दिल्ली का दंगल & एअर इंडिया को बेचने की खबर- रंग में भंग ; कोर्ट जाऊगा- बीजेपी नेता
High Light#एअर इंडिया (Air India Disinvestment) को बेचने की तैयारी शुरू # # जुबानी लड़ाई ‘चाणक्य बनाम चाणक्य’ में जारी #CJI बोले- सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल ना करें लोग- बीजेपी नेता गौरव भाटिया की याचिका ####
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) और बीजेपी ने दिन-रात एक किया हुआ है। इसी बीज एअर इंडिया (Air India Disinvestment) को बेचने की खबर आ गई है सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी खड़े हो गए हैं. इसका दिल्ली विधानसभा चुनाव में असर पडना तय है- जिससे बीजेपी को नुकसान होगा-
एअर इंडिया (Air India Disinvestment) को बेचने की तैयारी शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने सोमवार को प्रारंभिक जानकारी वाला मेमोरंडम जारी कर दिया. सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी खड़े हो गए हैं. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट के जरिए फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह सौदा पूरी तरह से देश विरोधी है और मुझे कोर्ट जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. हम परिवार की बेशकीमती चीज को नहीं बेच सकते. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी पहले भी एअर इंडिया को बेचने की सरकार की योजना से नाराजगी जता चुके हैं. माना जा रहा है कि केंद्र के इस फैसले को लेकर राजनीतिक और कानूनी अड़चन पैदा हो सकती है.
सुब्रमण्यम स्वामी एअर इंडिया (Air India Disinvestment) को लेकर बोली प्रक्रिया के लिए उठाए गए कदम के खिलाफ पहले भी चेतावनी दे चुके हैं. उन्होंने यह कहते हुए भी इसकी आलोचना की कि इस मुद्दे पर फिलहाल संसदीय पैनल द्वारा चर्चा की जा रही है.
उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि अभी यह (एअर इंडिया विनिवेश) परामर्शदात्री समिति के सामने है और मैं इसका एक सदस्य हूं. मुझे एक नोट देने के लिए कहा गया है, जिस पर अगली बैठक में चर्चा की जाएगी. वे इसके बिना आगे नहीं बढ़ सकते. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था अगर वे ऐसा करते हैं तो मैं अदालत जाऊंगा, वे यह भी जानते हैं.
मोदी सरकार की ओर से जारी बिड डॉक्यूमेंट के मुताबिक एअर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी. इसके अलावा एअर इंडिया और SATS की जॉइंट वेंचर कंपनी AISATS में एअर इंडिया की 50 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी. एअर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी बोली जीतने वाली कंपनी को मिल जाएगा. समाचार एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि एअर इंडिया के लिए संभावित बिडर्स में टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो, स्पाइसजेट और कई निजी इक्विटी कंपनियां शामिल हैं. हालांकि माना जा रहा है कि एअर इंडिया की नीलामी में शामिल होने के लिए कई विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों से साझेदारी कर सकती हैं.
घाटे में चल रही एअर इंडिया पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें विमानों की खरीद और कार्यशील पूंजी हेतु लिए गए दीर्घकालिक कर्ज भी शामिल हैं. विनिवेश योजना की जानकारी रखनेवाले एक अधिकारी ने बताया, ‘अब एअर इंडिया पर महज 18,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. जब इसके लिए बोली आमंत्रित की जाएगी, तो उसमें खातों में 18,000 करोड़ का कर्ज ही दिखाया जाएगा.’
जुबानी लड़ाई ‘चाणक्य बनाम चाणक्य’ में जारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच तीखी जंग चल रही हो, लेकिन एक जुबानी लड़ाई ‘चाणक्य बनाम चाणक्य’ में भी जारी है. चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जवाब दिया. प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया कि जोर का झटका धीरे से ही लगना चाहिए.
JDU नेता और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, ‘‘8 फरवरी को दिल्ली में EVM का बटन तो प्यार से ही दबेगा. जोर का झटका धीरे से लगना चाहिए ताकि आपसी भाईचारा और सौहार्द खतरे में ना पड़े.’ इसके साथ ही उन्होंने चार मुद्दों को भी ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने Justice, Liberty, Equality & Fraternity को लिखा.
दरअसल, दिल्ली के बाबरपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को जनसभा की. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि ईवीएम का बटन इतने गुस्से के साथ दबाना कि बटन यहां बाबरपुर में दबे, करंट शाहीन बाग के अंदर लगे. अमित शाह बोले कि CAA का विरोध करने वाले नेताओं ने दिल्ली में दंगे करवाए और लोगों को गुमराह करने का काम किया.
नागरिकता संशोधन एक्ट के मसले पर दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले एक महीने से प्रदर्शन चल रहा है. बड़ी संख्या में महिलाएं केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोले हुए हैं और CAA को वापस लेने की मांग कर रही हैं. अमित शाह ने दिल्ली में अपनी कई रैलियों में शाहीन बाग का मसला उठाया है, साथ ही विपक्ष पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है. बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भी अपने एक ट्वीट में शाहीन बाग को मिनी पाकिस्तान बताया था, जिसपर चुनाव आयोग ने एक्शन लिया था.
पीके और अमित शाह के बीच जुबानी जंग लगातार जारी है. इससे पहले प्रशांत किशोर ने अमित शाह को चैलेंज दिया था कि वो देश में CAA, NRC को अपनी क्रोनोलॉजी के अनुसार लागू करने का चैलेंज दिया था. अमित शाह ने जब बयान दिया था कि कोई कितना भी विरोध कर ले, लेकिन सरकार इस कानून पर पीछे नहीं हटेगी.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) और बीजेपी ने दिन-रात एक किया हुआ है। ‘आप’ तो लोकसभा चुनाव में हार मिलने के बाद ही चुनाव मैदान में उतर आई थी। महिलाओं की बसों में मुफ्त सवारी के अलावा उसने 200 यूनिट तक फ्री बिजली, पानी के सारे पुराने बिल माफ़, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा, किरायेदारों को प्री-पेड मीटर, सीसीटीवी, स्ट्रीट लाइट, वाई-फ़ाई और ऐसी ही कई घोषणाएं करके पहले ही चुनाव का बिगुल बजा दिया था। आज उसके पास अपनी घोषणाओं का पूरा भंडार है और इसे वे अपने पांच साल का काम बताकर जनता से वोट मांग रहे हैं। सच्चाई यह है कि दिल्ली में बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों के पास इन मुफ्त घोषणाओं का मुक़ाबला करने के लिए कोई जवाब ही नहीं है। न जाने क्यों इन पार्टियों के नेता जनता को यह नहीं समझा पा रहे हैं कि पिछले पांच सालों में दिल्ली में एक भी स्कूल नहीं खुला, एक भी कॉलेज नहीं खुला, एक भी नया फ्लाई ओवर का प्रोजेक्ट नहीं आया और न ही यह समझा पा रहे हैं कि मुफ्तखोरी के इस चक्कर में दिल्ली का विकास रुक गया है। अगर बीजेपी और कांग्रेस के नेता इस बात को कहते भी हैं तो जनता मुफ्त की सुविधाओं से इतनी आत्ममुग्ध नज़र आती है कि वह यह सब समझना ही नहीं चाहती। यह भी सच्चाई है कि बीजेपी या कांग्रेस के नेता दिल्ली की जनता को यह नहीं बता पा रहे हैं कि केजरीवाल दिल्ली में मुफ्त सुविधाएं बांटकर वोट हासिल करने की जिस नीति पर चल रहे हैं, वह वोटरों को दूसरे रास्ते से ख़रीदने की कोशिश ही है। दिल्ली की जनता से यह नहीं पूछा जा रहा है कि आपको विकास चाहिए या फिर बिलों में पांच-सात सौ रुपये का फायदा। सबसे पहले तो उन्हें यही लग रहा था कि लोकसभा की सातों सीटें जीतने के बाद वे आसानी से विधानसभा चुनाव भी जीत जाएंगे। वे भूल गए थे कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भी दिल्ली में यही नतीजे आए थे लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने बीजेपी को सिर्फ तीन सीटों पर समेट दिया था और कांग्रेस का तो सूपड़ा ही साफ कर दिया था। इसके अलावा बीजेपी को यह उम्मीद थी कि कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाने का इतना बड़ा काम हुआ है कि इस मुद्दे पर तो अब लोकसभा का 2024 का चुनाव भी जीता जा सकता है लेकिन वह मुद्दा भी कहीं नजर नहीं आया। खासतौर पर इस मुद्दे पर हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव हुए तो जनता ने यह जता दिया कि लोकसभा चुनाव के लिए तो यह मुद्दा हो सकता है लेकिन विधानसभा चुनाव का एजेंडा कुछ और होता है।
दिल्ली के बीजेपी नेताओं को यह उम्मीद भी थी कि वे महाराष्ट्र और हरियाणा में बड़ी जीत हासिल करेंगे और उसका असर दिल्ली पर भी पड़ेगा लेकिन यहां भी पासा उल्टा पड़ गया। इसके बाद बीजेपी नेताओं की नजर अयोध्या विवाद के फ़ैसले पर थी। जब अयोध्या का फ़ैसला आ गया और चारों तरफ ‘जय श्रीराम’ का नारा गूंजने लगा तो दिल्ली के बीजेपी नेताओं को लगने लगा कि अब तो काम बन गया। लेकिन दिल्ली तो क्या झारखंड के चुनाव में भी इसका कोई असर नहीं हुआ और यह मुद्दा भी हाथ से निकल गया।
अब बीजेपी की हर संभव कोशिश यही है कि किसी भी तरह दिल्ली का चुनाव नागरिकता संशोधन क़ानून के मुद्दे पर हो जाए। पिछले तीन दिनों में गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली में कई रैलियां कर चुके हैं। नए अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तो उम्मीदवारों के चुनाव कार्यालयों के उद्घाटनों के छोटे मौक़े पर भी जा रहे हैं। आरएसएस ने दिल्ली में ड्राइंग रूम मीटिंगों की रणनीति बनाई है। हर रैली में, हर सभा में और हर ड्राइंग रूम मीटिंग में बस एक ही मुद्दा उठाने की कोशिश की जा रही है और वह है नागरिकता संशोधन क़ानून। इस क़ानून के रास्ते वोटरों में एक सीधा विभाजन करने की कोशिश हो रही है। बीजेपी का शायद यह सोचना है कि अगर उसे धार्मिक उन्माद में वोट मिलते हैं तो फिर केजरीवाल की मुफ्त वाली योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी। केजरीवाल को भी इसकी चिंता है। इसीलिए वह अब तक इस मुद्दे पर नहीं बोल रहे थे लेकिन उन्हें यह भी डर है कि अगर खुलकर सामने नहीं आए तो फिर मुसलिम वोटर भी उसी तरह हाथ से निकल सकते हैं जिस तरह लोकसभा चुनावों में निकले थे। अगर नागरिकता संशोधन क़ानून का मुद्दा चल गया तो इसके बाद बीजेपी को बजट से भी उम्मीदें हैं। जैसी कि ख़बरें आ रही हैं, बजट में मध्य वर्ग को इनकम टैक्स में भारी राहत दी जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो फिर दिल्ली का मध्य वर्ग भी अभिभूत होकर बीजेपी के पक्ष में जा सकता है।लब्बो-लुआब यही है कि दिल्ली बीजेपी ने केजरीवाल का मुक़ाबला करने के लिए अपनी तरफ से कुछ नहीं किया। वह केंद्र और हाईकमान के फ़ैसलों की तरफ़ ताकती रही। उसे लग रहा है कि अगर भाग्य से छींका टूट जाए तो फिर मलाई भी खाने को मिल जाएगी। अब देखना यही है कि जनता इस छींके को किसके पक्ष में तोड़ती है।
CJI बोले- सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल ना करें लोग- बीजेपी नेता गौरव भाटिया की याचिका
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच लंबे समय से हिंसा जारी है. ये मामला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने बड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल अपने राजनीतिक मसलों को निपटाने के लिए कर रहे हैं. CJI ने कहा कि बेहतर होगा कि आप टीवी स्क्रीन पर अपना स्कोर बराबर करें.
बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसा के मसले पर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने याचिका दायर की. इस मामले की सुनवाई के लिए एक ओर से गौरव भाटिया और दूसरी ओर से कपिल सिब्बल पेश हुए. याचिका में लगातार बीजेपी नेताओं की हत्या का मामला उठाया गया.
इसी पर टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा कि हमें दिख रहा है कि दो विपक्षी दल कोर्ट का इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्कोर को बराबर करने में कर रहे हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि बेहतर होगा कि दोनों एक टीवी चैनल में जाएं और अपने राजनीतिक स्कोर को बराबर करें.
कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल की ओर से पेश हुए. उन्होंने अदालत से अपील करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मसले को जांचना चाहिए कि क्या किसी राजनीतिक पार्टी इस तरह की PIL दाखिल करनी चाहिए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस याचिका पर बंगाल सरकार को नोटिस दिया है और चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है. याचिका दायर की गई थी कि बीजेपी नेता दुलाल कुमार की हत्या के पीछे राजनीतिक मंशा थी, अब इसमें सीबीआई जांच होनी चाहिए. पश्चिम बंगाल में पिछले लंबे समय से राजनीतिक हिंसा बढ़ी है. पहले पंचायत चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान कई मौकों पर टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ता आमने-सामने आए. कई बार कार्यकर्ताओं ने पोलिंग बूथों को लूटा तो देसी बम फेंक कर हमला किया.
पिछले कुछ समय में बंगाल में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले भी सामने आए हैं. जिसपर बीजेपी ने टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया. वहीं टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी बंगाल में पैर पसारने के लिए माहौल बिगाड़ने का काम कर रही है.