2022 Election: उत्तर प्रदेश की सियासत -ताज़ा सूरत-ए-हाल ; किसकी मज़बूत किलेबंदी ; सर्वे में 200 से ज़्यादा सीटें

9 JUNE 2021# Himalayauk Newsportal & Print Media: उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बहुमत के लिए 202 विधायकों की ज़रूरत —

# High Light# सर्वे में चुनाव में एसपी को 200 से ज़्यादा सीटें # अखिलेश यादव  की मज़बूत किलेबंदी  # आचार्य प्रमोद क़ष्‍णम की बात मान कर  अखिलेश यादव अपने रुठे हुए चाचा शिवपाल सिंह यादव को मना र # दस दलों छोटे दलों का गठबंधन # आम आदमी पार्टी को भी इसमें जोड़ने की तैयारी # आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने कहा है कि उनकी पार्टी एसपी और आरएलडी के गठबंधन में शामिल # एक बार फिर जाट और मुसलिम मतदाता साथ आ गए हैं # बीजेपी से जुड़े जाट नेताओं का जबरदस्त विरोध आज भी जारी # पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसके उम्मीदवारों को जमानत बचाना मुश्किल # किसान आंदोलन के बाद एसपी-आरएलडी और आज़ाद समाज पार्टी का गठबंधन जाट, मुसलिम और दलित मतों में बड़ी सेंध लगायेगा # सियासी खामियाज़ा सबसे ज़्यादा बीजेपी को # 99 फ़ीसदी विधायकों ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से ख़ुश नहीं # 325 में से 250 विधायक अगर मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ हैं और राज्य में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं तो जीत हासिल करने की उम्मीद नहीं # संघ ने संभाली कमान, दत्तात्रेय होसबोले लखनऊ में रहेंगे # # 2022 में UP विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ने का फैसला # # UP BJP के ट्विटर अकाउंट या पोस्टर से मोदी की फोटो हटाने की वजह विधानसभा चुनाव योगी के चेहरे के साथ लड़ने का निर्णय # UP और दूसरे पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चेहरा नहीं # # # # # # Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

Execlusive Report by Ajay Saini Lucknow & Chandra Shekhar Joshi Editor & Himalayauk Bureau & Agency

उत्तर प्रदेश की सियासत में जो ताज़ा सूरत-ए-हाल है उसमें विपक्षी दलों का एकमात्र लक्ष्य बीजेपी को सत्ता में वापस आने से रोकना है। अखिलेश यादव   उत्तर प्रदेश को फतेह करने की तैयारी में जुटे हैं।  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एसपी प्रमुख ने मज़बूत किलेबंदी कर ली है ,

आचार्य प्रमोद क़ष्‍णम की बात मान कर  अखिलेश यादव अपने रुठे हुए चाचा शिवपाल सिंह यादव को मना रहे हैं और उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को भी अपने गठबंधन में शामिल करेंगे। अखिलेश यादव  छोटे दलों को जोड़ रहे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी पिछले दो साल से उत्तर प्रदेश में छोटे दलों का गठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। भागीदारी संकल्प मोर्चा के नाम से बनाए गए गठबंधन में वह अब तक दस दलों को जोड़ चुके हैं। इसमें उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, के अलावा पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी, कृष्णा पटेल का अपना दल, ओवैसी की एआईएमआईएम शामिल हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी को भी इसमें जोड़ने की तैयारी है। गांवों में, ज़मीन पर एसपी की स्थिति इससे ज़्यादा मज़बूत है। पंचायत चुनाव में एसपी को बड़ी सफ़लता मिली है 

वही आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने कहा है कि उनकी पार्टी एसपी और आरएलडी के गठबंधन में शामिल हो सकती है। अगर यह गठबंधन बना तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा मुश्किल बीजेपी को होगी क्योंकि यहां की सियासी ज़मीन उसके लिए उपजाऊ रही है और बीते कुछ चुनावों में उसने यहां ख़ूब वोट बटोरे हैं। रावण ने  कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए बड़े गठबंधन की ज़रूरत है।  एसपी और आरएलडी के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन ज़रूर हो सकता है। 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ शुरू हुए किसान आंदोलन को लेकर जब महापंचायतें इस इलाक़े में शुरू हुईं तो एक बार फिर जाट और मुसलिम मतदाता साथ आ गए हैं और यही बीजेपी की मुश्किल की अहम वजह है।  किसान आंदोलन के कारण बीजेपी के जाट नेताओं का अपने ही संसदीय क्षेत्रों में निकलना मुश्किल हो गया है। कई जगहों पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी से जुड़े जाट नेताओं का जबरदस्त विरोध आज भी जारी है। बीजेपी जानती है कि अगर किसान आंदोलन का कोई हल नहीं निकला तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसके उम्मीदवारों को जमानत बचाना मुश्किल हो जाएगा।   किसान आंदोलन के बाद एसपी-आरएलडी और आज़ाद समाज पार्टी का गठबंधन जाट, मुसलिम और दलित मतों में बड़ी सेंध लगा सकता है और इसका सियासी खामियाज़ा सबसे ज़्यादा बीजेपी को होगा। इसके बाद बीएसपी और फिर पस्त पड़ चुकी कांग्रेस भी इसकी चपेट में आएंगी। 

वही दूसरी ओर बीजेपी – मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने से मोदी ब्रांड को नुक़सान होता है ? क्या मोदी चुनाव जताऊ नहीं रहे या गिरती लोकप्रियता का असर । आज यह टीवी चैनलो की बहस का मुख्‍य मुददा बन गया है,  वही दूसरी ओर चर्चा है कि बीएल संतोष ने लखनऊ दौरे के दौरान बीजेपी विधायकों, नेताओं से रायशुमारी की थी और इसमें 99 फ़ीसदी विधायकों ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से ख़ुश नहीं हैं। इसके बाद इन लोगों से कहा गया कि अगर आप ख़ुश नहीं हैं तो हस्ताक्षर करें।   यूपी बीजेपी के 325 विधायकों में से 250 के हस्ताक्षर कराए जा चुके हैं।  यहां ये याद रखना होगा कि दो साल पहले विधानसभा में बीजेपी के विधायकों ने ही सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी। लेकिन बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल कर लिया था।

 पार्टी को इस बात का अंदाजा है कि डैमेज कंट्रोल का मौक़ा शायद उसे न मिले क्योंकि 325 में से 250 विधायक अगर मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ हैं और राज्य में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं तो जीत हासिल करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। 

 एसपी के वरिष्ठ नेता सुनील   यादव ने कहा कि बीजेपी के सर्वे में जब चुनाव में एसपी को 200 से ज़्यादा सीटें मिलने की बात कही गई है   

उत्तर प्रदेश के चुनाव में अब जब सिर्फ़ 7 महीने का वक़्त बचा है  उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बहुमत के लिए 202 विधायकों की ज़रूरत होती है। 

वही दूसरी ओर 9 जून 2021 ; उत्तर प्रदेश से बड़ी खबर आई , देश की सियासत से जुड़ी एक खबर सामने आयी है.   पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद आज बीजेपी में शामिल होने को बीजेपी ने भारी प्रचार किया हैं. दोपहर एक बजे कांग्रेस के यह कद्दावर नेता ने बीजेपी का दामन थाम लिया, . वह केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के आवास गए वहां सेogd बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हों गये. कांग्रेस नेता के बीजेपी में शामिल होने का यह कार्यक्रम बीजेपी मुख्यालय में हुआ.

जितिन प्रसाद अपने बल पर राजनीति में कोई बडा मुकाम हासिल नही कर पाये, बीजेपी में जाने से इतना जरूर हुआ कि दलित, मुस्‍लिम, आदि तमाम वर्गो के वोट सपा के खाते में एकतरफा जरूर चले जायेगे,

कांग्रेस में जितिन का कद काफी बड़ा था। कांग्रेस में   अपना कोई भविष्य नहीं देख रहे थे। उनके सामने राजनीतिक करियर को बचाए रखने की बड़ी चुनौती थी और इसके लिए BJP से अच्छी पार्टी कोई दूसरी नहीं हो सकती। वह केंद्र की मनमोहन सरकार में मंत्री रहे। हाल में पश्चिम बंगाल और अंडमान निकोबार के प्रभारी रहे, लेकिन पिछले कुछ सालों में जितिन का प्रभाव सिमटता चला गया। यहां तक कि वह अपने इलाके और अपनी सीट भी नहीं संभाल सके। वे लगातार दो बार लोकसभा और एक बार विधानसभा चुनाव हार गए। संगठन की जिम्मेदारी लेकर भी जितिन सफल नहीं रहे। इनके प्रभारी रहते ही हाल के पश्चिम बंगाल चुनावों में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया। 44 सीटों से कांग्रेस जीरो पर आ गई। अब यूपी में जितिन की परफॉर्मेंस की बात करें तो यहां भी वह कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। पिछले तीन बार से लगातार चुनावों में उन्हें करारी शिकस्त मिल रही है। ये ट्रैक रिकॉर्ड इस बात को भी बताता है कि शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, बरेली समेत रूहेलखंड के इलाके में जो जनाधार उनके पिता जितेंद्र प्रसाद और कांग्रेस ने बनाया था, वो लगभग खत्म सा हो गया है। हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में शाहजहांपुर के खुटार में वार्ड-एक से जितिन की भाभी राधिका प्रसाद खड़ी थीं, लेकिन उन्हें भाजपा प्रत्याशी पूजा मिश्रा ने हरा दिया।

वही संघ ने संभाली कमान, दत्तात्रेय होसबोले लखनऊ में रहेंगे- दो दिन चली बैठक में सरसंघचालक सिर्फ एक दिन के लिए ही रहे और वे नागपुर से दिल्ली आकर फिर नागपुर लौट गए। संघ की इस बैठक में क्षेत्रीय मुख्यालयों के प्रभारी और अन्य जिम्मेदारियों पर भी निर्णय किए गए हैं। इसमें सबसे अहम है सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को मुख्यालय नागपुर के बजाय लखनऊ होगा। पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी प्रधानमंत्री मोदी और सरसंघचालक भागवत के बीच समन्वय का काम देखेंगे और बहुत संभव है कि वे दिल्ली में रहें। सरसंघचालक नागपुर में ही रहेंगे। सहसरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य को भोपाल मुख्यालय दिया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मुफ्त करने की योजना को 21 जून से शुरू करने का ऐलान किया और उस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर याद किया, लेकिन 21 जून की तारीख संघ और BJP के लिए एक और बड़ी वजह से खास है। संघ के पहले और संस्थापक सरसंघचालक डॉ. हेडगवार की पुण्यतिथि भी 21 जून को होती है।

UP BJP के ट्विटर अकाउंट या पोस्टर से मोदी की फोटो हटाने की वजह विधानसभा चुनाव योगी के चेहरे के साथ लड़ने का निर्णय ही है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली की बैठक में साल 2022 में UP विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ने का फैसला लिया गया है। इससे भी महत्वपूर्ण निर्णय यह माना जा सकता है कि UP और दूसरे पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चेहरा नहीं होंगे।

वही दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान योगी आदित्यनाथ की तरह प्रधानमंत्री मोदी के सामने डट गए हैं जिससे बवंडर मच गया है। मोदी के घोर विरोधी तुषार पांचाल को अपना OSD बनाया है,,  पांचाल ने जब भी मौका मिला न केवल प्रधानमंत्री मोदी का मज़ाक़ उड़ाया बल्कि बीजेपी के कई सिद्धांतों का भी मखौल उड़ाया। “किस्मत हो तो मोदी जैसी हो, सवाल पूछने के लिये आफिस विपक्ष का नेता नही, और घर पर बीबी नही” : यह ट्वीट इन्होंने ही किया था

उत्तरप्रदेश में भी मुसलमान आबादी करीब 75 सीटों पर चुनावी नतीजों पर असर डालते हुए सिर्फ सपा की ओर ही रूझान दिख रहा है।

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