फडणवीस की जा सकती है कुर्सी! 4 दिन में 10 किसानों ने की आत्महत्या और नेताओं को बस कुर्सी की चिंता

HIGH LIGHT# हिमालयायूके ब्‍यूरो # शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला  पार्टी ने कहा है कि यह हम सिर्फ मुद्दे की बात कर रहे हैं और मुक्के की बात होगी तो उसका भी उत्तर हम देंगे. गुंडों की धौंस और पैसों का प्रसाद कोई बांट रहा होगा तो यहां कोई मरी मां का दूध नहीं पीया है.# महाराष्‍ट्र की सियासत में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की एंट्री  # फडणवीस इस वक्‍त पार्टी में अलग-थलग पड़ गए # नितिन गडकरी को संघ का चहेता माना जाता है. # शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने चेतावनी दी कि किसी की भी हिम्मत शिवसेना के विधायकों के नजदीक आने की नहीं है। 

महाराष्ट्र: 4 दिन में 10 किसानों ने की आत्महत्या और नेताओं को बस कुर्सी की चिंता महाराष्ट्र में पिछले दो सप्ताह से नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि प्रदेश के मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले चार दिनों के दौरान 10 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणाम 24 अक्टूबर को आए और सत्ता में हिस्सेदार रही बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा और उन्हें पूर्ण बहुमत के बाद भी सरकार गठित नहीं हो पा रही है।

महाराष्‍ट्र (Maharashtra Assembly Elections 2019) में अगले 24 घंटे के भीतर सरकार बनाने की समयसीमा के मद्देनजर सियासी दलों की उठापटक तेज हो गई है. सरकते वक्‍त के बीच महाराष्‍ट्र की सियासत में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की एंट्री हो गई है. वह आज नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिल रहे हैं. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने करीबी मंत्रियों के साथ बैठक की है. फडणवीस इस वक्‍त पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं. सूत्रों के मुताबिक आरएसएस भी बीजेपी पर शिवसेना को किसी तरह मनाने का दबाव डाल रहा है. सूत्रों के मुताबिक गडकरी की एंट्री से फडणवीस की कुर्सी जा सकती है.  सरकार को लेकर सियासी सस्‍पेंस के बीच सूत्रों के मुताबिक आरएसएस नेता भैय्याजी जोशी ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बात की. इस बातचीत के बाद हो सकता है कि आज शिवसेना-बीजेपी के बीच कुछ बातचीत शुरू हो. शिवसेना ने आज मातोश्री पर अपने विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की मीटिंग बुलाई है. बैठक में सरकार बनाने और विधायकों को एक जगह रखने पर फैसला लिए जाने की उम्मीद है. उधर बीजेपी नेता आज दोपहर 2 बजे राज्यपाल से मुलाकात करेंगे. राज्यपाल के साथ इस बैठक में बीजेपी के बड़े नेता शामिल हो सकते हैं.

खींचतान के बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में लिखा है कि बीजेपी सत्ता हासिल करने के लिए पैसों और गुंडों का इस्तेमाल कर रही है. चेतावनी देते हुए पार्टी ने कहा है कि यह हम सिर्फ मुद्दे की बात कर रहे हैं और मुक्के की बात होगी तो उसका भी उत्तर हम देंगे. गुंडों की धौंस और पैसों का प्रसाद कोई बांट रहा होगा तो यहां कोई मरी मां का दूध नहीं पीया है.

बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी रस्‍साकशी को देखते हुए राजनीतिक अनुमान लगाए जा रहे हैं कि फडणवीस की जगह केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ले सकते हैं. उसके बाद शिवसेना की गठबंधन में वापसी की जल्द से जल्द घोषणा हो सकती है. फडणवीस व गडकरी दोनों नागपुर से हैं और कैमरे के सामने दोनों में सौहार्दपूर्ण संबंध होने के बावजूद दोनों के बीच मतभेद जाहिर हैं.

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान में शिवसेना ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाये हैं। शिवसेना ने बृहस्पतिवार को कहा है कि बीजेपी उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र के लोग चाहते हैं कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनना चाहिए। संपादकीय में सहयोगी पार्टी बीजेपी पर आरोप लगाया गया है कि वह सरकार बनाने के लिये धनबल का इस्तेमाल कर रही है।  संपादकीय में लिखा है, ‘कुछ लोग शिवसेना के विधायकों को पैसे से ख़रीदने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसी शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। शिवसेना राज्य में इस तरह की राजनीति नहीं होने देगी।’ संपादकीय में आगे लिखा है, ‘पिछली सरकार पैसे के दम पर नई सरकार बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन कोई भी किसानों की मदद नहीं कर रहा है इसलिए किसान शिवसेना का मुख्यमंत्री चाहते हैं।’ 

सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने स्पष्ट रूप से गडकरी को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करने का रोडमैप तैयार किया है. इससे शिवसेना को रोटेशन के आधार पर मुख्यमंत्री पद की मांग को कमजोर करने का अवसर मिलेगा.

नितिन गडकरी के संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ अच्छे संबंध हैं. भागवत ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में लाने का कार्य किया और कई दिग्गज नेताओं के विरोध के बावजूद उन्हें भाजपा अध्यक्ष बनाया. इसके अलावा 2014 के दौरान जब गडकरी ने चुनाव में उतरने की घोषणा की तो भागवत ने हस्तक्षेप कर उन्हें वापस हटने और अपने को राष्ट्रीय राजनीति तक सीमित करने को मनाया.

शिवसेना देवेंद्र फडणवीस के कड़े रुख को लेकर नाराज है. आरएसएस के शीर्ष नेताओं ने अपने सूत्रों को शिवसेना को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से बातचीत को लेकर पाला नहीं बदलने की सलाह देने के लिए भेजा. माना जाता है कि संघ ने भी शिवसेना को आश्वासन दिया है कि सभी ‘मुद्दों’ का सौहार्दपूर्ण हल किया जाएगा.

यह खासा महत्वपूर्ण है कि शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने भागवत को पत्र लिखकर गडकरी को परिदृश्य में लाने को कहा. तिवारी ने कहा कि सिर्फ गडकरी ही गतिरोध को ‘दो घंटे’ में खत्म कर सकते हैं. नितिन गडकरी को संघ का चहेता माना जाता है. वे नागपुर से हैं, जहां आरएसएस का मुख्यालय है. इससे पहले मंगलवार को संघ प्रमुख द्वारा फडणवीस को बुलाया गया था और उन्होंने 90 मिनट बातचीत की, लेकिन नतीजा सिफर रहा. आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी भी इस बैठक को लेकर मौन रहे. फडणवीस ने सोमवार को दिल्ली में नितिन गडकरी और अमित शाह से मुलाकात की थी.

राकांपा द्वारा किसी को भी समर्थन देने से इनकार करने के बाद आरएसएस ने भाजपा और शिवसेना के बीच बातचीत के लिए राजनीतिक प्रबंधन को सक्रिय कर दिया है. राज्य विधानसभा के कार्यकाल के इस हफ्ते समाप्त होने के मद्देनजर संघ ने सरकार बनाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे के मुंबई पहुंचने की बात कही जा रही है. खड़गे कांग्रेस विधायकों के साथ चर्चा कर आगे की रणनीति तय करेंगे. कांग्रेस का एक गुट अब भी चाहता है कि राज्य में बीजेपी को सत्‍ता से बाहर करने के लिए शिवसेना के नेतृत्व में एनसीपी के सहयोग से सरकार बने और कांग्रेस बाहर से समर्थन दे.

ये भी कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल सोनिया गांधी से आज दिल्ली में मुलाकात करेगा. महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनने में कांग्रेस को मदद करने की सोनिया गांधी से मांग करेंगे. प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने से रोकने की कांग्रेस के बड़े नेता मांग कर रहे हैं.

फिलहाल आज का दिन महाराष्ट्र की राजनीति के लिए काफी अहम साबित होने जा रहा है क्‍योंकि बीजेपी जहां शिवसेना के साथ या बिना शिवसेना के अपने पक्ष में विधायकों को जुटाने की कोशिश करेगी तो दूसरी पार्टियां जीतकर आए अपने विधायकों पर पूरी तरह से नजर बनाकर रखेंगी. 

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