भारत के साथ अमेरिका, रूस, जापान जैसी महाशक्तियां

हिमालयायूके ब्‍यूरो- जापान चीन के खिलाफ ढाल बनकर भारत के पक्ष में खडा हो गया हैं। वही  चीन  तनाव के माहौल में पीएम नरेंद्र मोदी का चीन जाना पक्का हो गया है। पीएम मोदी को ब्रिक्स देशों के सम्मेलन के लिए सितंबर के पहले हफ्ते में चीन जाना है। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने दो दिन पहले आरोप लगाया था कि भारत ब्रिक्स सम्मेलन में बाधा डालना चाहता है। अखबार ने डोकलाम विवाद के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। बॉर्डर पर चीन से तनातनी और नेपाल में आई बाढ को लेकर विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने चीनी सैनिकों की ओर से लद्दाख में घुसने की कोशिशों पर कहा कि ऐसी घटनाएं दोनों में से किसी देश के हित में नहीं हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा किभारत को चीन से इस साल ब्रह्मपुत्र पर पानी के बारे में कोई आंकडा नहीं मिला है। वही दूसरी ओर चीन के साथ जारी डोकलाम विवादपर जापान ने भारत का सपोर्ट किया है। जापान ने कहा है कि किसी भी देश को जोर-जबर्दस्ती से इलाके की यथास्थिति में बदलाव की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जापान का नजरिया वहां के पीएम शिंजो आबे के भारत दौरे से पहले आया है। आबे १३ से १५ सितंबर तक भारत दौरे पर आने वाले हैं। ज्ञात हो कि सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सडक बनाना चाहता है। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं। करीब २ महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं।

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जापान का ये कहना सिर्फ भारत का समर्थन नहीं बल्कि चीन पर प्रहार है जो भारत के डोकलाम में होने की गलत तस्वीर दुनिया को दिखा रहा है। रक्षा एक्सपर्ट कह रहे हैं कि जापान का इतना कहना भी बहुत बडी बात है। १४ अगस्त को आजादी के समारोह में चीन के पीएम को मुख्य अतिथि बनाकर पाकिस्तान ने भी साफ कर दिया कि वो चीन के साथ है। चीन नॉर्थ कोरिया वाले किम जोंग को भी अपना दोस्त मान रहा है। लाइबेरिया, सूडान जैसे छोटू जैसों को भी चीन अपने साथ मान रहा है। चीन कई देशों के राजदूतों को बुला बुलाकर डोकलाम विवाद पर भारत के खिलाफ भडकाने की कोशिश कर चुका है। चीन के पास पाकिस्तान है तो भारत के साथ अमेरिका, रूस, जापान जैसी महाशक्तियां।

नई दिल्ली ने चीन से कहा है कि चीन के सडक बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बडी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी। इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोडने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा। भारत ने डोकलाम से अपनी सेनाएं बिना शर्त वापस बुलाने की चीन की मांग ठुकरा दी है। इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने कहा था, “हमने डोकलाम मसले पर अपना नजरिया और रास्ता खोजने के तरीके को चीन के सामने साफ कर दिया है। सीमा के मसले को निपटाने के लिए दोनों देशों के बीच पहले से एक सिस्टम बना हुआ है और मौजूदा विवाद को लेकर भी हमें उसी दिशा में आगे बढना होगा। इंटरनेशनल कम्युनिटी ने इस बात का सपोर्ट किया है कि इस मुद्दे का हल बातचीत से होना चाहिए। हमने इंटरनेशनल लेवल पर अपने नजरिए को साफ कर दिया है।“

न्यूज एजेंसी के मुताबिक भारत में जापान के एम्बेसडर केनजी हिरामात्सु ने नई दिल्ली के सामने इस मुद्दे पर टोक्यो की स्थिति साफ की है। उन्होंने ये भी कहा, “हम मानते हैं कि डोकलाम भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र है और दोनों देश बातचीत कर रहे हैं। हम ये भी समझते हैं कि भारत की भूटान के साथ एक ट्रीटी है और इसी वजह से भारतीय सैनिक इलाके में मौजूद हैं।“

      वही केनजी भूटान में भी जापान के एम्बेसडर हैं। उन्होंने अगस्त की शुरुआत में भूटान के पीएम शेरिंग तोबगे से मुलाकात की थी और उन्हें भी इस मसले पर जापान के रुख की जानकारी दी थी। भूटान सरकार ने २९ जून को एक प्रेस रिलीज जारी कर डोकलाम विवाद पर अपना पक्ष रखा था। भूटान ने कहा था, “हमारे क्षेत्र में सडक बनाना सीधे तौर पर समझौते का वॉयलेशन है, जिससे दोनों देशों के बीच बाउंड्री तय करने के पॉसेस पर असर पड सकता है।“

जापान से पहले अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ की थी। अमेरिका ने कहा है कि भारत-चीन को डोकलाम विवाद के हल के लिए बातचीत की मेज पर आना चाहिए। अमेरिका ने जमीन पर एकतरफा बदलाव को लेकर चीन को सतर्क भी किया था। ऐसा कर यूएस ने भारत के नजरिये का सपोर्ट किया था।

ये विवाद १६ जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम एरिया में चीन के सैनिकों को सडक बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सडक बना रहा है। इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक ३४८८  लंबा बॉर्डर है। इसका २२०  हिस्सा सिक्किम में आता है।

डोकलाम पर चीन जब भारत को युद्ध के उन्माद में झोंकने की साजिश रच रहा है तब जापान चीन के खिलाफ ढाल बनकर भारत के पक्ष में खडा हो गया हैं। चीन ने साबित करने की कोशिश की कि चीन और भूटान के झगडे में भारत खामख्वाह कूद पडा है. भारत का डोकलाम में होना नाजायज है. लेकिन जापान ने एक बयान में चीन के दुष्पचार की हवा निकाल दी है. भारत में जापान के राजदूत केनजी हिरामात्सु कहा कि हम मानते हैं कि डोकलाम भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र है और दोनों देश बातचीत कर रहे हैं. हम ये भी समझते हैं कि भारत की भूटान के साथ एक संधि है और इसी वजह से भारतीय सैनिक इलाके में मौजूद हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत समाधान खोजने के लिए चीन के साथ राजनयिकों के माध्यम से बातचीत जारी रखेगा. हम शांतिपूर्ण समाधान के पति इस दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण मानते हैं।

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