राहु और केतु का जल्‍द राशि परिवर्तन ; अर्श से फ़र्श पर पटक देगा

HIGH LIGT; ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु का राशि परिवर्तन होने वाला है। इस वर्ष राहु-केतु का 18 अगस्त को राशि परिवर्तन हो रहा है। राहु कर्क में और केतु मकर राशि में 7 मार्च 2019 तक रहेंगे। कर्क राहु के शत्रु चंद्रमा की राशि है। मकर केतु के मित्र शनि की राशि है। राहु और  केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह माना जाता है। ये लगभग 18 महीने में राशि में बदलते हैं। ये दोनों ग्रह हमेशा वक्री रहते हैं यानी उल्टे चलते हैं। राहु-केतु का राशि परिवर्तन -वृष, कन्या, वृश्चिक, कुंभ और मीन वालों के लिए शुभ रहेगा। वहीं मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, धनु और मकर राशि वाले लोगों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। #पिछले वर्ष 18 अगस्त 2017 को केतु अपना राशि परिवर्तन कर 23 महीनों के लिए मकर राशि में आया है। यानि कि साल 2018 ही नहीं बल्कि 2019 में भी यह गोचर सभी राशियों को बड़े स्तर पर प्रभावित करेगा।

Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड

राहु-केतु को बेहद रहस्यमय ग्रह माना गया है। ये अपना क्या प्रभाव छोड़ेंगे, इस बात का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होता है। ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं जो किसी भी राशि में 18 माह तक रुकते हैं। इनका राशि परिवर्तन तेजी से नहीं होता और न ही ये बहुत ज्यादा गतिशील हैं। राहु-केतु के राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है। राहु खगोलीय दृष्टि से कोई ग्रह भले न हो लेकिन ज्योतिष में राहू का बहुत अधिक महत्व है। राहु के साथ केतु का भी नाम लिया जाता है क्योंकि दोनों एक दूसरे के विपरीत बिंदुओं पर समान गति से गोचर करते हैं। राहु को जन्म से ही वक्री ग्रह माना जाता है। 

दिक ज्योतिष में राहु-केतु छाया ग्रह के रूप स्थित है। यह एक क्रूर ग्रह है। राहु व्यक्ति के स्वाभाविक सोच में परिवर्तन कर देता है। यह व्यक्ति के मन तथा बुद्धि को भ्रमित करने वाला ग्रह है। राहु के प्रभाव से मनुष्य के जीवन में रहस्यमयी और अप्रत्याशित परिवर्तन होते हैं। यह ग्रह जीवन यात्रा में अकस्मात ऐसा परिवर्तन लाता है कि व्यक्ति कभी सोचा भी नहीं होगा। राहु व्यक्ति के जीवन में सुखद और दुखद दोनों घटना को अंजाम देने में सक्षम होता है। किन्तु यह सब जातक की जन्मकुंडली में राहु किस स्थान पर बैठा है तथा किस स्थिति में है उस पर निर्भर करता है।

राहु को अनैतिक कृत्यों का कारक भी माना जाता है। शनि के बाद राहु-केतु ऐसे ग्रह हैं जो एक राशि में लंबे समय लगभग 18 महीने तक रहते हैं। ऐसे में राहु का राशि परिवर्तन करना एक बड़ी ज्योतिषीय घटना मानी जाती है राहु का शुभ सूर्य के साथ अथवा सूर्य के नक्षत्र में होना राजयोग जैसा फल देता है। 

 

 यदि कुंडली में राहु मजबूत स्थिति में है तो यह व्यक्ति को जीवन में मान-सम्मान और राजनीतिक सफलताएं प्रदान करता है। इसके विपरीत यदि कुंडली में राहु की स्थिति प्रतिकूल है तो यह अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियां पैदा करता है। इसे कार्य सिद्धि में बाधाएं उत्पन्न करने वाला तथा दुर्घटनाओं का जनक माना जाता है। इसके अतिरिक्त राहु मानसिक तनाव, धन हानि और झूठ बोलने आदि का कारक भी होता है। यह रातों रात आपको फ़र्श से अर्श तक पहुँचा सकता है और यदि परिस्थितियों विपरीत हुईं तो यह आपको अर्श से फ़र्श तक भी ला सकता है। राजनीति से जुड़ें जातकों के लिए राहु ग्रह की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साल 2018 में राहु ग्रह कर्क राशि में स्थित रहेगा और फिर 07 मार्च 2019 (गुरुवार) को यह 02:48 बजे यहाँ से मिथुन राशि में गोचर करेगा। 

 राहु अक्सर लोगों का आवास, उद्देश्य और मित्रों में परिवर्तन लाता है। इसमें स्वार्थ की भावना अधिक होने से यह शत्रुता में बढ़ोत्तरी करता है। दुश्मन, रोग और उधारी ये तीनों ही राहु के मुख्य गुण हैं। राहु का प्रभाव जिन पर होता है वे मंगल जैसे जोशीले नहीं होते, बल्कि आत्मविश्वास से भरपूर, बहादुर और निडर होते हैं। इस तरह का गुण रखने वाले राहु का कलयुग में प्रभाव बढ़ जाता है। राहु पृथ्वी के गूढ़ तत्व, रहस्यों और अगोचर दुनिया की जानकारी देता है। राहु जब बुध की राशि में होता है तब अधिक बलशाली हो जाता है। राहु केतु किसी भी राशि में प्रवेश करते हैं तो उनकी जिंदगी में चाहे अच्छा या फिर चाहे बुरा जरूर होता है।

राहु-केतु खगोलीय दृष्टि से कोई ग्रह भले न हो लेकिन ज्योतिष में राहू-केतु का बहुत अधिक महत्व है। राहु के साथ केतु का भी नाम लिया जाता है क्योंकि दोनों एक दूसरे के विपरीत बिंदुओं पर समान गति से गोचर करते हैं। राह-केतु को जन्म से ही वक्री ग्रह माना जाता है।

पौराणिक ग्रंथों में राहु एक असुर हुआ करता था जिसने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत की कुछ बूंदे पी ली थी। सूर्य और चंद्रमा को तुरंत इसकी भनक लगी और सूचना भगवान विष्णु को दी इसके पश्चात अमृत गले से नीचे उतरने से पहले ही भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जिसके कारण उसका सिर अमरता को प्राप्त हो गया और राहु कहलाया।

सूर्य व चंद्रमा से राहु की शत्रुता का कारण भी यही माना जाता है। मान्यता है कि इसी शत्रुता के चलते राहु सूर्य व चंद्रमा को समय-समय पर निगलने का प्रयास करता है जिसके कारण इन्हें ग्रहण लगता है। ज्योतिष शास्त्र में भी राहु को छाया ग्रह माना जाता है। राहु पाप ग्रह है। जातक की कुंडली में कालसर्प जैसे दोष राहु के कारण ही मिलते हैं। मिथुन राशि में राहु को उच्च का तो धनु राशि में नीच का माना जाता है। राहु को अनैतिक कृत्यों का कारक भी माना जाता है। शनि के बाद राहु-केतु ऐसे ग्रह हैं जो एक राशि में लंबे समय लगभग 18 महीने तक रहते हैं। ऐसे में राहु का राशि परिवर्तन करना एक बड़ी ज्योतिषीय घटना मानी जाती है  समस्त ग्रहों में राहु को एक क्रूर स्वभाव और बुद्धि को भ्रमित कर देने वाले छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है। राहु के प्रभाव से मनुष्य के जीवन में रहस्यमयी और अप्रत्याशित परिवर्तन होते हैं। इसके फलस्वरूप जीवन में अचानक कोई बड़ा परिवर्तन और हादसे घटित होते हैं। हालांकि ये सुखद और दुखद दोनों हो सकते हैं। कुंडली में राहु की दशा और स्थिति से इसका बोध होता है। गोचर के दौरान राहु एक राशि में 18 महीने तक संचरण करता है।  

राहु कन्या राशि में बलवान होता है। राहु की खुद की कोई राशि नहीं होती, इसलिए वह जिस भी स्थान में होता है उस स्थान के अधिपति जैसा ही फल देता है। यदि राहु अकेला ही केंद्र या त्रिकोण में बैठा हो और वह केंद्र या त्रिकोण के स्वामी के साथ युति करता है तो योगकारक बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु 3, 6 व 11वें भाव में बलवान बनता है। अगर राहु जातक की कुंडली में शुभता प्रदान करने वाले स्वामी के साथ युति करता है या उपस्थित होता है तो वह जातक की दशा-अंतर्दशा में भी शुभ फल दिलाता है। राहु जिस ग्रह के साथ होता है वह उस ग्रह की प्रवृत्ति में विकृति लाता है। जहां शुक्र-राहु की युति जातक को कामुक बनाती हैं, वहीं इसकी गुरु के साथ युति गुरु चांडाल योग को जन्म देती है। हालांकि, गुरु व शुक्र जिस भाव के स्वामी होते है उसके अनुसार ही लाभ या नुकसान देते हैं। राहु-मंगल का वृश्चिक राशि से संबंध एक प्रकार का विषेला संबंध बनाता है जिसकी वजह से अफीम, गांजे, शराब और चरस जैसी वस्तुओं पर राहु का प्रभाव होता है। एेसे धंधे में राहु फायदा कराता है। राहु अगर शुभ बुध के साथ होता है तो वह जातक को एक अच्छा व्यापारी व वैज्ञानिक भी बनाता है। हालांकि, अशुभ स्थान पर स्थित बुध जातक के लिए अशुभ परिणाम लाता है।

राशियों पर असर.  

मेष- समस्याओं से निजात व खुशहाली रहेगी।  
वृष-व्यापार में नुकसान की आशंका बनी रहेगी, चिंता से उलझन बढ़ेगी। 
मिथुन- सामाजिक स्तर गिरेगा, अपराध बोध होगा।
कर्क- शारीरिक कष्ट व दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी।
सिंह- परिवार में सुख-शांति आएगी, जटिल समस्याओं का होगा निदान।
कन्या- मानसिक पीड़ा, शारीरिक कष्ट सताएगा।  
तुला- आर्थिक परेशानी और पारिवारिक दिक्कतों का करना पड़ेगा सामना।
वृश्चिक- कार्यक्षेत्र में प्रभाव बढ़ेगा, होगा आर्थिक लाभ। 
धनु- मानसिक उत्पीड़न, व्यापार में धनहानि की आशंका बनेगी।
मकर- शारीरिक चोट, शत्रुओं से भय के साथ वाहन दुर्घटना की आशंका। 
कुंभ- सामाजिक यश-कीर्ति में बढ़ोतरी, आर्थिक लाभ। 
मीन- सम्मान और वैभव के साथ आर्थिक लाभ मिलेगा।


चांदी के आभूषण पहनें। काले कुत्ते को रोटी व अन्य खाद्य पदार्थ खिलाएं। भगवान शिव की आराधना करें। भैरव बाबा के मंदिर जाकर दर्शन कीजिए और पूजा-अर्चना करें।

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