जीएसटी ; सरकार को तगड़ा झटका ; 65 हजार करोड़ का रिफंड क्लेम
वस्तु एवं सेवाकर बिल यानी जीएसटीको लागू करने के पीछे सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इससे ‘अच्छे दिन’ आ जाएंगे. जीएसटी को लेकर किए जा रहे विरोध पर सरकार का शुरू से ही कहना रहा है कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था ‘एक बाजार’ प्रणाली पर आएगी. विकास दर बढ़ेगी और रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे. जीएसटी को लेकर आम जनमानस में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह हलचल मचाए हुए है कि जनजीवन पर इसका क्या फर्क पड़ेगा? यह समझने में सरकार असफल साबित हुई है, हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Bureau Report:
जीएसटी लागू होने के बाद पहले महीने में टैक्स की वसूली से खुश सरकार को अब तगड़ा झटका लगा है. दरअसल जुलाई के महीने में कारोबारियों ने जितना जीएसटी चुकाया उसका करीब 68 फीसदी वापस करने का दावा भी कर दिया है. अब इस मामले में वित्त मंत्रालय ने जांच शुरू कर दी है और टैक्स अधिकारियों को छानबीन का आदेश दिया है.
क्या है मामला
माना जा रहा है कि गलती या कंफ्यूजन के चलते कारोबारियों ने ज्यादा टैक्स क्लेम किया है. आपको बता दें कि पुराने स्टॉक पर जीएसटी चुकाने वालों को 6 महीने तक रिफंड क्लेम की छूट दी गई है. पुराने स्टॉक पर जीएसटी से पहले चुकाई गई ड्यूटी के एवज में रिफंड देने का प्रावधान किया गया है. कारोबारियों ने क्लेम किया 65 हजार करोड़ का रिफंड
कारोबारियों ने यह दावा पुराने स्टॉक पर पहले चुकाए गए टैक्स के एवज में किया है. जुलाई में जीएसटी के तहत 95,000 करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन हुआ था, और अब 95,000 करोड़ रुपए में से करीब 65,000 करोड़ रुपए रिफंड क्लेम किया गया है.
आस्ट्रेलिया में जीएसटी का गरीब पर बोझ ज्यादा पड़ा है। जीएसटी के कारण गरीब को अपनी आय का 4.4 प्रतिशत अधिक टैक्स देना पड़ा जबकि अमीर को मात्र 1.4 प्रतिशत। कोलम्बिया, पेरू तथा जापान में भी आम आदमी पर इसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
जीएसटी का उपभोक्ता पर पड़ने वाले अंतिम प्रभाव कुछ समय बाद ही पता लगेगा। जीएसटी के लागू होने पर असंगठित क्षेत्र के उद्यमियों पर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जीएसटी के इस नकारात्मक प्रभाव को समाज के कमजोर वर्गों को झेलना ही होगा।
सरकार ने शुरू की जांच
सरकार ने वैसे कारोबारियों की जांच करने का फैसला लिया है जिन्होंने 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का रिफंड क्लेम किया है. कुल 162 कंपनियों ने 1 करोड़ रुपये से ज्यादा रिफंड का क्लेम किया है. बताया जा रहा है कि 20 सितंबर तक टैक्स अधिकारी रिपोर्ट देंगे.
सीबीईसी की प्रमुख वनजा सरना ने जीएसटी से प्राप्त कुल राजस्व के बारे में कहा कि इसका पहला अनुमान अक्टूबर तक ही मिल पाएगा, क्योंकि व्यापारी सितंबर में रिटर्न दाखिल करेंगे. हालांकि जीएसटी की दरों को ‘राजस्व तटस्थ’ रखा गया है, ताकि कर की दरें पहले जितनी थीं, उतनी ही रहें। सरना ने कहा कि जरूरी नहीं है कि इससे राजस्व वृद्धि में किसी प्रकार की गिरावट ही आएगी. सीबीईसी की प्रमुख वनजा सरना ने कहा, ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ व्यापारियों को मिलेगा, लेकिन कर आधार में बढ़ोतरी से राजस्व को कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि डिजिटीकरण से कर आधार में तेजी से वृद्धि हो रही है, लेकिन अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी.’
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