उत्तराखंड- भारी बारिश -पहाड़ों पर बुरा हाल सड़कें बंद, हेमकुंड साहिब के पास ग्लेेशियर टूटा, 20 से 24 जुलाई तक भारी बारिश-आफत में देवभूमि

20 july 2022; Himalayauk Newsportal & Print Media Bureau; High Light # भारी बारिश के कारण पहाड़ों पर भूस्खलन  भारत-चीन सीमा में ग्लेशियर टूटा, 384 को बचाया, 10 की मौत, सेना ने अपने दो हेलीकॉप्टर लगाए  #20 से 24 जुलाई तक जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग हिस्सों भारी बारिश होने की संभावना है। @वही दूसरी ओर  लामबगड़ टू के नाम से नया भूस्खलन जोन ;  यहां पर साफ मौसम में भी भूस्खलन आम बात है। #20 जुलाई 2022 बुधवार सुबह रुद्रप्रयाग में ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर नारकोटा में बड़ा हादसा #20 से 24 जुलाई तक जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग हिस्सों भारी बारिश होने की संभावना है। #थल-मुनस्यारी सहित 26 सड़कें बंद हैं। इन सड़कों के बंद रहने से 80 से अधिक गांव अलग-थलग पड़ गए हैं। # प्रदेश के 13 में से नौ जिलों के लिए भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी है.

गोपेश्‍वर (चमोली)  उत्‍तराखंड में बुधवार को जारी हुए रेड अलर्ट के बीच हेमकुंड साहिब के पास ग्‍लेशियर टूट गया है। अच्‍छी बात यह रही कि किसी नुकसान की सूचना नहीं है। चमोली जिले में हेमकुंड यात्रा मार्ग के घांघरिया हेलीपेड क्षेत्र के नदी पार भारी बारिश ने तबाही मचाई है।   अनूठी पटूडी की ओर वाली नदी क्षेत्र में आया मलबा आने से ग्रामीण दहशत में हैं। गोविन्द घाट गुरुद्वारा के प्रबंधक सेवा सिंह ने स्थलीय निरीक्षण कर जानकारी दी है।

हेमकुंड साहिब के पास ग्‍लेशियर टूट गया

बुधवार सुबह रुद्रप्रयाग में ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर नारकोटा में बड़ा हादसा हो गया। यहां निर्माणाधीन पुल की सैटरिंग गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई। जबकि छह मजदूर घायल हो गए। 

भारी बारिश के कारण पहाड़ों पर भूस्खलन हो रहा है। नदी नाले भी उफान पर है। देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर, पिथौरागढ़, हरिद्वार समेत राज्य के नौ जिले में अगले 24 घंटे के भीतर भारी से बहुत भारी बारिश के आसार है। भारी बारिश की संभावनाओं को देखते हुए मौसम विभाग की ओर से रेड अलर्ट जारी किया गया है।

सड़कों के बंद रहने से 80 से अधिक गांव अलग-थलग

पिथौरागढ़ जिले में भारी बारिश से भारत-चीन बार्डर को जोड़ने वाली तवाघाट-लिपुलेख सड़क पर भी यातायात प्रभावित हुआ है। पर्यटन नगरी को जोड़ने वाली थल-मुनस्यारी सहित 26 सड़कें बंद हैं। इन सड़कों के बंद रहने से 80 से अधिक गांव अलग-थलग पड़ गए हैं। वहीं माइग्रेशन गांवों के ग्रामीणों के साथ ही सेना को दिक्कत हो रही है। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही ठप होने से गांवों में राशन व अन्य दैनिक जरूरत का सामान की सप्लाई रुक गई है, जिससे 1 लाख से अधिक की आबादी खासी परेशान है। काली नदी ने चेतावनी स्तर पार कर लिया है। वहीं रामगंगा नदी के उफान पर आने से थल के जोग्यूड़ा में भूकटाव शुरू हो गया है। काली नदी का चेतावनी स्तर 889 मीटर है, जबकि यह 889.40 मीटर पर बह रही है। वहीं गोरी भी चेतावनी स्तर से महज एक मीटर नीचे बह रही है। इसका चेतावनी स्तर 606.80 मीटर है। नदियों का जलस्तर बढ़ने से किनारे बसी आबादी में दहशत है। वहीं दूसरी ओर, बारिश के बाद गंगा नदी का भी जलस्तर बढ़ गया है। चमोली जिले में भी बारिश आफत बनती जा रही है। जिले में तीन दर्जन के करीब ग्रामीण सड़कों पर यातायात प्रभावित है। हालाकि,राहत की बात है कि ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे सुचारू है। रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर आदि जिलों में भी आतंरिक सड़कें बंद होने से ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है।

बताया गया कि फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब यात्रा पड़ाव घांघरिया के पास कजिला में हिमखंड टूटने से पहाड़ दरक रहा है और मलबा सीधे लक्ष्मण गंगा में गिर रहा है। इसी के पास नदी के दूसरे छोर पर घांघरिया है। जहां मलबे की आवाज सुनकर लोग घरों से बाहर की तरफ निकले। हेमकुंड और फूलों की घाटी की यात्रा जारी है।

उत्तराखंड के चमोली जनपद से लगे भारत-चीन (तिब्बत) सीमा क्षेत्र सुमना में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कैंप के समीप ग्लेशियर टूटकर मलारी-सुमना सड़क पर आ गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कमांडर कर्नल मनीष कपिल ने इसकी पुष्टि की है।

फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब यात्रा पड़ाव घांघरिया के पास कजिला में हिमखंड टूटने से पहाड़ दरक रहा है और मलबा सीधे लक्ष्मण गंगा में गिर रहा है

पिछले तीन दिनों से नीती घाटी में अत्यधिक बर्फबारी हो रही है। मलारी से आगे जोशीमठ-मलारी हाईवे भी बर्फ से ढक गया है, जिससे सेना और आईटीबीपी के वाहनों की आवाजाही भी बाधित हो गई है।

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. कालाचाँद सांई का कहना है कि पिछले तीन दिनों से हो रही बर्फबारी से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बर्फ जमा हो गई है, जिसके चलते स्नो एवलांच की पूरी संभावना है। एवलांच की सबसे अधिक संभावना उन पहाड़ियों पर अधिक होती हैं जिनका ढलान बहुत अधिक होता है। 

सुमना-2 में बीआरओ के मजदूरों के कैंप के ऊपर हुए हिमस्खलन के बाद बच निकलने की उम्मीद छोड़ चुके बीआरओ के मजदूरों के सामने सेना के जवान हिमदूत बनकर पहुंचे। उन्होंने रात में ही हाथों में मशाल लेकर उसके उजाले में रेस्क्यू अभियान चलाया और कई मजदूरों को सुरक्षित निकालकर उन्हें अपने कैंप में शरण दी।

शुक्रवार को बर्फबारी के बीच सुमना क्षेत्र में बीआरओ के मजदूरों के कैंप पर दो बार हिमस्खलन हुआ। सबसे पहले शाम चार बजे हिमस्खलन हुआ, जिससे मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई। कैंप छोड़कर 48 मजदूर करीब एक किलोमीटर दूर सेना के कैंप में मदद के लिए पहुंचे। सेना के जवान मौके पर पहुंचे, लेकिन तब मौसम खराब होने के चलते रेस्क्यू शुरू नहीं किया जा सका।

इसके बाद फिर शाम छह बजे बीआरओ के दूसरे कैंप के ऊपर भी हिमस्खलन हो गया, जो पहले कैंप से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। मौसम साफ होने पर रात आठ बजे हाथों में मशाल लेकर उसके उजाले में सेना के जवानों ने रेस्क्यू शुरू किया। रात डेढ़ बजे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में 194 मजदूरों को सकुशल निकाल लिया गया। सेना के जवानों ने बचाए गए मजदूरों को अपने कैंपों में शरण दी। शनिवार सुबह सात बजे तक फिर से रेस्क्यू शुरू हुआ। 

वही दूसरी ओर  लामबगड़ टू के नाम से नया भूस्खलन जोन ;  यहां पर साफ मौसम में भी भूस्खलन आम बात है।

बदरीनाथ हाईवे पर 40 साल से अधिक समय से भूस्खलन के चलते नासूर बना लामबगड़ भूस्खलन जोन भले ही इस बार शांत हो, लेकिन इससे सटे क्षेत्र में नया भूस्खलन जोन उभर आया है। हल्की वर्षा में यह भूस्खलन जोन कहर बरपा रहा है। इससे यात्रियों सहित आम नागरिकों को खासी परेशानी हो रही है। कभी बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ भूस्खलन जोन परेशानी का सबब बना हुआ था। 2013 में आपदा में इसका और विस्तार हो गया था। आपदा के बाद से ही इसके स्थायी ट्रीटमेंट की कार्ययोजना बनाई गई और विदेशी इंजीनियरों से भी राय ली गई। पहले तो नदी के किनारे चेकडैम बनाकर भू-कटाव रोकने का प्रयास हुआ, लेकिन यह निर्माण के दौरान ही आपदा की भेंट चढ़ गया।

20 जुलाई 2022 बुधवार सुबह रुद्रप्रयाग में ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर नारकोटा में बड़ा हादसा

ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर नारकोटा में निर्माणाधीन पुल के एक एबेंडमेंट में ऊपर से मलबा गिर गया। मलबे में दबे सभी मजदूरों को निकाल लिया गया है। हादसे में दो मजदूरों की मौत हो गई है। जबकि छह मजदूर घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

१६ जुलाई 22 शनिवार को ऋषिकेश सम्राट होटल के पास बंद हुआ बदरीनाथ हाईवे दस घंटे बाद खोला गया। एनएच लोनिवि, प्रशासन एवं पुलिस की ओर से त्वरित कार्रवाई न होने से सड़क मार्ग को खोलने में विलम्ब हुआ। 3 बजे बाद जाकर प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग हरकत में आया। आपदा प्रबंधनं अधिकारी नंदन सिंह रजवान ने स्वयं के वाहन से यात्रियों को पानी मुहैया कराया।  

हल्द्वानी में १७ जुलाई 22 सोमवार रात पहाड़ों में हुई बारिश से सूखी नदी में पानी बढ़ गया। नदी के उफान पर आने से गौलापार क्षेत्र के नकायल और विजयपुर गांव के लोग हल्द्वानी नहीं आ सके। दोनों गांवों की 3 हजार आबादी का हल्द्वानी से पूरी तरह संपर्क कट गया।  मौसम के करवट लेने के साथ ही मंगलवार को हल्द्वानी में झमाझम बारिश हुई। इससे लोगों ने गर्मी से राहत महसूस की। लेकिन मुख्य मार्गों और कुछ इलाकों में जलभराव होने से परेशानी का सामना भी करना पड़ा। वहीं दोपहर में बारिश थमने के बाद धूप खिलने से उसम बढ़ गई। जिला आपदा कंट्रोल रूम के अनुसार हल्द्वानी क्षेत्र में पिछले 24 घंटे में 126 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। 

नैनीताल जिले के तीन मार्ग बारिश के चलते मंगलवार को बंद हो गए हैं। आपदा कंट्रोल रूम के अनुसार भुजियाघाट-सूर्यागांव, फतेहपुर-बेलबसानी और डोला न्याय पंचायत के ग्रामीण मार्ग बंद हैं। इन्हें खोलने के लिए जेसीबी लगाई गई है। 

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बुधवार 20 जुलाई 22 को कहा कि मॉनसून के उत्तर की ओर बढ़ने के कारण अगले 4 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत और हिमालय की तलहटी में भारी बारिश होने की संभावना है। आईएमडी ने बताया है कि एक चक्रवाती परिसंचरण पश्चिम मध्य प्रदेश और इसके आस-पास निचले क्षोभमंडल स्तर पर बना हुआ है। 20 से 24 जुलाई तक जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग हिस्सों भारी बारिश होने की संभावना है।

20 जुलाई को हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ में बहुत भारी वर्षा की संभावना है। 20 और 21 जुलाई को पंजाब, उत्तर प्रदेश और 21 से 24 जुलाई के दौरान उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश की चेतावनी जारी की गई है। वहीं, 20 जुलाई को उत्तराखंड में छिटपुट से लेकर अत्यधिक भारी बारिश की भी संभावना है। वहीं, अगले 5 दिनों के दौरान पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भारी बारिश की संभावना है। अगले 5 दिनों के दौरान पूर्वी मध्य प्रदेश, पश्चिम मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, झारखंड, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, आंतरिक कर्नाटक, तटीय आंध्र में भी बहुत भारी वर्षा की संभावना है। 

Chandra Shekhar Joshi- Editor in Chief Mob. 9412932030

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