संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का भारत के वैश्विक सहयोग को सलाम ;बडी खबर-

*कोरोना आपदा में भारत का वैश्विक स्तर पर उभार* विषय पर डॉ कामिनी वर्मा एसोसिएट प्रोफेसर,निवास लखनऊ   का हिमालयायूके के लिए एसक्‍क्‍लूसिव आलेख-

31 दिसंबर 1999 में चीन के  वुहान प्रांत में कोविड-19 वायरस के संक्रमण से आरंभ हुआ *कोरोना संकट* आज विश्व के लगभग सभी देशों को संक्रमित करता हुआ *वैश्विक आपदा* का रूप धारण कर चुका है। कोरोना वायरस की एक प्रजाति है, जिसका बाह्य आवरण कांटों के मुकुट जैसा दिखाई पड़ता है। मुकुट को अंग्रेजी में *क्रॉउन* तथा लैटिन भाषा में *कोरोना* कहते हैं अतः इसका नाम कोरोना पड़ा। यह मनुष्य तथा पशुओं में श्वसन संबंधी बीमारी उत्पन्न करता है। पशुओं की प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत अधिक होती है अतः इसके संक्रमण से मानवजाति अधिक प्रभावित होती है । यह व्यक्ति के श्वसन तंत्र पर आक्रमण करके फेफड़ों को घातक रूप से संक्रमित करता है। सर्वप्रथम संक्रमित व्यक्ति के शरीर का तापमान बढ़ता है तत्पश्चात उसे सूखी खांसी होती है और 1 सप्ताह बाद श्वास लेने में परेशानी होने लगती है। कई बार  लक्षण प्रकट भी नही होते हैं। व्यक्ति को संक्रमित करने के बाद यह अपनी संख्या बहुत तेजी से बढ़ाने लगता है, जिससे बीमार व्यक्ति के खांसने ,छींकने के माध्यम से उसके शरीर से निकले हुए वायरस से दूसरे व्यक्ति या वस्तुएं भी संक्रमित हो जाती है ।संक्रमित वस्तुओं के सानिध्य में आने या जानवरों के संपर्क में अधिक समय तक रहने वाला अथवा कच्चा मांस खाने से भी इस इस वायरस को विस्तार मिलता है।     

संक्रमित व्यक्ति के नाक, आंख व मुंह के स्राव से गुणात्मक दर से फैलने वाली, अचानक अस्तित्व में आई यह एक ऐसी महामारी है, जिसके विषय में पहले ना देखा गया ना सुना गया था । और जिसके विषय में आज भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।  न तो इससे बचाव का अभी तक कोई वैक्सीन ही बन सका है ना ही कोई कारगर दवा। सामाजिक दूरी और जागरूकता ही इससे बचने का उपाय है। क्योंकि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से इस बीमारी को विस्तार मिलता है, अतः अपनी जनता को संक्रमण से बचाने के लिए अधिकांश देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने अपने देशों में लॉकडाउन की नीति अपनाई है।

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 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो 5 मई 2020 तक विश्व में कोरोना वायरस के संक्रमण के कुल केस 30,09, 958 है। जिनमें 11,92,314 मरीज मात्र अमेरिका में है। 2,48, 301 स्पेन में तथा 43,741 एक भारत में है ।जिनमें 2,50,097 मौत कोरोना संक्रमण के कारण हुई। कुल मरने वालों की संख्या में अमेरिका में 68, 941 स्पेन में 25 ,428 तथा भारत में एक 1,445 है। वैश्विक परिपेक्ष में  भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। भारत के शीर्ष नेताओं ने समझ बूझ व दूरदर्शी दृष्टि से उचित समय पर उचित निर्णय लेकर अपने देश की जनता को  असमय मृत्यु के मुहं में जसने से बचा लिया। इस महामारी से पीड़ित विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या चार माह से (लेख लिखे जाने तक) घरों या आश्रय स्थलों के अंदर है। जब तक इस वायरस से बचाव का टीका नहीं बन जाता तब तक सामाजिक, शारीरिक दूरी ही बचने का कारगर उपाय है ।भारत जैसे वृहद जनसंख्या युक्त देश में जहां क्षेत्रफल भी अपेक्षाकृत न्यून है, ऐसे समय में इस विश्वव्यापी आपदा से निपटना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

भारतीय संस्कृति अनादिकाल से प्रकृति पूजक रही है। आज प्रगति शील संस्कृति में भी अधिकांश जनमानस प्रकृति के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित किए हुए है। भारतीय दर्शन ,जीवन पद्धति ,सात्विक खानपान, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि का अच्छा साधन है।अभिवादन में *नमस्ते* की परंपरा जहां एक दूसरे के प्रति उचित आदर सम्मान व्यक्त करती है ,वहीं शारीरिक दूरी बनाकर संक्रमण को रोकने में भी सहायक है। आज इस परंपरा को विश्वव्यापी स्वीकृति प्राप्त हो रही है। *गांधी जी* के *स्वच्छता संदेश* से आरंभ हुआ स्वच्छता कार्यक्रम, मोदी जी के नेतृत्व में जनता ने स्वेच्छा से भारत को स्वच्छ बनाने के लिए राष्ट्रीय अभियान चलाया, जन-जन को इसके लिए जागरूक किया जो आज निरंतर हाथ धोते रहने के रूप में विश्वव्यापी अभियान बन गया । साफ सफाई से रहना और हाथों को लगातार धोते रहना, वायरस का संक्रमण रोकने में कारगर उपाय है।

 *समष्टि कल्याण* की साधना भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। सर्व कल्याण की मंगल कामना, अत्यधिक प्रभावकारी ऊर्जा का उत्पादन करती है। जिसका अक्षरशः दर्शन देश के मुखिया, कोरोना के विरुद्ध जंग के योद्धाओं में शामिल, मोदी जी में किया जा सकता है। मोदी जी की अगुवाई में संपूर्ण देश 

 *सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया:।* *सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत्।।*  अर्थात सभी सुखी हों ,सभी निरोगी रहें ,सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बने और किसी को भी दुख का भागीदार ना बनना पड़े, के भाव का अनुकरण करता संपूर्ण देश राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना नामक महामारी के विरुद्ध संघर्षरत है। इस वैश्विक आपदा में स्वास्थ्यकर्मी *देव रूप* धारण कर ,जन धन की रक्षा में जहां प्रतिक्षण तत्पर है ,वहीं *पुलिसकर्मी*  शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिये अनुशासन व्यवस्था में 24 घंटे न सिर्फ अपनी सेवा दे रहे हैं अपितु मानवीय संवेदना का भी परिचय देते हुए जन्मदिन के अवसर पर उदास बच्चे के घर  केक पहुंचा कर बच्चे के जन्मदिन को उल्लासमय भी बना रहे हैं।

शाहजहांपुर के गांव में कैंसर पीड़ित मरीज को दिल्ली से दवा पहुंचाना, असहाय भूखे परिवार को भोजन कराना पुलिस के *मित्र भाव* चरित्र को उजागर करता है। स्वच्छता कार्यों में लगे *सफाईकर्मी*, घर-घर आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने में लगे कारोबारी, *एनएसएस*, *एनसीसी* *,रेड क्रॉस* सोसाइटी, लायंस क्लब*, नेहरू युवा केंद्र के सदस्य भी अनुशासन तथा आवश्यक सेवाओं में जी-जान से उत्साह पूर्वक संलग्न है। आश्रय स्थलों में रह रहे शरणार्थियों, गरीबों के भोजन तथा बेसहारा ,बेजुबान पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था का भी प्रयास स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा करके, ऋग्वेद के आदर्श सूक्त में उल्लखित*संगच्छध्वं,संवद्धवम,संवोमनांसि जानताम।**देवाभागम यथापूर्वे संजनाना उपास्यते।।*

*सहयोग , *सहअस्तित्व* की भावना को साकार रूप देने में सभी देशवासी अपने स्तर से प्रयासरत हैं। फेसमास्क संक्रमण में गतिरोधक का काम करते हैं, व्यापक स्तर पर विशेष रूप से महिलाओं द्वारा घर मे बनाकर वितरित किया जा रहा है, साथ ही उन्हें घर पर रहने व शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिये विभिन्न प्रकार के दृश्य श्रव्य संदेशों द्वारा जागरूक भी किया जा रहा है।

 इस काल में यदि भारत की वैश्विक स्थिति पर दृष्टि डालें तो यहां संक्रमण और मृत्यु दर, विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा काफी कम है जिसका श्रेय देश के शीर्ष नेता माननीय मोदी जी को है, जिन्होंने उचित समय पर देश में न सिर्फ लाकडाउन की नीति लागू की अपितु सामाजिक दूरी बनाए रखने की व्यवस्था का कठोरता से पालन भी करवाया।पृथ्वी को स्वच्छ ,स्वस्थ और समृद्ध रखने की  देशवासियों को शपथ भी दिलाई। माइक्रोसॉफ्ट के सह संपादक और समाजसेवी *बिल गेट्स* ने भारत में कोविड-19 महामारी के विरुद्ध नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है। कोरोना वायरस होने के लगभग 4 माह व्यतीत होने पर *जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी* द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार भारत और यूरोपीय देशों ने कोरोना के एक चौथाई मरीजों को स्वस्थ करने में सफलता प्राप्त की है। हालांकि अमेरिका, रूस और ब्रिटेन में 10% मरीजों के ठीक होने पर चिंता व्यक्त की। भारत में स्वस्थ हुए रोगियों की दर अन्य देशों से बेहतर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्वी एशिया के क्षेत्रीय निदेशक *पूनम खेत्रपाल सिंह* ने इस काल इस संकट काल में भारत द्वारा लिए गए निर्णयों तथा भारत के सामने बहुत सी चुनौतियां होने के बावजूद प्रशासन, स्वास्थ्यकर्मी व समुदाय द्वारा निष्ठा पूर्वक किए गए कार्यों की सराहना की। इस भयावह परिस्थिति में जहां अमेरिका और उच्च स्वास्थ्य सुविधाओं से संपन्न देश इस वायरस के विरुद्ध विवश हो रहे हैं वहीं भारत अन्य शक्ति संपन्न देशों की तुलना में सुदृढ़तापूर्वक इस अघोषित ,अदृश्य ,शत्रु के विरुद्ध युद्ध में शामिल है। स्वास्थ्य सेवाओं में अमेरिका, ब्रिटेन ,ब्राजील, स्पेन जैसे देश भारत से सहयोग की अपेक्षा कर रहे है।

संपूर्ण मानव समुदाय के कल्याण की कामना करने वाली, विश्व बंधुत्व की भावना से पोषित, भारतीय संस्कृति *पुमान पुमांस परियातु विश्वत:*

 *वसुधैव कुटुंबकम* के भाव से ओतप्रोत भारत ने अमेरिका सहित 40 देशों को विदेश मंत्रालय द्वारा जारी सूचना के अनुसार 50 लाख हाइड्रॉक्सी पक्लोरोक्वीन की गोलियां, 13.2 लाख पेरासिटामोल की गोलियों के साथ वृहद स्तर पर दूसरी जीवन उपयोगी दवाओं का निर्यात किया। साथ ही मालदीप व कतर की मदद के लिए चिकित्सा की टीम भेजकर अपने हृदय की विशालता का परिचय दिया है। भारत द्वारा उठाए गए सहयोग के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय जगत में स्थिति और सुदृढ़ हुई है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व में भारतीय जनता के इस मानवतावादी सहयोग को धन्यवाद दिया है। अमेरिकी सांसद जॉर्ज होल्डिंग ने भारत को अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों में एक मानकर साझेदारी मजबूत होने पर आभार प्रदर्शित किया। स्विट्जरलैंड में कोरोना वायरस युद्ध में भारतीयों के साथ एकजुटता दिखाते हुए 1000 मीटर का भारतीय तिरंगा प्रसिद्ध मेटरहार्न  पर्वत पर रोशनी की सहायता से दर्शा कर को सम्मान प्रदान किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी भारत के वैश्विक सहयोग को सलाम किया है।

लेखक- डॉ कामिनी वर्मा एसोसिएट प्रोफेसर लखनऊ- हिमालयायूके वेेेब एण्‍ड प्रिन्‍ट मीडिया-

 भारत संयम ,सादगी व विश्वास के साथ संकट के इस काल का ना सिर्फ सामना कर रहा है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सहयोग करने में कोई कमी नहीं रख रहा है । इस कठिन परिस्थिति में जहां चारों ओर नकारात्मकता का माहौल है, इससे कब तक छुटकारा मिलेगा ,इसका भी कोई उत्तर नहीं है, ऐसी किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में देशवासियों का मनोबल बढ़ाने व उनमें भावनात्मक एकता बनाए रखने के लिए निरंतर संवाद करना ,कभी घंटी बजाकर ,कभी दिया जलाकर ,कभी फूलों की वर्षा कर कर्मवीर योद्धाओं का सम्मान व उत्साह वर्धन किया जा रहा है। जो निश्चित ही उनके कार्यों को  गति प्रदान करने के साथ-साथ संपूर्ण विश्व के लिए अनुकरणीय है।

हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल न्‍यूज पोर्टल एवं दैनिक समाचार पत्र-* हरिद्वार एवं देहरादून से प्रकाशित – चन्‍द्रशेखर जोशी मुख्‍य सम्‍पादक-

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