JUNE 2014 ;हरीश रावत के प्रिय कुत्‍ते की असामयिक मौत हुई थी- 20 जून20 हरदा को फिर कुत्‍ते ने ही भविष्‍य का संकेत दे दिया

JUNE 2014; जब हरीश रावत का हैलीकाप्‍टर एक्‍सीडेंट हुआ- हैलीकाप्‍टर दुर्घटनाग्रस्‍त होकर हरीश रावत के गर्दन में गहरी अंदरूनी चोट आयी थी, और घर पर उसी समय प्‍यारे कुत्‍ते दानी ने प्राण त्‍याग दिये थे- और हरीश रावत की प्राण रक्षा हो गयी थी, लम्‍बा समय गुजरा- 29 जून 2020; हरीश रावत बैलगाडी में शिव मंदिर रायपुर, शिवमंदिर में पूजा-प्रार्थना के लिए भारी जन समूह के साथ पहुंचे है, उनके साथ उनके सहयोगी. सुरेंद्र कुमार अग्रवाल भी उनके साथ शिवमंदिर में प्रवेश द्वार पर पहुंचे थे कि उन्हें मंदिर के साथ ही नहर में गहरे तेज पानी में एक निरीह कुत्ता बहता दिखा; नहर वही से अंडरग्राउंड होनी थी और कुत्‍ते ने फंस कर वही दम तोड देना था, एक बडा अपशकुन होने वाला था- क्‍या भोलेनाथ स्‍वयं परीक्षा लेने आ गये थे- हरीश रावत पूजा करने भोलेनाथ के दरबार में पहुंच चुके है, और नहर के तेज पानी में बहता कुत्‍ता प्राण बचाने के लिए छटपटा रहा है, तभी हरीश रावत के मीडिया प्रभारी 70 वर्षीय बुजुर्ग सुरेन्‍द्र अग्रवाल पूजा छोड कुत्‍ते को बचाने नहर में स्‍वयंं जाते है- एक बहुत बडा संकेत इस घटनाक्रम के पीछे छिपा हुआ है,

हिमालयायूके न्‍यूजपोर्टल के लिए चन्‍द्रशेखर जोशी सम्‍पादक की एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट-

हरीश रावत (Harish Rawat) के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र कुमार अग्रवाल (Surendra Kumar Aggarwal)  नहर में उतर गये और वहां एक कुत्ते को बचाने के लिए संघर्ष करने लगे, नहर में पानी का बहाव काफ़ी तेज़ था स्‍वयं सुरेन्‍द्र अग्रवाल के भी गिरने का डर था, और कुत्ते के चारों ओर रस्सी बांधने में अग्रवाल को काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी लेकिन आखिर वह इसमें कामयाब हुए और फिर लोगों की मदद से उस कुत्ते को पानी से बाहर निकाला गया. कुत्ते को बाहर निकालकर पानी और कुछ खाने का इंतज़ाम करवाने के बाद वह शिवजी की पूजा में शामिल होने गये;

हिमालयायूके ने आपको 2 घटनाक्रमो का वर्णन किया है, इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते है कि स्‍वयं भोलेनाथ ने हरीश रावत की कठिन परीक्षा ली, और भैरव के रूप में स्‍वयं पानी में बहते हुए आये, हरीश रावत के खास सहयोगी जो 70 वर्षीय बुुजुर्ग है, स्‍वयं नहर में उतर गये, तेज पानी में उनके भी गिरने का डर था, परन्‍तु हरीश रावत जो मंदिर में पूजा करने पहुंचे है, अगर उस समय कुत्‍ता दम तोड देता तो एक बहुत बडा अपशकुन घटित हो जाता, परन्‍तु कुत्‍ता सुरक्षित बचा और अपने पीछे एक बडा संकेत छोड गया, जब उनके कुत्‍ते की असमायिक मौत हुई थी, उसके बाद हरीश रावत भयानक संकटो में घिरते चले गये थे, और आज के घटनाक्रम ने भी एक बडा संदेश दे दिया है कि 2022 उत्‍तराखण्‍ड के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत इतिहास लिखने जा रहे हैं

अब इससे पूर्व के घटनाक्रमो का वर्णन करेे तो हरीश रावत के उत्‍तराखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री बनने के कुछ समय पश्‍चात तीन विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस को जितवा कर भाजपा ही नही कांग्रेस के विरोधी जन भी पूरा जोर लगाकर भी हरीश रावत को कमजोर नही कर पाये, यह सब सितारों का खेल था- लगातार अनुकूल होते सितारेे हरीश रावत की गददी को सुरक्षित करते गये थे

हरीश रावत ने उस समय मार्मिक अपील की थी-

“षडयंत्रकारी शक्तिया खामोश नहीं: मुझे हर हाल में समाप्त करना चाहते है: मुझे सीबीआई जाँच में उलझाया जा रहा है: स्वयं को आपके और देवी देवताओ के हवाले छोड़ रहा हु: आपकी शरण में हु: हरीश रावत ने मार्मिक अपील करते हुए कहा था- सरकार या जेल, मेरी अब दो ही जगह –
उत्‍तराखण्‍ड में मॉ भगवती के विशेष स्‍थान कालीशिला, कालीमठ से गुरूओं का हरीश रावत को आशीर्वाद मिला और भाजपा की पूरी नैशनल ताकत भी हरीश रावत को गददी से उखाड नही सकी, यह देवभूमि का चमत्‍कार ही था- देवभूमि की न्‍यायकारी शक्‍तियां खुद जाग्रत हो गयी, और मजबूत भाजपा हरीश रावत के समक्ष कमजोर पडती चली गयी-

परन्‍तु तभी उनके ही कुत्‍ते ने उनके संकट का आभास करा दिया था, उनके प्रिय कुत्‍ते की अचानक असामयिक मौत हो गयी थी, और उसके कुछ समय बाद तो हरीश रावत मानो संकटो की आंधी में घिरते चले गये एक सुलझे हुए नेता होते हुए भी साजिश और षड्यंत्र का शिकार बनाया,और उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा,

मुख्‍यमंत्री बनने से पूर्व हरीश रावत के किये गये पूण्‍य उनकी कुर्सी सुरक्षित करते गये थे- परन्‍तु सीएम बनने के बाद इसमें इजाफा नही हो पाया- ऐसा भी विद्वानों का मानना है- वह खाता खाली सा होता चला गया- हैलीकाप्‍टर एक्‍सीडेंट में गर्दन में गंभीर चोट आने से लेकर शुरू हुआ उनका संघर्ष लगातार जारी रहा- परन्‍तु उनके सितारों ने प्रतिकूल असर नही दिखाया- और स्‍थितियां शनै शनै उनके अनुकूल लाते गये- हालांकि सितारों केे जानकारों का यह भी कहना है कि उनको भयंकर कठिनाईयां भी  सितारों की चाल के कारण आयी, यानि उनके हाथों में सदकर्म की मात्रा भी ज्‍यादा नही है

तभी इसका संकेत उनके कुत्‍ते ने दिया- उनका घर का प्रिय कुत्‍ता जिसका नाम DANNU था, अचानक उसकी डैथ हो गयी,और उसके बाद तो संकटो ने मानो हरीश रावत को घेर लिया- उनकेे हैलीकाप्‍टर एक्‍सीडेंट में उनकी गर्दन में लम्‍बे समय तक परेशानी बनी रही, उनकी इस तकलीफ पर विरोधी खुश होते चले गये,

और 18 Mar 2016  उत्तराखंड में सीएम हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर गिरने का खतरा मंडराने लगा था ; 2016  में विधान सभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के नौ विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था। 26 मार्च की रात को केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक आपातकालीन बैठक की। 27 मार्च, 2016 को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। अपनी सरकार बचाने की पैरवी करना भी हरीश रावत परभारी पड गया, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ 2016 में सामने आये स्टिंग वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली. इस तरह राजनीति का एक लम्‍बा दुखदायी घटना क्रम हरीश रावत को भोगना पडा, सत्‍ता गई, 2 स्‍थानो से पराजय हुई, साख गई, यानि हर ओर से निराशा ने मानो घेर लिया

अब आया जून 2020- का समय- हरीश रावत को फिर कुत्‍ते ने ही भविष्‍य का संकेत दे दिया

29 जून 20 की घटना देहरादून में आज एक रोमांचित करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र कुमार अग्रवाल (Surendra Kumar Aggarwal)  नहर में उतरे हुए हैं और वहां एक कुत्ते को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. नहर में पानी का बहाव काफ़ी तेज़ था और कुत्ते के चारों ओर रस्सी बांधने में अग्रवाल को काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी लेकिन आखिर वह इसमें कामयाब हुए और फिर लोगों की मदद से उस कुत्ते को पानी से बाहर निकाला गया. कुत्ते को बाहर निकालकर पानी और कुछ खाने का इंतज़ाम करवाने के बाद वह उस कार्यक्रम में शामिल होने निकल गए, जिसके लिए वह आए थे.  पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत देहरादून में अपना क्वारंटीन पीरियल पूरा करने के बाद पहला राजनीतिक कार्यक्रम कर रहे थे. हरीश रावत ने डीज़ल-पेट्रोल की महंगाई के विरुद्ध बैलगाड़ी की यात्रा निकालने का ऐलान किया था जिसका रायपुर, शिवमंदिर में पूजा-प्रार्थना से होना था. सुरेंद्र कुमार अग्रवार भी उनके साथ शिवमंदिर में प्रवेश द्वार पर पहुंचे थे कि उन्हें मंदिर के साथ ही नहर में गहरे तेज पानी में एक निरीह कुत्ता बहता दिखा. पहले तो अग्रवाल ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि उस निरीह प्राणी की जान बचाने के लिए कुछ किया जाए लेकिन जब इसमें देर होती दिखी तो वह खुद उस तेज बहते पानी में उतर गए. वहां नहर का बहाव बहुत तेज़ भी था क्योंकि वहीं से नहर भूमिगत हो जाती है. अगर उस कुत्ते को वहां न बचाया जाता तो भूमिगत हुई नहर में जाने के बाद वह शायद ही बचता. वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे सुरेंद्र कुमार अग्रवाल को पानी के तेज़ बहाव में काफ़ी जद्दोजहद के बाद उस उस निरीह प्राणी को निकालने में सफलता प्राप्त हुई. वह कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री के साथ भगवान शिव की पूजा में शामिल होने से तो वंचित रहे लेकिन एक निरीह जीवन को बचाने में सफल हुए इसकी ख़ुशी है. सुरेंद्र कुमार अग्रवाल की उम्र 70 साल है और उनसे इस हीरोइज़्म की उम्मीद न वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने की थी, न खुद ही उन्हें ऐसा लगता था कि वह ऐसा कुछ करेंगे. न्यूज़ 18 से सुरेंद्र कुमार अग्रवाल ने कहा, “शायद शिवजी यही चाहते होंगे… मुझसे वहां खड़े होकर देखा नहीं गया और… वीडियो भी वहां मौजूद एक महिला ने ही बनाया जो बाद में मुझ तक पहुंचा.”

https://youtu.be/uSaEGv-LBO

Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

Yr. Contribution Deposit Here: HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND  Bank: SBI CA
30023706551 (IFS Code SBIN0003137) Br. Saharanpur Rd Ddun UK 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *