कैबिनेट मंत्री बिफरे- बीजेपी गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बड़ा दे दिया है. उन्होंने बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा है, ‘ मैंने अपनी चिंता कई बार जताई है लेकिन ये लोग 325 सीटें लेकर पागल होकर घूम रहे हैं.’ राजभर ने कहा कि वो एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन बीजेपी गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है.
 
बीजेपी की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अगर आगामी 23 मार्च को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करती है, तो सत्तारूढ़ दल को अपना नौवां प्रत्याशी जिताने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में हाल में हुई पराजय के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी को सूबे की 10 सीटों के लिए इस हफ्ते होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. बीजेपी के साथ मिलकर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के चार विधायक आगामी राज्यसभा चुनाव में भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं. प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में अपने संख्या बल के आधार पर भाजपा 10 में से आठ सीटें आसानी से जीत सकती है, मगर उसने अपना नौवां प्रत्‍याशी भी खड़ा किया है. वहीं, सपा और बीएसपी बाकी दो सीटें जीतने के प्रति आश्वस्त हैं.

कई मौकों पर सरकार के प्रति नाराजगी जता चुके ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अगर आगामी 23 मार्च को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करती है, तो सत्तारूढ़ दल को अपना नौवां प्रत्याशी जिताने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा, “हम अभी से कैसे बता सकते हैं कि अगले राज्यसभा चुनाव में हम भाजपा को वोट देंगे या किसी अन्य पार्टी को. हमने अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं किया है.”

इससे पहले कई मौकों पर सरकार के प्रति नाराजगी जता चुके राजभर ने कहा, “हालांकि हम अभी भाजपा के साथ गठबंधन में हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या भाजपा ने राज्यसभा और गोरखपुर तथा फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव के लिए अपने प्रत्याशी तय करने से पहले हमसे कोई सलाह ली थी?” राजभर ने कहा कि भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन क्या तब उसने गठबंधन धर्म निभाया? यहां तक कि लोकसभा उपचुनाव में भी भाजपा ने अपने सहयोगी दलों से यह नहीं पूछा कि उपचुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी?

उन्‍होंने यह भी कहा कि जब तक भाजपा का कोई नेता उनसे नहीं पूछेगा तब तक बात आगे नहीं बढ़ेगी. राजभर ने कहा कि प्रत्याशी तय करना भाजपा का काम है, लेकिन एक शिष्टाचार के नाते उसे कम से कम एक बार तो पूछना ही चाहिए कि क्या कोई सहयोगी दल चुनाव प्रचार में उसके साथ आना चाहेंगे, मगर भाजपा के किसी भी नेता ने हमसे यह नहीं पूछा. अब ऐसे हालात में हम यह कैसे कह सकते हैं कि हम राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट देंगे या किसी अन्य पार्टी को.

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री राजभर ने इस सवाल पर कि क्या उनकी पार्टी के विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे, कहा कि हम भाजपा के साथ गठबंधन में हैं और अगर वह गठबंधन धर्म नहीं निभाती है तो क्या हमें उसके साथ जाना चाहिए? राजभर ने कहा कि गोरखपुर में हाल में हुए लोकसभा उपचुनाव में उनकी पार्टी भाजपा को कम से कम 30,000 वोट दिलवा सकती थी, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा की नजर में हमारी कोई उपयोगिता नहीं है
 

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का सारा ध्यान सिर्फ मंदिर पर न कि गरीबों के कल्याण पर जिन्होंने वोट देकर सत्ता दी है. बातें बहुत होती हैं लेकिन जमीनी तौर पर बहुत कम काम हुआ है. ओमप्रकाश राजभर का 24 घंटे में यह दूसरा हमला है. रविवार को ही उन्होंने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन के सवाल पर भी कई बड़ी बाते कही थीं. कई मौकों पर सरकार के प्रति नाराजगी जता चुके राजभर ने कहा, “हालांकि हम अभी भाजपा के साथ गठबंधन में हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या भाजपा ने राज्यसभा और गोरखपुर तथा फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव के लिए अपने प्रत्याशी तय करने से पहले हमसे कोई सलाह ली थी?” राजभर ने कहा कि भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन क्या तब उसने गठबंधन धर्म निभाया? यहां तक कि लोकसभा उपचुनाव में भी भाजपा ने अपने सहयोगी दलों से यह नहीं पूछा कि उपचुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी? प्रदेश के कैबिनेट मंत्री राजभर ने इस सवाल पर कि क्या उनकी पार्टी के विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे, कहा कि हम भाजपा के साथ गठबंधन में हैं और अगर वह गठबंधन धर्म नहीं निभाती है तो क्या हमें उसके साथ जाना चाहिए? राजभर ने कहा कि गोरखपुर में हाल में हुए लोकसभा उपचुनाव में उनकी पार्टी भाजपा को कम से कम 30,000 वोट दिलवा सकती थी, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा की नजर में हमारी कोई उपयोगिता नहीं है.

 वहीं दूसरी ओर  तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) सांसदों के भारी शोर-शराबे के चलते लोकसभा को मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने हंगामे के चलते अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकारने से मना कर दिया. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संसद सत्र शुरू होने के साथ ही हंगामा शुरू हो गया था. जब तक हंगामा शांत नहीं होता तब तक चर्चा कैसे हो सकती है. इससे पहले टीडीपी के सांसद लोकसभा की बेल में आकर ‘WE want Justics’ के नारे लगाने लगे. 

टीडीपी सांसद राम मोहन नायडू ने कहा कि आज नोटिस दिया गया है. वाईएसआर के आने से कोई समस्या नहीं है. हमारा मकसद सरकार गिराना नहीं बल्कि हमारे मुद्दे पर सदन में चर्चा करना है.

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक सोमवार (19 मार्च) को शुरू होने के कुछ ही देर बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. उच्च सदन में सोमवार को भी शून्यकाल और प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गए. संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में अब तक उच्च सदन में एक भी दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हो पाए हैं और न ही कोई कामकाज हो पाया है.

सिर्फ आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर करीब एक घंटे तक महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा हुई थी. सोमवार को उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. इसके बाद उन्होंने शून्यकाल शुरू करते हुए मनोनीत सदस्य के टी एस तुलसी का नाम पुकारा. तुलसी सदन में मौजूद नहीं थे. तब नायडू ने कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा को लोक महत्व से जुड़ा उनका मुद्दा उठाने की अनुमति दी. बाजवा ने अपना मुद्दा उठाना शुरू किया लेकिन इसी बीच अन्नाद्रमुक, द्रमुक, तेदेपा आदि के सदस्य आसन के समक्ष आ गए.

 

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