बीजेपी के भीतर से निकली आवाजे विपक्ष का हथियार बनी

बीजेपी के नेता जो खुल कर सामने आये है, उनमे   यशवंत सिन्हा , शत्रुघ्न सिन्हा , वरुण गांधी  ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया; यशवंत सिन्हा ने कहा, “पीयूष गोयल और राजनाथ सिंह शायद मुझसे बेहतर अर्थशास्त्र जानते हैं. वो मानते हों तो भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड है.”  इस बार उनके निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी दिखे. “पार्टी या सरकार में मैं किस प्लैटफॉर्म पर अपनी बात रखता? कोई मंच नहीं है बीजेपी में जहां कोई अपनी बात रख सके. मैंने पिछले साल पीएम से समय मांगा था लेकिन आज तक समय नहीं मिला. ऐसे में मैं क्या प्रधानमंत्री के घर पर धरने पर बैठ जाता?”   www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) Bureau Report

बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वही बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा आज अपने पार्टी सहयोगी यशवंत सिन्हा के समर्थन में सामने आए. उन्होंने कहा कि यशवंत सच्चे अर्थों में राजनेता हैं और उन्होंने सरकार को आईना दिखाया है. बिहार से सांसद शत्रुघ्न की अपनी पार्टी के रुख से कई मुद्दों पर मतभिन्नता है.  पार्टी के नेताओं पर शत्रुघ्न ने निशाना साधा और कहा कि ऐसा करना ‘बचकाना’ होगा क्योंकि उनके (सिन्हा के) विचार पूरी तरह से ‘‘पार्टी और राष्ट्र के हित में है.’’ शत्रुघ्न ने यशवन्त सिन्हा की टिप्पणियों को लेकर कही जा रही बातों के संदर्भ में दावा किया कि हम सब जानते हैं कि किस तरह की ताकतें उनके पीछे पड़ी हैं. उन्होंने नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि राष्ट्र किसी भी दल से बड़ा है और राष्ट्र हित सबसे पहले आता है. शत्रुघ्न ने ट्वीट किया, ‘‘मेरा दृढ़ता से यह मानना है कि सिन्हा ने जो कुछ भी लिखा है वह पार्टी और राष्ट्र के हित में है. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह सच्चे अर्थों में राजनेता हैं, जिसने खुद को साबित किया है और जो देश के सबसे सफल वित्त मंत्रियों में से एक हैं.

यशवंत सिन्हा ने सरकार द्वारा लिए गए आर्थिक फैसलों पर सीधा चोट किया है. यशवंत सिन्हा का कहना है कि अगर देश हित में कोई गलत कदम उठाए जाते हैं तो उसके खिलाफ वो चुप नहीं बैठेंगे.  यशवंत सिन्हा ने ऐसे 10 मुद्दे उठाए जिससे सीधे मोदी सरकार के खिलाफ है. ऐसे में सरकार को इन सवालों का जवाब देना भारी पड़ सकती है.  अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली पर हमला करके राजनैतिक तूफान खड़ा कर चुके बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत पर चर्चा के लिए उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा था लेकिन उन्हें समय नहीं मिला.

वही स्पिनर हरभजन सिंह के इन शब्‍दो से केन्‍द्र सरकार की जगहसाई अलग से हो रही है,  भज्जी ने ट्वीट पर लिखा है कि रेस्टोरेंट  में बिल का पेमेंट करते समय ऐसा लगा कि जैसे उनके साथ केंद्र और राज्य सरकारों ने भी खाना खाया है. ट्वीटर पर उनके ट्वीट करते ही लोगों ने इस पर खूब प्रतिक्रियाएं दी.

उन्होंने राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों से कहा, ‘मैंने पाया कि मेरे लिए दरवाजे बंद थे. इसलिए मेरे पास बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. मुझे विश्वास है कि मेरे पास उपयुक्त सुझाव हैं.’ अर्थव्यवस्था की हालत के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली के द्वारा उनकी आलोचना को सरकार द्वारा नकारे जाने से बेपरवाह बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अपनी बात पर कायम रहे और उम्मीद जताई कि केंद्र अपनी आर्थिक नीतियों की दिशा में बदलाव करेगा.   सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम जैसे लोग, जिन्हें वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञ माना जाता है, अगर बोलें तो उस समय की सरकार को उसे ‘सुनना चाहिए.’ उन्होंने उन लोगों की राय को ‘राजनैतिक शब्दाडंबर’ के तौर पर खारिज किए जाने के खिलाफ सलाह दी.

सरकार को इन सवालों का जवाब देना भारी पड़ सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त मंत्रालय को वक्त नहीं दे पा रहे हैं. जिस वजह से आर्थिक मोर्चे पर सरकार फिसल रही है.  आज के दौर में सरकार के फैसले से कई नेता असहमत हैं, लेकिन वो खुलकर पार्टी का विरोध नहीं कर पा रहे हैं. आर्थिक विकास की दर गिर रही है. पिछले दिनों आई GDP के आंकड़े चिंता का विषय है. मैंने जेटली को कभी हटाने की बात नहीं कही. देश गरीबी की ओर जा रहा है. पिछले डेढ़ साल में आर्थिक विकास की रफ्तार पटरी से उतरी है. आर्थिक रूप से मजबूत देश ही स्वावलंबी हो सकता है. ये जरूरी नहीं कि जयंत सिन्हा और मेरे विचार एक जैसे हों. दोनों एक परिवार का हिस्सा हैं, पिता-पुत्र का रिश्ता निजी है सरकारी नहीं. 947 के बाद से ही देश आर्थिक सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. न्यू इंडिया मोदी सरकार का नारा है.   गलत आर्थिक फैसलों के बावजूद चुनाव जीतना अलग बात है और सरकार चलाना अलग मुद्दा है. पीएम मोदी ने कई आर्थिक सुधारों को करीब से अवलोकन किया है, जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बड़े आर्थिक फैसले लिए थे. इसलिए उन्हें दोष देना गलत है. RSS के द्वारा भी नीतियों में तेजी से बदलाव लाया जा रहा है. हमारे दौर में RSS की सरकार में भूमिका अलग थी और अब अलग है.    अगर मोदी सरकार को दोबारा 2019 में सत्ता में वापसी करनी है तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सबसे जरूरी है और रोजगार सृजन पर तेजी से ध्यान देना होगा.

 

 इन दिनों केंद्र की राजनीति में. मोदी सरकार के खिलाफ बीजेपी के भीतर से ही कुछ आवाजें उठ रही हैं. पार्टी में हाशिए पर चल रहे कुछ नेताओं की तरफ से सरकार के काम-काज पर जब सवाल उठे तो उन्हें विपक्षी दलों से सहारा मिल रहा है. बीजेपी आलाकमान को वरुण गांधी की तरफ से कहा गया हर शब्द नागवार गुजर रहा है. लेकिन, वरुण का बयान एक बार फिर से विपक्षी दलों को रास आने लगा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि वरुण गांधी बीजेपी में फिट नहीं बैठते हैं. दिग्विजय का कहना है कि वरुण नेहरु-गांधी परिवार के वंशज हैं और वैसी ही विचारधारा रखते हैं. कांग्रेसी उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. यह मोदी सरकार और अपनी पार्टी बीजेपी से अलग दिए गए उनके बयान की वजह से ही है. कांग्रेसी नेताओं को बीजेपी के वो सारे नेता अच्छे लगने लगे हैं जो पार्टी और सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ कर रहे हैं. इन नेताओं के पिछले बयानों को भुलाकर इन्हें अब नए अंदाज में अपने आरोपों के करीब दिखाने की कोशिश हो रही है.

 यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर सवाल खड़ा किया है और बिना नोटबंदी के नफा-नुकसान का आकलन किए जीएसटी लागू करने के फैसले को भी गलत बताया है. अपनी ही पार्टी की सरकार पर रोजगार पैदा करने के मुद्दे पर सिन्हा की टिप्पणी से तो विपक्ष की बांछें खिल गई हैं.   यशवंत सिन्हा जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री थे, तो उस वक्त विपक्ष के निशाने पर रहा करते थे. कांग्रेस और वामपंथी लगातार उनकी आर्थिक नीति पर सवाल खड़े करते रहते थे. लेकिन, जब यशवंत सिन्हा सरकार को कठघड़े में खड़ा कर रहे हैं तो वही यशवंत सिन्हा अब विपक्षी दलों को अच्छे लगने लगे हैं.  मनमोहन सरकार में वित्त मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने कहा ‘सरकार आर्थिक गिरावट को लेकर बेखबर है. यशवंत सिन्हा ने इस बारे में जो कुछ कहा है, वह कांग्रेस पिछले काफी समय से कहती आई है.’ 

गुजरात दौरे पर गए कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी यशवंत सिन्हा की बातों का हवाला देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी से सब डरते हैं. बीजेपी में कोई बोलना नहीं चाहता और देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है. कांग्रेस में यशवंत सिन्हा के लिए उपजे अगाध प्रेम को देखकर यही लग रहा है कि विपक्ष को यशवंत सिन्हा के तौर पर एक ऐसा सहारा मिल गया है जिसकी उंगली पकड़कर वो सियासत की बैतरणी पार करना चाहता है. विपक्ष की कोशिश काफी हास्यास्पद भी लग रही है क्योंकि इस वक्त यशवंत सिन्हा की बीजेपी में हैसियत से सब वाकिफ हैं. अटल-आडवाणी के दौर में पार्टी और संगठन में बड़ी हैसियत वाले यशवंत सिन्हा की अब पार्टी और सरकार के भीतर कोई पूछ नहीं रही.  

यशवंत सिन्हा के बयान पर लेफ्ट और अरविंद केजरीवाल ने भी प्रतिक्रिया दी है. इन सबके निशाने पर अरुण जेटली ही रहे. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर से यशवंत सिन्हा को वाहवाही भी खूब मिली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप नेता आशीष खेतान के ट्वीट को रिट्वीट किया. इसमें आशीष खेतान ने कहा था कि ‘राष्ट्र को यह जानना चाहिए कि अरुण जेटली केजरीवाल के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए हर दूसरा दिन दिल्ली मजिस्ट्रेट कोर्ट में बिताते हैं.’

आशीष खेतान के ट्वीट में आप और अरविंद केजरीवाल का दर्द छलक रहा था. लेकिन, उसमें यशवंत सिन्हा के उस बयान का सहारा लेकर जेटली पर कटाक्ष भी था कि उनके पास वित्त मंत्रालय संभालने का वक्त कम है क्योंकि काम के बोझ तले वो दबे हुए हैं. विपक्षी दलों की बीजेपी नेताओं से प्यार की कड़ी यहीं खत्म नहीं हो रही है. बीजेपी के भीतर से ही ऐसी आवाजें उठ रही हैं जिन्हें लपककर विपक्ष बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. अभी हाल ही में वरुण गांधी के प्रति कांग्रेस नेताओं के भीतर का प्रेम अचानक जाग गया. कल तक वरुण गांधी और उनकी नीतियों की आलोचना करने वाले कांग्रेसी नेताओं को उनके नेहरु-गांधी परिवार से होने की याद आने लगी.

 यह पूछे जाने पर कि क्या असंतोष की वजह से उन्होंने सरकार की आलोचना की तो सिन्हा ने पलटकर कहा कि यह सबसे घटिया आरोप है जो उनपर लगाया जा सकता है. उन्होंने जोर दिया कि वह तकनीकी रूप से बीजेपी के सदस्य हैं और पार्टी ने ‘मुझे बाहर नहीं किया’ है.  यशवंत सिन्हा ने बुधवार को लेख लिखकर अर्थव्यवस्था के बहाने केंद्र सरकार पर जो हमला किया, उसे गुरुवार को भी जारी रखा.  यशवंत सिन्हा ने दो टूक कहा- अर्थव्यवस्था संकट में है, पॉलिसी पैरालिसिस भी है और नोटबंदी और जीएसटी से जनता को एक के बाद एक झटके लगे हैं.  उन्‍होंने कहा, “मैं जीएसटी की डिज़ाइन से सहमत नहीं हूं, ना ही जीएसटी रेट स्लैब से सहमत हूं.”  यशवंत सिन्हा ने जो गोला-बारूद मुहैया कराया है वो विपक्ष को ख़ासा रास आ रहा है. कांग्रेस लगातार सरकर पर हमला बोल रही है. ख़ास बात ये है कि बीजेपी और सरकार के असंतुष्ट भी इस मौक़े का इस्तेमाल कर रहे हैं. केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार में शामिल शिवसेना के मुखपत्र सामना में यशवंत सिन्हा की बात का समर्थन करते हुए लिखा गया कि पूरे देश का विकास पागल हो गया है. जाहिर है, गुजरात से चले जुमले से शिवसेना ने केंद्र सरकार को लपेटा है. शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, ‘सरकार यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा जो सवाल उठा रहे हैं उन्हें सरकार को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिये.”

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