आसाराम दोषी- कोर्ट ने कहा- “जो भगवान तय करेगा वही होगा”- आसाराम बोले

बूढ़ा हो गया हू, जजों को रहम करना चाहिए; आसाराम की गुहार  हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल आज की खबर कल क्‍यो- खबर उसी पल- हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल केे संग  

 जानकारी के मुताबिक जज का फैसला सुनने के बाद ही आसाराम का चेहरा मुरझा गया. जज के सामने गुहार लगाते हुए आसाराम ने कहा कि अब वह बूढ़ा हो गया और जजों को उस पर रहम करना चाहिए. उसके बाद सरकारी वकीलों ने कोर्ट में आसाराम को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की. 

बाबा बनने से पहले आसाराम तांगा चलाकर या चाय बेचकर अपने परिवार को पेट पालता था.

जोधपुर कोर्ट ने आज आसाराम रेप केस पर फैसला सुनाते हुए आसाराम सहित 5 लोगों को दोषी करार दिया है। आसाराम 2013 से यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर जेल में बंद हैं। आसाराम पर नाबालिग से बलात्कार का आरोप है। साथ ही आसाराम पर यह भी आरोप है कि वो आशीर्वाद देने के बहाने महिला भक्तों का यौन शोषण करते थे। आसाराम पर यौन शोषण समेत जमीन हथियाने, बच्चों की हत्या समेत कई अन्य मामले भी दर्ज हैं। आसाराम के बेटे नारायण साईं पर भी यौन शोषण का आरोप लगा है। आज हम आपको आसाराम जैसे पांच ढोंगी बाबाओं के बारें बताने जा रहे हैं, जिनपर रेप, हत्या जैसे कई संगीन आरोप लगे हैं। आसाराम 4 साल से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद जरूर है, लेकिन अभी वह अपने संन्यासी के भेष में ही रहता है। आसाराम अगर दोषी साबित होता है तो उसे कैदियों की वर्दी दी जाएगी। 

आसाराम के प्रवक्‍ता नीलम दूबे ने कहा कि वह अपनी लीगल टीम से बात कर रहे हैं और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेंगे. उन्‍होंने कहा कि हम न्‍यायपालिका पर पूरा विश्‍वास है.  जोधपुर कोर्ट के फैसले से पहले आसाराम के समर्थक प्रार्थना कर रहे हैं. अहमदाबाद में भी समर्थक सुबह से प्रार्थन कर रहे हैं.  आसाराम की रिहाई के लिए भोपाल में समर्थक कर रहे है प्रार्थना  – वाराणसी में आसराम के आश्रम में प्रार्थना शुरू हो चुकी है. 

  2013 रेप केस मामले में स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया है। उसके साथ ही उसके दो राजदार शिल्पी और शरतचंद्र को भी कोर्ट ने दोषी माना है। जबकि मामले में दो अन्य आरोपी आसाराम के प्रमुख सेवादार शिवा और आश्रम के रसोइए प्रकाश द्विवेदी को कोर्ट ने बरी कर दिया है। गौरतलब है कि साढ़े चार साल से जोधपुर जेल में बंद अासाराम के खिलाफ अपनी ही शिष्या से दुष्कर्म करने का अारोप था। ​पॉक्सो एक्ट के तहत ये पहला बड़ा फैसला है।

 

 अब फैसले का वक्त है- जज ने  कहा

2013 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की एक नाबालिग से दुष्कर्म के ममले में आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने बुधवार (25 अप्रैल) को दोषी करार दिया है. आसाराम के अलावा कोर्ट ने आरोपी शिल्पी और शरतचंद को भी दोषी माना, जबकि शिवा और प्रकाश को कोर्ट ने रिहा कर दिया है.   विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा तय समयानुसार सुबह 8 बजे जेल में बनी कोर्ट पहुंचे. न्यायधीश के कोर्ट पहुंचने के बाद सभी आरोपियों को कड़ी पुलिस निगरानी के बीच जोधपुर कोर्ट लाया गया और सबकी पेशी हुई. आरोपियों की पेशी के बाद न्यायाधीश ने अपना फैसला पढ़ा.  पिछली सुनवाई के दौरान जजों ने मामला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि 25 अप्रैल को सिर्फ फैसला पढ़ा जाएगा. कोर्ट में आसाराम के वकील ने कहा, हम आपके सामने कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन जज ने वकील की एक भी बात नहीं सुनी और कहा कि जो सुनना था वो सुन लिया अब फैसले का वक्त है.    वकील की बात खारिज करने के बाद जज शर्मा अपने स्टैनो से कुछ पन्ने और टाइप कराए और फैसला सुनाते हुए सभी को दोषी करार दिया. आसाराम के अलावा इस मामले में दो अन्य को भी कोर्ट ने दोषी माना. वहीं, शिवा और प्रकाश की कम उम्र का हवाला देते कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया.   रिपोर्ट्स के मुताबिक खुद को जेल से आजाद कराने के लिए आसाराम ने कोर्ट में एक दो नहीं बल्कि 14 वकील बुलाए थे, जबकि पीड़ित पक्ष की ओर से सिर्फ 2 सरकारी वकील ही थे. 14 वकीलों पर भारी पड़ते हुए दोनों सरकारी वकीलों ने ऐसी दलीलें दी, जिसके आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. बताया जा रहा है कि आसाराम के वकीलों के पास ऐसी कोई ठोस दलील नहीं थी, जिससे वह निर्दोष साबित हो सकता.  

 

आसाराम 4 साल से इसी जेल में बंद है। जोधपुर सेंट्रल जेल के डीआईजी विक्रम सिंह ने बताया कि बुधवार को फैसला सुनाए जाने को लेकर आसाराम थोड़ा तनाव में था। लेकिन आसाराम ने रात भरपेट खाना खाया और शाम में टहला भी। डीआईजी विक्रम सिंह ने बताया कि आसाराम से इस मामले में फैसला सुनाए जाने पर बात की गई तो आसाराम ने कहा ‘होईहैं वही जो राम रचि राखा, जो भगवान तय करेगा वही होगा’। अन्य दिनों की तरह आसाराम जेल में लोगों को उपदेश देता रहा।

आज जोधपुर कोर्ट आसाराम रेप केस पर फैसला सुनाते हुए आसाराम सहित 3 लोगों को दोषी पाया है। हालांकि जज ने अभी तक सजा का ऐलान नहीं किया है। उम्मीद की जा रही है कि सजा भी आज ही सुनाई जाएगी। फैसले के मद्देनजर पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई। क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस बल को भी तैनात किया गया है। आसाराम को जेल से बाहर लेकर नहीं जाया जाएगा। जोधपुर सेंट्रल जेल में कोर्ट रूम तैयार किया गया है। जोधपुर एससी/एससटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा आसाराम रेप केस की सुनवाई कर रहे हैं।

पुलिस ने आसाराम रेप में उनके सेवादारों के ख़िलाफ़ नवंबर 2013 में चार्जशीट दाख़िल की थी. इस केस में कुल 58 गवाहों ने गवाही दी. आसाराम के ख़िलाफ़ जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया उसमें उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है. प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए जोधपुर को किले में तब्दील कर दिया है. पूरे शहर में धारा 144 लागू है. पुलिस और सुरक्षाबलों के जवान फ़्लैग मार्च कर रहे हैं. हर आने-जाने वालों की तलाशी ली जा रही है. आसाराम के जोधपुर आश्रम को भी ख़ाली करा लिया गया है.

आसाराम को दोषी करार दिए जाने के बाद कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोगों पहचनान होगा कि असली संत कौन है और नकली संत कौन है. इस तरह के मामले में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर देश की छवि पर असर डालते हैं.  

नाबालिग से रेप केस मामले में जोधपुर कोर्ट द्वारा आसाराम को दोषी करार देने के बाद पीड़िता के पिता ने कहा कि अब  हमें न्याय मिला है. साथ ही उन लोगों को भी न्याय मिला है जिनका कत्ल कर दिया गया था या अपहरण किया गया था. मुझे पूरा भरोसा है कि अब आसाराम को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी. उन्होंने कहा कि मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस लड़ाई में मेरी मदद की और साथ खड़े रहे.

नाबालिग पीड़िता के पिता ने कहा, काफी दिक्‍कतों का सामना किया और आखिरकार उन्‍हें न्‍याय मिल गया 
– आसाराम के वकील ने कहा कि अभी अपने कोर्ट के फैसले की कॉपी नहीं मिली है इसलिए अभी कुछ भी नहीं कह पाउंगा. हमारी वकीलों की टीम ये देखेगी कि अदालत के इस फैसले को चुनौती दी जाए या नहीं. उन्‍होंने कहा कि हमारो पास सबूत थे कि पीड़िता की उम्र 18 साल से ऊपर है लेकिन उसकी गलत उम्र बताई गई. लड़की के बयान में कई विरोधाभास थे. 

 

आसाराम को दुष्‍कर्म के मामले में दोषी करार दिया गया है. सितंबर 2013 में आसाराम को एक लड़की से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद सूरत में दो बहनों का मामला सामने आया और बेटा नारायण साईं भी कानूनी शिकंजे में घिर गया. नारायण साईं अभी जेल में बंद है. आरोप है कि 1997 से 2006 के बीच अहमदाबाद और सूरत में आश्रम में रहने के दौरान दोनों लड़कियों से रेप किया गया. इस दौरान जब तक मामले कोर्ट पहुंचते तब तक तीन गवाहों की हत्‍या हो चुकी थी और अन्‍य छह गर या तो जानलेवा हमले हुए या धमकियां मिलीं. अब तक आसाराम और नारायण साईं के खिलाफ मामलों से संबंधित 9 गवाहों पर हमले हुए हैं.

तीन मामलों में नौ अहम गवाह
आसाराम के खिलाफ जोधपुर और अहमदाबाद में कथित बलात्कार के दो मामले चल रहे हैं. बेटे नारायण साईं पर भी सूरत में कथित बलात्कार का एक मामला चल रहा है. इन तीनों ही मामलों में 9 लोगों को महत्वपूर्ण गवाह माना जा रहा है. इनमें गवाह कृपाल सिंह, अखिल और प्रजापति की हत्‍या कर दी गई. बाकी बचे छह पर हमले हुए या उन्‍हें धमकी दी गई.

इन गवाहों की हुई हत्‍या
अखिल गुप्ता : बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरनगर में 11 जनवरी 2015 को उसे गोली मारी गई जिसमें उसकी जान चली गई. अखिल लगभग 10 साल तक आसाराम के साबरमती आश्रम में रसोइया रहा था. सूरत में दो बहनों के साथ कथित बलात्कार मामले में वह अभियोजन पक्ष का मुख्य गवाह था. 
अमरुत प्रजापति : 23 मई 2014 को राजकोट में हमले में मारे गए. प्रजापति आयुर्वेद चिकित्सक थे और लगभग 12 साल तक आसाराम और उसके परिवार का इलाज किया. बाद में वह सूरत में दो बहनों के साथ कथित बलात्कार मामले में सरकारी गवाह बने. दो अज्ञात हमलावरों ने राजकोट में उन पर गोलियां चलाई थीं.
कृपाल सिंह : जोधपुर रेप केस के मुख्‍य गवाह कृपाल को शाहजहांपुर (यूपी) में गोली मारी गई. इसके अगले ही दिन उनकी मौत हो गई. उन्‍होंने बयान में कहा था कि आसाराम के तीन फॉलोवरों ने उन्‍हें घूस देने की पेशकश की थी. वे उनसे जोधपुर कोर्ट के बाहर मिले थे.

इन गवाहों पर चाकुओं से हमला
विमलेश ठक्कर: ठक्कर आसाराम की एक साधिका के पति हैं. इस साधिका ने नारायण साईं पर उनके जहांगीरपुरा आश्रम में यौन हमले का आरोप लगाया था. 28 फ़रवरी 2014 को सूरत में विमलेश पर चाकुओं से हमला किया गया. वह आसाराम और नारायण साईं के खिलाफ बलात्कार मामले में हमला झेलने वाले पहले गवाह थे.
राकेश पटेल: इनका सूरत में कारोबार है. कई मौकों पर आसाराम और उनके परिवार की तस्वीरें उतारी हैं. पुलिस ने कथित बलात्कार मामले में उन्हें गवाह बनाया था. बाद में सूरत में 12 मार्च 2014 को उन पर चाकुओं से हमला किया गया.

इन्‍हें मारी गई गोली
महेंद्र चावला: 13 मई 2015 को पानीपत में हमला हुआ. चावला आसाराम और बेटे नारायण साईं के बेहद करीबी थे. वह साईं के खिलाफ कथित बलात्कार मामले में मुख्य गवाह हैं. पानीपत में उन पर दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवारों ने गोलियां चलाईं.
राजू चंदोक: राजू चंदोक ने आसाराम पर कई तरह के आरोप लगाए थे. आसाराम के आश्रम के पूर्व कर्मचारी चंदोक आसाराम के खिलाफ हत्या के प्रयास के एक मामले में मुख्य गवाह हैं. 6 दिसंबर 2009 को उन पर अहमदाबाद के रानिप इलाके में गोलियां चलाई गई थीं.

इन पर फेंका गया तेजाब
दिनेश भावचंदानी : सूरत में आसाराम केे फॉलोवर रहे. उन पर दो लोगों ने एसिड फेंका. कपड़ा व्‍यापारी दिनेश को पुलिस ने सुरक्षा मुहैया कराई. बाकी अन्‍य लोगों को भी सुरक्षा मुहैया कराई गई है.

इन्‍हें मिली धमकी
जज मनोज कुमार व्‍यास : हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2013 में जोधपुर सेशन कोर्ट के जज व्‍यास को आसाराम को बेल देने के मामले में धमकियां मिलीं. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आसाराम के समर्थकों ने केस से जुड़े अफसरों को धमकी दी. यहां तक की घूस देने की भी पेशकश हुई. हालांकि आसाराम ने इन आरोपों से इनकार किया. इसके बाद दिसंबर 2013 में आसाराम पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला के पति पर जानलेवा हमला हुआ. महिला की बहन ने भी नारायण साईं पर रेप का आरोप लगाया जो अपने आप को आध्‍यात्‍मि‍क गुरु बताता था.
सुधा पाठक: जोधपुर सेशन कोर्ट में एक मामले में सुधा को गवाह बनाया गया था. लेकिन गवाही के दौरान अचानक उसने कहा कि उसे कुछ भी नहीं पता. उसके अचानक गवाही से मुकरने का कारण किसी को नहीं पता.

ये गवाह अचानक हुए गायब
राहुल सचान: आसाराम के आश्रम के पूर्व कार्यकर्ता सचान आसाराम व नारायण साईं के खिलाफ कथित बलात्कार के मामले में गवाह हैं. 13 फ़रवरी 2015 को जोधपुर में उन पर कोर्ट के बाहर चाकू से हमला किया गया. इसके बाद अपने घर से अचानक गायब हो गए. सीबीआई इस मामले की पड़ताल कर रही है.

इन हमलावरों की हुई गिरफ्तारी
कार्तिक हलदर : मार्च 2016 में रायपुर (छत्‍तीसगढ़) से गिरफ्तार आसाराम के इस फॉलोवर पर आरोप था कि इसने तीन गवाहों की हत्‍या की. उसे प्रजापति, अखिल और कृपाल सिंह की हत्‍या में गिरफ्तार किया गया था. 
किशोर बोदके : सूरत में दिनेश भागचंदानी पर हुए एसिड हमले में आस-पास के लोगों ने एक हमलावर बोदके को दबोच लिया था. बाद में बोदके ने पुलिस के सामने आरोप लगाया कि उसने आसाराम के कर्नाटक स्थित आश्रम के एक अनुयायी के निर्देश पर ये हमला किया था. बोदके की जेब से मिली एक हस्तलिखित चिट में गुजरात में रह रहे छह गवाहों के नाम मिले थे, जिनमें से पांच पर हमला हो चुका था. बोदके से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने एक और व्यक्ति को गिरफ़्तार किया था, बाद में दोनों को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया. इसके अलावा पुलिस हमले के किसी और मामले को नहीं सुलझा सकी. गुजरात के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि हमले कई राज्यों में हुए हैं और इनके बीच तार जोड़ना बहुत मुश्किल है.

बाबा बनने से पहले आसाराम तांगा चलाकर या चाय बेचकर अपने परिवार को पेट पालता था.

नाबालिग से रेप मामले में जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया है. आसाराम कब भारत आया और बाबा बनने से पहले क्‍या करता था. यह जानकर आप हैरान हो जाएंगे. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दरअसल बाबा बनने से पहले आसाराम तांगा चलाकर या चाय बेचकर अपने परिवार को पेट पालता था. पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे. आसाराम का असली नाम असुमल हरपलानी है. उसका परिवार सिंध, पाकिस्तान के जाम नवाज अली तहसील का रहनेवाला था, लेकिन बंटवारे के बाद अहमदाबाद आकर बस गया. वहां कुछ साल बिताने के बाद वह एक बाबा की संगत में आ गया था और फिर बाबा बन गया.

अजमेर में चलाता था तांगा
आसाराम बाबा बनने से पहले अजमेर शरीफ में तांगा चलाता था. दो साल तक उसने रेलवे स्‍टेशन से दरगाह शरीफ तक तांगे से सवारी ढोई थी. उस समय कोई नहीं जानता था कि आगे चलकर असुमल हरपलानी आसाराम बन जाएगा. अजमेर में तांगा स्‍टैंड के लोग आसाराम को अब भी याद करते हैं और उसके बारे में कई कहानियां बताते हैं.

 एक मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि आसाराम के पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे. आसाराम तीसरी तक पढ़ा है. पिता के निधन के बाद उसने कभी टांगा चलाया तो कभी चाय बेचने का काम किया. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 15 साल की आयु में आसाराम ने घर छोड़ दिया और गुजरात के भरुच में एक आश्रम में रहने लगा. 1960 के दशक में उसने लीलाशाह को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया. बाद में लीलाशाह ने ही असुमल का नाम आसाराम रखा. शुरुआत में प्रवचन के बाद प्रसाद के नाम पर वितरित किए जाने वाले मुफ्त्त भोजन ने भी आसाराम के ‘भक्तों’ की संख्या को तेजी से बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  1973 में आसाराम ने अपने पहले आश्रम और ट्रस्ट की स्थापना अहमदाबाद के मोटेरा गांव में की. 1973 से 2001 के दौरान आसाराम ने बेटे नारायण साईं के साथ भारत ही नहीं विदेश में 400 आश्रमों का नेटवर्क खड़ा किया. कई गुरुकुल, महिला केंद्र बनाए. फिर 1997 से 2008 के बीच उस पर रेप, जमीन हड़पने, हत्या जैसे कई आरोप लगते रहे. 2008 में जब एक बच्चे की मौत आसाराम के स्कूल में हुई तो उस पर तांत्रिक क्रियाओं को लेकर हत्या करने के आरोप लगे.

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