मुख्यमंत्री द्वारा पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर के आपदा प्रभावितो के पुनर्वास हेतु धनराशि जारी, चन्‍द्रशेखर ने 14 जून को विस्‍तार से पत्र लिखा था

25 JUNE 2021# Himalayauk Newsportal & Print Media #

Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

देहरादून 25 जून 2021 (सू.ब्यूरो Himalayauk )  मुख्यमंत्री ने स्वीकृत की पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर के आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास हेतु रूपये 131.75 लाख की धनराशि।

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने जनपद पिथौरागढ़ के तहसील मुनस्यारी के ग्राम सेनर के 20 आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास हेतु रूपये 85 लाख, तहसील धारचूला के ग्राम कनार तोक जिमतड़ा के 07 परिवारों के पुनर्वास हेतु रूपये 29.75 लाख के साथ ही जनपद बागेश्वर के तहसील काण्डा के ग्राम सेरी के 04 आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास हेतु रूपये 17 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। .

गांव से बाहर जाने का रास्ता गोरी नदी पार करने के बाद ही संभव

पिथौरागढ़,  बीते सप्ताह की भारी बारिश से ऊफनाई गोरी नदी में बना अस्थाई पुल बहने से टापू बने तहसील बंगापानी के घुरु ड़ी के ग्रामीणों के लिए हैलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई गई। विगत एक सप्ताह से राहत के लिए तड़प रहे आपदा प्रभावितों को खासी राहत मिली है।

गोरी नदी के उत्त्तरी हिस्से में स्थित घुरु ड़ी मनकोट गांव नदी के दक्षिणी हिस्से बरम, बंगापानी बाजारों पर निर्भर हैं। गांव से बाहर जाने का रास्ता गोरी नदी पार करने के बाद ही संभव है। यहां पर गोरी नदी पर एक ट्राली स्वीकृत है। ट्राली का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों ने खुद ही गोरी नदी पर अस्थाई पुल बनाते हैं जो प्रतिवर्ष गोरी नदी का जलस्तर बढ़ते ही बह जाता है। बीते दिनों की बारिश में गोरी नदी ने इस स्थान पर अपना कहर बरपाया। अस्थाई पुल बहने के साथ सारा प्रवाह घुरुड़ी की तरफ होने से गांव की सैकड़ों नाली भूमि, आम, अमरूद के बाग बह गए । गांव के मकान पूरी तरह खतरे में आ गए। साथ ही क्षेत्र का सम्पर्क भंग हो गया। ग्रामीण अपने रहमोकरम पर दिन बीता रहे थे।

शुक्रवार का दिन ग्रामीणों के लिए राहत भरा दिन रहा। जब प्रशासन ने गांव में हैलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई। गांव के लिए छह स्टेडिंग पोल टेंट, वी पोल टेट तीन , आठ तिरपाल, चार बड़े टेंट , दस बड़े राहत पैकेट हैलीकॉप्टर से गांव तक पहुंंचाए। टेंट , तिरपाल मिलने से मानसून काल में ग्रामीणों को सिर छिपाने के लिए हो जाएगा। ग्राम प्रधान मवानी दवानी मुन्नी देवी ने प्रशासन से गोरी नदी पर अविलंब स्वीकृत ट्राली लगाने के लिए लोनिवि अस्कोट को निर्देशित करने की मांग की है। घुरु ड़ी , मनकोट गांव विशिष्ट प्रजाति के अमरू द उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

14 JUNE 2021 को मुख्‍यमंत्री उत्‍तराखण्‍ड तथा श्री गणेश जोशी कैबिनेट मंत्री उत्‍तराखण्‍ड सरकार को पत्र लिखकर विकट स्‍थितियो से विस्‍तार से अवगत कराया था

14 JUNE 2021 को चन्‍द्रशेखर जोशी #अध्‍यक्ष उत्‍तराखण्‍ड –राष्‍टीय संत सुरक्षा परिषद -संंत सहयोगी प्रकोष्‍ठ- मुख्‍यालय- अंकलेश्‍वर, भरोच, गुजरात तथा & अध्‍यक्ष उत्‍तराखण्‍ड – राष्‍टीय सशक्‍त हिन्‍दू महासंघ, मुख्‍यालय नई दिल्‍ली, & केन्‍द्रीय महासचिव कूर्माचल परिषद, देहरादून एवं & मुख्‍य सम्‍पादक- हिमालयायूके न्‍यूजपोर्टल एवं प्रिन्‍ट मीडिया- एवं & अध्‍यक्ष उत्‍तराखण्‍ड- भारत के लघु एवं मध्‍यम समाचारपत्रो के महासंघ आई0एफ0एस0एम0एन0 नई दिल्‍ली # उत्‍तराखण्‍ड प्रदेश कार्यालय– नंदा देवी एनक्‍लेव, बंजारावाला देहरादून उत्‍तराखण्‍ड ने मुख्‍यमंत्री उत्‍तराखण्‍ड तथा श्री गणेश जोशी कैबिनेट मंत्री उत्‍तराखण्‍ड सरकार को पत्र लिखकर विकट स्‍थितियो से विस्‍तार से अवगत कराया था

विषय:- पिथौरागढ़ के फाइव जॉन में बसे निवासियों पर कहर बन कर टूटेगी बरसात, जबकि गदरपुर में 200 एकड़ भूमि खाली पड़ी है,

महोदय, 13 जूनव2021 के बाद मानसून बड़े वेग से उत्तराखंड में आ रहा है, जिससे पिथौरागढ़ के जॉन 5 में बसे संवेदनशील गावो में बरसात कहर बन कर टूटेगी, वही किसान सहकारी चीनी मिल जोकि गदरपुर के समीप स्थित है वह एक सरकारी संपत्ति है जोकि 2016 से बंद हो गयी है और बेकार पड़ी है, जिसपर कोई भी बड़ा सरकारी योजना को स्थापित किया जा सकता है, ये मिल करीब 200 एकड़ जमीन पर स्थापित है। क्या इस भूमि पर विस्थापन का कार्य नही हो सकता? क्या उत्तराखंड के पर्वतीय वासियों का जीवन इतना सस्ता हो गया है, जो हर वर्ष धन जन की क्षति होती रही,

महोदय, उत्तराखंड (Uttarakhand) में मानसून जल्द ही दस्तक देने वाला है. बावजूद इसके जोन फाइव में बसे पिथौरागढ़ के संवेदनशील गांव विस्थापित नहीं हो पाए हैं. अब हालात ये हैं कि विस्थापन की राह तक रहे इन गांवों पर कभी भी आसमानी आफत मौत बनकर बरस सकती है. बॉर्डर डिस्ट्रिक (Border District) के दर्जनों गांव दशकों से प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे हैं. ऐसी शायद ही कोई बरसात हो जब यहां के गांवों में आसमानी आफत न बरसी हो. प्रकृति के तांडव ने अब तक सैकड़ों लोगों को अपने आगोश में भी ले लिया है. बावजूद इसके अभी भी विस्थापन (Displacement) का मुद्दा हल नहीं हो पा रहा है. जिले में 37 गांवों को विस्थापन की सूची में शामिल किया गया है. लेकिन शासन से धनराशि मिली है सिर्फ 4 गांवों को विस्थापित करने की. जिला आपदा प्रबंधनधिकारी भूपेन्द्र महर ने बताया कि धारचूला के 4 गांवों को विस्थापित करने के लिए शासन से धनराशि मिल चुकी है. शेष गांवों के प्रस्ताव शासन में लम्बित हैं.

पिथौरागढ़ में सबसे अधिक गांवों का विस्थापन धारचूला और मुनस्यारी की तहसीलों में होना है. धारचूला में 16 गांवा को तत्काल विस्थापन की दरकार है, जबकि मुनस्यारी में 14 गांवों पर आसमानी आफत का खतरा मंडराया हुआ है. वहीं, डीडीहाट के भी 3 गांवों की विस्थापित किया जाना जरूरी है. बेरीनाग में भी एक गांव ऐसा है जिसका वजूद कभी भी बारिश खत्म कर सकती है. विस्थापन न होने के कारण प्रशासन को अब संवेदनशील गांवों के लिए अन्य विकल्पों तलाशने पड़ रहे हैं. डीएम पिथौरागढ़ आनंद स्वरूप ने बताया कि बरसात के सीजन में संवेदनशील गांवों में रहने वालों को पंचायत भवन या फिर स्कूलों में रखा जाएगा, जिससे जान का नुकसान न हो.

शासन ने फिलहाल धारचूला के 4 गांवों को विस्थापित करने के लिए हरी झंड़ी दिखाई है. इन गांवों के लिए साढ़े पांच करोड़ की धनराशि भी जारी कर दी गई है. लेकिन जब बरसात मुहाने पर खड़ी हो तो जाहिर है कि 4 गांवों का भी फिलहाल विस्थापन संभव नहीं है. पिथौरागढ़ में प्राकृतिक आपदाओं का तांडव बीते कुछ सालों में इस कदर बढ़ा है कि कई गांवों को वजूद ही पूरी तरह मिट गया है, जिसमें सैकड़ों लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि जल्द ही संवेदनशील गांवों को विस्थापित किया जाए, ताकि जिंदगी महफूज हो सके.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *