कांग्रेस का बीजेपी से 210 सीटों में सीधा मुकाबला- 224 सीट पर कांग्रेस कम अंतर से दूसरे नंबर पर रही थी

लोकसभा चुनाव-2014 – 224 सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी.
अब स्‍थिति बदली है, राज्‍यो में राजनीतिक हालात बदले हैं इस बार कांग्रेस के लिए अच्छी संभावना है.

लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा. सभी पार्टियों के प्रत्याशियों की लिस्ट लगातार जारी हो रही है. चुनाव आयोग से मिले आंकड़ों की मानें तो पिछले चुनाव में मात्र 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का बीजेपी से सीधा मुकाबला 210 सीटों में होगा. सीटों का यह आंकड़ा उन राज्यों की सीटों का है जहां कांग्रेस  ज्यादातर सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है. लेकिन सवाल इस बात का है क्या कांग्रेस के नेता इन सीटों पर जीत दर्ज करा पाने लायक रणनीति बना पाएंगे या नहीं.   इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होगा औैर नतीजे 23 मई को आएंगे.  

गुजरात, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, केरल और कर्नाटक सहित 10 राज्यों की 224 सीटों पर कांग्रेस 183 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है.  वहीं केंद्र शासित राज्यों में जहां पर लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं वहां पर कांग्रेस 27 सीटों पर नंबर दो पर रही थी.  यानी इन सभी राज्यों को मिला दें तो कुल सीटें 210 हो जाती हैं. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि केरल और महाराष्ट्र में कांग्रेस का क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन भी था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब 268 सीटें ऐसी थीं कि जहां कांग्रेस ने या तो जीत दर्ज की या फिर दूसरे नंबर रही. हालांकि कांग्रेस इन सीटों में 44 ही सीटें जीतने कामयाब हो पाई थी और 224 सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी.   आजादी के बाद देश के चुनावी इतिहास में ऐसा पहला मौका था जब कांग्रेस को 50 से भी कम सीटें मिली थीं.  केंद्र शासित राज्यों को मिलाकर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और उत्तर पूर्व कुल 28 लोकसभा सीटों में कांग्रेस को सिर्फ 5 लोकसभा सीटें मिली थीं. लेकिन 22 जगहों पर वह दूसरे नंबर पर रही थी.

कांग्रेस को असम, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन करना होगा. उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित 9 राज्यों से कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के आगे भी कमजोर है. इन राज्यों से 291 सीटें आती हैं.  कांग्रेस के पास यहां पर मात्र 10 सीटें हैं और 48 सीटों पर दूसरे पर नंबर रही है. इन राज्यों में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. इन राज्यों मे पिछली बार बीजेपी को इतनी सीटें मिली थीं कि कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई थी.  आप अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इन राज्यों से 224 सीटें आती हैं जिनमें कांग्रेस को मात्र 29 सीटें ही मिली थीं. इनमें महाराष्ट्र ही सिर्फ ऐसा राज्य था जहां कांग्रेस का गठबंधन था. एनसीपी के साथ गठबंधन कर कांग्रेस को कुल 48 सीटों में मात्र 26 सीटें पर लड़ी थी. 

अब स्‍थिति बदली है, राज्‍यो में राजनीतिक हालात बदले हैं, हाल ही में कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा सीट जीतकर वहां पर सरकार बनाई है और गुजरात में उसके प्रदर्शन में सुधार हुआ है.  इन राज्यों में भी इस बार कांग्रेस के लिए अच्छी संभावना है.

किन राज्यों में कांग्रेस रही दूसरे नंबर पर 
असम की 14 में से 11 सीट पर, छत्तीसगढ़ में सभी 11 सीटों पर, गुजरात की 26 में से 25 सीटों पर, हरियाणा की 10 में 6 सीटों पर, कर्नाटक की सभी 28 सीटों पर , केरल की 20 में से 15 सीटों पर , मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर , महाराष्ट्र की 48 में से 26 सीट पर ,पंजाब की 13 में 11 सीटों पर, राजस्थान की 25 में से 22 सीटों पर

उत्तर प्रदेश में 34 सीटों पर बीएसपी थी दूसरे नंबर पर, इस बार है सपा के साथ गठबंधन

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां पर 71 सीटें जीती थीं और 2 सीटें उसकी सहयोगी दल अपना दल के खाते में आई थीं. आपको जानकर हैरानी होगी कि 34 ऐसी सीटें थीं  जहां बहुजन समाज पार्टी (BSP)  दूसरे नंबर थी. हालांकि बीएसपी इस चुनाव में खाता नहीं खोल पाई थी.  बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, हाथरस, आगरा, जालौन, अलीगढ़, अकबरपुर, देवरिया, महाराजगंज, शाहजहांपुर, सलेमपुर, मेरठ, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज, बांसगांव, फतेहपुर, सुल्तानपुर, फतेहपुर सीकरी, मछलीशहर, प्रतापगढ़, भदोही, चंदौली, जौनपुर, घोसी, मोहनलालगंज, अंबेडकरनगर, धौरहरा, बांदा, खीरी, डुमरियागंज, संतकबीर नगर, मिश्रिख, हरदोई, सीतापुर जैसी सीटों में बीएसपी दूसरे नंबर पर रही थी.  हालांकि कई सीटों पर जीत का अंतर  काफी ज्यादा है लेकिन सपा का वोट बैंक मिला देने पर बीजेपी से काफी आगे निकल जाएगी. लेकिन दोनों पार्टियों के गठबंधन के बाद कई सीटों इधर से उधर भी हुई हैं. सवाल इस बात का है कि गठबंधन के बाद क्या दोनों पार्टियों का वोट बैंक एक दूसरे को ट्रांसफर होगा. वहीं एक बार और गौर करने वाली है कि दोनों पार्टियों ने मिलकर बीजेपी को गोरखपुर और फूलपुर जैसी सीट पर हुए उपचुनाव में हरा दिया था. गोरखपुर से सीएम योगी आदित्यनाथ और फूलपुर से केशव मौर्य सांसद थे. 

वही दूसरी ओर लोकसभा चुनाव २०१९ को देखते हुए

राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी ने आज बीजेपी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि, बीजेपी ने दिल्ली में 1500 करोड़ का केंद्रीय कार्यालय बनाया है, पिछली बार हम दिल्ली तोड़फोड़ करने नहीं आये थे पर इस बार आप चूक करेंगे तो हमारे नेता अजीत सिंह जी ऐलान करेंगे और हम सब वहां पहुंचकर कार्यालय की एक-एक ईंट उखाड़ देंगे। साथ ही उन्होंने बीजेपी को जूतिया पार्टी कहा। जयंत चौधरी के इस बयान पर हो हल्ला मचना तय है। वह इस समय महागठबंधन के लिए चुनावी रैलियां कर रहे हैं, और लगातार बीजेपी पर जुबानी हमला बोल रहे हैं। 

वही दूसरी ओर लोकसभा चुनाव के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता माजिद मेमन ने पीएम मोदी को लेकर विवादित बयान दिया है। राष्ट्रीय कांग्रेस वादी पार्टी के नेता मजिद मेमन ने कहा कि मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री भी एक अनपढ़, जाहिल या रास्ते पर चलने वाले आदमी की तरह बात करते हैं। वो इतने बड़े पद पर बैठे हैं। उनका पद एक संवैधानिक पद है। उस संवैधानिक पद में प्रधानमंत्री रास्ते में नहीं चुना जाता।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर प्रहार करते हुए कहा है कि इस पार्टी की जनसभाओं में खाली पड़ी कुर्सियों से जाहिर हो रहा है कि जनता उसे उखाड़ फेंकने का मन बना चुकी है। अखिलेश ने रविवार को सैफई में अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि बीजेपी की चुनावी जनसभाओं में खाली पड़ी कुर्सियां जनता के मन को जाहिर कर रही हैं। इन्हीं खाली कुर्सियों की तरह बीजेपी पहले चरण के चुनाव में खुद को खाली पाएगी। जनता उसे सत्ता से उखाड़ फेंकने का मन बना चुकी है।

उन्होंने कहा कि पहले चरण में जिन आठ लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव होने हैं, उन पर अभी तो बीजेपी का ही कब्जा है, मगर जब चुनाव परिणाम आएगा तो पहले चरण से ही बीजेपी के पतन की शुरुआत हो जाएगी। ऐसा इसलिये होगा क्योंकि बीजेपी जनता को अपने पांच साल के कामकाज का हिसाब नहीं दे पा रही है। उल्टे, मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रही है।

सपा प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मारने वाली वायु सेना के शौर्य का श्रेय खुद ले रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान की मदद कर रहे चीन का भारत के छोटे-बड़े तमाम बाजारों पर कब्जा हो गया और प्रधानमंत्री उस पर कोई बात क्यों नहीं कर रहे हैं ? अखिलेश ने कहा ”मुझे बताया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि गाजियाबाद स्मार्ट सिटी बन गया है।

गाजियाबाद के गांवों में लोगों को पीने के लिये साफ पानी तक नहीं मिल रहा है।” उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ की बात करने वाली मोदी सरकार ने किसानों की उपज खरीदने के बजाय विदेश से आयात करने पर जोर दिया है। खाने का कितना घी, तेल विदेश से मँगवाया जा रहा है। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैली है। किसान संकट में हैं, व्यापार खत्म हो गया है। ऐसे में लोगों को नोटबंदी का समय याद आ रहा है मगर उस वक्त इसे अपनी उपलब्धि बता रही भाजपा अब इसका जिक्र तक नहीं कर रही है, तो लोग उसे वोट क्यों देंगे।

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