भगत दा की सहमति पर सीएम की कुर्सी बचेगी; सीएम पर संकट के बादल

High Light# मुख्यमंत्री की कुर्सी पर संकट के बादल गहरा गए हैं : कोरोना वायरस का कहर : 28 मई से पहले विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी : : www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उद्धव ठाकरे के सामने अब दो विकल्प बचते हैं. इनमें पहला विकल्प राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के ऊपर निर्भर करेगा. महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली विधान परिषद की दो सीटें फिलहाल रिक्त हैं. इनमें से एक सीट पर राज्य सरकार उद्धव ठाकरे के नाम को नामित करने के लिए राज्यपाल के पास सिफारिश कर सकती है. सरकार द्वारा भेजे गए नाम पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सहमत हो जाते हैं तो उद्धव ठाकरे अपनी सीएम की कुर्सी बचाए रखने में सफल हो सकते हैं.

  मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर संकट के बादल गहरा गए हैं. उद्धव महाराष्ट्र के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं और 6 महीने का कार्यकाल 28 मई को पूरा हो रहा है. ऐसे हालात में फिलहाल चुनाव होने की संभावना भी नहीं है, जिसके चलते उनके सामने अपनी कुर्सी बचाने की मुश्किल खड़ी हो गई है

मुख्यमंत्री पद बरकरार रखने के लिए उद्धव के सामने दूसरा उपाय दिखाई दे रहा है कि वह अपने पिछले शपथ ग्रहण से छह माह की अवधि पूर्ण होने से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें. इसके बाद उन्हें दोबारा से सीएम पद की शपथ लेनी होगी, जिससे उन्हें विधानमंडल की सदस्यता ग्रहण करने के लिए 6 महीने का और समय मिल जाएगा.

  एक पेच ये है कि सीएम इस्तीफा देते हैं तो उससे पूरे मंत्रिमंडल का इस्तीफा माना जाता है ऐसे में सीएम पद की दोबारा शपथ के बाद मंत्रिमंडल को भी शपथ दिलानी होगी. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का संकट जिस तरह से छाया हुआ है. ऐसे में फिर से पूरे मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण कराना राज्य के लिए मुश्किल होगा. इस वक्त महाराष्ट्र कोरोना वायरस के खतरे से जूझ रहा है. देखना ये होगा कि सीएम उद्धव ठाकरे इन दोनों में से किस विकल्प को चुनते हैं या राज्य की राजनीति क्या रुख लेती है.

कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है और भारत में महाराष्ट्र इस संक्रमण की सबसे ज्यादा चपेट में है. ऐसे में महाराष्ट्र में एक तरफ लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के संकेत मिल रहे हैं, तो दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर संकट के बादल गहरा गए हैं. उद्धव महाराष्ट्र के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं यानी न तो विधानसभा (एमएलए) और न ही विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य हैं. अब कोरोना के खतरों की वजह से महाराष्ट्र में एमलसी का होना वाला चुनाव टाल दिया गया है, जिसके चलते उद्धव के सामने सीएम पद को बचाए रखने की मुश्किल खड़ी हो गई है.

दरअसल उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार उद्धव ठाकरे को 6 माह में राज्य के किसी सदन का सदस्य होना अनिवार्य है. ऐसे में उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को बचाए रखने के लिए 28 मई से पहले विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी है.

उद्धव ठाकरे विधानसभा का सदस्य बनने के लिए उनकी पार्टी के किसी विधायक को अपने पद से त्यागपत्र देना होगा. इसके बाद फिर चुनाव आयोग को 29 मई से 45 दिन पहले उपचुनाव की घोषणा करनी होगी. महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायकों की संख्या का जो आंकड़ा है, ऐसे में वो अपने किसी विधायक का इस्तीफा नहीं दिलाना चाहेंगे. दूसरा जरिया विधान परिषद की सदस्यता प्राप्त करने का है. इसके लिए चुनाव आयोग को सिर्फ 15 दिन पहले अधिसूचना जारी करनी होगी. महाराष्ट्र के विधान परिषद के 9 सदस्यों का कार्यकाल 24 अप्रैल को खत्म हो रहा है. इन 9 विधान परिषद सीटों पर चुनाव होने थे, जिन्हें कोरोना संकट की वजह से टाल दिया गया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने इसे अनिश्चित समय के लिए आगे बढ़ाने का फैसला किया है. माना जा रहा था कि विधान परिषद की 9 सीटों में से किसी एक सीट पर उद्धव ठाकरे चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने कोरोना संकट के चलते चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया है. इसके चलते अब उनकी राह में मुश्किल खड़ी हो गई है.

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