29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे वही 6 ग्रह वक्री होने से हलचल की स्थिति है
29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ धाम (Kedarnath) के कपाट खुलेंगे :भगवान केदारनाथ धाम (Kedarnath) के कपाट निर्धारित तिथि 29 अप्रैल को सुबह 6:10 बजे ही खुलेंगे. मंगलवार को ऊखीमठ में पंचगाई समिति के प्रमुखों की बैठक में ये फैसला लिया गया है. बताते चलें कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देख इतिहास में पहली बार बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि को बढ़ाकर 14 मई कर दिया गया है. इस फैसले के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि भी आगे बढ़ाई जा सकती है. : जून का महीना खगोलीय घटनाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है प्राकृतिक आपदाओं के लिए भी यह स्थिति शुभ नहीं है.
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वही पूर्व वर्षों में जहां भगवान केदारनाथ की डोली के अपने शीतकालीन गद्दीस्थल से हिमालय रवानगी पर ओमकारेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त उमड़ पड़ते थे. वहीं इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. डोली के दर्शनों को उमड़ने वाली भीड़ भी नहीं रहेगी यह तीसरी बार है जब भगवान केदारनाथ की डोली सीधे वाहन के जरिये जायेगी और पड़ावों पर अपने भक्तों को आशीष नहीं देगी.
जून का महीना खगोलीय घटनाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस महीने होने वाली खगोलीय घटनाओं पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों और ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों की नजरें लगी हुई हैं. क्योंकि इन ग्रहणों का सभी असर देखा जाएगा. खास बात ये है कि इसका असर देश और दुनिया पर भी दिखाई देगा. जून 2020 में 5 जून को चंद्र ग्रहण और 21 जून को सूर्य ग्रहण की स्थिति बनी हुई है. महत्वपूर्ण बात ये है कि दोनों ही ग्रहणों को भारत में देखा जा सकेगा. इस साल पड़ने वाले ग्रहणों की बात करें तो इस वर्ष 6 ग्रहण लगेंगे. इसमें से एक ग्रहण 10 को लग चुका है. यह चंद्र ग्रहण था. वहीं इस वर्ष 6 जून से 5 जुलाई के मध्य ही तीन ग्रहण लगने जा रहे हैं. ग्रहण का अर्थ; सूर्य ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में से गुजरता है.
चंद्र ग्रहण: यह तब होता है जब पृथ्वी चंद्रमा के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाती है. मिथुन राशि में सूर्य ग्रहण; 21 जून 2020 को पड़ने जा रहे सूर्य ग्रहण ज्योतिष की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा. ;चंद्र ग्रहण; 5 जून 2020 को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू होगा और 6 जून को 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा. इसमें सूतक काल मान्य नहीं होगा. ;सूर्य ग्रहण; 21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा. यह सूर्य ग्रहण दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. सूतक काल 12 घंटे पूर्व से आरंभ होगा जो समाप्त होने तक रहेगा. सूर्य ग्रहण का फल; ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के समय मंगल ग्रह मीन में गोचर होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिसके परिणाम शुभ नहीं माने जा रहे हैं. वहीं ग्रहण के समय शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्री स्थिति में होंगे. राहु और केतु की चाल उल्टी ही रहती है. ऐसी स्थिति में 6 ग्रह वक्री होने से दुनिया भर में हलचल की स्थिति बन रही है. सीमा विवाद और आपसी तनाव की स्थिति बन रही है. प्राकृतिक आपदाओं के लिए भी यह स्थिति शुभ नहीं है.
वरिष्ठ तीर्थपुरोहित, आचार्य और वेदपाठियों की मौजूदगी में केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंदिर के कपाट तय तिथि पर ही खोलने का फैसला लिया गया है. बैठक में मौजूद लोगों ने बताया कि तीर्थ-पुरोहितों ने कपाट खुलने के समय में बदलाव का पुरजोर विरोध किया. हालांकि बैठक ये फैसला सर्वसहमति से लिया गया है. जानकारों ने बताया कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के मौके पर रॉवल भी धाम में मौजूद रहेंगे. बताते चलें कि फिलहाल वे क्वारंटाइन में हैं. उन्होंने बताया कि रॉवल का स्वास्थ्य बिलकुल ठीक होने से उन्हें केदारनाथ जाने दिया जायेगा और उनकी उपस्थिति में केदारनाथ के कपाट खोले जायेंगे
गौरतलब है कि बदरीनाथ के कपाट खोलने के संबंध में सोमवार 20 अप्रैल को मु्ख्यमंत्री आवास पर बैठक की गई थी. इस बैठक में भगवान बदरीनाथ के कपाट 15 मई 2020 को सुबह 4:30 बजे खोलने का निर्णय लिया गया है. इस बैठक में टिहरी की महारानी व सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी एवं सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर उपस्थित थे.
ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ (Kedarnath) के कपाट 29 अप्रैल को खोले जा रहे हैं और डोली 26 अप्रैल को शीतकालीन गद्दीस्थल से रवाना होगी. जो वाहन के जरिये सीधे गौरीकुण्ड जायेगी. जहां पिछले वर्षो तक डोली का प्रथम रात्रि प्रवास फाटा में हुआ करता था. वहीं इस बार डोली वाहन से सीधे अपने अंतिम पड़ाव गौरीकुण्ड पहुंचेगी और दूसरे दिन गौरीकुण्ड से केदारनाथ के बीच प्रवास करने के बाद 28 को केदारनाथ पहुंचेगी.
बताते चलें कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन जारी है, जिस कारण मठ मंदिरों में दर्शनों पर रोक लगाई गई है. सरकार की ओर से नियम लागू किए गये हैं कि मठ मंदिरों में पुजारी पूजा अर्चना करेंगे. लेकिन कोई भी श्रद्धालु दर्शन नहीं करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से तीन मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया है, जबकि 29 अप्रैल को बाबा केदार के कपाट खुलने हैं. ऐसे में प्रशासन ने हकूकधारी, रॉवल, वेदपाठी की रायशुमारी के बाद इस बार भगवान केदार की डोली को सीधे वाहन के जरिये यात्रा के अंतिम पड़ाव गौरीकुण्ड ले जाने का निर्णय लिया है.
पूर्व वर्षों में जहां भगवान केदारनाथ की डोली के अपने शीतकालीन गद्दीस्थल से हिमालय रवानगी पर ओमकारेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त उमड़ पड़ते थे. वहीं इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. डोली को बाहर निकालने पर मुख्य लोग ही मौजूद रहेंगे. जबकि डोली के साथ 16 लोग ही जा पायेंगे. इस बार डोली यात्रा पड़ावों पर नहीं रूकेगी. पिछले वर्षों तक डोली पैदल चलकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए फाटा रामुपर पहुंचती. वहीं इस बार डोली को वाहन के जरिये सीधे गौरीकुण्ड पहुंचाया जायेगा. इससे यात्रा पड़ावों पर डोली के दर्शनों को उमड़ने वाली भीड़ भी नहीं रहेगी तो सरकार के सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी हो सकेगा.
डोली पहले दिन गौरीकुण्ड पहुंचेगी, जहां पर गौरामाई का मंदिर है. गौरामाई मंदिर में रात्रि प्रवास के बाद दूसरे दिने कैलाश को रवाना होगी और इस बार डोली गौरीकुण्ड से केदारनाथ 18 किमी की पैदल चढ़ाई के बीच लिनचैली स्थान पर रात्रि प्रवास करेगी और 28 को डोली अपने हिमालय पहुंच जायेगी. 29 को सुबह छः बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिये जायेंगे.
यह तीसरी बार है जब भगवान केदारनाथ की डोली सीधे वाहन के जरिये जायेगी और पड़ावों पर अपने भक्तों को आशीष नहीं देगी. इससे पहले 1977 में आपातकाल के समय ऐसा निर्णय लिया गया था. जब भगवान केदारनाथ की डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल से बाहर निकालकर सीधे गौरीकुण्ड ले जाया गया और वापसी में भी डोली को गौरीकुण्ड से ऊखीमठ वाहन में लाया गया. केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खोले जा रहे हैं.
शीतकालीन गद्दीस्थल में निर्णय लिया गया कि महाशिवरात्रि पर्व पर तय हुई तिथि पर ही भगवान केदार के कपाट खोले जायेंगे. साथ ही देश में कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन होने से यह भी निर्णय लिया गया है कि डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से वाहन के जरिये गौरीकुण्ड पहुंचेगी. उन्होंने बताया कि 1977 में दो बार ऐसे हालात पैदा हुए कि डोली को वाहन से ले जाना और लाना पड़ा था. इसके बाद तत्कालीन विधायक प्रताप सिंह पुष्पवाण ने इसका विरोध किया और डोली को पुनः पैदल ले जाने की परम्परा शुरू की गई है. यह तीसरी बार है जब केदार बाबाा की डोली वाहन से जायेगी.
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