11 मई -भौमावस्या का योग -पितरों के साथ राहू-केतू पूजा दिवस
11 मई २०२१ दिन मंगलवार को वैशाख मास की अमावस्या है. इसे भौमवती अमावस्या भी कहते हैं. ज्योतिष के अनुसार, मंगलवार को जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में या एक-दूसरे के पास वाली राशि में होते हैं तो भौमावस्या का योग बनता है. इस बार यह संयोग वैशाख अमावस्या यानी 11 मई को बन रहा है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही नक्षत्र -भरणी नक्षत्र में एक साथ रहेंगें. भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र है. इस दिन पितरों को किये गए श्राद्ध और पूजा से सुख-समृद्धि बढ़ेगी. Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com
ज्योतिषाचार्यों की ऐसी मान्यता है कि मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या पर पितरों की विशेष पूजा की जाए, तो पितरों की कृपा से परिवार के सभी रोग, दोष और शोक खत्म हो जाते हैं. इस दिन मंगल का व्रत और पूजा करने से मंगल दोष भी ख़त्म हो जाता है.
उपलों की आग पर गुड़-घी का धूप करने से पितरों का आशीर्वाद # वैशाख अमावस्या 11 मई को तीन विशेष योग –
मंगलवार को भौमवास्या पर स्नान दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर दोपहर करीब 2:30 बजे तक की अवधि में स्नान और दान का शुभ संयोग है। साथ ही इस दिन पितरों का श्राद्ध करना चाहिए, जिससे पितृ पूरी तरह संतुष्ट हो जाते हैं। उपलों की आग पर गुड़-घी का धूप करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
सनातन हिंदु धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। सूर्य औऱ चंद्रमा के एक साथ होने से अमावस्या की तिथि होती है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है तो अमावस्या का शुभ संयोग बनता है। वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंगलवार को जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में या एक-दूसरे के पास वाली राशि में प्रवेश करते हैं तो भौमावस्या का योग बनता है। इस बार यह संयोग वैशाख माह में 11 मई को बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार भौमावस्या की तिथि मानी जाती है। इस दिन पूर्वजों और पितरों के लिए किए गए श्राद्ध और पूजा से सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मंगलवार को पड़ने वाली इस अमावस्या पर पितरों के साथ राहू-केतू की भी पूजा की जाए तो परिवार के रोग, दोष खत्म हो जाते हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। तथा मंगलवार को अमावस्या का शुभ संयोग होने के कारण इस दिन मंगल दोष से बचने के लिए व्रत और पूजा भी की जाती है।
भौमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने का विशेष महत्त्व होता है, और जब वैशाख मास हो तो इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन दान करना सबसे अच्छा माना गया है. हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया कि अमावस्या तिथि में स्नान और दान करने से हजारों गायों के दान देने के बराबर पुण्य लाभ प्राप्त होता है. मान्यता है कि हरिद्वार, काशी जैसे तीर्थस्थलों और पवित्र नदियों में स्नान करने और पितरों को तर्पण करने से सुख समृद्धि बढ़ती है.
मंगलवार को अमावस्या है. इस शुभ संयोग में स्नान और दान करने का अक्षय फल मिलता है. इस समय पितरों को श्राद्ध करने से पितृ संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं. परिवार पितृ दोष से मुक्त होता है.
इस बार वैशाख अमावस्या यानी 11 मई को तीन विशेष योग – सौभाग्य योग, शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. सौभाग्य योग 11 मई को रात 10.43 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शोभन योग लगेगा. इन दो विशेष योग के अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. 11 मई को रात 11.31 मिनट से अगले दिन 12 मई को प्रात: 05.32 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. ज्योतिष के अनुसार, ये तीनों योग काफी महत्वपूर्ण होते हैं. सौभाग्य योग भाग्य में वृद्धि करता है. वहीं शोभन योग शुभता प्रदान करता है.
ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक, इस बार अमावस्या मंगलवार के दिन होने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहते हैं. इसके अलावा इस बार अमावस्या को सूर्य और चंद्रमा एक ही नक्षत्र –भरणी नक्षत्र में रहकर एक युति बना रहें हैं. साथ ही इस बार तीन शुभ योग भी बन रहें हैं. हिंदू धर्म-ग्रंथों के मुताबिक, इन शुभ योग और सूर्य चन्द्रमा की युति में किये गए स्नान दान के पुण्य कार्य करने से घर में सुख समृद्धि आती है.
हिंदू धर्म ग्रंथों में इस असहाय का वर्णन किया गया है कि वैशाख महीने में जरूरत मंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए. साथ ही जलदान भी करना चाहिए. ऐसा करने से स्वर्ण दन के बराबर पुण्य फल का लाभ मिलता है.
ऐसी मान्यता है कि वैशाख मास की अमावस्या पर पितरों की संतुष्टि और उनकी कृपा पाने के लिए एक लोटे जल में कच्चा दूध और उसमें तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाना चाहिए और दीपक जलना चाहिए.
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