जानलेवा कोरोना वायरस ;खांसी-बुखार से लोग बुरी तरह परेशान; शहरों के हालात बेकाबू, गांव भगवान भरोसे
11 May 2021: Himalayauk Newsportal # High Light#उत्तराखंड में भी मुश्किल स्थित वही उत्तर प्रदेश और बिहार वाली # उत्तर प्रदेश, बिहार और क्या पंजाब, हरियाणा से लेकर झारखंड, उत्तराखंड। # खांसी-बुखार से लोग बुरी तरह परेशान # उत्तर प्रदेश में कोरोना को लेकर हालात तो बिगड़ ही रहे थे, पंचायत चुनाव ने ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया। # उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लेकर कानपुर और वाराणसी से लेकर प्रयागराज और आगरा तक कई बड़े शहर कोरोना की चपेट में # यूपी पुलिस के जवान – 20 हजार से ज्यादा जवान कोरोना संक्रमण की चपेट में# हरियाणा दिल्ली से लगने वाले इस राज्य के रोहतक, हिसार, भिवानी जिले में बीते कई दिनों में खांसी-बुखार से परेशान लोगों की मौत # पंजाब में भी कोरोना का संक्रमण बहुत तेज़ी से ;;आंदोलनकारी धरनों से उठने के लिए तैयार नहीं # झारखंड में भी कोरोना का संक्रमण बहुत ज़्यादा #
जानलेवा कोरोना वायरस अब गांवों की ओर बढ़ चुका है। क्या उत्तर प्रदेश, बिहार और क्या पंजाब, हरियाणा से लेकर झारखंड, उत्तराखंड। गांवों में खांसी-बुखार से लोग बुरी तरह परेशान हैं और बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। लेकिन शहरों के हालात संभालने में फेल राज्य सरकारों तक इनकी आवाज़ शायद नहीं पहुंच रही है। राज्य सरकारें इलाज नहीं दे पा रही हैं, ये स्थिति बेहद चिंताजनक है और इतनी मौतों के बाद चूकने या माफ़ी का कोई मौक़ा सरकारों के पास नहीं है एक ग्रामीण ने पीटीआई को बताया कि कई पीड़ित परिवार ऐसे हैं जिन्हें अपने परिजनों के शवों को नदियों में बहाने के लिए मजबूर किया गया। ये भी पता चलता है कि कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा सरकारी आंकड़े से ज़्यादा होगा क्योंकि इस तरह की मौतों का कहां दर्ज किया जा रहा है, ये किसी को नहीं पता। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कई गांवों में खांसी-बुखार से लोग परेशान हैं और टेस्टिंग, बेहतर इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में सरकार की ओर से हालात के सामान्य होने के दावों के बीच बरेली से सांसद और केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के एक पत्र से खलबली
कोरोना संकट से जूझ रहे उत्तर प्रदेश में सरकार की ओर से हालात के सामान्य होने के दावों के बीच बरेली से सांसद और केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के एक पत्र से खलबली का माहौल है। गंगवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि बरेली में ऑक्सीजन की कमी है और वेंटिलेटर्स सहित कई चिकित्सा उपकरणों की कालाबाजारी हो रही है। गंगवार का यह पत्र निश्चित रूप से गंभीर है क्योंकि वह कई बार के सांसद हैं और बेहद संजीदा राजनेता माने जाते हैं। गंगवार ने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग के अफ़सर फ़ोन नहीं उठाते, जिससे कोरोना के मरीजों के लिए हालात मुश्किल बनते जा रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि बरेली के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट्स और कोरोना के मरीजों को रेफ़र किए जाने की प्रक्रिया को और सरल बनाए जाने की ज़रूरत है। बरेली में बीते कुछ दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी है और एक्टिव मामलों की संख्या 6,387 हो गयी है।
उत्तराखंड में भी मुश्किल स्थिति वही उत्तर प्रदेश और बिहार वाली है
सवा करोड़ की आबादी वाले राज्य उत्तराखंड में पिछली लहर में जहां अधिकतम 2 हज़ार मामले पूरे राज्य में आते थे, इस बार यह आंकड़ा 10 हज़ार के करीब जा पहुंचा है। राज्य के कई गांवों में लोग बुखार-सिरदर्द से पीड़ित हैं और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।
उत्तराखंड में भी मुश्किल स्थिति वही उत्तर प्रदेश और बिहार वाली है। यहां भी प्रवासी चुपचाप से गांवों में चले आए और जिन जिलों में संक्रमण के 10-15 मामले मिलते थे, वहां अब 200 से ज़्यादा मामले हर दिन आ रहे हैं। संक्रमण बढ़ने का एक कारण कुंभ का मेला भी रहा होगा क्योंकि यह ऐसे वक़्त में हुआ जब संक्रमण तेज़ हो रहा था और इसमें शामिल कई लोग संक्रमित पाए गए थे। ऐसे लोग गांवों-शहरों में पहुंचे होंगे तो संक्रमण फैला होगा।
उत्तर प्रदेश और बिहार में सरकारी मशीनरी कुंभकर्णी नींद सो चुकी
उत्तर प्रदेश राज्य के कई गांवों से ख़बरें आ रही हैं कि लोग खांसी-बुखार, सिरदर्द-बदन दर्द से बुरी तरह परेशान हैं और गांवों में मौतें भी बहुत हो रही हैं। लेकिन क्या ऐसे लोगों की टेस्टिंग हो रही है और क्या गांवों में बुखार से होने वाली सभी मौतों को कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े में गिना जा रहा होगा?
उत्तर प्रदेश और बिहार में सरकारी मशीनरी कुंभकर्णी नींद सो चुकी है क्योंकि इन दोनों राज्यों में नदियों से लगातार शव मिल रहे हैं सोमवार को बिहार के बक्सर में गंगा में 45 से ज़्यादा शव मिलने की ख़बर आई थी और उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना में भी 7 शव मिले हैं। ऐसी ही एक और ख़बर उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर से आई है, जहां गंगा नदी में कुछ शव बहते मिले हैं। परिजन किसी की कोरोना से मौत होने पर अंतिम संस्कार करने से भी डर रहे हैं। इंडिया टुडे से बातचीत में स्थानीय लोगों ने कहा कि कोरोना से होने वाली मौतों के कारण श्मशान घाटों में बहुत भीड़ है और लकड़ियों की भी खासी कमी है, इसलिए यह आम बात हो गयी है कि लोग अपने परिजनों के शवों को नदियों में बहा दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में कोरोना को लेकर हालात तो बिगड़ ही रहे थे, पंचायत चुनाव ने ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया।
उत्तर प्रदेश में कोरोना को लेकर हालात तो बिगड़ ही रहे थे, पंचायत चुनाव ने ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया। पहले प्रवासी मजदूर गांवों में पहुंचे और उसके बाद पंचायत चुनावों के दौरान ज़ीरो सोशल डिस्टेंसिंग और बिना मास्क वाले लोगों ने बेड़ा गर्क कर दिया। पंचायत चुनाव के बाद कोरोना बुरी तरह फैल चुका है। पूरी ताक़त झोंकनी होगी। ये हालात जनता को मौत के मुंह में धकेलने वाले हैं
बुलंदशहर के परवाना गांव में पंचायत चुनाव के दौरान 18 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई। इनमें से कई लोगों में कोरोना के लक्षण थे लेकिन जब तक स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच शुरू करवाती, कई लोग मर चुके थे। ऐसे ही हालात राज्य के कई और गांवों में हैं, जहां पर पंचायत चुनाव के दौरान या उसके बाद कई मौतें हुई हैं। ऐसे में समझदारी दिखाते हुए पंचायत चुनाव रोक दिए जाने चाहिए थे लेकिन इन्हें हर हाल में कराया गया।
आगरा जिले के गांव यहां पर हालात ऐसे हैं कि संक्रमण फैल चुका है और लोग इलाज, दवाइयों, टेस्टिंग के लिए परेशान हैं। क्योंकि अमूमन उनके गांवों तक स्वास्थ्य महकमा तब पहुंचता है, जब संक्रमण फैलने की ख़बरें मीडिया में पहुंचती हैं।
आगरा से 40 किमी. दूर एत्मादपुर नाम का गांव है। इंडिया टुडे के मुताबिक़, यहां बीते दो हफ़्ते में बुखार-खांसी, सांस लेने में दिक्कत के कारण 14 लोगों की मौत हो चुकी है। गांव में 100 लोगों की टेस्टिंग की गई तो 27 लोग संक्रमित मिले। यानी कि संक्रमण फैल चुका है। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे के अफ़सरों की नींद टूटी और वे गांवों की ओर भागे और पॉजीटिव आए लोगों को आइसोलेट करवाया।
इंडिया टुडे के मुताबिक़, गांव के आइसोलेशन सेंटर में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए ज़रूरी चीजें नहीं हैं। इस वजह से जिन लोगों की तबीयत बिगड़ती है, उन्हें आगरा शिफ़्ट करना पड़ता है। लेकिन सभी को आगरा शिफ़्ट नहीं किया जा सकता इसलिए ग्रामीण इस आइसोलेशन सेंटर के भरोसे अपनी जान बचाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। यहां पर ऑक्सीजन तक नहीं है, ऐसे में किसी को सांस लेने में दिक्कत हुई तो सोचिए क्या होगा।
आगरा से 12 किमी दूर ऐसे ही हालात बामरौली कटारा गांव के हैं। 35-40,000 की आबादी वाले इस गांव में बीते कुछ दिनों में 50 लोगों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि मर चुके लोगों में कोरोना के ही लक्षण थे। ग्रामीणों के द्वारा कई बार अपील करने के बाद स्वास्थ्य महकमे के लोग सोमवार को गांव में पहुंचे और कोरोना टेस्टिंग की। गांव की आबादी ज़्यादा होने के कारण अधिकारी ज़्यादा लोगों के टेस्ट नहीं कर सके और सिर्फ़ 46 लोगों के सैंपल लिए। इनमें से 2 लोग पॉजीटिव आए। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनाव के पहले चरण के बाद गांव में कई लोग बुखार से पीड़ित हुए।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लेकर कानपुर और वाराणसी से लेकर प्रयागराज और आगरा तक कई बड़े शहर कोरोना की चपेट में हैं। स्वास्थ्य इंतजामों के क्या हालात हैं, इसके बारे में बीजेपी के नेता लगातार योगी सरकार को पत्र लिखकर बता रहे हैं। पंचायत चुनाव के बाद गांवों की हालत बुरी तरह बिगड़ गई है। कई गांवों में बुखार के बाद मौतें हुई हैं और हालात बिगड़ने के बाद स्वास्थ्य महकमे को याद आती है कि अब इस गांव में सैनिटाइजेशन या टेस्टिंग होनी चाहिए।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में जौनपुर से लेकर बलिया और ग़ाज़ीपुर से लेकर भदोही, सोनभद्र, मऊ, बलिया जिले के कई गांवों में कोरोना का संक्रमण फैल चुका है। ग़ाज़ीपुर जिले की सौरम ग्राम पंचायत की प्रधान सीमा जायसवाल ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर 16 लोगों के नाम लिखे हैं, जो उनके गांव के हैं और जिनकी मौत बीते कुछ दिनों में हो चुकी है। बाक़ी इलाक़ों से भी इसी तरह की ख़बरें हैं कि यहां टेस्टिंग और इलाज सिर्फ भगवान भरोसे है।
यूपी पुलिस के जवान – 20 हजार से ज्यादा जवान कोरोना संक्रमण की चपेट में
उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच यूपी पुलिस के जवान भी खुद को संक्रमित होने से बचा नहीं पा रहे। अप्रैल माह से अब तक 20 हजार से ज्यादा जवान कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 15 हजार पुलिसकर्मी ठीक हो गए हैं, लेकिन बाकी पुलिसकर्मियों का इलाज चल रहा है। हालात का अंदाजा यहां से लगाया जा सकता है कि तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद प्रदेश पुलिस को अपने जवानों की देखभाल के लिए अपने स्तर पर भी इंतजाम करने पड़े हैं। उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार का कहना है कि पुलिस ने अपने संसाधनों से अब तक 2,365 बेड का इंतजाम पुलिस लाइनों में किया है। इनमें 260 बेड ऑक्सीजन सुविधायुक्त हैं। इन अस्पतालों में कुल 1891 पॉजिटिव पुलिसकर्मियों का इलाज चल रहा है और 854 डिस्चार्ज हो चुके हैं। न्होंने बताया कि भर्ती पुलिसकर्मियों में 15 ऐसे रहे हैं, जो बीमारी बढ़ने पर बड़े अस्पतालों में रेफर किए गए हैं। जीआरपी के एक कोविड केयर सेंटर में भर्ती पुलिसकर्मी की मौत भी हुई है। उनके मुताबिक प्रदेश में 4,256 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव हैं। अब तक कुल 15,409 पुलिसकर्मी इस महामारी से ठीक हो चुके हैं।
हरियाणा दिल्ली से लगने वाले इस राज्य के रोहतक, हिसार, भिवानी जिले में बीते कई दिनों में खांसी-बुखार से परेशान लोगों की मौत
हरियाणा दिल्ली से लगने वाले इस राज्य के रोहतक, हिसार, भिवानी जिले में बीते कई दिनों में खांसी-बुखार से परेशान लोगों की मौत हो चुकी है। रोहतक के टिटौली, हिसार के सिसाय, खरड़, अलीपुर, भाटला सहित पानीपत के डिडवाड़ी में बीते कई दिनों से लगातार मौतें हो रही हैं।
भिवानी जिले में मुंदल खुर्द और मुंडल कलां गांवों में पिछले एक सप्ताह में 30 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यही हाल सोनीपत के हरसाना कलां और सिसाना गांवों का भी है। यहां कई घरों में लोग खांसी-बुखार से पीड़ित हैं। इन इलाक़ों के लोगों का कहना है कि जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें लक्षण कोरोना वाले ही थे।
लगातार हो रही इन मौतों से परेशान हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने सक्रियता बढ़ाई है। प्रभावित इलाक़ों में टेस्टिंग कराई जा रही है। शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग जिन घरों में मौत हो रही है, वहां के पूरे गांव को सैनिटाइज कर रहा है।
पंजाब में भी कोरोना का संक्रमण बहुत तेज़ी से ;;आंदोलनकारी धरनों से उठने के लिए तैयार नहीं
पंजाब में भी कोरोना का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैल रहा है। लेकिन मुश्किल यहां इसलिए है कि शहरों से ज़्यादा मौतें गांवों में हो रही हैं। दूसरी मुश्किल यह है कि राज्य में कई जगहों पर किसान आंदोलन को लेकर धरने चल रहे हैं और पुलिस की लाख सख़्ती के बाद भी आंदोलनकारी धरनों से उठने के लिए तैयार नहीं हैं। पंजाब के शहरों में 0.7 फ़ीसदी मौतें हुई हैं तो गांवों में 2.8 फीसदी। सरकार का कहना है कि शहरों में लोग टीकाकरण के लिए जागरूक हैं जबकि गांवों में ऐसा नहीं है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कहते हैं कि कोरोना का यूके स्ट्रेन गांवों में पहुंच गया है और जालधंर, मोहाली, फाजिल्का, मुक्तसर, मानसा के कई गांवों में इस स्ट्रेन के नये केस मिले हैं। उन्होंने कहा है कि इस बार युवा इसकी चपेट में ज़्यादा हैं। उन्होंने चेताया है कि लोग क़तई लापरवाही न करें और बुखार वगैरह को नज़रअंदाज न करें।
झारखंड में भी कोरोना का संक्रमण बहुत ज़्यादा
झारखंड में भी कोरोना का संक्रमण बहुत ज़्यादा है और कई बार 5 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। इससे बचने के लिए राज्य सरकार ने कई सख्तियां भी लागू की हैं और इनका असर भी देखने को मिल रहा है। रांची से लेकर धनबाद और पूर्वी सिंहभूमि से लेकर गिरिहीड, बोकारो और कोडरमा में भी संक्रमण की रफ़्तार तेज़ है।
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