व में भाषाओं की रैंकिंग एथ्नोलोग नाम की प्रतिष्ठित संस्था करती है । यह अमेरिकी संस्था है । एथ्नोलोग हिन्दी को तीसरे स्थान पर दिखाता है जबकि हिन्दी विश्व में पहले स्थान पर थी और आज भी है, लेकिन उसे निरंतर तीसरे स्थान पर दिखाया जाता रहा है ,किसी भी विद्वान ने इस पर आपत्ति नहीं की । यद्यपि उनके शोध के उपरांत भारत के तथा विश्व के भाषाविद अब हिन्दी को पहले स्थान पर मानने लगे हैं । अभी यह संदेश जनमानस तक पहुँचना  बाकी है इसलिए समाचार पत्रों को इसके प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभानी होगी । इस रिपोर्ट की प्रामाणिकता के संबंध में पूछे जाने पर डॉ नौटियाल ने बताया कि : तथा विश्व के भाषाविद अब हिन्दी को पहले स्थान पर मानने लगे हैं । अभी यह संदेश जनमानस तक पहुँचना बाकी है इसलिए समाचार पत्रों को इसके प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभानी होगी

Logon www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Daily Newspaper & youtube Channel) चन्‍द्रशेखर जोशी की विशेष रिपोर्ट मो0 9412932030

डॉ नौटियाल ने बताया कि विश्व में हिन्दी की संख्या की गणना में पाँच प्रकार की गलतियाँ हुई हैं , हिन्दी भाषा और मानक हिन्दी भाषा में भ्रम पैदा करके मानक हिन्दी को ही हिन्दी माना है, जो गलत है । हिन्दी भाषा की गणना में हिन्दी की बोलियों को अलग दर्शाया है जबकि अङ्ग्रेज़ी व चीनी भाषाओं में बोलियों को भी जोड़ा गया है । भारत में तथा विश्व में हिन्दी बोलने वालों की सही संख्या नहीं दी गई और उर्दू भाषा को अलग भाषा मानते हुए उर्दू भाषियों को हिन्दी जानकारों में नहीं गिना गया जबकि इनकी गणना एथ्नोलोग के मानदंडों के अनुसार हिन्दी के जानकारों में होनी चाहिए थी । यह पूछे जाने पर कि इसमें सुधार कैसे होगा ? इस पर डॉ नौटियाल ने बताया कि इसमे सुधार आसान है । हमे अद्यतन आकड़े जुटा कर एथ्नोलोग को इस अनुरोध के साथ भेजने होंगे कि वे अगले प्रकाशन में हिन्दी के अद्यतन आंकड़े प्रस्तुतु करें । यह काम मैंने कर लिया है । अब जल्दी ही एथ्नोलोग इसमे सुधार करके नई रैंकिंग जारी करेगा जिसमे हिन्दी को पहले स्थान पर दिखाया जाएगा । भाषाओं कि 2023 की रैंकिंग की नई स्थिति

“हिन्दी, विश्व की सबसे बड़ी भाषा – तथ्य एवं आंकड़े – शोध रिपोर्ट 2023” शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल, महानिदेशक , वैश्विक हिन्दी शोध संस्थान, देहरादून ने बताया कि विश्व में भाषाओं की रैंकिंग एथ्नोलोग नाम की प्रतिष्ठित संस्था करती है । यह अमेरिकी संस्था है । एथ्नोलोग हिन्दी को तीसरे स्थान पर दिखाता है जबकि हिन्दी विश्व में पहले स्थान पर थी और आज भी है, लेकिन उसे निरंतर तीसरे स्थान पर दिखाया जाता रहा है ,किसी भी विद्वान ने इस पर आपत्ति नहीं की । यद्यपि उनके शोध के उपरांत भारत के तथा विश्व के भाषाविद अब हिन्दी को पहले स्थान पर मानने लगे हैं । अभी यह संदेश जनमानस तक पहुँचना बाकी है इसलिए समाचार पत्रों को इसके प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभानी होगी । इस रिपोर्ट की प्रामाणिकता के संबंध में पूछे जाने पर डॉ नौटियाल ने बताया कि  इस शोध की प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए इसका 31 चरणों में परीक्षण किया गया जिसमे इस शोध पर विश्व विद्यालयों में विद्वानों द्वारा विचार विमर्श , विशिष्ट संगोष्ठियों में परीक्षण, भाषा प्राधिकारियों द्वारा परीक्षण , भाषाविदों व हिन्दी के विद्वानों के विचार/ अभिमत आमंत्रित करके शोध की सत्यता का पता लगाया गया । इन सभी चरणों में यह शोध प्रामाणिक सिद्ध हुई है । इसी आधार पर , वित्त मंत्रालय , भारत सरकार ने सभी बैंकों , बीमा कंपनियों एवं वित्तीय संस्थाओं को सरकारी निर्देश दिये थे कि सभी हिन्दी कार्यशालाओं में इस शोध को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाय व साथ ही गृह पत्रिकाओं के इसे प्रकाशित किया जाये ।

भारत सरकार राजभाषा विभाग , गृह मंत्रालय ने इस शोध की प्रामाणिकता की जांच के लिए ( FACT CHECK ) हेतु इसे केन्द्रीय हिन्दी संस्थान , आगरा ( शिक्षा मंत्रालय , भारत सरकार ) को भेजा गया था। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान ने इस कार्य हेतु विशेषज्ञ नियुक्त किया , विशेषज्ञ नें इस शोध को प्रामाणिक माना तथा प्रबल रूप से संपुष्टि करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत की । भारत सहित विश्व के 172 शीर्ष भाषाविदों ने इस शोध का समर्थन किया है । इस शोध ने अपनी प्रामाणिकता के 31 चरण सफलता पूर्वक पूरे कर लिए हैं । अतः निर्विवाद रूप में यह प्रामाणिक रिपोर्ट है । शोध रिपोर्ट 2023 को केरल केंद्रीय विश्व विद्यालय , कासरगोड , केरल , मंगलोर विश्व विद्यालय कर्नाटक तथा अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं के विशेषज्ञों द्वारा प्रामाणिक शोध माना गया है ।

डॉ नौटियाल से यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तराखंड सरकार कि ओर से भी इसकी प्रामाणिकता सिद्ध कि गई है ? इस पर डॉ नौटियाल ने बताया कि उत्तराखंड भाषा संस्थान ने भी इस शोध के संस्थागत प्रमाणीकरण के  लिए विद्वानों और भाषाविदों की एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी जिसने इस शोध से संबन्धित 3328 तीन हजार तीन सौ अट्ठाईस मूल दस्तावेजों, अनेक पत्रिकाओं तथा पुस्तकों का अध्ययन करने के साथ ही इंटरनेट तथा अन्य साक्ष्यों का अध्ययन करने के उपरांत अपनी सकारात्मक संस्तुति उत्तराखंड भाषा संस्थान को प्रस्तुत कर दी है । इस शोध से संबन्धित प्रमाणीकरण संबंधी सभी मूल दस्तावेज़ उत्तराखंड भाषा संस्थान ( उत्तराखंड सरकार का भाषा संबंधी शीर्ष संस्थान ) के पास उपलब्ध हैं।

यह पूछे जाने पर कि एथ्नोलोग हिन्दी को क्यों पहले स्थान नहीं दिखा रहा है और हिन्दी की संख्या को कम आँकने में गलती कहाँ हुई ?

इसका उत्तर देते हुए डॉ नौटियाल ने बताया कि विश्व में हिन्दी की संख्या की गणना में पाँच प्रकार की गलतियाँ हुई हैं , हिन्दी भाषा और मानक हिन्दी भाषा में भ्रम पैदा करके मानक हिन्दी को ही हिन्दी माना है, जो गलत है । हिन्दी भाषा की गणना में हिन्दी की बोलियों को अलग दर्शाया है जबकि अङ्ग्रेज़ी व चीनी भाषाओं में बोलियों को भी जोड़ा गया है । भारत में तथा विश्व में हिन्दी बोलने वालों की सही संख्या नहीं दी गई और उर्दू भाषा को अलग भाषा मानते हुए उर्दू भाषियों को हिन्दी जानकारों में नहीं गिना गया जबकि इनकी गणना एथ्नोलोग के मानदंडों के अनुसार हिन्दी के जानकारों में होनी चाहिए थी ।

यह पूछे जाने पर कि इसमें सुधार कैसे होगा ? इस पर डॉ नौटियाल ने बताया कि इसमे सुधार आसान है । हमे अद्यतन आकड़े जुटा कर एथ्नोलोग को इस अनुरोध के साथ भेजने होंगे कि वे अगले प्रकाशन में हिन्दी के अद्यतन आंकड़े प्रस्तुतु करें । यह काम मैंने कर लिया है । अब जल्दी ही एथ्नोलोग इसमे सुधार करके नई रैंकिंग जारी करेगा जिसमे हिन्दी को पहले स्थान पर दिखाया जाएगा । भाषाओं की 2023 की रैंकिंग की नई स्थिति इस प्रकार है :

क्र सं भाषा बोलनेवालों की संख्य (मिलियन में ) रैंक

1 हिन्दी 1560 1        2 अँग्रेजी 1452 2    3 चीनी 1325 3

4 स्पेनी 548 4          5 फ्रेंच 274 5

लेखक डॉ जयंती प्रसाद नौटियाल,का जन्म 3 मार्च 1956 को देहरादून में हुआ। डा नौटियाल, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से उप महाप्रबंधक पद से सेवा निवृत्त होकर वैश्विक हिन्दी शोध संस्थान       देहरादून में,  हिन्दी की सेवा  कर रहे हैं। डॉ नौटियाल ने अनेक राष्ट्रीय एवं विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इन्हे विश्व का सर्वाधिक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त है। इनका बायोडाटा (Resume) विश्व का सबसे वृहद एवं अद्वितीय है। यह 9  खंडों में है तथा 4851  से अधिक पृष्ठों में है । इसमें डॉ नौटियाल की 5672 उपलब्धियां दर्ज हैं । डॉ नौटियाल ने एम ए, पी एच डी, डी लिट, एम बी ए, एल एल बी सहित 81 डिग्री/डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स किए हैं। इन्होंने 90  पुस्तकों के लेखन में योगदान दिया है,इनकी अधिकांश पुस्तकें विश्वविद्यालयों में पाठ्य पुस्तक व संदर्भ पुस्तकों के रूप में चल रही हैं। इन्होंने हिंदी साहित्य को 2142  रचनाओं से समृद्ध किया है । इन्हें हिंदी भाषा और साहित्य के लिए 114  अवॉर्ड, सम्मान, और पुरस्कार मिल चुके हैं । इनके  सेवा कार्य और शोध के लिए 237  प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए हैं । राष्ट्र की 144  शीर्ष समितियों में इन्होंने प्रतिनिधित्व किया है । शोध के क्षेत्र में भी इनका योगदान उल्लेखनीय है,इन्होंने 175 शोध परियोजनाओं को संपन्न किया है । इन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में 717  व्याख्यान दिए हैं। इन्होंने 25 असाधारण कार्य किए हैं और  185  प्रकार के बौद्धिक कार्यों में योगदान दिया है । इन्हें  75  प्रकार के व्यवसायों/ पदों पर कार्य करने का अनुभव है। इनके विवरण और शोध उद्धरण 1128 से अधिक वेबसाइटों में उपलब्ध हैं। प्रिंट मीडिया में 283  और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 102 जगहों पर  इन्हे स्थान मिला है । कृषि के क्षेत्र में इनहोने 7 प्रजातियों का विकास किया है जिनसे किसानों की आय में कई गुना वृद्धि होगी । उन्होने इस संकल्पना को “ ऊंची खेती ऊंची आय ” नाम दिया है ।

लेखक डॉ जयंती प्रसाद नौटियाल,

 हिंदी विकिपीडिया,अंग्रेजी विकिटिया जैसे अन्य पोर्टलों पर इनके विवरण उपलब्ध हैं। डॉ नौटियाल से 9900068722 पर अथवा dr.nautiyaljp@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है ।

यह शोध रिपोर्ट विस्तार से पढ़ने के लिए dr.nautiyaljp@gmail.com पर मेल करके प्राप्त की जा सकती है ।

चंद्रशेखर जोशी -राष्टीय संयोजक- पत्रकार प्रेरित पर्या0 अभियान — पंचगव्य गुरुकुल विश्व
विद्यालय
, काँची पुरम के उप कुलपति डॉ0 कमल टॉवरी IAS द्वारा नियुक्त &

# संपादक: उत्तराखंड शासन से राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त &

# अध्यक्ष उत्तराखंड:  राष्टीय संत सुरक्षा परिषद, मुख्यालय  भरोच गुजरात

# अध्यक्ष उत्तराखंड:  राष्टीय सशक्त हिंदू महा संघ, नई
देल्ही
& #अध्यक्ष उत्तराखण्ड: IFSMN भारत के लघु तथा मध्यम समाचार पत्रो का महासंघ, Delhi

# संस्थापक अध्यक्ष: 
मां पीतांबरा- श्री बगुलामुखी शक्ति पीठ मंदिर
, नन्दा देवी एंक्लैव राणा कॉलोनी,
कुंज विहार बंजारा वाला, देहरादून

# अध्यक्ष उत्तराखंड: डॉ0 भीमराव अम्बेडकर
ट्रस्ट (पंजी
0)

#–l—-पूर्व जिम्मेदारी
वर्तमान से कम नही——-

प्रदेश कार्यालय: नन्दा देवी एंक्लैव,
बंजारा वाला, देहरादून, Mob 9412932030

Yr. Contribution: Ac
Name: Himalaya Gaurav Uttrakhand Bank : State Bank of India, CA;
30023706551

ifs code; SBIN0003137
Mob. 9412932030

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