सौ साल में ऐसे कोई ग्रह योग नहीं बने, जिनसे ऐसी स्थिति बनी हो – देश के मूर्धन्य ज्योतिषाचार्यों की भविष्यवाणी
High Light : 14 April 20#पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है# पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है# ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग एवं करण हैं# Himalayauk आपको शुभमुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिन्दू मास, एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।
#हिमालयायूके न्यूज पोर्टल का विशेष आलेख- सितारो की ग्रह चाल स्थिति- कुछ दुर्लभ योग बना रही है- देशभर के मूर्धन्य ज्योतिषाचार्यों की भविष्यवाणी आई है वही श्रीबद्रीनाथ धाम में भी जो स्थिति बन रही है- वो भी सौ वर्ष बाद बन रही है- कुल मिलाकर कुदरत एक बडा संदेश दे रही है- प्रस्तुत आलेख पढिये और आलेख में एक लिंक श्रीबद्रीनाथ जी के आलेख का है- उसको पढिये- इन दुर्लभ आलेखो की प्रस्तुति- हिमालयायूकेे द्वारा विशेष मेहनत से की जाती है- आप अपना आर्थिक ऑनलाइन सहयोग अवश्य करे-जिसका विवरण आलेख के अंत में है- सादर- हिमालयायूके परिवार
गौरतलब बिन्दु 1- Today all the planets were in line on one side of of the sun and moon. It is said that this is a very rare phenomenon and had happened during Mahabharata war. ऐसा महाभारत काल में हुआ था
गौरतलब बिन्दु 2;; 30 अप्रैल;बदीनाथ धाम में 100 वर्षो बाद फिर नही होगे अखण्ड ज्योति के दर्शन
ज्योतिषाचार्यों का मानना है, ‘‘ये राहु का साल है। 14 अप्रैल से कोरोना का असर कम होना शुरू होगा। मई तक यह नियंत्रित हो जाएगा, लेकिन इसका असर सितंबर तक रहेगा।’’
उज्जैन के पं. आनंद शंकर व्यास ने बताया कि 25-27 दिसंबर 2019 तक षडग्रही योग बना था। इससे कोरोना की शुरुआत हुई। इसके पहले फरवरी 1962 में अष्टग्रही योग बना था। 23 मार्च से मकर में मंगल का प्रवेश हो गया, जहां शनि, गुरु पहले से हैं। इससे महामारी फैली। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में भीषण रूप दिखेगा। मई से राहत मिलेगी। सौ साल में ऐसे कोई ग्रह योग नहीं बने, जिनसे ऐसी स्थिति बनी हो। यह शोध का विषय है।
उज्जैन के पंडित आनंद शंकर व्यास ने कहा- सौ साल में ऐसे कोई ग्रह योग नहीं बने, जिनसे ऐसी स्थिति बनी हो, यह शोध का विषय
हरिद्वार के डॉ. हरिदास शास्त्री ने कहा- कोरोना से भारत में इतना नुकसान नहीं होगा, जितना अन्य देशों में हुआ, गुरु-सूर्य का परिवर्तन अच्छा फल देगा;
प्रयागराज के प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि 2020 का योग 4 है, जो राहु का अंक है। उथल-पुथल तो मचेगी ही। इस पर ग्रह योगों के कारण स्थिति विकट हो गई है। आने वाले समय में ग्रहों के और उथल-पुथल नजर आएंगे।
हरिद्वार के डॉ. हरिदास शास्त्री ने बताया कि कोरोना से भारत में इतना नुकसान नहीं होगा, जितना अन्य देशों में हुआ है। इस बार देवी नाव पर सवार हो कर आई हैं, इसलिए शुभता की शुरुआत हो गई है। इस साल के राजा बुध हैं और मंत्री चंद्रमा। बुध और चंद्र के राज में घबराने की जरूरत नहीं है। इस वर्ष की कर्क लग्न की कुंडली का स्वामी चंद्र है। यानी रोग भय कम होगा। गुरु और सूर्य का परिवर्तन अच्छा फल देगा।
काशी के प्रोफेसर रामचंद्र पांडे ने बताया कि कोरोना से राहत की शुरुआत 13 अप्रैल को मेष संक्रांति के साथ हो जाएगी। 14 अप्रैल से लोग राहत महसूस करेंगे। मेष संक्रांति की कुंडली भी अच्छे समय का संकेत कर रही है। सूर्य अपनी उच्च राशि में आएंगे तो उनका प्रभाव शुरू हो जाएगा। गुरु, मंगल व शनि की मकर में युति से अभी यह प्रभाव दिख रहा है। 6 मई से कोरोना का प्रभाव क्षीण होने लगेगा। असर सितंबर तक रहेगा।
जयपुर के पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि 11 मई 2020 को बृहस्पति के वक्री होने के बाद से इसका असर कमजोर होगा। 4 मई को मंगल भी राशि बदलेंगे। इसके बाद कोरोना का असर कम होना शुरू हो जाएगा।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है इस वर्ष विश्व में जो कोरोना वायरस चल रहा है, वह 15 अप्रैल से असर कम होना शुरू होगा। सूर्य व शनि ग्रहों की चाल को देखते हुए कोरोना जैसी गंभीर स्थिति से निपटारा मिल जाएगा। भारत में राजनीतिक क्षेत्र में भी व्यापक असर पड रहा है। अप्रैल 2020 में ग्रहों की कैसी स्थिति रहेगी सूर्य- सूर्य माह की शुरुआत में मीन राशि में है। 13 अप्रैल को ये ग्रह मेष राशि में प्रवेश कर गये। इसी के साथ खरमास भी समाप्त हो गया। चंद्र- चंद्र 2 अप्रैल की सुबह ग्रह कर्क राशि में प्रवेश कर गये है। 4 तारीख की दोपहर सिंह राशि में आ गये। इसके बाद हर ढाई दिन में ये ग्रह राशि बदलेगा।
मंगल- इस माह मंगल मकर राशि में रहेगा। बुध- अभी ये ग्रह कुंभ राशि में है। 7 अप्रैल को ये ग्रह मीन राशि में गये। 24 अप्रैल को बुध मेष राशि में प्रवेश करेगा। गुरु- देवताओं के गुरु बृहस्पति मकर राशि में ही रहेगा। शुक्र- पूरे माह ये ग्रह वृष राशि में रहेगा।
शनि- शनि अप्रैल माह में मकर राशि में रहेगा। राहु-केतु- ये दोनों ग्रह भी राशि नहीं बदलेंगे। राहु मिथुन में और केतु राशि में रहेगा। 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में आ गये है इस दौरान 12 राशियों पर सीधा असर पड़ेगा। सूर्य के लिए रोज सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। चंद्र, शुक्र के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए। मंगल के लिए लाल मसूर का दान करें। बुध के लिए गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं। गुरु ग्रह के लिए शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं। शनि और राहु-केतु के लिए हर शनिवार तेल का दान करें। कुंभ और मकर राशि के लोगों के लिए लाभदायक रहेगा। इन लोगों को भाग्य का साथ मिलेगा और हर काम में सफलता हासिल करेंगे। घर-परिवार में सुखद वातावरण रहेगा। वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहेगी। चमक सकता है करियर, खुशहाल होगा पारिवारिक जीवन।
नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्। दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।
इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।
4 राशियों के लिए सूर्य की स्थिति परेशानियां बढ़ा सकती हैं; सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें।
मेष, सिंह, कन्या और मीन राशिके लोगों के लिए सूर्य की स्थिति परेशानियां बढ़ा सकती हैं। किसी भी काम में कड़ी मेहनत करना होगी, लेकिन आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिल पाएगी। मानसिक तनाव बना रहेगा और इस वजह से एकाग्रता नहीं बन पाएगी। हानि से बचने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें। सावधान रहें।
3 राशियों के लिए सामान्य रहेगा समय
तुला, वृश्चिक और धनु राशि के लोगों के लिए मीन राशि का सूर्य सामान्य फल देने वाला रहेगा। सूर्य की वजह से कोई बड़ा परिवर्तन इन लोगों के जीवन में नहीं होगा। जितना काम करेंगे, उतना लाभ प्राप्त कर पाएंगे। लापरवाही न करें, वरना हानि हो सकती है।
30 अप्रैल;बदीनाथ धाम में 100 वर्षो बाद फिर नही होगे अखण्ड ज्योति के दर्शन
High Light# बद्रीनाथ धाम में कपाट खुलते मंदिर में प्रज्जवलित अखण्ड ज्योति के दर्शन का विशेष महत्व # यह अखण्ड ज्योति साल भर लगातार प्रज्जवलित रहती है # कपाट बंद रहने के दौरान ठंडे मौसम में भी यह जलती है # अखण्ड ज्योति भगवत कृपा का आशीर्वाद # कपाट खुलने पर पुजारियों द्वारा भगवान और अखण्ड ज्योति की पूजा # तीर्थयात्री पवित्र तप्त कुंड में डुबकी लगाकर भगवान की पूजा और अखण्ड ज्योति के दर्शन करते हैं # 30 अप्रैल को भगवान बद्रीनारायण के कपाट खुलेगे, # वर्ष 1920 में गढवाल परिक्षेत्रमें हैजा फैला था उस समय भी महामारी के भय से धाम के कपादोदघाटन के दौरान श्रद्वालुओ को अनुमति नही दी गयी थी # बद्रीनाथ धाम के कपाट 6 महीने बाद एक बार फिर खुलने को तैयार हैं. #Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: CS JOSHI- EDITOR
किस ग्रह की राशि कौन सी है व उस ग्रह की दृष्टियाँ कैसी होती हैं। इनकी महादशा कितने वर्ष की होती है।
सूर्य की सिंह राशि, मंगल की मेष व वृश्चिक, बुध की मिथुन व कन्या, गुरु की धनु व मीन, शुक्र की वृषभ व तुला, शनि की मकर व कुंभ राशि होती है। सूर्य की मूल त्रिकोण राशि सिंह, चंद्र की वृषभ, मंगल की मेष, बुध की कन्या, गुरु की धनु, शुक्र की तुला व शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ है।
सूर्य की महादशा 6 वर्ष की होती है तो चंद्र की 10 वर्ष। मंगल की 7 वर्ष, बुध की 17 वर्ष, गुरु की 16 वर्ष, शुक्र की सर्वाधिक 20 वर्ष, शनि की 19 वर्ष, राहु की 18 वर्ष तथा केतु की 7 वर्ष की महादशा होती है।
किस ग्रह की राशि कौन सी है व उस ग्रह की दृष्टियाँ कैसी होती हैं। इनकी महादशा कितने वर्ष की होती है।
कोई भी महादशा प्रारंभ हो तो उसी की अंतर्दशा पहले चलती है। यथा समझने के लिए गुरु की महादशा में गुरु का अंतर चलेगा। इसके बाद शनि, बुध, केतु, शुक्र, सूर्य, चंद्र, मंगल व राहु की अंतर्दशा चलेगी। महादशा में अंतर्दशा में प्रत्यंतर दशा भी उसी ग्रह की चलेगी जिसकी महादशा प्रथम चलती हो।
सूर्य की सप्तम दृष्टि, चंद्र की सप्तम, मंगल की चतुर्थ, सप्तम व अष्टम, बुध की सप्तम, गुरु की पंचम, सप्तम, नवम, शुक्र की सप्तम, शनि की तृतीय, सप्तम व दशम दृष्टि पड़ती है। राहु की पंचम, सप्तम, नवम, केतु की सप्तम दृष्टि मानी गई है। लेकिन मैं इनकी दृष्टि नहीं मानता क्योंकि ये (राहु-केतु) छाया ग्रह हैं।
भगवान की मूर्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है,
ज्योतिषाचार्य कहते है कि आरती और पूजा-अर्चना आदि के बाद भगवान की मूर्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है, इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए परिक्रमा की जाती है। किस देवी-देवता की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए। शिवजी की आधी परिक्रमा की जाती है। देवी मां की तीन परिक्रमा की जानी चाहिए। भगवान विष्णुजी एवं उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करनी चाहिए। श्रीगणेशजी और हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान है। परिक्रमा शुरु करने के पश्चात बीच में रुकना नहीं चाहिए। परिक्रमा वहीं खत्म करें जहां से शुरु की गई थी। ध्यान रखें कि परिक्रमा बीच में रोकने से वह पूर्ण नही मानी जाती। परिक्रमा करते समय मंत्रों का जाप करना चाहिए। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। किसी से बातचीत कतई ना करें। इस प्रकार परिक्रमा करने से पूर्ण लाभ मिलता है। परिक्रमा हमेशा दाहिने हाथ की ओर से शुरू करनी चाहिए, क्योंकि प्रतिमाओं में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है। सीधे हाथ की ओर से परिक्रमा करने पर हम मूर्तियों के आसपास रहने वाली सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण कर पाते हैं। दाहिने का अर्थ दक्षिण भी होता है, इस वजह से परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहा जाता है। अगर प्रतिमा के आसपास परिक्रमा करने का स्थान नहीं है तो एक ही जगह पर गोल घूमकर भी परिक्रमा की जा सकती है। इस मंत्र के साथ करें देव परिक्रमा ; यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
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