जीएसटी में भी जरूरी सुधार किए जाएंगे- आखिर कहना पडा

हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो
दांव पर तो मोदी और शाह की साख; कहना पडी- जीएसटी में बदलाव की बात- राहुल के पास खोने को कुछ नही- वही नोटबंदी से आतंकवाद पर लगाम लगाने में सफलता मिलने के सरकारी दावे के उलट कश्मीर में लगातार आतंकी हमले जारी हैं.
मोदी को आखिर कहना पडा- जीएसटी में भी जरूरी सुधार किए जाएंगे; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इंडिया बिजनेस रिफॉर्म में देश के बड़े कारोबारियों को संबोधित किया
पीएम मोदी ने जीएसटी और नोटबंदी को लेकर कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में जीएसटी बड़ा सुधार है और काले धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी की गई थी. साथ ही पीएम ने कहा कि जीएसटी में भी जरूरी सुधार किए जाएंगे. हमने जीएसटी पर करीब सभी सुझाव स्वीकार किए हैं. कारोबारियों के सुझावों पर जीएसटी काउंसिल काम करेगी. भारत में कारोबार करना और आसान हुआ है.
वही राहुल को लगने भी लगा है खोने को कुछ नहीं है. गुजरात जीते तो दिल्ली दूर नहीं. दांव पर तो मोदी और शाह की साख है इसलिए राहुल अब पिच पर खुलकर खेल रहे हैं.
कांग्रेस के स्टार प्रचारक एवं सीएम वीरभद्र सिंह ने ऊना जिला में कहा कि पीएम हिमाचल में चुनावी अभियान ऐसे चला रहे है जैसे पीएम चुनाव प्रचार नहीं हमारे खिलाफ जंग का ऐलान करने आये हैं. गुजरात के दक्षिण इलाके के दौरे का आखिरी दिन आते-आते राहुल के तेवर और स्क्रिप्ट दोनों बदल गए हैं. जो राहुल पिछले चुनाव तक मनमोहन सरकार की गलती पर सफाई देते थे अब वो पिछली बात नहीं करते बल्कि अब वो बात सिर्फ मोदी सरकार की गलतियों की करते हैं.

राहुल को ये ज्ञान गीता से मिला है. राहुल उसी अंदाज में कहते भी हैं कि हमें अपना काम करना है. फल की चिन्ता नहीं करनी और पीछे नहीं देखना. राहुल मोदी सरकार से फिल्मी संवाद भी कहते हैं कि तुम्हारे पास ताकत है, सरकार है, पुलिस है पर मेरे पास सच है. ये राहुल की नई भाषा और स्क्रिप्ट है जो नए इतिहास की इबारत लिखना चाहती है. राहुल ने युवाओं की नब्ज पर हाथ भी रख दिया. हार्दिक पटेल पाटीदार युवा को साथ ले रहे हैं तो जिग्नेश मेवाणी के साथ दलित हैं और अल्पेश ठाकोर भी आ गए हैं. ये युवा सड़क और राहुल की रैली में दिख भी रहे हैं.

अल्पेश साफ कहते हैं कि बीजेपी सुनने को तैयार नहीं क्या करें? कांग्रेस सुन रही है. पटेल भी ये मानते हैं. दूसरी ओर राहुल अब खुद गुस्सा नहीं होते और ये दूसरों के गुस्से को हवा दे रही बीजेपी के लिए सही संकेत नहीं है.

कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए पीएम ने कहा, मैंने सुना है कि कांग्रेस ने अपने ही नेताओं का भरोसा खो दिया है और दूसरी पार्टियों में बागियों की तलाश में जुटी है. कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता यहां प्रचार करने नहीं आया. उन्होंने पहले ही मैदान छोड़ दिया है और सब कुछ किस्मत पर छोड़ दिया है. एक भी पोलिंग बूथ ऐसा नहीं होना चाहिए, जहां कांग्रेस रूपी दीमक बची हो. कांग्रेस पार्टी सजा के बिना नहीं सुधरेगी.

नोटबंदी से आतंकवाद पर लगाम लगाने में सफलता मिलने के सरकारी दावे के उलट कश्मीर में लगातार आतंकी हमले जारी हैं. लोग पत्थरबाजी का सहारा ले रहे हैं ताकि मुठभेड़ वाली जगहों से आतंकियों को भागने में मदद मिल सके. यह साफ है कि ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) और आतंकियों के समर्थकों का तगड़ा नेटवर्क अभी भी मौजूद है. इसकी वजह से इन्हें पैसों की लगातार सप्लाई मिल रही है.
भले ही बेहतर सुरक्षा निगरानी से आतंकियों के लिए आम लोगों से चंदे के जरिए खुलेआम पैसा जुटाना आसान नहीं रहा है, लेकिन सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि कश्मीर में आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों और ओजीडब्ल्यू के जरिए फंडिंग लगातार जारी है. 1990 के दशक में आतंकी खुलेआम आम लोगों से चंदा इकट्ठा किया करते थे.
अधिकारियों के मुताबिक, आतंकी संगठनों से जुड़ने वाले युवाओं की संख्या पर कोई लगाम नहीं लगी है और नोटबंदी से घाटी में आतंकवाद की घटनाओं पर कोई रोक नहीं लगी है. गृह मंत्रालय और जम्मू और कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 में 53 सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए थे और 67 आतंकी मारे गए थे. 2014 में यह संख्या क्रमशः 47 और 110 थी. 2015 में यह आंकड़ा 39 और 108 का था. 2016 में यह एक बार फिर बढ़कर 82 और 150 पर पहुंच गया.

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