सारा दिन,सारा समय-करोना से संबंधित खबर न देखे-न फारवर्ड करे- साइक्रेटिस्‍ट, डब्‍ल्‍यू.एच.ओ. की सलाह

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि घर में बंद होने पर ऐसी खबरों से बचें जो आपको परेशान कर सकती हैं और इनमें कोरोना से जुड़ी खबरें भी शामिल हैं डा0 भागवत राजपूत- न्‍यूरो साइक्रेटिस्‍ट मनीपाल हास्‍पिटल द्वारका,नई दिल्‍ली- से वरिष्‍ठ पत्रकार मैडम प्रभा ललित सिंह नागपुर की हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल के लिए विशेष रिपोर्ट- वीडियो- डाक्‍टर राजपूत कहते है कि इस बीमारी पर रिसर्च चल रहा है, लोगो के मन में भय आशंका हो गयी है, सबके मन में दर्द है, अफवाह पर ध्‍यान न दे- करोना से संबंधित खबर न देखे- पाजिटिव पहलू देखे- अधिकांश लोग ठीक भी हो रहे है- घर में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को कैसे ठीक रखे- विशेष वीडियो-

24 घण्‍टे, रात दिन, एक ही बात- एक ही टोपिक, एक ही बात रिपीट- सावधान इससे मानसिक परेशानियां बढ सकती है- अत- विशेषज्ञो की राय के अनुसार कोरोना वायरस से संबंधित खबरो से ज्‍यादा सम्‍पर्क न रखे- सावधानी बरते, सरकारी नियम कानूनो का पालन करे- पर व्‍हटसअप ग्रुपो में, टीवी में , फेसबुक में चारो तरफ एक ही खबर से मानसिक परेशानियां बढ सकती है- अत- इनसे दूरी बनानी चाहिए- हिमालयायूके एक्‍सक्‍लूसिव- हिमालयायूके एकमात्र ऐसा न्‍यूज पोर्टल है जो आपके लिए आध्‍यात्‍मिक आलेखो को भी प्रकाशित करता है- आप मो09412932030 पर मैसेज भेज कर हिमालयायूके के बल्‍क ब्राण्‍डकास्‍टिग ग्रुप में जुडने केे लिए रिक्‍वेस्‍ट भेज सकते है- सम्‍पादक-

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनिया लगभग बंद सी हो गई है. देशव्यापी लॉकडाउन के चलते लोग घरों में सिमटे हुए हैं. ऐसे में बोरियत होना स्वाभाविक है. लेकिन लंबे समय तक घर पर बंद होने का असर बोरियत से आगे बढ़कर मानसिक परेशानियों में भी बदलने लगा है. दुनिया भर में, एक बड़ी संख्या में लोग एंग्जायटी (घबराहट) और बाकी मानसिक तकलीफों की शिकायत करने लगे हैं. अमेरिका, इटली, चीन समेत कई देशों में इससे जुड़ी एडवाइजरी और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं. भारत जैसे देश में जहां पहले ही मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुकता कम है, वहां थोड़ा ज्यादा ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है. लेकिन सरकारी या किसी बाहरी मदद के पहले कुछ सावधानियां व्यक्तिगत स्तर पर भी रखी जा सकती हैं.

डा0 भागवत राजपूत- न्‍यूरो साइक्रेटिस्‍ट मनीपाल हास्‍पिटल द्वारका,नई दिल्‍ली- से वरिष्‍ठ पत्रकार मैडम प्रभा ललित सिंह नागपुर की हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल के लिए विशेष रिपोर्ट- प्रकाशित की गयी है-

पिछले दिनों अकेलेपन पर हुए शोधों की दोबारा समीक्षा की गई. इसमें कोरोना वायरस के चलते घर पर बंद पड़े स्वस्थ लोगों में आने वाले बदलावों को भी शामिल किया गया. इसके नतीजे बताते हैं कि लंबे समय तक अकेले रहने का असर दिमाग पर ठीक वैसा ही होता है जैसा किसी दुखद त्रासदी का होता है. ऐसे में अगर व्यक्ति तक लगातार परेशान करने वाली खबरें भी पहुंच रही हैं तो वह ज्यादा भ्रमित और बेचैन होगा. इससे उसके मानसिक रूप से बीमार होने की संभावना बढ़ सकती है.

इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एडवाइजरी में कहा गया है कि ऐसी खबरों को देखने, सुनने और पढ़ने से बचें जो आपको परेशान करती हों. इनमें कोरोना से जुड़ी जानकारियां भी शामिल है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि बेहतर होगा, अगर कोरोना से संबंधित जानकारी के लिए दिन में केवल दो बार किसी विश्वसनीय माध्यम का इस्तेमाल किया जाए. लगातार परेशान करने वाली खबरों का लोगों तक पहुंचना उनमें तनाव का स्तर बढ़ाकर उन्हें मानसिक परेशानियों का शिकार बना सकता है.

मनोविश्लेषक सलाह देते हैं कि तनाव से बचने का एक तरीका स्थितियों को स्वीकार कर लेना भी है. हो सकता है कि कोरोना वायरस से पैदा हुई इस आपात स्थिति में कुछ लोग मानसिक या शारीरिक परेशानियों के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हों. ऐसे में केवल यह याद रखे जाने की जरूरत है कि जान है तो जहान है. हो सकता है, कुछ लोगों को यह समाधान स्थितियों का अति-सरलीकरण लगे लेकिन फिलहाल कोई और विकल्प मौजूद नहीं है. अगर आर्थिक नुकसान नहीं है और केवल डर या बेचैनी है तो यह मान लेने में कोई बुराई नहीं कि आपको डर लग रहा है. मनोविज्ञान कहता है कि ऐसा करते ही दिमाग डर की बजाय डर के कारण और उससे निपटने के तरीकों पर केंद्रित हो जाता है. एक बार तनाव के कारणों को पहचान लेने के बाद इससे बाहर आने के लिए, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलेक्सेशन और ध्यान जैसे तरीके ऑनलाइन सीखे जा सकते हैं.

इस मामले में उन लोगों को खास तौर पर ध्यान देने की ज़रूरत है जिनके घरों में बच्चे हैं. माता-पिता के लगातार परेशान होने का असर बच्चों पर बहुत जल्दी और बुरा पड़ता है. जानकार सलाह देते हैं कि बच्चों के साथ भी कोरोना वायरस के बारे में बात किए जाने की ज़रूरत है ताकि उन्हें पता चल सके कि घर और बाहर का माहौल क्यों बदला हुआ है. साथ ही, उन्हें यह बताना भी ज़रूरी है कि बहुत सी बातें आपके यानी माता-पिता के नियंत्रण में भी नहीं होती हैं.

मनोविज्ञानियों के मुताबिक अच्छी नींद, पोषक भोजन, साफ वातावरण, व्यायाम और लोगों से मेल-जोल इंसान की मूलभूत ज़रूरतें हैं, इसलिए इसके विकल्प तलाशे जाने की ज़रूरत है. उदारहरण के लिए अपने घर वालों या दोस्तों से लगातार फोन पर संपर्क रखना या वीडियो चैट करना, दोनों तरफ के लोगों को सामान्य बने रहने में मदद करेगा. इसके अलावा भूले-बिसरे दोस्तों या कभी न मिलने वाले रिश्तेदारों को फोन कर उनके हाल-चाल जाने जा सकते हैं. कुछ जानकार खाना खुद बनाने से लेकर घर की सफाई करने या बाकी घरेलू काम निपटाने के विकल्प का भी इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. चूंकि ये काम सातों दिन चलते हैं इसलिए इनके साथ खुद को रोज व्यस्त रखना आसान है. इसके अलावा, वे लोग जो हमेशा समय की कमी के चलते स्वास्थ्य पर ध्यान न दे पाने की बात कहते हैं, कम से कम इन दिनों में एक्सरसाइज, योग, प्राणायाम आदि को अपना सकते हैं. यह स्वस्थ रखने के साथ-साथ तनाव कम करने में भी सहायक होगा.

बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस से बिगड़ी स्थितियां संभलने में अभी थोड़ा वक्त और लग सकता है. इसलिए नागरिकों के घर पर बंद रहने की यह स्थिति अगले दो या तीन हफ्तों तक बरकरार रह सकती है. इस वक्त का इस्तेमाल करने के लिए मनोविश्लेषक किसी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट, कोई नई भाषा या फिर कैलिग्राफी या बीटबॉक्सिंग जैसा कोई कौशल सीखने की भी सलाह देते हैं. इससे व्यस्त रहने के साथ-साथ कुछ करने की संतुष्टि भी बनी रहती है. इसमें यूट्यूब और ऑनलाइन ट्यूटोरियल खासे मददगार साबित हो सकते हैं. इन सबके अलावा पेंटिंग, राइटिंग, कुकिंग या सिलाई-बुनाई जैसे तमाम शौक पूरे करने का भी यह बहुत अच्छा वक्त है.

इसके अलावा किताबें, इंटरनेट पर मौजूद ज्ञान का खजाना, एमेजॉन प्राइम और नेटफ्लिक्स जैसे मंचों पर मौजूद शानदार कंटेट भी वक्त बिताने का बेहतरीन जरिया हो सकते हैं. इस मामले में सलाह यह दी जाती है कि फिल्में देखने या किताबें पढ़ने जैसे काम अगर लगातार कई दिनों तक किए जाएं तो वे भी तनाव बढ़ाने लगते हैं. इसलिए इन्हें करना अच्छा है लेकिन थोड़ा ब्रेक ले-लेकर. वैसे, यह बात सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर भी पूरी तरह लागू होती है लेकिन फिर भी कुछ इस तरह के मज़ेदार वीडियोज तो देखे ही जा सकते हैं.

आलेख का तात्‍पर्य- तनाव को हैवी न होने दे- धन्‍यवाद-

गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Report

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