ऐसे नेता को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी ;जल्द ऐलान

#चार्जशीट वाले नेता को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी #जल्द ऐलान किए जाने की तैयारी #मोदी का यह दूसरा बड़ा नीतिगत फैसला  #काला धन पर काबू पाने के लिए विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद  #राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें  #फास्ट ट्रैक कोर्ट से सजा पाने वाले भले ही ऊपरी अदालत से बरी हो जाएं#लेकिन उन पर चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने # राजनीतिक दल में पदाधिकारी बनने पर हमेशा के लिए रोक #राजनीतिक पार्टी बनाने और राजनीतिक दल में पदाधिकारी बनने पर हमेशा के लिए रोक लग जाएगी#

FILE PHOTO; A delegation of Markazul Ma’arif Education and Research Centre led by the Member of Parliament, Shri M. Badruddin Ajmal presenting the book to the Vice President, Shri M. Hamid Ansari, in New Delhi on December 12, 2016.

(www.himalayauk.org) Newsportal
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाएगी। नेताओं के चुनाव लड़ने के बारे में विधि आयोग की सिफारिशों को लागू करने की तैयारी में है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार। काला धन पर काबू पाने के लिए विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद मोदी का यह दूसरा बड़ा नीतिगत फैसला होगा, जिसके बारे में जल्द ऐलान किए जाने की तैयारी है।

विधि आयोग ने जो रिपोर्ट जमा की है, उसमें पेज नंबर 244 से 255 तक ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट’ पर सिफारिशें हैं। विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायिका विभाग ने इस बारे में संबंधित सभी विभागों को परिपत्र जारी किया है, जिसमें जल्द ही आयोग की सिफारिशें लागू करने की बात कही गई है। विधि आयोग के दो सुझाव गौरतलब हैं। पहला, ऐसे मामले जिनमें कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान है, चार्जशीट वाले नेता को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। दूसरा, राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएंगी, जिन्हें एक साल के भीतर फैसला सुनाना होगा। फास्ट ट्रैक कोर्ट से सजा पाने वाले भले ही ऊपरी अदालत से बरी हो जाएं, लेकिन उन पर चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और राजनीतिक दल में पदाधिकारी बनने पर हमेशा के लिए रोक लग जाएगी।
विधि आयोग ने चुनाव सुधारों को लेकर अक्तूबर में कई बैठकें और चुनाव आयोग समेत संबंधित पक्षों की सुनवाई की। नवंबर में मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया। चुनाव सुधार को लेकर बीते ढाई दशक से कवायद चल रही है। मोदी सरकार ने विधि आयोग से इस बारे में सुझाव मांगे। चुनाव के दौरान पेड न्यूज (पैसे लेकर किसी उम्मीदवार के पक्ष में खबर दिखाने या छापने), स्टेट फंडिंग (उम्मीदवार का खर्च सरकार देगी), झूठे शपथपत्र, खर्च का ब्यौरा कम बताने और अपराधों में आरोपी उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने जैसे मुद्दों पर सहमति बनाने के प्रयास चल रहे हैं। चुनाव सुधार के मामले में विधि मंत्रालय और विधि आयोग को सुझाव भेजने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय के अनुसार, चुनाव व्यवस्था में सुधार या संशोधन की जिम्मेदारी विधि मंत्रालय की होगी।
मंत्रालय ही चुनाव संचालन नियम, 1961 और जनप्रतिनिधि कानून, 1951 में फेरबदल की पहल करेगा। विधि आयोग और चुनाव आयोग ने अपने सुझाव दे दिए हैं। विधि आयोग की सिफारिशों को हरी झंडी दिखाते हुए मंत्रालय के उप सचिव केके सक्सेना ने पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि ‘विधि आयोग द्वारा चुनाव सुधारों को लेकर पृष्ठ संख्या 244 से 255 पर दिए गए सुझावों को सरकार लागू करने की तैयारी कर रही है।’ अभी चुनाव आयोग रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के दायरे में चुनाव कराता है। केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद विधि आयोग की कवायद तेज हुई। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बी. एस. चौहान को विधि आयोग का 21 वां अध्यक्ष बनाया गया। उनके साथ गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रवि आर. त्रिपाठी को सदस्य बनाया गया। आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 तक है। फिलहाल, आयोग ने चुनाव सुधार पर अपनी सिफारिशें दी हैं। अभी इस विधि आयोग के समक्ष भारतीय दंड विधान में संशोधन का मुद्दा विचाराधीन है।

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