नया साल, नया कानून और नया भारत; मोदी ने खुशी जताते हुए कहा

पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था #लोकसभा में इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, कई वरिष्ठ मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आदि मौजूद थे. जीएसटी के लागू होने पर केन्द्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जायेंगे. (www.himalayauk.org ) HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND (Leading Digital Web Media & Daily Newspaper) publish at Dehradun & Haridwar; Mail; csjoshii_editor@yahoo.in Mob 9412932030

लोकसभा में जीएसटी बिल पास होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने खुशी जताते हुए कहा, ‘नया साल, नया कानून और नया भारत.’ सरकार ने पहली जुलाई से जीएसटी लागू करने की लक्ष्य रखा है. पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था यानी जीएसटी लागू करने के लिए लोकसभा ने चार अहम विधेयक म॔जूर किए हैः. इन विधेयकों में – सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल (CGST), इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल (IGST), यूनियन टेरीटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल (UT GST) और गुड्स एंड सर्विसैज टैक्स (कम्पनशेषण टू स्टेट्स) बिल- शामिल हैं.
लोकसभा में जीएसटी बिल पर चर्चा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी की 4 दरें होंगी और इसकी अधिकतम सीमा 28 फीसदी की होगी. इतना ही नहीं लग्जरी सामान पर अलग से सेस भी लगेगा.
जीएसटी मल्टीपल टैक्सेशन स्लैब रखे गए हैं. खाने-पीने की चीजें और पेट्रोलियम पदार्थ 0 फीसदी टैक्स स्लैब में आएंगी. दूसरा टैक्स स्लैब 5 फीसदी का होगा वहीं तीसरा स्लैब 12-18 फीसदी का होगा जबकि 28 फीसदी अधिकतम टैक्स स्लैब होगा. लग्जरी स्लैब में तंबाकू, महंगी गाड़ियां आएंगी. लग्जरी स्लैब के 2 हिस्से होंगे, सेस+टैक्स. लग्जरी/तंबाकू उत्पादों पर 28 फीसदी के साथ सेस भी लगेगा. यह सेस 5 सालों के लिए होगा.
जीएसटी लागू होने की सूरत में केंद्र और राज्य स्तर के कई कर के साथ सेस और सरचार्ज मिलकर एक हो जाएंगे. मसलन, केंद्र की ओर से लगने वाले प्रमुख अप्रत्यक्ष करों, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, विशेष उत्पाद शुल्क और सेवा कर मिलकर एक हो जाएंगे, वहीं राज्यों की ओर से लगाए जाने वाले प्रमुख अप्रत्यक्ष करों जैसे वैट, विलासिता कर, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायो को छोड़), और चूंगी मिलकर एक हो जाएंगे. नयी व्यवस्था लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि एक सामान पर पूरे देश में एक ही कर होगा. अभी अलग-अलग सामान के लिए कर की दर तय नहीं की गयी है, लेकिन ये जरुर तय हो गया है कि 5, 12,18 और 28 फीसदी की दर से अलग-अलग सामान और सेवाओं पर टैक्स लगेगा. विलासिता के सामान और तंबाकू वगैरह पर अलग से सेस भी लगेगा.
जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार किस तरह से कर वसूल सकती है, उसकी व्याख्या इस विधेयक में की गयी है. यहां ये साफ कर दिया गया है कि शराब को छोड़ सभी सामान और सेवाओं पर कर लगेगा. कर की दर ज्यादा से ज्यादा 40 फीसदी (20 फीसदी केंद्र+ 20 फीसदी राज्य) हो सकती है. ई कॉमर्स कंपनियो की जिम्मेदारी भी तय की गयी है कि सामान मुहैया कराने वालों को किए गए भुगतान पर एक फीसदी की दर से टैक्स काटे. विधेयक का एक महत्वपूर्ण प्रावधान गैर-वाजिब तरीके से कमाए मुनाफे पर लगाम लगाने से जुड़ा है. इस तरह के प्रावधान का मतलब ये है कि जीएसटी लागू होने की सूरत में अगर किसी सामान पर कर की दर मौजूदा दर से कम हो जाती है तो ऐसी सूरत में सामान बनाने वाली कंपनियां अधिकत्तम खुदरा मूल्य यानी एमएमपी पहले की ही तरह रखकर अपनी जेब नही भर सकती. टैक्स घटने का फायदा उसे ग्राहकों तक पहुंचना होगा. इस तरह के प्रावधान मलय़ेशिया में लागू किए गए हैं. इस बिल के दायरे में 29 राज्य और विधानसभा वाले दो केंद्र शासित प्रदेश – दिल्ली और पुड्डुचेरी शामिल किया गया है.
दो राज्यों के बीच वस्तुओं व सेवाओं के व्यापार कर लगाने के मकसद से ये विधेयक लाया गया है. इसके साथ ही आयातित सामान पर भी कर लगान का अधिकार मिलेगा. इस विधयेक के जरिए पांच केद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्क्षद्वीप, दादरा नगर हवेली, दमन-दियू और चंडीगढ़ में जीएसटी लागू करना मुमकिन हो सकेगा. चूंकि इन पांच केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा नहीं है, इसीलिए वहां किसी भी कानून को लागू करने के लिए विधायी कार्य पूरा करने की जिम्मेदारी केंद्रीय संसद की है. जीएसटी लागू होने की सूरत में कई राज्यों को ये आशंका थी कि उनकी आमदनी में कमी आएगी. इसीलिए वो चाहते थे कि केंद्र सरकार ऐसे किसी संभावित नुकसान के लिए हामी भरे. केंद्र सरकार इसके लिए राजी हो गयी और मुआवजे की व्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने के लिए ही ये विधेयक लाया गया है. विधेयक के जरिए पांच साल तक नुकसान की पूरी राशि के बराबर मुआवजा देने का प्रावधान है. मुआवजे के आंकलन के लिए 2015-16 में हुई राज्यों की कमाई को आधार बनाया जाएगा.
अब इन चार विधेयको के अलावा 29 राज्यों के साथ दिल्ली और पुड्डूचेरी की विधानसभाओं को स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (एसजीएसटी) से जुड़ा विधेयक पारित करना है. उम्मीद है कि पूरी विधायी प्रक्रिया अगले एक से दो महीने में पूरी हो जाएगी जिसके बाद पहली जुलाई से जीएसटी लागू करना संभव हो सकेगा.
इसके अलावा राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने भी कारोबारियों को आश्वस्त किया है कि जीएसटी लागू होने के 3 महीने पहले उन्हें सारे कानूनों और नियमों की जानकारी दे जाएगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा है कि संसद में जीएसटी से जुड़े सारे विधेयक पास होने के बाद अब कानून को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम लिया जाएगा.

 

जीएसटी की अहम बातें:-

जीएसटी पर लोकसभा में चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं डाला जाएगा. उन्होंने कहा कि जीएसटी के माध्यम से देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा. जीएसटी लागू होने के बाद वस्तु एवं जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स की दरें मौजूदा स्तर पर रखी जायेंगी ताकि इसका महंगाई पर असर नहीं पड़े. 

अरूण जेटली ने लोकसभा में जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों. केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सर्व सम्मति से पारित करने की जरूरत बतायी ताकि देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की व्यवस्था को लागू किया जा सके. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद टैक्स ढांचे को सर्व सम्मति से तय कर रही है और इस बारे में अब तक 12 बैठकें हो चुकी हैं. यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझी सम्प्रभुत्ता के सिद्धांत पर आधारित है और यह ऐसी पहली पहल है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध है. यह ऐतिहासिक और क्रांतिकारी विधेयक है. जीएसटी परिषद सही मायने में पहला संघीय संस्थान है. इसमें केंद्र ने अपनी सम्प्रभुत्ता रखी है, इसमें राज्यों ने अपनी सम्प्रभुत्ता रखी है. इसके साथ केंद्र-राज्य संबंध के नाजुक तार को कायम रखा गया है.’’

जीएसटी व्यवस्था में चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत हैं

लक्जरी कारों, बोतल बंद पेयों, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं और कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री के उपर अतिरिक्त उपकर भी लगाने की बात कही गई है. 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जायेगा जीएसटी से जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें सेस से राशि दी जायेगी. पहले पांच साल तक राजस्व नुकसान की भरपायी की जाएगी जीएसटी से उत्पाद, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क समाप्त हो जाने की स्थिति में केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा. जीएसटी के प्रावधानों का दुरूपयोग नहीं किया जा सके, इसके भी उपाय किए गए हैं

जीएसटी को लेकर पेश किए गए चार विधेयक पर संसद की मुहर और अलग से तैयार राज्य जीएसटी विधेयक को सभी राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में जीएसटी व्यवस्था को लागू करने की विधायी प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. जीएसटी को एक जुलाई से लागू करने की सरकार की मंशा है विपक्ष ने महंगाई बढ़ने की आशंका जताई है.

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