शांत सितारे कब विपरीत चाल चल बैठे- सन्‍दर्भ हरीश

MEET GOVERNORसितारे मानव जीवन में बहुत बडी भूमिका निभाते हैं, शांत सितारे कब विपरीत चाल चल बैठे-  कहा नही जा सकता- एक सत्‍य साधक, एक सच्‍चा गुरू, सितारों की चाल को पढने में मर्मज्ञ विद्वान अपने भक्‍तों के विपरीत जा रहे सितारो की चाल का आभास होते ही  अवरोधक बनकर खडा हो जाते हैं तथा हवन आदि से ऐसा उपाय करते हैं कि सितारे विपरीत नही जा पाये, तथा शांत हो जाये, विपरीत जाती स्‍थितियां परिस्‍थितयां अनुकूल हो जाये-  अगर सितारे हरीश रावत के अनुकुूल न चले तो परिवर्तन तो तय है उत्‍तराखण्‍ड में- अगस्‍त अंतिम सप्‍ताह में हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल में 2017 विधानसभा उपरांत उत्‍तराखण्‍ड में किसके हाथ में होगी कमान -प्रकाण्‍ड विद्वानों की भविष्‍यवाणी प्रकाशित करेगा-   Execlusive : www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)

वही हरीश रावत को अपनी कुछ आदतें और स्वभाव को थोड़ा बदलना होगा, इससे कुंडली के खराब ग्रहों सटीक चाल चलने लगेगे । व्यवहार और दिनचर्या में किया गया एक छोटा सा परिवर्तन भी ज्योतिष के उपाय जैसा कारगर साबित होगा, इसे व्यवहारिक ज्योतिष कहा जाता है। हमारे आसपास की हर चीज किसी ना किसी ग्रह से प्रभावित होती है, हम उस चीज के प्रति अपना व्यवहार बदलकर उस ग्रह को अपने अनुकूल कर सकते हैं। पीपल का पेड लगाने से गुरू ग्रह के समस्तज दोष समाप्त  हो जायेगे, सूर्योदय से पहले जागकर नहाने से सूर्य और शनि की क़पा के पात्र बनेगें, इसके अलावा और भी बहुत कुछ है

उत्‍तराखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री ने कहा कि वह आज तक यह नही समझ पाये कि भाजपा तथा बीसीआई उनके पीछे क्‍यों पडी, वह अपनी गलती नही जान पाये,  जिससे मुख्‍यमंत्री पद गया, इसके पीछे उनसे गलती क्‍या हुई, सवाल उठता है कि अकबर महान क्‍यों था, अकबर महान इसलिए था क्‍योंकि उसके पास नवरत्‍न थे, जो राजा को हर छोटी बडी बात की वयाख्‍या करते थे, आधी समस्‍या तो स्‍वयं नवरत्‍न दूर कर देते थे, जबकि हरीश रावत के नवरत्‍नों ने समस्‍याओं को खरीद कर हरीश रावत के पाले में डाल दिया, अब वह फिर समझ रहे हैै कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतेगी, हरीश रावत जी फिर मुख्‍यमंत्री पद गहण करेगें, और राज हम करेगें, परन्‍तु यह उनका मुगालता भी साबित हो सकता है, सितारों ने फिर अपनी विपरीत चाल चली तो उत्‍तराखण्‍ड में फेरबदल होते देर नही लगेगी, मार्च 2016 में सितारे विपरीत चले तो कैबिनेट के मंत्री, विधायक ही उनके विपरीत खडे हो गये, प्रतिद्वंद्वी बलवान हो गये, और एक लम्‍बा कष्‍ट उनको भोगना पडा, यह तो हरीश रावत का सौभाग्‍य रहा कि माता बगुलामुखी जाग्रत हुई, उनका हवन हुआ, और विपरीत चाल चल रहे सितारे शांत होते चले गये, जिससे स्‍थितियां, परिस्‍थितयां पूर्ववत आती चली गयी, परन्‍तु सत्‍ता के कुचक्र में ग्रसित व्‍यक्‍ति उसके मन में विचार भी नही अाा सकता कि यह सब कैसे सम्‍भव हुआ,
वही इस बार पुन- सितारे विपरीत हुए  तो इसका असर दूरगामी होगा, कांग्रेस हाईकमान ही उत्‍तराखण्‍ड में भी अरूणाचल वाला फार्मूला चलना उचित समझेगा, क्‍योंकि विपरीत सितारे अनेक जन्‍त प्रयत्‍न से शांत हुए है, अनुकूल नही- सितारे विपरीत होते ही स्‍थितियां परिस्‍थितयां भी उसी के अनुसार तेजी से दौडने लगती है, ऐसे में यह सम्‍भव होगा कि जिसमें कुछ बागियों को वापस लौटाने की तैयारी होगी, और हरीश रावत जी को राष्‍टीय संगठन में एडजस्‍ट कर दिया जाये, जैसा कि राहुल गॉधी उनको पहले भी इशारा कर चुके हैं,
वही उत्तराखंड में भी कांग्रेस हाई कमान अरुणाचल वाला दाव चल सकता है, हमारे सूत्रो का कहना है की उत्तराखंड के संदभ में कांग्रेस हाई कमान चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है, इसकी एक झलक अरुणाचल में देखने को मिल गई है- वही अरुणाचल में  कांग्रेस का नया दांव सफल, बागी लौटे, खांडू नए सीएम!*
अरुणाचल प्रदेश में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने नवाम तुकी की जगह पेमा खांडू को सीएम बनाकर सरकार बचाने का दांव खेला,जो सफल हो गया है। पेमा खांडू को नया नेता चुने जाने के साथ ही कांग्रेस के बागी विधायक भी पार्टी में लौट आए। ऐसे में कांग्रेस के लिए सरकार बचाने का रास्ता आसान हो गया। अब राज्यपाल ने भी पेमा खांडू के बहुमत के दावे को स्वीकार कर लिया है और कहा है कि अब सदन मे टेस्ट फ्लोर की आवश्यकता नहीं है।

अगर सितारे हरीश रावत के अनुकुूल न चले तो परिवर्तन तो तय है उत्‍तराखण्‍ड में-

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