कुंभ मेले में शामिल हुए महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना से मौत – अब संभलने का वक्त निकलता जा रहा है

बड़ी संख्या में लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं और अब मौत होने की भी ख़बर आई है तो संकेत साफ है कि अब संभलने का वक्त निकलता जा रहा है। 

हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले में शामिल हुए महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना से मौत हो गई है  कपिल देव निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर थे और मध्य प्रदेश से कुंभ मेले में आए थे। यह पहले संत हैं जिनकी कोरोना से मौत हुई है। हालत बिगड़ने पर उन्हें देहरादून के कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।

महामंडलेश्वर को किडनी फेलियर और बुखार की शिकायत थी, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन 13 तारीख को महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मौत हो गई है. 

हरिद्वार के कुंभ मेले में मध्य प्रदेश से आए निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना से मौत हो गई है. जानकारी के मुताबिक हाल ही में महामंडलेश   के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें देहरादून के कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था.  13 अप्रैल को उनका निधन हो गया. बताया जा रहा है कि महाकुंभ मेले के दौरान होने वाली यह किसी संत की पहली मौत है.   

उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित कुंभ मेला में शामिल हुए निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल देव का गुरुवार (15 अप्रैल, 2021) को निधन हो गया. उन्हें कोरोना वायरस महामारी की पुष्टि हुई थी और इलाज के लिए प्रदेश के कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 

मध्य प्रदेश के चित्रकूट से हरिद्वार महाकुंभ में शामिल होने आए 65 वर्षीय महामंडलेश्वर कपिल देव की देहरादून के निजी चिकित्सालय में मौत हो गई. अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि महामंडलेश्वर कपिल देव को 3 दिन पहले अस्पताल में भर्ती किया गया था. उन्हें किडनी फेल और बुखार की समस्या थी. वहीं उनकी मौत की कैलाश अस्पताल के डायरेक्टर पवन शर्मा ने पुष्टि की. गौर हो कि निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल देव कोरोना संक्रमित मिले थे. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महामंडलेश्वर को किडनी फेलियर और बुखार की शिकायत थी, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन 13 तारीख को महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मौत हो गई है. 

महामंडलेश्वर कपिल देव मध्य प्रदेश के चित्रकूट के रहने वाले थे. कपिल देव निर्माणी अखाड़े के महामंडलेश्वर थे. वहीं, देश-प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए चिकित्सकों ने लोगों से कोरोना के प्रति लापरवाही न बरतने की अपील की है.

10 से 14 अप्रैल के बीच कुंभ मेले में कोरोना के 1,701 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। इनमें अखाड़ों के साधुओं से लेकर मेले में आए आम लोग शामिल हैं। मेले में 12 से 14 अप्रैल तक शाही स्नान चला और इसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटी।  कुंभ मेले के जो वीडियो, फोटो सामने आए हैं, उसमें साफ देखा जा सकता है कि मास्क का कहीं पता नहीं है और सोशल डिस्टेंसिंग ज़ीरो है। लेकिन राज्य की तीरथ सिंह रावत सरकार दावा करती है कि वह कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करवा रही है।  1 लाख से दो लाख मामले आने में सिर्फ़ 10 दिन का वक़्त लगा है।  कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ़्तार के बीच कुंभ में इस वायरस से संक्रमित लोग न आ सकें, इसके लिए राज्य सरकार ने 72 घंटे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट को लाना अनिवार्य कर दिया था। लेकिन बावजूद इसके इतनी बड़ी संख्या में लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं और अब मौत होने की भी ख़बर आई है तो संकेत साफ है कि अब संभलने का वक्त निकलता जा रहा है। 

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शायद हालात की गंभीरता का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेकाबू हो गयी तो फिर इसे संभालना बस के बाहर हो जाएगा। देश के कई राज्यों में हालात लॉकडाउन तक पहुंच चुके हैं

अब हालात ये हैं कि पिछले एक पखवाड़े से संक्रमण के मामले बढ़ने में इतनी तेज़ी आई है कि क़रीब तीन गुना मामले बढ़ गए हैं। 31 मार्च को एक दिन में संक्रमण के मामले क़रीब 72 हज़ार आए थे। लेकिन अब 14 दिनों बाद एक दिन में 2 लाख से ज़्यादा केस हैं। 

कोरोना संक्रमण इस बार कितनी तेज़ी से फैला है? आँकड़े चौंकाते हैं। 4 अप्रैल को पहली बार एक दिन में 1 लाख से ज़्यादा केस आए थे और 14 अप्रैल को एक दिन में 2 लाख से ज़्यादा केस हो गए। इसे कितनी रफ़्तार से फैलना कहेंगे!

भारत में पिछले साल 30 जनवरी को पहली बार कोरोना संक्रमण का मामला आया था। हर रोज़ संक्रमण के मामले घटते-बढ़ते रहे, लेकिन पहली बार एक दिन में एक लाख से ज़्यादा केस आने में 1 साल दो महीने लगे। यानी क़रीब 425 दिन। हर रोज़ अब एक लाख से दो लाख के पहुँचने में सिर्फ़ दस दिन लगे। 

इसकी रफ़्तार मापने का एक और पैमाना हो सकता है। पहली लहर और दूसरी लहर में तुलना की जाए। यह देखने के लिए सबसे पहले कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के बीच के अंतर को समझना होगा। 

पिछले साल 30 जनवरी को देश में कोरोना का पहला मामला आया था और सितंबर में यह अपने चरम पर था। इसके बाद संक्रमण के मामले कम होने शुरू हो गए और इस साल 8-9 फ़रवरी तक ऐसा ही चला। इसके बाद संक्रमण के मामले बढ़ने लगे। यानी कह सकते हैं कि यही वह दौर था जब कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हुई। 

यानी दूसरी लहर के शुरू होने के साथ इस साल 9 फ़रवरी को 10 हज़ार केस थे। अब पहली लहर से इसकी तुलना कर देखें। पिछली लहर में 10 हज़ार संक्रमण के मामले 6 जून को आए थे। यह शिखर पर 11 सितंबर को था जब क़रीब 97 हज़ार केस आए थे। इसके लिए क़रीब 97 दिन लगे। अब इस लहर में संक्रमण के मामले 9 फ़रवरी को 10 हज़ार से 4 अप्रैल को 97 हज़ार को पार करने में क़रीब 56 दिन लगे, लेकिन दो लाख को पार करने में कुल मिलकार 66 दिन लगे। 

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कोरोना ही नही शरीर की अन्य बीमारियों का भी खात्मा कर देगा — स्वामी जी ने हिमालयायूके सम्पादक को बताया ; हमारे गुरुदेब स्वामी निर्वाण देव जी महाराज – आयुर्वेद भारत गुरु पद से सुशोभित, तथा कंसल्टेंट – सैफई मेडिकल कॉलेज इटावा ने वायरस की सटीक तथा सफल दवा वटी का निर्माण कर मानव समाज पर कृपा की है, इस दवा का निर्माण स्वामी जी ने मेडिकल कॉलेज में देश के मशहूर डॉ0 राजकुमार (पूर्व डायरेक्टर एम्स ऋषिकेश) के सुपरविजन में तैयार की, जो ट्रायल में ही 94% सटीक साबित हुई है, भारत सरकार से आधिकारिक अनुमति की प्रक्रिया जारी है, स्वस्थ्य रहे, सुरक्षित रहे- स्वामी जी की शरण मे रहे ; वटी का इस्तेमाल करे : सादर चंद्रशेखर जोशी सेवक मो0 9412932030

देश के इन महान आयुर्वेद संत जो थानों देहरादून आश्रम में है, अदभुत अलौकिक, अमृत तुल्य कोरोना उपचार की सटीक दवा बनाई है, उत्तराखंड सरकार इसकी महत्ता समझेगी? वही बड़ी खबर : किडनी तथा लिवर को खराब करती है रेमेडिसविर वैक्सीन गुजरात सरकर ने इसके खतरे को लेकर किया अलर्टस्वामी निर्वाण देव महाराज जी कंसल्टेंट सैफई मेडिकल कॉलेज इटावा ने इस बारे में पूर्व में ही “हिमालयायूके” सम्पादक को फोन पर अवगत करा दिया था,

सेवा में मॉन0 मुख्यमंत्री जीउत्तराखंड, देहरादून महोदय,देश के इन महान आयुर्वेद संत जो थानों देहरादून आश्रम में है, अदभुत अलौकिक, अमृत तुल्य कोरोना उपचार की सटीक दवा बनाई है, उत्तराखंड सरकार इसकी महत्ता समझेगी? वही बड़ी खबर आ रही है : किडनी तथा लिवर को खराब करती है रेमेडिसविर वैक्सीन गुजरात सरकर ने इसके खतरे को लेकर किया अलर्टजबकिस्वामी निर्वाण देव महाराज जी कंसल्टेंट सैफई मेडिकल कॉलेज इटावा ने इस बारे में पूर्व में ही “हिमालयायूके” सम्पादक को फोन पर अवगत करा दिया था, महोदय, कोरोनो इलाज में प्रभावी माने जाने वाली एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर को लेकर कइ सवाल खड़े हो गए हैं। इसके निर्यात पर रोक लगाने की बीच दावा किया जा रहा है कि इस इंजेक्शन में साइक्लोडेक्ट्रीन है जो किडनी तथा लिवर को खराब कर सकता है। दरसअल गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य में कोरोना वायरस की स्थिति पर स्वत:संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका की कार्रवाही शुरू की, जिसके जवाब में सरकार ने यह दावा किया।गुजरात उच्च न्यायालय ने उठाया सवालकोर्ट ने कहा कि मीडिया में महामारी को लेकर आई खबरों में यह संकेत दिया गया था कि प्रदेश ‘स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति’ की तरफ बढ़ रहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए प्रयोग होने वाले रेमेडिसविर इंजेक्‍शन इतनी अधिक कीमत पर क्‍यों बेचे जा रहे हैं। याद हो कि कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के कारण रेमडेसिविर की मांग बढ़ने के मद्देनजर केन्द्र ने रविवार को कहा कि वायरल रोधी इंजेक्शन और इसकी सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के निर्यात पर स्थिति में सुधार होने तक रोक लगा दी गई है। रेमेडिसविर की कालाबाजारी रोकेने के लिए निर्देश जारी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा किदवा की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रेमडेसिविर के सभी घरेलू निर्माताओं को अपने विक्रेताओं और वितरकों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करने की सलाह दी गई है। औषधि निरीक्षकों और अन्य अधिकारियों को भंडार को सत्यापित करने, कदाचारों की जांच करने और इसकी जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए अन्य प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिये गये है। राज्यों के स्वास्थ्य सचिव संबंधित राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के औषधि निरीक्षकों के साथ इसकी समीक्षा करेंगे। रेमडेसिविर की बढ़ रही है मांग मंत्रालय ने कहा कि भारत में कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे है। इससे कोविड मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग तेजी से बढ़ी है।आने वाले दिनों में इसकी मांग में और बढ़ोतरी हो सकती है। मंत्रालय ने कहा कि सात भारतीय कंपनियां मेसर्स गिलीड साइंसेज, अमेरिका, के साथ स्वैच्छिक लाइसेंसिंग समझौते के तहत इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं। उनके पास प्रति माह लगभग 38.80 लाख इकाइयों को बनाने की क्षमता है। भारत सरकार ने स्थिति में सुधार होने तक रेमडेसिविर और इसकी सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के निर्यात पर स्थिति में सुधार होने तक रोक लगा दी गई है।”महोदय, देश के इन ख्याति प्राप्त आयुर्वेद संत को आप समय देगे, जिसका लाभ उत्तराखंड ही नही पूरे देश को मिलेगासादरचद्रशेखर जोशीप्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंडराष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद (संत सहयोगी प्रकोष्ठ) प्रदेश कार्यालय ; बंजारा वाला देहरादूनमो0 9412932030

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