म0प्र0 संकट- बीजेपी से विजयवर्गीय कांग्रेस से हरीश रावत को मिली कमान

कांग्रेस (Congress) के कद्दावर नेताओं में से एक ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और उनके साथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के 22 विधायकों के मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा देने के बाद से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा गया है. ऐसे में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के सीनियर नेताओं को सरकार बचाने के लिए कमान दे दी है.सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी के महासचिव के सी वेणुगोपाल, हरीश रावत और कई सीनियर नेताओं के साथ मीटिंग की. — सोनिया गांधी ने इन सीनियर नेताओं को दी जिम्मेदारी  सूत्रों के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, मध्य प्रदेश कांग्रेस यूनिट के इंचार्ज दीपक बाबरिया को पार्टी विधायकों से बात करने के लिए भोपाल भेजा गया है. इसके अलावा इन नेताओं पर ये भी जिम्मेदारी भी वो मध्यस्तता करके कमलनाथ सरकार को बचाएं.

सूत्रों के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, मध्य प्रदेश कांग्रेस यूनिट के इंचार्ज दीपक बाबरिया को पार्टी विधायकों से बात करने के लिए भोपाल भेजा गया है. इसके अलावा इन नेताओं पर ये भी जिम्मेदारी भी वो मध्यस्तता करके कमलनाथ सरकार को बचाएं. बता दें कि मंगलवार को सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी के महासचिव के सी वेणुगोपाल, हरीश रावत और कई सीनियर नेताओं के साथ मीटिंग की. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के विधायक आज सुबह भोपाल से जयपुर रवाना होंगे.  इनके रुकने के लिए ब्यूना विस्ता रिजॉर्ट में कमरे बुक किए गए हैं. 

 राज्य में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद से सरकार संकटों से घिर गई है. इससे सरकार के अल्पमत में आने की बात कही जा रही है. 22 विधायकों में 6 कामलनाथ सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. इस्तीफा देने वाले विधायकों में रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, भांडेर से रक्षा संत्राव, अशोक नगर से जजपाल सिंह जज्जी, शिवपुरी से सुरेश धाकड़, ओपी एस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिरराज दंडोतिया, जसवंत जाटव, हरदीप डंग, मुन्ना लाल गोयल, ब्रिजेंद्र यादव, दत्तिगांव से राजवर्धन सिंह, एंदल सिंह कंसाना, मनोज चौधरी शामिल हैं. इस्तीफा देने वालों में इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद राजपूत भी शामिल हैं, जो कमलनाथ सरकार में मंत्री थे

इसके अलावा कांग्रेस ने सज्जन सिंह वर्मा और गोविंद सिंह को बेंगलुरु में रुके हुए इस्तीफा दे चुके विधायकों से बात करने के लिए भेजा है. गौरतलब है कि कांग्रेस के बड़े नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है. दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. विधानसभा में हम बहुमत साबित करेंगे.  मध्य प्रदेश बीजेपी के सभी विधायक विमान के जरिए देर रात 1:00 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे. बताया जा रहा है कि दिल्ली एयरपोर्ट से सभी विधायकों को गुरुग्राम के मानेसर स्थित पांच सितारा रिसॉर्ट ITC ग्रैंड भारत में शिफ्ट कर दिया गया. विधायकों के साथ कैलाश विजवर्गीय और अनिल जैन भी मौजूद रहे. गुरुग्राम पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग कर मीडिया को रिसॉर्ट से 5 किलोमीटर दूर ही रोक दिया जा रहा है.

दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘रणनीति बताने की थोड़ी होती है. दिल्ली दर्शन करने आए हैं. फेस्टिवल मूड में आए हैं. देखिए, जो भी होगा आपको सूचना मिल जाएगी. अभी कुछ भी बताना उचित नहीं है. कमलनाथ जी को सपने देखने दीजिए, उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.

ऐसी खबर है कि कांग्रेस भी बुधवार को अपने विधायकों को मध्य प्रदेश से बाहर ले जाएगी. एकजुटता दिखाने के लिए कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से बैठक में राज्य से बाहर जाने की मांग की थी. जिसे मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी. विधायकों का मानना है कि हमारी एकजुटता से दूसरे विधायक भी हमारे साथ आएंगे.

मध्यप्रदेश के सियासी संकट के बीच बीजेपी कांग्रेस अपने अपने विधायकों को बचाने में लगे हुए हैं.  बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में रोका हुआ है. वहीं, कांग्रेस के विधायकों को बुधवार को जयपुर लाने की ख़बर है. महाराष्ट्र के सियासी घमासान के दौरान भी कांग्रेस के विधायकों को जयपुर के ब्यूना विस्ता रिजॉर्ट में ही रुकवाया गया था. सभी 44 विधायक 5 दिनों तक इसी रिजॉर्ट में रुके थे. ब्यूना विस्ता रिजॉर्ट में कांग्रेस ने विधायकों के लिए 52 कमरे बुक किये थे. इस रिजॉर्ट पर हर तरह की लग्जरी उपलब्ध है. हर कमरे के साथ लॉन और हर कमरे से अटैच स्विमिंग पूल है. पूरा कमरा टच से संचालित होता है. बाथरूम के नल तक गोल्ड प्लेटेड हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिजॉर्ट में एक कमरे का किराया करीब 19 हजार रुपये है.

होटल में कुल 52 कमरे हैं, जिनमें से 42 कमरों की बुकिंग की गई है. 10 कमरे एक फंक्शन के बाद खाली हो जाएंगे और इसके बाद ये भी विधायकों के लिए बुक कर दिए जाएंगे. बताया जा रहा है कि ब्यूना विस्ता रिजॉर्ट के साथ ही एक-दो अन्य होटल्स को भी बुक किया गया है.

वहीं, सीएम गहलोत भी इस सियासी घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं. चर्चा है कि विधायकों के इंतजाम की कमान मुख्य सचेतक महेश जोशी ने संभाल ली है. सीएम गहलोत ने पुलिस अधिकारियों को सीएम आवास बुलाया. सीएस डीबी गुप्ता और एडीजी इंटेलीजेंस सीएम आवास पहुंचे.

वहीं, होली के दिन कांग्रेस से इस्तीफा देकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया. सूत्रों के मुताबिक सिंधिया बुधवार को औपाचारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली हैं.  बीजेपी ज्वाइन करने के बाद सिंधिया को सबसे पहले राज्यसभा भेजा जा सकता है. उसके बाद उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया गांधी परिवार और ख़ासतौर पर राहुल गांधी के बहुत नज़दीकी माने जाते थे. कई युवा नेता तो यह भी बताते रहे कि जो बात सिंधिया राहुल गांधी को बोल सकते हैं वो कोई नहीं बोल सकता यानी राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की जो कॉलेज के समय की दोस्ती थी वो राजनीति में आने के बाद भी कम नहीं हुई, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसा क्या हुआ कि गांधी परिवार भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोक नहीं पाया ?

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले जब मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान किसी नेता को देनी थी. उस वक्त राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष थे और पार्टी अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी ने कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बैठक बुलाई थी. राहुल गांधी ने दिग्विजय से पूछा आपकी क्या राय है ? किसे राज्य की कमान मिलनी चाहिए. तब दिग्विजय सिंह ने कहा था सिंधिया हमारे आदरणीय नेता हैं, लेकिन कमलनाथ की यह आखिरी पारी है इसलिए कमलनाथ को मध्यप्रदेश की कमान सौंपी जाए और उसके बाद कमलनाथ को ही राज्य जिम्मेदारी दी गई.

फिर दूसरी बड़ी घटना हुई जिसने ज्योतिरादित्य सिंधिया को फिर एक झटका दिया वो थी जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का फैसला होना था. मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के बाद मुख्यमंत्री पद कमलनाथ को ही मिला हालांकि राजस्थान की तर्ज पर सिंधिया को भी उप-मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस ने आफर किया था, लेकिन महाराज भला वजीर कैसे बन सकते थे.

लेकिन मामला इतना बढ़ जाएगा कि वो कांग्रेस पार्टी को छोड़ने का ही फैसला कर लेंगे इसकी शुरूआत हुई जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा , मैं मध्यप्रदेश की जनता के लिए सड़क पर उतरूंगा तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साफ शब्दों में कहा “उतरना है तो उतर जाएं.” शायद सिंधिया को कमलनाथ से ऐसे से जवाब की उम्मीद नहीं थी और उसके बाद फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन सिंधिया इस बात को पुख्ता करना चाहते थे कि अगर वो कांग्रेस पार्टी छोड़ते हैं तो मध्य प्रदेश की सरकार भी नहीं रहनी चाहिए और जिस तरीके से कांग्रेस के विधायक इस्तीफ़ा दे रहे हैं उससे तो साफ है कि कमलनाथ सरकार को परेशानी हो सकती है.

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