पूरी दुनियां में बसा गिलगित समाज का डाक पत्थर देहरादून में “बलती कल्चर” को कायम रखने का प्रण & अपने समाज के उत्तराखण्ड वासियो हेतु एसटी का दर्जा मांगा

डाकपत्थर DEHRADUN DT 15 FEB 2023 #

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बलती कल्चर प्रोग्राम आज 15.02.2023 को गढ़वाल मंडल विकास निगम के डाकपत्थर स्थित हॉल में किया गया l संस्थान के लोग पूरे दुनिया में अलग-अलग जगह में बसे हैं, यहl रहने वाले पूर्व में गिलगित बलती स्थान जो पाकिस्तान में है, 1971 में 4 गांव हिंदुस्तान में आया l 1947 विभाजन से पूर्व लद्दाख से होते हुए उत्तराखंड में चकराता मसूरी पिथौरागढ़ नैनीताल और उत्तरकाशी में बलती स्थान के लोग बसे हैं l

इनका खाना रहना सहना बातें लोगों से अलग होता है l इन्होंने पोलो और आरचरी में महारत की है l यह बहादुर किस्म के लोग होते हैं l यह लद्दाख के रास्ते होते हुए 1947 से पहले भारत में आए

आजकल उत्तराखंड के चकराता मसूरी और नैनीताल, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी आदि जगह पर रहते हैं l इनके वेशभूषा और भाषा अपनी अलग होती है l

कल्चर को कायम रखने के लिए आज 15 फरवरी 2023 को डाकपत्थर गढ़वाल मंडल विकास निगम मैं यह प्रोग्राम किया गया जिसमें कारगिल लद्दाख और कश्मीर से भी लोग आए और बलती कल्चर को हमेशा कायम रखने के लिए लोगों ने प्रण लिया

जिस तरह से कश्मीर लद्दाख और कारगिल में बलती लोगों को एसटी का दर्जा दिया गया है उसी तरह यहां के उत्तराखंड वासियों को भी एसटी का दर्जा मिलना चाहिए यह आम सहमति से यह प्रस्ताव पास करके सेंटर को भेज दिया जाएगा

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