अमावस्या पर सक्रिय होती हैं शैतानी ताकतें, इस समय काल के दौरान सबसे ज्यादा खतरा- अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता-सोमवती अमावस्या 20 फरवरी

15 FEB 2023 HIGH LIGHT # Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या 20 फरवरी 2023 को है. सुहागिनों के लिए ये दिन बहुत महत्व रखता है# सोमवती अमावस्या 20 फरवरी 2023 को है. सुहागिनों के लिए ये दिन बहुत महत्व रखता है. पति की लंबी की आयु और तरक्की के लिए इस दिन किए गए कुछ खास उपाय शुभ फल प्रदान करते हैं #जब दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है

सुहागिन कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें और माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करें. कहते हैं इससे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है, साथ ही पति की स्वास्थ संबंधी परेशानी दूर होती है

सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को सुबह 11 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 21 फरवरी को सुबह 6 बजकर 55 मिनट पर समाप्त हो जाएगा.

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा, अमावस्या दोनों ऐसे दिन हैं जिनका मानव जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने में 30 दिन होते हैं, उन 30 दिनों को चंद्रकला के आधार पर 15-15 दिन को 2 पक्षों में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में बांटा गया है। शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या का होता है। इन दोनों दिनों को लेकर ही लोगों में डर बना रहता है। सालभर में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं, जिनमें सबका अपना अलग ही महत्व होता है। भूत-प्रेत के जिक्र के दौरान दो नाम जरूर सुने होंगे। पहला अमावस्या, दूसरा पूर्णिमा।

सोमवती अमावस्या पर किसी मंदिर में पीपल का पौधा लगाने से पितर देव अति प्रसन्न होते हैं. मान्यता है इससे तरक्की के रास्ते खुलते हैं.

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तंत्र साधकों और ज्योतिष के जानकारों के अनुसार कृष्ण पक्ष की अमावस्या के समय दानव आत्माएं ज्यादा सक्रिय होती हैं। इस समय काल के दौरान सबसे ज्यादा खतरा एक सामान्य मनुष्य को होता है। अमावस्या के दिन के रात के कुछ घंटों में घर से बाहर निकलना अच्छा नहीं माना जाता। क्योंकि इस दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इसलिए हमेशा बड़े बुजूर्गों द्वारा भी इस दिन विशेष सावधानी रखने को कहा जाता है।

अमावस्या के दिन चंद्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे ‘कुहू अमावस्या’ भी कहा जाता है। अमावस्या माह में एक बार ही आती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या सूर्य और चंद्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं।

अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता

यदि ज्योतिष के नजरिए से देखें तो, चंद्रमा मन के देवता कहलाते हैं और अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में चंद्रमा की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पड़ती और चंद्रमा की अनुपस्थिति में रज-तम फैलाने वाली अनिष्ट शक्तियां भूत, प्रेत, पिशाच और काला जादू में फंसे लोग और प्रमुख रूप से राजसिक और तामसिक लोग अधिक प्रभावित होते हैं। अमावस्या पर किसी भी इंसान को श्मशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके आस-पास नहीं घूमना चाहिए। इस दिन किसी पुराने बंद घर, खंडर, किले, हाईवे, जंगल, पुल-पुलिया, रेलवे ट्रैक, नदी, तालाब जैसी जगहों पर जाने से बचना चाहिए।

चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।

पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।

सोमवती अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा का खास महत्व है. इस दिन व्रत रखकर सुबह पीपल को गंगाजल से सीचें और फिर कच्चा सूत 108 बार पीपल की परिक्रमा कर उसपर लपेटें. मान्यता है पति की दीर्धायु के लिए ये उपाय बहुत लाभकारी है.

सोमवती अमावस्या के दिन गाय को पांच तरह के फल खिलाएं और फिर ‘श्री हरि श्री हरि श्री हरि’ मंत्र का जाप करते हुए 108 बार तुलसी की परिक्रमा करें. ये उपाय आपके जीवन की सारी मुसीबतों और धन समृद्धि, दांपत्य जीवन की हर परेशानी को दूर करेगा.

सोमवती अमावस्या के दिन कच्चे दूध और दही से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही उन्हें काला तिल भी अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

20 फरवरी 2023, सोमवार (Somvati Amavasya 2023 Date) के दिन सोमवती अमावस्या पड़ रही है।   पवित्र फाल्गुन मास में सोमवती अमावस्या तिथि का विशेष संयोग बन रहा है। शास्त्रों में बताया गया है कि फाल्गुन मास में सोमवती अमावस्या तिथि पड़ने से बहुत लाभ मिलता है,  सोमवती अमावस्या के दिन संध्या काल में ईशान कोण में दीपक अवश्य जलाएं। इसके लिए रूई की जगह मोली का प्रयोग करें।   सोमवती अमावस्या के दिन सोरसों का तेल शनि देव को अर्पित करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। पीपल के पेड़ को गंगाजल, चीनी, चावल, पुष्प इत्यादि अर्पित करें। साथ ही ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र  

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