उत्तराखण्ड में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग

विधानसभा में पारित कराने का अनुरोध#पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर हमले बढे  www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)

उत्तराखण्ड के मीडियाकर्मियों के प्रमुख संगठन ‘नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ’ ने राज्य सरकार से उत्तराखण्ड में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है। यूनियन ने मुख्य मंत्री मुख्य मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, उनकी कैबीनेट से सभी मंत्रियों, विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष सहित भाजपा व कांग्रेस के प्रदेश अध्यरक्ष को भी पत्र भेजकर राज्य में पत्रकारों, मीडिया कर्मियों और मीडिया संस्थानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये पार्टी फोरम, सरकार और मंत्रीमंडल की बैठक में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू कराने का निर्णय लेकर उसे विधानसभा में पारित कराने का अनुरोध किया है।

वही दूसरी ओर सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करना राज्यों की जिम्मेदारी है। केंद्र उसमें हस्तक्षेप नहीं करता। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में यह भी कहा कि हमलों में मारे गये पत्रकारों के परिवार वालों को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है। पत्रकार जिस संस्थान में कार्यरत होते हैं, वो ही मुआवजा देते हैं। सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि पत्रकारों के मामले में भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के माध्यम से शिकायतों पर संज्ञान लिया जाता है। मंत्री ने बताया कि पीसीआई की एक उप-समिति ने गृह मंत्रालय को इस संबंध में कुछ सिफारिशें भेजी थीं लेकिन अभी तक हमने उन्हें स्वीकार नहीं किया है। सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि 2014-15 में देश के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों पर हमलों की 142 घटनाएं सामने आर्इं हालांकि पत्रकारों पर हमलों को लेकर अलग कानून बनाने की उसकी कोई योजना नहीं है और मौजूदा कानून पर्याप्त हैं। सदन में आज कई सदस्यों ने पत्रकारों पर हमले के मुद्दे को उठाते हुए सरकार से इस संबंध में अलग कानून बनाने की जरूरत पर जोर दिया। गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने प्रश्नकाल में कहा कि पत्रकार या किसी विशेष व्यवसाय के लोगों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाने का उसका कोई विचार नहीं है।

यूनियन के प्रदेश अध्य क्ष त्रिलोक चन्द्रि भट्ट की ओर से मुख्यंमंत्री त्रिवेन्द्रक सिंह रावत सहित कैबीनेट मंत्री प्रकाश पंत, सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, मदन कौशिक, डॉ. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, अरविन्दब पाण्डे् तथा राज्यक मंत्री डॉ. धनसिंह रावत, और सरिता आर्य, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इन्दिरा ह्रदयेश तथा भाजपा व कांग्रेस के प्रदेशों को भेजे गये पत्रों में कहा गया है कि विगत कुछ वर्षो से देशभर में पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर अप्रत्या शित रूप से हमले बढ़े हैं। इन घटनाओं में अनेक पत्रकारों की जान गई हैं, और कई पत्रकार बुरी तरह घायल हुये हैं। पत्र में उत्तराखण्ड को भी उन राज्यों में से एक बताया गया है जहॉं पत्रकारों पर हमले की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है, और कहा गया है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिये कोई ठोस कानून न होने के कारण विगत वर्षों की हालिया घटनाओं में ही राज्य के मीडिया कर्मियों पर हमले की एक दर्जन से अधिक घटनायें हो चुकी हैं।
‘नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स’ ने बीते कुछ महिनों जिन पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर हमले की बात कही है उनमें प्रभात ध्यानी (स्वतंत्र पत्रकार) रामनगर, जनपद-नैनीताल, श्री मुनीश कुमार (संपादक नागरिक पत्रिका) रामनगर, जनपद-नैनीताल, श्री आदिल राणा (संवाददाता टीवी 100) रूड़की, जनपद हरिद्वार श्री संजय आर्य (संवाददाता, आज तक) जनपद-हरिद्वार, श्री हरगोविन्द रावल (संवाददाता, उत्तर उजाला) गंगोलीहाट, जनपद पिथौरागढ़, श्री दीपक कुकरेजा (संवाददाता न्यूज वर्ल्ड) रूद्रपुर, जनपद-उधमसिंह नगर, श्री दीपक गुप्ता (संवाददाता, इंडिया टीवी) जनपद-पिथौरागढ़, स्व. राजेश राणा (पूर्व मीडियाकर्मी) एवं उनके पिता स्व. प्रेमसिंह राणा, जनपद-देहरादून, श्री शाहवेज खान (संवाददाता, शाह टाइम्स) हल्द्वानी, जनपद-नैनीताल, श्री भगीरथ शर्मा (संवाददाता, जी-न्यूज) काशीपुर, जनपद-उधमसिंहनगर आदि के नाम प्रमुख हैं।
यूनियन ने कहा है कि दो वर्ष पूर्व अर्न्तराष्ट्रीय संगठन कमिटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि ‘युद्धग्रस्त इराक और सीरिया के बाद दुनियाभर में भारत की ऐसा देश है जहाँ पत्रकारों को सबसे अधिक खतरा है और जहाँ उनकी सबसे अधिक हत्याएं होती हैं. वर्ष 1992 से 2015 तक भारत के विभिन्न भागों में काम के दौरान 64 पत्रकारों को जान गंवानी पड़ी.’ इसके अतिरिक्त बहुत सी ऐसी घटनाएं हैं जिनमें मीडियाकर्मी घायल हुये या उनका उत्पीड़न हुआ. ऐसी घटनाएं भी अलग से हैं जिनमें अभियोग ही पंजीकृत नहीं हुये. इस स्थिति में पत्रकार स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने उत्तराखण्डँ सरकार को देश में सबसे पहले पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने वाले राज्य् महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा है उत्तराखण्ड में पत्रकार उत्पीड़न और उन पर हमले की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये महाराष्ट्र की तर्ज पर पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने से पत्रकारों, मीडिया कर्मियों और मीडिया घरानों को और अधिक निष्पीक्षता और निर्भीकता से कार्य करने का अवसर और माहौल मिलेगा।

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