विधानसभा चुनाव मिशन 2019 की दशा और दिशा तय कर देगे

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए विपक्षी दलों ने अभी से कमर कस ली है. परन्‍तु इस साल तीन मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है, विधानसभा चुनाव परिणाम मिशन 2019 की दशा और दिशा तय कर देगा ; यह भारतीय जन मानस का रूझान तय कर देगा- कि वह देश की बागडोर किसको सौंपने जा रहा है

यूपी में गठबंधन पर एसपी-बीएसपी और कांग्रेस में सैद्धांतिक सहमति बन गई है. कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार गठबंधन सिर्फ अमेठी रायबरेली तक सीमित नहीं रहेगा. सीटों के बंटवारे पर अभी बात होनी है. इस सहमति के बाद राजनीतिक और जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पारा चढ़ सकता है. दिल्ली में आम आदमी से पार्टी को लेकर राहुल गांधी ने अभी अपना मन नहीं बनाया है. चूंकि दिल्ली और तेलंगाना में वहां की सत्ताधारी पार्टियों से कांग्रेस सीधे लड़ाई लड़ रही है, इसलिए इन राज्यों में गठबंधन का अंतिम फैसला राज्य इकाइयों की सहमति से किया जाएगा. 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री बनने के लिए नरेंद्र मोदी और बीजेपी को 230-240 सीटों की ज़रूरत होगी. अगर इससे कम सीट आती हैं तो बीजेपी को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. यूपी और बिहार में अगर ठीक से गठबंधन हुआ तो बीजेपी के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है. बीजेपी के खिलाफ व्यापक गठबंधन को लेकर प्रमुख विपक्षी दलों में एक भाव है कि अपने-अपने क्षेत्र में ताकत के साथ चुनाव लड़ना है. बीजेपी के खिलाफ़ महागठबंधन और नेतृत्व की प्रक्रिया दो स्तर की है. पहले अपने गढ़ में चुनाव लड़ें और फिर जीतकर आई सीटों के आधार पर फैसला हो कि प्रधानमंत्री कौन होगा.

. रायबरेली से सोनिया गांधी चुनाव लड़ेंगी या नहीं इसका फैसला वह खुद करेंगी‌. इस संबंध में अभी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष के बीच बात नहीं हुई है. अगर सोनिया चुनाव नहीं लड़ेंगी तो प्रियंका के चुनाव लड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता. कांग्रेस का दावा है कि अगले आम चुनाव में वह पीएम नरेंद्र मोदी को सरकार से बाहर कर देगी. अगर बीजेपी को 230 से कम सीटें मिलती हैं तो नरेंद्र मोदी किसी सूरत में प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे.कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आगामी लोकसभा चुनाव अमेठी से ही लड़ेंगे, लेकिन रायबरेली से प्रियंका गांधी  चुनाव मैदान में उतर सकती है.

 
कांग्रेस ने तय किया है कि फिलहाल पूरा ध्यान विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर नरेंद्र मोदी को हराने पर लगाया जाएगा और प्रधानमंत्री पद के बारे में निर्णय चुनाव नतीजे आने के बाद होगा. उन्होंने कहा कि सारे विपक्षी दलों में यह व्यापक सहमति बन चुकी है कि सभी को मिलकर बीजेपी और आरएसएस को हराना है. कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि इस बारे में तीनों दलों के बीच कई स्तर की बातचीत हो गई है. उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के सवाल पर कांग्रेस के सूत्रों ने कहा, ‘‘बातचीत चल रही है, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि गठबंधन को लेकर रणनीतिक सहमति बन गई है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में सही से गठबंधन हो गया तो बीजेपी की 120 सीटें अपने आप कम हो जाएंगी और उत्तर प्रदेश में तो सत्तारूढ़ पार्टी पांच सीटों पर सिमट जाएगी.’’ कांग्रेस सूत्रों ने यह भी दावा कि आगामी लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और कई अन्य राज्यों में पार्टी की लोकसभा सीटों में काफी इजाफा होगा. शिवसेना के साथ तालमेल की संभावना के सवाल पर कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि हमारा गठबंधन समान विचाराधारा वाले दलों के साथ हो सकता है और शिवसेना एवं कांग्रेस की विचाराधारा अलग है, इसलिए उसके साथ गठबंधन नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा के बीच पुराना गठबंधन है और वह आगे भी जारी रहेगा.
 

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने के विपक्षी दलों के प्रयास के बीच कांग्रेस ने तय किया है कि फिलहाल पूरा ध्यान विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर नरेंद्र मोदी को हराने पर लगाया जाएगा और प्रधानमंत्री पद के बारे में निर्णय चुनाव नतीजे आने के बाद होगा. पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है. सूत्रों ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए सपा, बसपा और अन्य बीजेपी विरोधी दलों के बीच भी ‘रणनीतिक समझ’ बन गई है. उन्होंने दावा किया कि अगर उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में ‘सही से’ गठबंधन हो गया तो बीजेपी सत्ता में नहीं लौटने वाली है. लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए चेहरा पेश करने के सवाल पर सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस फिलहाल दो चरणों में काम कर रही है. पहला चरण सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाकर भाजपा और नरेंद्र मोदी को हराने का है. दूसरा चरण चुनाव परिणाम का है जिसके बाद दूसरे बिंदुओं पर बात होगी. शिवसेना के साथ तालमेल की संभावना के सवाल पर कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि हमारा गठबंधन समान विचाराधारा वाले दलों के साथ हो सकता है और शिवसेना और कांग्रेस की विचाराधारा अलग है, इसलिए उसके साथ गठबंधन नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा के बीच पुराना गठबंधन है और वह आगे भी जारी रहेगा.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ गठबंधन पहले ही मुहर लगा दी है. इसी साल के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है इसलिए यह कांग्रेस के बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया ने बताया था कि राज्य में बीएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर चल रही बातचीत संतोषजनक तरीके से आगे बढ़ रही है. सीट बंटवारा फार्मूले का मुद्दा गोपनीय है. हम अभी मीडिया के आगे कुछ कहना नहीं चाहते. जब फैसला हो जाएगा तो इसके बारे में बताएंगे.
 

मध्य प्रदेश के चुनावों में ढेर सारे मंत्री पुत्र चुनाव मैदान में उतर कर नामदार बनने की कतार में है. शिवराज के बेटे कार्तिक के अलावा बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह, मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार महाजन, कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन, मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार और पूर्व सीएम बाबूलाल गौर की बहु कृष्णा गौर चुनाव लड़ने की तैयारियों में हैं.

नेता पुत्रों के राजनीति में आने को बीजेपी स्वाभाविक मान रही है. मध्यप्रदेश विधासभा चुनाव में नामदार यानी कई नेतापुत्र उतरने को तैयार हैं. इनमंि सबसे पहला नंबर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान का है. कार्तिकेय चौहान फिलहाल पिता के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. कार्तिकेय चौहान अपने पिता की विधानसभा बुधनी में काफी सक्रिय रहते हैं. चुनाव करीब है इसलिए पिता के विकास कार्यों को गिना रहे हैं. जब कार्तिकेय से राजनीति में परिवारवाद पर सवाल पूछा गया तो कार्तिकेय ने कहा, ‘’अगर आप परिवारवाद की बात करें तो दो प्रकार के लोग होते हैं, एक तो वो होते हैं जो बचपन से चांदी का चम्मच मुंह में लेकर आते हैं और तुरंत कोई पद लेकर कुछ न कुछ बन जाते हैं. ना मैं कोई पद की उम्मीद कर रहा हूं और ना मुझे पार्टी से कोई टिकट चाहिए. मैं पार्टी की सेवा करने का काम कर रहा हूं, इसलिए मैं उन लोगों से अपने आपको अलग मानता हूं.’’ बता दें कि प्रदेश में बीजेपी पिछले 15 सालों से सत्ता में है. इसलिये उनके नेताओं के बेटे बड़े हो गए हैं और चुनाव लड़ने की लाइन में लगे हैं.

कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बिना मुख्यमंत्री चेहरा के मैदान में उतरेगी. सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा और कांग्रेस इन तीनों राज्यों में सरकार बनाएगी. फिलहाल इन तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है. पीएम मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से करने पर उन्होंने कहा कि मोदी की तुलना इंदिरा से नहीं हो सकती है, क्योंकि इंदिरा हमेशा गरीबों के साथ खड़ी रहीं, जबकि पीएम मोदी कुछ उद्योगपतियों के साथ खड़े नजर आते हैं. राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी बताने वाले बयान पर भी सफाई दी है. उन्होंने कहा, ‘अखबार बेचने के लिए मुस्लिम पार्टी के विवाद को पैदा किया गया. मैंने कहा था कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों, किसानों, गरीबों, दलितों और सभी की पार्टी है.

 

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