कूर्मांचल परिषद- गेरू-विस्वार ऐपर्ण कार्यकम;भारी संख्या में महिलाये जुटी, 31 को चुने जायेगे- पधान -पधानी; देदून में दीपावली मेला आकर्षण

कूर्मांचल परिषद देहरादून द्वारा 3 दिवसीय दीपावली मेले के दूसरे दिन 30 Oct 21 को गेरू विस्वार से ऐपर्ण कार्यकम में भारी संख्या में महिलाओ ने भाग लिया, कूर्माचल भवन में गेरू विस्वार से ऐपर्ण बनाई गई, इस अवसर पर कांग्रेस नेता वैभव वालिया तथा रामनगर से आई उत्तराखंड ऐपण गर्ल नाम से विख्यात मीनाक्षी खाती का कूर्मांचल भवन में स्वागत किया गया,

केंद्रीय महासचिब चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि 3 दिवसीय दीपावली मेले के तीसरे दिन 30 Oct 21 को कूर्माचल पधान-पधानी प्रतियोगिता का आयोजन देदून में पहली बार होने जा रहा है, सांस्क़तिक कार्यक्रमो के अलावा पिछोडा पहनी हुई कूमायूनी महिलाये आकर्षण का केन्द्र होगी जो अतिथियो का स्वागत करेगी, पहली बार सांस्क़तिक झांकियो का प्रदर्शन होगा, विभिन्न प्रकार के स्टॉल, पहाडी व्यंजन, दिया डेेेकोरेशन प्रतियोगिता होगी, लक्की डा् मे आकर्षक पुरस्कार होगे, और सभी प्रतिभागियो का अतिथियो द्वारा प्राइज दिया जायेगा,

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कार्यक्रम आयोजक केंद्रीय सांस्कृतिक सचिब बबिता शाह लोहनी ने बताया कि ऐपण भारतीय हिमालय में कुमाऊं से उत्पन्न एक स्थापित-अनुष्ठानात्मक लोक कला है। कला मुख्य रूप से विशेष अवसरों, घरेलू समारोहों और अनुष्ठानों के दौरान की जाती है। यह एक दैवीय शक्ति का आह्वान करता है जो सौभाग्य लाता है और बुराई को रोकता है।

केंद्रीय अध्यक्ष कमल रजवार ने बताया कि कला, संस्कृति को सहेजने में उत्तराखंडियों का कोई सानी नहीं। ऐसी ही एक कला है ऐपण। यहां के लोगों ने सदियों पुरानी लोक कलाओं को आज भी जिंदा रहा है। देहरादून में यह कार्य कूर्मांचल परिषद कर रही है,

केंद्रीय महासचिब चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि ऐपण को कुमाऊं में प्रत्येक शुभ कार्य के दौरान पूरी धार्मिक आस्था के साथ बनाया जाता है। त्यौहारों के वक्त इसे घर की देली, मंदिर, घर के आंगन में बनाने का विषेश महत्व है। ऐपण यानि अल्पना एक ऐसी लोक कला, जिसका इस्तेमाल कुमाऊं में सदियों से जारी है। यहां ऐपण कलात्मक अभिव्यक्ति का भी प्रतीक है। इस लोक कला को अलग-अलग धार्मिक अवसरों के मुताबिक बनाया किया जाता है। शादी, जनेऊ, नामकरण और त्योहारों के अवसर पर हर घर इसी लोक कला से सजाया जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक ऐपण हर अवसर के मुताबिक बनाए जाने वाली कला है। आज भी बगैर ऐपण के कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं। ऐपण में सम बिंदु और विषम रेखाओं को शुभ माना गया है। देखने में भले ही ये ऐपण आसान से नजर आते है, लेकिन इन्हें बनाने में ग्रहों की स्थिति और धार्मिक अनुष्ठानों का खास ध्यान रखा जाता है।

केंद्रीय महासचिब चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि ऐपण को कुमाऊं में प्रत्येक शुभ कार्य के दौरान पूरी धार्मिक आस्था के साथ बनाया जाता है।

इस अवसर पर कमल रजवार, चंद्रशेखर जोशी, बबीता शाह लोहनी, गोविंद पांडेय, हरीश सनवाल तथा शास्त्री चंद्रशेखर जोशी, प्रेम सूंघ, राम सिंह, नागेंद्र कुंवर, गीता किरौला, रेवती बोरा, मोहनी राणा, शांति चन्दोला, बीना राणा, कमला रॉवत, माधवी बोरा, सुनीता भंडारी, दीपा जोशी, पुष्पा बिष्ट, मंजू देउपा, हंसा धामी, उमा कोठारी, हेमा बिष्ट, तारा पंत, शांति पंत, हंशी मनराल, भगवतीं भोज, गायत्री वर्मा, ममता जोशी, कांता बिष्ट, रूपा भट्ट, स्वाति भट्ट, ज्योति जोशी, भावना जोशी, लीला बिष्ट, विमला नेगी, प्रेमा राणा, मुन्नी कोरंगा, कमला पाठक, शोभा जोशी, कल्पना वर्मा, बसंती लुंठी, कमला उप्रेती, हंसा राणा, तारा पांडेय, पंकज पांडेय, लीला देवी, मीनाक्षी खाती, प्रेमा तिवारी, कमला वेदवाल, जीवन जोशी, बीसी पांडेय, पूजा कोठारी आदि उपस्थित थे चंद्रशेखर जोशी महासचिब द्वारा जारी 9412932030

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