वर्तमान- विश्व प्रसिद्ध महान ज्योतिषी- ज्योतिष शास्त्र के गौरवमयी भारतीय स्वरूप को संसार मे पुनः स्थापित किया

High Light# दुनिया का सबसे बेहतरीन ज्योतिष शास्त्री कौन है? #वर्तमान समय मे विश्व प्रसिद्ध महान ज्योतिषी #4नवम्‍बर 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने राव साहब के अकाटय तर्को को 22 मिनट तक सुना और उसके बाद ज्‍योतिष के पक्ष में निर्णय दे दिया कि जो यूनिवर्सिटीज इस विषय को अपने पाठयक्रम में शामिल करना चाहते हैं वह अपने पाठयक्रम में शामिल कर सकते हैं #किसी ज्योतिषी में निहित ईश्वरीय वाणी ही उसे यह स्पस्ट बोध देती है . कुछ अध्यात्मिक ज्योतिषियों ( योगियों ) में यह ईश्वरीय दें इतनी विकसित होती है की वे बगैर कुंडली देखे सीधे भविष्य वाणी कर देते है. यह वह अवस्था है जब हम ज्योतिष को दिव्य प्रकाश या परम बोध की अवस्था कह सकते है .इस बात का उल्लेख योगी कथामृत में योगानंद और के एन राव ने अपनी पुस्तक “yogis destini and wheel of time “में किया है . गुरुदेव स्वामी चिन्मय योगी जी ( श्री रजत बोस ) जी को यह करते देखा है .#ज्योतिष और विवाह समय : श्री के. एन. राव द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक – ज्योतिष | Jyotish Aur Vivah Samay : by Shri K. N. Rao Hindi PDF Book – Astrology (Jyotish)

 प्राचीन काल से भारत ऋषि, मुनियो, महान ज्योतिषीयो त्रिकालज्ञो का देश रहा है जिनमे महर्षि पराशर, वेद व्यास, गर्ग, मरीच, अंगिरा, लोमश, पौलिश, यवन, भृगु, वराहमिहिर, पृथ्युशस, भट्टोतपल, श्रीपति, भास्कराचार्य, यवनाचार्य, मंत्रेशवर, आर्यभट्ट, गणेश दैवज्ञ एवं अनगिनत ज्योतिष विदो का योगदान मानव मात्र के कल्याण के लिए ज्योतिष शास्त्र के रूप मे रहा है।।

 सृष्टि के रचयिता के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति में यह बताने का पूर्ण सामथ्र्य नहीं हो सकता कि भविष्य में क्या घटित होने वाला है। परन्तु यदि ऐसी कोई विद्या है जिसकी सहायता से भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है तो वह वास्तव में ही मनुष्य के लिए अत्यन्त लाभकारी हो सकती है क्योंकि यदि आने वाली घटनाओं का कुछ पूर्वानुमान हो तो हम अपने आपको परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार कर लेते हैं। आदि काल से ही इस प्रकार की विद्याओं को विकसित करने के लिए मानव अनुसंधान करता रहा है। पराविद्या ‘ज्योतिष’ के इसी महत्व के कारण इसे (ज्योतिषं वेदानां चक्षुः) अर्थात् वेदों का चक्षु कहा गया है।

वर्तमान समय मे विश्व प्रसिद्ध महान ज्योतिषी Institute of Astrology भारतीय विद्या भवन नई दिल्ली के मार्ग दर्शक महागुरु श्री के एन राव जी निस्संदेह संसार के महान ज्योतिषी है । श्री गुरु जी द्वारा मार्गदर्शित द्विभाषीय द्विमासिक ज्योतिष पत्रिका B V B- Journal of Astrology (बी वी बी – जर्नल ऑफ एस्ट्रोलाॅजी ) मौलिक ज्योतिषीय शोध कार्यो के लिए विश्व विख्यात है ज्योतिष के जिज्ञासुओ के ज्ञान वृद्धि के लिए अद्भुत है स्यंम पचास से अधिक ज्योतिष शास्त्र की पुस्तको के लेखक एवं अनेक ज्योतिष शास्त्र के लेखको के मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत है जिनके अतुलनीय योगदान से ज्योतिष शास्त्र मे नवीन अनुसंधान को नयी दिशा प्राप्त हुई है ।

जिन्होने लम्बी कानून लड़ाई के बाद भारतीय उच्चतम न्यायालय से मुकदमा जीतकर ज्योतिष शास्त्र के आध्यापन की वैधानिक मान्यता प्राप्त कराई ज्योतिष शास्त्र के गौरवमयी भारतीय स्वरूप को संसार मे पुनः स्थापित किया । #4नवम्‍बर 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने राव साहब के अकाटय तर्को को 22 मिनट तक सुना और उसके बाद ज्‍योतिष के पक्ष में निर्णय दे दिया कि जो यूनिवर्सिटीज इस विषय को अपने पाठयक्रम में शामिल करना चाहते हैं वह अपने पाठयक्रम में शामिल कर सकते हैं

Astro Ramprasad Joshi लिखते है कि आपको जानकर हर्ष होगा ज्योतिष मे के पी पद्धति के नाम से विख्यात पद्धति के जनक महान ज्योतिष विद श्रीमान कृष्ण मूर्ति जी श्री गुरु जी के प्रमुख सहयोगी एवं भारतीय विद्या भवन मे प्राध्यापक रह चुके है वर्तमान मे विश्व के सर्वाधिक ज्योतिष विद्यार्थी देश विदेश से अध्ययन करने भारतीय विद्या भवन मे आते है श्री गुरु जी के एन राव जी के मार्गदर्शन मे शिक्षा प्राप्त कर रहे है ।  गुरु जी के सानिध्य मे अनेक विद्वान ज्योतिष शास्त्र के गूढ विषयो का ज्ञान प्राप्‍त कर रहे हैं उनका आशीर्वाद  ज्योतिष के विचारणीय पहलूओ के प्रति आत्म विश्वास , प्रेरणादायी, नवीन अनुसंधान के लिए हमेशा प्रेरित करता रहता है । भारतीय वैदिक ज्योतिष में के .एन. राव जी का २० वी शताब्दी में बी .वी .रमण जी के बाद एवं साथ में ,विश्व के वैदिक ज्योतिषियों एवं ज्योतिष प्रेमियों के लिए एक अमूल्य योगदान दिया हे जिसमे विशेषकर जेमिनी ज्योतिष में विशेषकर योगदान देने के लिए उन्हें वर्षो तक याद किया जाएगा

आज मेरे मन में आया की २० वी शताब्दी के दो युगपुरुष जिन्होंने ने विश्व को वैदिक ज्योतिष में अमूल्य योगदान दिया हे तो के .एन. राव जी का चार्ट देखा जाये तो मेने एस्ट्रो सेज.कॉम से इनका बिर्थ डिटेल्स लेकर चार्ट को रीड किया और मेने पाया की के .एन राव जी वर्तमान में लग्नेश एवं अस्टमेष शुक्र ग्रह की दशा के अंतर्गत चल रहे हे जो चन्द्र लग्न से भी शुक्र जो लग्नेश एवं अस्टमेष हे एवं सूर्य लग्न से द्वितीयेश एवं भाग्येश की दशा के अंतर्गत चल रहे हे मगर शुक्र की मूल त्रिकोण राशी तुला होने के कारण मेरी स्वयम के अनुभवानुसार एवं शुक्र का जेमिनी ज्योतिष में रोग कारक होना ,शुक्र का नवमांश कुंडली में शत्रु राशि मंगल में स्थित होना एवं मंगल का लग्न में शुक्र के साथ स्थित होना साथ में शुक्र का मंगल के नाक्सस्त्र में स्थित होकर लग्न में स्थित होना ,ये एक वैदिक ज्योतिष के सभी योगो से बढ़कर एक सर्व्स्रेस्थ राजयोग होता हे जो के.एन. राव जी को नाम ,प्रसिद्धि प्रदान करता हे जो हम सभी जानते हे जेसा मेने पूर्व में लिखा इनका जन्म दिन का सुबह का हे तो इनकी दिवाबली राशियों में स्थित ग्रहों ने इनको खूब लाभ दिया जेसे तुला राशी में मंगल ,चन्द्र एवं शुक्र ने ,कन्या राशी में स्थित सूर्य ,केतु एवं बुध एवं मीन राशी में राहु ने

9 ग्रहों में से 7 ग्रह इनके बली ग्रह हे के .एन. राव जी बुध ग्रह जो विपरीत राजयोग में स्थित उच्च का स्थित होकर साथ में बुद्ध भाग्येश होकर ९ वे व्हाव का स्वामी लग्न कुंडली ,चन्द्र कुंडली मगर सूर्य कुंडली का दशमेश एवं लग्नेश होकर ,नव्मंषा कुंडली में कर्क राशी में स्थित होना एक महान गणितग्य बनाता हे साथ में बुध का चन्द्र के नाक्सस्त्र में स्थित हना वापिस से एक महान गणितग्य बनता हे इसलिए के .राव .जी Indian Audits and Accounts Service as Director General से १९९० में रिटायर्ड हुवे और इन्होने विदेश यात्रा वैदिक ज्योतिष के सन्दर्भ में १९९३ ,१९९४,१९९५ में चीफ गेस्ट के बतौर अमेरिकन वैदिक ज्योतिष कौंसिल में अहम भूमिका निभाई ,ये बुध के विपरीत राजयोग एवं बुध का १२ एवं ९ वे भाव का स्वामी होकर १२ वे भाव में लग्न कुंडली एवं चन्द्र कुंडली में स्थित होने के कारण विदेश यात्रा की

यदि में चलित कुंडली की बात करू तो इनके बुध एवं चन्द्र ग्रह का १२ वे भाव में चलित होकर शुक्र का नीच भंग योग एवं बुध का विपरीत राजयोग इनको प्रदान करके १२ वे भाव में अपने ज्योतिष शेत्र मेंअन्य ज्योतिषियों की तुलना में एक विशिसठ योगदान देना एवं अपने ज्योतिष में अलग ही विश्व का सर्व्स्रेथ ज्योतिषी बनता हे इनके १० वे भाव का स्वामी चन्द्र का १२ वे भाव में चलित कुंडली में ,विदेश यात्रा योग देता हे जो मेरे गणित के अनुसार के एन राव जी २५ वर्ष एवं ६ माह की आयु के पश्चात जो वर्तमान में इनके नाम पर और इनको मिली वो सभी इसी आयु के पश्चात मिली हे जेसा मेने प्रथम पेरेग्राफ में लिखा हे की लग्नेश शुक्र का मंगल के नाक्सस्त्र में होना एवं मंगल की युति शुक्र के साथ लग्न में होना इनको आयुष्य प्रदान की हे इनके १० वे भाव के स्वामी चन्द्र का शुक्र क नवमांश में स्थित होना और शुक्र का मंगल के नाक्सस्त्र इनको इनके फील्ड ज्योतिषी में एक टेकनिकल या टेकनिक ज्योतिषी बनता हे जो हम सब जानते हे की लुप्त हुई जेमिनी ज्योतिष को २० वी शताब्दी में लाने का श्रेय इन्ही को जाता हे मगर मंगल का गुरु के नक्सस्त्र ,बुध के उप नाक्सस्त्र एवं बुध के उप उप नाक्सस्त्र में होना एक सर्वश्रेस्ठ फानेसियल एवं एकाउंटिंग के साथ उच्कोटी का गणितग्य एवं ज्योतिषी बनता हे

इनके सब दिविजनल चार्ट से फलित करू तो कितने ही पेजों में इनको फलित इनके ग्रहों एवं नाक्सस्त्रो की स्थिति को देखकर ,कम होगा इनके बारे में इन्होने स्वयम एक बार इनकी स्वयम की लिखी हुईज्योतिष की किताब में लिखा था की इन्होने डॉ बी .वी . रमण जी बीमार हुए थे ,तो रमण जी की मरत्यु के बारे में ३ वर्ष पूर्व का समय फलित कर दिया था जबकि डॉ .बी .वी .रमण जी की मर्त्यु ३ वर्ष पश्चात हुई थी तो इनमे इतना बेबाक कहने की हिम्मत हे वो भी तुला राशी एवं तुला लग्न में मंगल की स्थिति के कारन और शुक्र का जो कालपुरुष की कुंडली का २ भाव का स्वामी शुक्र का मंगल के नवांश में स्थित होने के कारण इन्ही को फोलो करते हुवे मुझे कोई जिजक नहीं हे की वर्तमान में शुक्र की दशा एवं मंगल की अतर दशा के बाद इनके स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट होगी जिसके कारन शुक्र की दशा में राहू की अंतर दशा में इनको फेफड़े एवं श्वास बीमारी के साथ पैरो एवं किडनी के फंक्शन निरंतर गिरावट में रहेंगे मगर रहू की अंतर दशा तो दिसम्बर २०१७ से शुरू होगी मगर वर्तमान में मंगल की अंतर दशा भी इनके स्वास्थ्य के अनुसार ठीक नहीं हे जिसके चलते इनको निरंतर डॉक्टर से कंसल्ट करना होगा और एक बार जरुर इनको मंगल की अंतर दशा में अस्पताल में आई सी यू में वेंटीलेटर पर रहना होगा ,ये सब मंगल की आधी अंतर दशा के बाद से होगा जो २८ अप्रैल २०१७ से दिसम्बर २०१७ के मध्य होगा मगर यंहा में स्पस्ट लिखना चाहता हु की जब शनि वक्री मकर राशी में एवं राहु का गोचर वर्षभ राशी में होगा तो इनके जीवन का अंतिम पड़ाव होगा और उसी समय शुक्र की दशा में गुरु का अंतर होगा वर्तमान में सूर्य की अस्टोतरी दशा चल रही हे जो तुला लग्न के लिए बाधकेश हे जो स्वास्थ के लिये ठीक नहीं भद्रिका जो योगिनी दशा हे जो बुध ग्रह की दशा हे ,धान्या की अंतर दशा जो गुरु की होती हे वो इनके तुला लग्न के लिए ठीक नहीं हे ,इसके बाद भ्रामरी अंतर दशा आएगी जो मंगल की होगी तो ये भी स्वास्थ की द्रस्ती से 28 जनवरी 2018 तक ठीक नहीं हे शनि का धनु राशी में गोचर इनके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हे कारण शनि का गोचर धनु राशी से इनके आत्म्कारक ग्रह सूर्य पर द्रस्ती के कारण इनका स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव बना रहेगा

जय महाकाल

Astro Ramprasad Joshi

लेखक ,चिंतक,विचारक एवं आलोचक

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