सरकारें गिराने की महारथ मेरे पास- विधानसभा में किसने किया ऐलान

4 DEC. 2018;’ कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने विधानसभा सत्र के दौरान यह कहकर सनसनी मचा दी कि 2003 में उन्होंने एनडी तिवारी सरकार गिराने की कोशिश की थी. पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को श्रद्धांजलि देने के लिए लाए गए शोक प्रस्ताव पर बोलते हुए हरक सिंह रावत ने कहा कि 2003 में उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर एनडी तिवारी सरकार को गिराने की कोशिश की थी. उस समय 28 विधायक उनके साथ थे और सरकार को गिराने की पूरी तैयारी कर ली गई थी.

बता दें कि जैनी प्रकरण में नाम आने के बाद हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. हरक सिंह ने कहा कि उस समय वे काफ़ी नाराज थे और सरकार गिराना चाहते थे. हरक सिंह के अनुसार बीजेपी के भगत सिंह कोश्यारी ने प्रमोद महाजन को प्रदेश की पूरी राजनीतिक स्थिति बताई थी लेकिन पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने सरकार को गिराने का इरादा टाल दिया.

यहां पर बताने में कुछ कंजूसी कर गये,हरक सिह रावत, जैनी प्रकरण में नाम आने के बाद हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना था,सीबीआई जांच और अनेक झझावातो से उलझ कर टूट गये थे,हरकसिंह,उस समय उनको तत्‍कालीन एनडीए संयोजक तथा रक्षामंत्री जार्ज फर्नाडीस ने सहारा दिया था, कौन ले गयाा था उनको जार्ज तक, जबकि हरक को जार्ज जानते तक नही थे, पत्‍नी समेत हरक सिंह जार्ज के निवास पर पहुचे,बडी मुश्‍किल से समय उस व्‍यक्‍ति ने दिलाया था, उसके बाद रक्षा मंत्रालय में बिलखते हुए हरक जार्ज के पैरो पर पड गयेे थेेे . मैं अपनेे शरीर के चमडे का आपकेे लिए जूता बना दूगा- मुझे बचा लो- मुझे बचा लो, जिंदगी भर आपका उपकार नही भूलूगा, तब जार्ज ने कहा था-मेरा नही जो तुमको मेरे पास तक ले आया, अहसान उन पंडित जी का मानना, किसके आग्रह पर जार्ज ने हरक को सीबीआई जाच में निष्‍पक्ष जांच कराकर बरी कराया था परन्‍तु बरी होने के बाद भी प0 नारायण दत्‍त तिवारी ने उनको अपने मंत्रिमण्‍डल में नही लिया था, और उधर बरी होने के बाद हरक ने उस व्‍यक्‍ति को धन्‍यवाद तक नही बोला जो उनको लेकर जार्ज के पास गया था, और उधर राजनीति के चाणक्‍य पं0 तिवारी जी के कॉन खडे हो गये थे, कौन हरक को जार्ज तक ले कर बचा लाया-

इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई है क्योंकि 2016 में हरीश रावत सरकार को गिराने में भी हरक सिंह रावत की अहम भूमिका थी. तब हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा समेत 9 कांग्रेसी विधायकों ने कांग्रेस से बगावत कर दी थी. बाद में ये सभी बीजेपी में शामिल हो गए थे.
हरक सिंह रावत को उनके चुनावी मैनेजमेंट और उनके महिलाओं से जुड़े विवादों के लिए जाना जाता है। उनका अब एक नया चेहरा खुलकर सामने आया है कि वो सरकारें गिराने की महारथ भी रखते हैं। वैसे तो हरक सिंह पहले से ही बेबाक राय रखते आए हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो कुछ ज्यादा की बेबाकी से अपनी बात रख रहे हैं। ये कहा जाता है कि हरक सिंह रावत तब तक कोई बयान नहीं देते, जब तक उनको उसमें सियासी फायदा नजर नहीं आता। अब उन्होंने एक नया बयान दिया है, जिससे एक बार फिर सियासी गलियारों में चर्चा जारों पर है।

हरक सिंह के बयान के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं। उसका कारण भी खास और गंभीर है। दरअसल, हरक सिंह रावत ने विधानसभा सत्र में एनडी तिवारी को श्रद्धांजलि देने के दौरान कहा कि उन्होंने नारायण दत्त तिवारी की सरकार गिराने के लिए 28 विधायक अपने साथ कर लिए थे। उनके इस काम में विजय बहुगुणा ने उनका पूरा साथ दिया था। इससे एक बात तो साफ हो गई है कि हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा ने एनडी तिवारी से लेकर हरीश रावत की सरकारों को गिराने की षडयंत्र रचा था।

अब अगर उनके इस बयान को वर्तमान राजनीतिक परिस्थियों से जोड़कर देखा जाए तो हरक सिंह रावत ने फिर से साबित किया कि वो एक बेहद कूटनीतिक सियासतदां हैं। पिछले कुछ दिनों से सरकार और संगठन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

हाल ही में चर्चा में रहा स्टिंग प्रकरण भी हरक सिंह रावत के साथ जुड़ता हुआ नजर आया। दअरसल, ये पूरा विवाद उनके बेटे की शादी से ही शुरू हुआ था। जानकार सूत्रों की मानें तो उसी शादी में हरक सिंह के साथ मिलकर स्टिंग की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई थी। वहीं, निकाय चुनाव के बाद सरकार और संगठन के बीच उभरे विवाद के बाद हरक सिंह रावत ने मौके की गंभीरता को देखते हुए अजय भट्ट गैरसैंण विरोधी बयान के समर्थन में बयान दिया था। साथ ही टिकट वितरण के दौरान उनको नहीं पूछे जाने के कारण कोर्टद्वार में पार्टी प्रत्याशी की हार होने की बात भी कही थी।

उनके इस बयान को इस परिपेक्ष में भी देखा जा रहा है कि हरक सिंह रावत कहीं कोई नई चाल तो नहीं चल रहे हैं। एनडी तिवारी सरकार गिराने की बात वो अब खुलेआम स्वीकार चुके हैं। हरीश रावत सरकार भी उन्होंने और विजय बहुगुणा ने मिलकर गिराई थी। विजय बहुगुणा तब भी राज्यसभा जाना चाहते थे। अब भी जाना चाहते थे, लेकिन सफल नहीं रहे। कहीं ऐसा तो नहीं कि हरक सिंह रावत सरकार को चेता रहे हों, कि उनको नजर अंदाज करना सरकार पर भारी पड़ सकता है। इन तमाम सवालों के बीच हरक सिंह रावत के बयान ने सियासी तूफां फिर खड़ा कर दिया है।

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