जागेश्वर अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का भव्य समापन
जागेश्वर अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का भव्य समापन
कल्चर एवं कंप्यूटर चले एक साथ -स्वामी चिदानन्द सरस्वती
दिव्य क्षेत्र जागेश्वर धाम में हर्बल उद्यान की स्थापना -श्री हरीश रावत
७ अक्टूबर, ऋशिकेष/जागेश्वर। तीन दिनों तक चलने वाले जागेश्वर अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आज अन्तिम दिन है। इस योग महोत्सव को उत्तराखण्ड सरकार, कुमांऊ मण्डल विकास निगम और परमार्थ निकेतन आश्रम ऋशिकेष, द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। ज्ञात हो की परमार्थ निकेतन आश्रम पिछले १७ वर्शो से १ से ७ मार्च को विष्व प्रसिद्ध अंतर्राश्ट्रीय योग महोत्सव की मेजबानी कर रहा है। इस ग्रीश्मकालिन योग महोत्सव ने पूरे विष्व में अपनी विषिश्ठ पहचान स्थापित कि है। अब यह योग महोत्सव अन्तरर्राश्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहा हैं तथा वर्श प्रति वर्श इसका व्यापक प्रसार हो रहा है। विष्व के विभिन्न देषों से योगाचार्य, योग जिज्ञासु, षिक्षक एवं विद्यार्थी इस कार्यक्रम में भाग लेने हेतु परमार्थ निकेतन में आते है। इस भव्य योग महोत्सव की अपार सफलता के पष्चात उत्तराखण्ड सरकार, पर्यटन विभाग उत्तराखण्ड एवं परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य एवं संरक्षण में षरदकालिन योग महोत्सव को आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
हिमालय की गोद में बसा कुमांऊ क्षेत्र जिसके कण-कण में आध्यात्मिकता एवं सुन्दरता बसी हैं और यहां पर पाये जाने वाले ये हरे-भरे देवदार के वृक्ष इस वातावरण को और सुन्दरता प्रदान करते है। और यहां सििथत जागेष्वर धाम जिसकी प्रत्येक ष्वास में षिवत्व एवं योग समाया हुआ है। यह रमणीय धाम और यहां की जलवायु षरद कालिन योग महोत्सव के लिये सहज ही योग जिज्ञासुओं को आकर्शित करती है।
इस पावन अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि, ‘‘जागेष्वर की इस दिव्य धरती पर योग करने की जरूरत नहीं योगमय होने की आवष्यकता है और इस धरती पर वह सहज ही सम्भव है। यह दिव्य क्षेत्र अन्दर की षान्ति प्रदान करने वाला है और जब आन्तरिक षान्ति प्राप्त हो जाती है तो सांसारिक अषान्ति धूल की तरह स्वयं विलुप्त हो जाती है क्योंकि योग से अमृत वर्शा होती है। योग का निहतार्थ ही यही है कि अन्दर और बाहर की षान्ति सृजन से वैष्विक स्तर पर षान्ति का परिवेष निर्मित हो।घ्
उन्होने कहा कि ‘आज समाज के युवाओं को कंप्यूटर के साथ-साथ कल्चर की भी आवष्यकता है अतः कंप्यूटर और कल्चर चले साथ-साथ।‘
उत्तराखंड को मुख्यमंत्री माननीय श्री हरीष रावत जी ने कहा कि, ‘जागेष्वर धाम को हर्बल धाम के रूप में विकसित करने की आवष्यकता है। इस धाम की पवित्रता, सुन्दरता और दिव्यता को बनाये रखने के लिये हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।‘
अतंराश्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक एवं डीवाइन शक्ति फाउण्डेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि योग *श्वर से संयोग का सबसे सहज व सुगम मार्ग है। यह अंतःकरण की ओर जाने का तथा अपने आप को पहचानने का एक सहज माध्यम है और जागेष्वर की दिव्य धरती पर यहां के कण-कण में व्याप्त दिव्यता के कारण योगी सुगमता से आध्यात्मिकता को प्राप्त कर लेता है।
आज इस जागेष्वर अंतर्राश्ट्रीय योग महोत्सव के समापन अवसर पर उत्तराखंड को मुख्यमंत्री माननीय श्री हरीष रावत जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री गोंविद सिंह कुजंवाल जी, जिलाधिकारी अल्मोडा माननीय श्री बंसल जी, अल्मोडा के आयुक्त माननीय श्री सेंथिल पांडियन, कुमांऊ रेंज के डी आ* जी माननीय श्री अजय रतोला जी, कुमांऊ मण्डल विकास निगम के महाप्रबंधक आदरणीय श्री टी एस मर्थोलिया जी, अतंराश्ट्रीय योग महोत्सव की निदेषक एवं डीवाइन षक्ति फाउण्डेषन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी तथा साध्वी आभा सरस्वती परमार्थ निकेतन योग विभाग की निदेषक तथा क* अन्य गणमाण्य अतिथि उपस्थित थे।