एलएलबी डिग्रीधारी किसान नेता राकेश टिकैत का फूट-फूटकर रोने का वीडियो वायरल होते ही योगी सरकार बैकफुट पर आ गई

एलएलबी डिग्रीधारी किसान नेता राकेश टिकैत का फूट-फूटकर रोने का वीडियो वायरल होते ही योगी सरकार बैकफुट पर आ गई

राकेश टिकैत ने कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे, लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे और फूट-फूटकर रोने लगे. यह बात देखते ही देखते पश्चिम यूपी में आग की तरह फैल गई. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”PM हमारे किसान-मज़दूर पर वार करके भारत को कमज़ोर कर रहे हैं. फ़ायदा सिर्फ़ देश-विरोधी ताक़तों का होगा.”  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राकेश टिकैत को खुलकर समर्थन दिया है. केजरीवाल ने कहा है कि आपकी मांगे वाजिब हैं. केजरीवाल ने ट्वीट किया, ”राकेश जी, हम पूरी तरह से किसानों के साथ हैं. आपकी माँगे वाजिब हैं. किसानों के आंदोलन को बदनाम करना, किसानों को देशद्रोही कहना और इतने दिनों से शांति से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं पर झूठे केस करना सरासर ग़लत है.” आरएलडी उपाध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘चिंता मत कीजिए, किसान के लिए यह जीवन-मरण का प्रश्न है. सबको एक होना है, साथ रहना है – यह संदेश दिया है चौधरी साहब ने.’ 26 जनवरी को हुई घटना के बाद कमजोर लग रहा किसान आंदोलन एक बार फिर जोर पकड़ रहा है । कल किसान नेता राकेश टिकैत की आंखों से गिरे आंसुओं के बाद आंदोलन में यू टर्न आता दिख रहा है. भिवानी, हिसार, कैथल, जींद, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर से रात में ही किसानों का जत्था गाजीपुर की तरफ निकल पड़ाकिसान आंदोलन को एक बार फिर से ऊर्जा मिल गई है. सिंघु बॉर्डर पर लाठियों के साथ स्थानीय लोग इकट्ठा हो रहे हैं और पुलिस उन्हें नहीं रोक रही है. कल की घटना के बाद लगातार किसानों की संख्या बढ़ रही है.

गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत से मिलने पहुंचे मनीष सिसोदिया ने कहा, ”मुझे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने भेजा है. उनका निर्देश था कि मैं जाकर पानी वगैरह की व्यवस्था देखूं, इसलिए मैं यहां आया था. पेट इंटरनेट से या इन कानूनों से नहीं भरेगा, वह रोटी से भरेगा. किसान की पगड़ी उछलने की कोशिश की जा रही है, हम साथ है. जिनको पानी की ज़रूरत है तो पूरी व्यवस्था है यहाँ.”

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और उनके बड़े भाई नरेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. पश्चिमी यूपी की बढ़ती राजनीतिक तपिश और सिर पर पंचायत चुनाव को देखते हुए योगी सरकार बैकफुट पर आ गई और किसान आंदोलन के खिलाफ एक्शन से अपने कदम को पीछे खींचना पड़ गया.     मुजफ्फरनगर के सिसौली में राकेश टिकैत के घर बाहर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है.    कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन को गुरुवार को यूपी प्रशासन ने बोरिया बिस्तर समेटना का   अल्टीमेटम दे रखा था. गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने कहा कि जान दे देंगे लेकिन आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. इतना कहते ही पूरा माहौल कुछ देर पलट गया

. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैतअपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने भावुक होकर दो टूक कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे. उनके इंटरव्यू के दौरान रोने का वीडियो भी सामने आया है. देखते ही देखते यह वीडियो पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जिलों के गांवों में तेजी से फैलने लगा और किसानों ने उनका समर्थन करने का फैसला किया. देर रात में ही यूपी के कई जिलों के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच गए.

राकेश टिकैत को किसानों का साथ विरासत में मिला है. उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत भी किसान नेता ही थे. ये परिवार कई दशकों से किसानों के हकों की लड़ाई लड़ता रहा है. बताया जाता है कि किसानों के अधिकारों की लड़ाई में अग्रसर रहने वाले टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं. मध्यप्रदेश के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ आंदोलन के चलते राकेश टिकैत 39 दिनों तक जेल में रहे थे. इसके साथ ही किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए भी उन्होंने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया था तो उन्हें तिहाड़ भेजा गया था.  उस समय राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर ही गन्ना जला दिया था. इसके अलावा भी भी राकेश टिकैत किसानों की मांगों के लिए आंदोलन करते रहे हैं.

राकेश टिकैत की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह तीन बच्चों के पिता है. राकेश टिकैत की 1985 में बागपत जिले के दादरी गांव की सुनीता से हुई. तीनों बच्चों (एक बेटा दो बेटियां) का विवाह हो चुका है. राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है. इन्हें 2014 में यूपी की अमरोहा सीट से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह लोकसभा प्रत्याशी बनाया, जिसमें वह हार गए थे. राकेश टिकैट 1992 में कांस्टेबल के पद पर नौकरी किया करते थे. पिता का राकेश पर काफी प्रभाव था. 1993- 94 में लालकिले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया था. जब  सरकार ने आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाया तो ये भी अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे.  

जयंत चौधरी की पार्टी ने भारतीय किसान यूनियन को अपना समर्थन दिया है. बता दें कि राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख अजीत सिंह ने भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) को समर्थन का ऐलान किया है. बीकेयू के सदस्य केंद्र के नये कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-गाज़ियाबाद सीमा पर धरने पर बैठे हैं. आरएलडी उपाध्यक्ष और अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत एवं प्रवक्ता राकेश टिकैत से बातचीत की है.

आरएलडी उपाध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘चिंता मत कीजिए, किसान के लिए यह जीवन-मरण का प्रश्न है. सबको एक होना है, साथ रहना है – यह संदेश दिया है चौधरी साहब ने.’

बता दें कि बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दोनों बेटे राकेश और नरेश बीकेयू की अगुवाई कर रहे हैं जिसके सदस्य केंद्र के विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए पिछले दो महीने से यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर डेरा डाले हुए हैं. केंद्र सरकार पिछले साल सितंबर में ये कृषि कानून लेकर आई थी.

साभार चैनल,एजेंसियां एवं ब्‍यूरो रिपोर्ट

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